<p style=”text-align: justify;”><strong>Waqf Board Imam News:</strong> वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आने वाली दिल्ली की मस्जिदों में इमाम और मुअज्जिनों का वेतन एक-दो साल से रुका हुआ था, लेकिन उप राज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद 5-5 महीने की तीन किस्तें जारी कर इमामों के सैलरी दी गई. हालांकि, अभी भी कई इमाम ऐसे हैं जिन्हें केवल दो किस्तें ही मिली हैं या कई महीनों की तनख्वाह रुकी हुई है. इसको लेकर कुछ इमाम मीडिया के सामनए आए और अपनी परेशानी रखी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, इमाम मोहम्मद अरशद नदवी ने बताया, “तकरीबन 2-3 साल से मामला ऐसा ही चल रहा है. अभी हम लोगों की सैलरी 5-5 महीने की तीन किस्तों में मिली है, जिनमें बहुत सारे वो लोग भी हैं जिन्हें केवल किस्त मिली हैं. अभी भी 13-14 महीने की सैलरी रुकी हुई है.” </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बोर्ड मेंबर्स की भी रुकी हुई है तनख्वाह</strong><br />इमाम ने आगे बताया, “फतेहपुरी के अंदर जो मदरसा चलता है, उसके मुलाज़िमीन की तनख्वाह दो-ढाई साल से अटकी हुई है. ये हाल लगातार जारी है. नतीजा यह है कि इसमें बहुत सारे ऐसे मुलाज़िमीन हैं जो गरीबी में ही इस दुनिया से चले गए. अब हाल ये है कि बोर्ड मेंबर्स की सैलरी भी रेगुलर नहीं है. वो खुद भी इस मसले से परेशान हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, “इमाम का मसला अहम है. इस सिलसिले में कोई बात नहीं कर रहा, न ही ये मुद्दा उठाया जा रहा है. इमाम बहुत मामूली वेतन पर काम करते हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक परिवार इतने वेतन में सही से नहीं चल सकता और न ही बच्चों की सही तालीम का इंतजाम किया जा सकता है. इसके बावजूद दो- दो साल तक सैलरी न मिलने पर उसका हाल क्या होगा, यह सोचा जा सकता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कई इमामों को बताया गया अवैध</strong><br />वहीं, अजमेरी गेट के इमाम ने बताया कि 2022 के मई के बाद से वेतन रुका हुआ है. करीब 250 इमाम और मुअज्जिन के वेतन नहीं दिए गए हैं. वक्फ बोर्ड के सर्कुलर में 36 इमामों और मुअज्जिनों को अवैध बता दिया गया और उन्हें पगार देने से मना कर दिया गया. ये 36 वक्फ की मस्जिदों में आज भी काम कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>साल 2018 से है वेतन की परेशानी</strong><br />इमाम का कहना है कि सैलरी की परेशानी साल 2018 के बाद से शुरू हुई. इससे पहले तक वक्फ की आमदनी से तन्ख्वाह बांटी जाती थी, लेकिन बाद में वक्फ बोर्ड ने फैसला लिया कि इमामों की सैलरी ग्रांट से आएगी. ग्रांट पास होने पर ही पैसा मिलेगा. उस वक्त इस पर उचित कार्रवाई नहीं की गई, जिस कारण यह हाल हो गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”स्वतंत्रता दिवस पर बदल जाएगी दिल्ली मेट्रो की टाइमिंग, इन यात्रियों को मिलेगी खास सुविधा, जानें” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-metro-timing-changed-on-india-independence-day-15-august-dmrc-latest-updates-2760302″ target=”_blank” rel=”noopener”>स्वतंत्रता दिवस पर बदल जाएगी दिल्ली मेट्रो की टाइमिंग, इन यात्रियों को मिलेगी खास सुविधा, जानें</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Waqf Board Imam News:</strong> वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आने वाली दिल्ली की मस्जिदों में इमाम और मुअज्जिनों का वेतन एक-दो साल से रुका हुआ था, लेकिन उप राज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद 5-5 महीने की तीन किस्तें जारी कर इमामों के सैलरी दी गई. हालांकि, अभी भी कई इमाम ऐसे हैं जिन्हें केवल दो किस्तें ही मिली हैं या कई महीनों की तनख्वाह रुकी हुई है. इसको लेकर कुछ इमाम मीडिया के सामनए आए और अपनी परेशानी रखी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, इमाम मोहम्मद अरशद नदवी ने बताया, “तकरीबन 2-3 साल से मामला ऐसा ही चल रहा है. अभी हम लोगों की सैलरी 5-5 महीने की तीन किस्तों में मिली है, जिनमें बहुत सारे वो लोग भी हैं जिन्हें केवल किस्त मिली हैं. अभी भी 13-14 महीने की सैलरी रुकी हुई है.” </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बोर्ड मेंबर्स की भी रुकी हुई है तनख्वाह</strong><br />इमाम ने आगे बताया, “फतेहपुरी के अंदर जो मदरसा चलता है, उसके मुलाज़िमीन की तनख्वाह दो-ढाई साल से अटकी हुई है. ये हाल लगातार जारी है. नतीजा यह है कि इसमें बहुत सारे ऐसे मुलाज़िमीन हैं जो गरीबी में ही इस दुनिया से चले गए. अब हाल ये है कि बोर्ड मेंबर्स की सैलरी भी रेगुलर नहीं है. वो खुद भी इस मसले से परेशान हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा, “इमाम का मसला अहम है. इस सिलसिले में कोई बात नहीं कर रहा, न ही ये मुद्दा उठाया जा रहा है. इमाम बहुत मामूली वेतन पर काम करते हैं. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक परिवार इतने वेतन में सही से नहीं चल सकता और न ही बच्चों की सही तालीम का इंतजाम किया जा सकता है. इसके बावजूद दो- दो साल तक सैलरी न मिलने पर उसका हाल क्या होगा, यह सोचा जा सकता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कई इमामों को बताया गया अवैध</strong><br />वहीं, अजमेरी गेट के इमाम ने बताया कि 2022 के मई के बाद से वेतन रुका हुआ है. करीब 250 इमाम और मुअज्जिन के वेतन नहीं दिए गए हैं. वक्फ बोर्ड के सर्कुलर में 36 इमामों और मुअज्जिनों को अवैध बता दिया गया और उन्हें पगार देने से मना कर दिया गया. ये 36 वक्फ की मस्जिदों में आज भी काम कर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>साल 2018 से है वेतन की परेशानी</strong><br />इमाम का कहना है कि सैलरी की परेशानी साल 2018 के बाद से शुरू हुई. इससे पहले तक वक्फ की आमदनी से तन्ख्वाह बांटी जाती थी, लेकिन बाद में वक्फ बोर्ड ने फैसला लिया कि इमामों की सैलरी ग्रांट से आएगी. ग्रांट पास होने पर ही पैसा मिलेगा. उस वक्त इस पर उचित कार्रवाई नहीं की गई, जिस कारण यह हाल हो गया है.</p>
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