रोहतक के गांव मोखरा निवासी एक युवक की संदिग्ध हालात में मौत होने का मामला सामने आया है। जो अपनी बहन का इकलौता भाई था। वहीं मृतक का शव गली-सड़ी अवस्था में गांव के ही एक प्लाट में पड़ा हुआ मिला। मृतक के पिता ने आरोप लगाया कि घर से लेकर जाने वाले युवक ने उसके बेटे को नशे की ओवरडोज दी है। जिसके कारण उसके बेटे की मौत हुई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
रोहतक के गांव मोखरा निवासी बलजीत ने बताया कि उसको दो बच्चे हैं, एक बेटा व एक बेटी। उसका बेटा करीब 23 वर्षीय साहिल है। साहिल 9 अगस्त को कोर्ट में तारिख पर गया था। वहीं कोर्ट में पेशी के बाद उसका बेटा गांव के ही एक युवक के साथ घर आया था। करीब आधे घंटे घर पर रहने के बाद उसका बेटा साहिल उक्त युवक के साथ ही घर से निकल गया। गांव वाला युवक ही साहिल को बाइक पर बैठाकर गया था। प्लाट में मिला शव
उन्होंने बताया कि शाम को जब साहिल के पास फोन किया तो उसका फोन बंद आ रहा था। वहीं साहिल को लेकर जाने वाले युवक का फोन चल रहा था, लेकिन उसने कॉल नहीं उठाई। अब उसके बेटे साहिल का शव आरोपी युवक के प्लाट में मिला है। उन्होंने ही इसकी सूचना दी है। उस युवक पर पूरा शक है कि उन्होंने नशे की ओवरडोज दी है। जिसके कारण उसके बेटे साहिल की मौत हो गई। पुलिस को इस मामले में उचित कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। रोहतक के गांव मोखरा निवासी एक युवक की संदिग्ध हालात में मौत होने का मामला सामने आया है। जो अपनी बहन का इकलौता भाई था। वहीं मृतक का शव गली-सड़ी अवस्था में गांव के ही एक प्लाट में पड़ा हुआ मिला। मृतक के पिता ने आरोप लगाया कि घर से लेकर जाने वाले युवक ने उसके बेटे को नशे की ओवरडोज दी है। जिसके कारण उसके बेटे की मौत हुई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
रोहतक के गांव मोखरा निवासी बलजीत ने बताया कि उसको दो बच्चे हैं, एक बेटा व एक बेटी। उसका बेटा करीब 23 वर्षीय साहिल है। साहिल 9 अगस्त को कोर्ट में तारिख पर गया था। वहीं कोर्ट में पेशी के बाद उसका बेटा गांव के ही एक युवक के साथ घर आया था। करीब आधे घंटे घर पर रहने के बाद उसका बेटा साहिल उक्त युवक के साथ ही घर से निकल गया। गांव वाला युवक ही साहिल को बाइक पर बैठाकर गया था। प्लाट में मिला शव
उन्होंने बताया कि शाम को जब साहिल के पास फोन किया तो उसका फोन बंद आ रहा था। वहीं साहिल को लेकर जाने वाले युवक का फोन चल रहा था, लेकिन उसने कॉल नहीं उठाई। अब उसके बेटे साहिल का शव आरोपी युवक के प्लाट में मिला है। उन्होंने ही इसकी सूचना दी है। उस युवक पर पूरा शक है कि उन्होंने नशे की ओवरडोज दी है। जिसके कारण उसके बेटे साहिल की मौत हो गई। पुलिस को इस मामले में उचित कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही आरोपी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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राव बीरेंद्र अंग्रेजों की फौज में कैप्टन थे:रातों-रात 12 विधायक तोड़कर CM बने; देवीलाल ने गंगाजल में नमक डालकर दोस्ती की
राव बीरेंद्र अंग्रेजों की फौज में कैप्टन थे:रातों-रात 12 विधायक तोड़कर CM बने; देवीलाल ने गंगाजल में नमक डालकर दोस्ती की साल 1967, अक्टूबर का महीना, देश में लोकसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी थी। पूर्व रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मेनन कांग्रेस छोड़कर उत्तर-पूर्व बंबई सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। हरियाणा के मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह उनके चुनाव प्रचार के लिए बंबई पहुंचे थे। इसी बीच राव के पास खबर आई कि गया लाल उनके गठबंधन से अलग हो गए हैं। इधर, हरियाणा में चर्चा जोर पकड़ रही थी कि राव साहब बहुमत खो चुके हैं। राव प्रचार छोड़कर बंबई से सीधे दिल्ली के लिए निकल गए। उन्होंने गया लाल से भी बोल दिया कि वो भी दिल्ली पहुंचें। दोनों दिल्ली में मिले और एक ही कार से चंडीगढ़ में सीएम हाउस पहुंचे। वहां मीडिया पहले से उनका इंतजार कर रही थी। राव जैसे ही गाड़ी से उतर कर अंदर जाने लगे, पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया। गया लाल के पार्टी छोड़ने और सरकार के अल्पमत में होने को लेकर सवाल पूछने लगे। राव हंस पड़े। कुछ पलों बाद गया लाल भी गाड़ी से उतरे। राव ने कहा- गया लाल वापस आ गए हैं। जो लोग सरकार गिराना चाहते थे, उनकी साजिश नाकाम हो गई है। तब राव बीरेंद्र की सरकार तो बच गई, लेकिन गया लाल ने दल बदलना नहीं छोड़ा। उन्होंने 24 घंटे के भीतर तीन बार दल बदला। विधायकों के बार-बार दल बदलने से तंग आकर राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी। राव साहब महज 9 महीने ही मुख्यमंत्री रह पाए। ‘मैं हरियाणा का सीएम’ सीरीज के दूसरे एपिसोड में राव बीरेंद्र सिंह के सीएम बनने की कहानी और उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से… फरवरी 1967, नए-नवेले राज्य हरियाणा की गलियों में पहले विधानसभा चुनाव की गूंज थी। संयुक्त पंजाब की तरह हरियाणा में भी कांग्रेस का दबदबा था। चुनाव के नतीजे इस तस्वीर को साफ बयां कर रहे थे। कांग्रेस को 81 विधानसभा सीटों में से 48 पर जीत मिली। वहीं, जनसंघ को 12, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया को 2 और स्वतंत्र पार्टी को 3 सीटें मिलीं। जबकि 16 निर्दलीय विधायक भी जीते। अब बारी थी मुख्यमंत्री तय करने की। चुनाव से पहले चेहरा मुख्यमंत्री भगवत दयाल शर्मा थे। नतीजों के बाद शर्मा फिर से सीएम बनने के लिए पूरी जोर-आजमाइश कर रहे थे। वे एक-एक करके अपने विरोधियों को ठिकाने लगा रहे थे। देवीलाल और शेर सिंह जैसे दिग्गजों को तो उन्होंने विधानसभा चुनाव ही नहीं लड़ने दिया। जबकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पिता रणबीर सिंह की सीट पर अपने खेमे के निर्दलीय उम्मीदवार से हरवाकर उन्हें भी रास्ते से हटा दिया। हालांकि तमाम हथकंडों के बाद भी एक शख्स ऐसा था, जो भगवत दयाल शर्मा के लिए चुनौती बना हुआ था। वह इंदिरा गांधी की पसंद था और ज्यादातर विधायक भी उसके समर्थन में थे। नाम राव बीरेंद्र सिंह। अहीरवाल राज के वंशज राव बीरेंद्र सिंह राजनीति में आने से पहले अंग्रेजों की फौज में कैप्टन रह चुके थे। दूसरे विश्व युद्ध में शामिल भी रहे थे। इंदिरा गांधी ने भगवत दयाल शर्मा से कहा कि वो राव बीरेंद्र को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती हैं, लेकिन भगवत दयाल इसके लिए तैयार नहीं हुए। उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए सिंडिकेट से पैरवी की। दरअसल, तब कांग्रेस के भीतर ताकतवर नेताओं का एक ग्रुप हुआ करता था, जिसे मीडिया ने सिंडिकेट नाम दिया था। इसी सिंडिकेट के बूते वे दोबारा मुख्यमंत्री तो बन गए, लेकिन राव बगावत पर उतर आए। उन्होंने घोषणा कर दी कि वे भगवत दयाल की सरकार को 13 दिन भी नहीं चलने देंगे। इंदिरा ने भगवत दयाल सरकार गिराने का जिम्मा देवीलाल को दिया भगवत दयाल भांप चुके थे कि उनकी सरकार को गिराने की साजिश रची जा रही है। इसलिए उन्होंने अपने करीबियों को ही मंत्रिमंडल में शामिल किया, लेकिन ये दांव उल्टा पड़ा। नाराज विधायकों को बगावत का मौका मिल गया। वे राव बीरेंद्र से संपर्क साधने में जुट गए। हरियाणा में जो कुछ हो रहा था, उस पर केंद्र की भी नजर थी। इंदिरा गांधी भी बैक गेट से अपनी ही सरकार गिराने की बिसात बिछा रही थीं। इसका दावा भगवत दयाल शर्मा के निजी सुरक्षा अधिकारी रहे दादा रामस्वरूप करते हैं। एक इंटरव्यू में रामस्वरूप बताते हैं- ‘प्रधानमंत्री इंदिरा खुद चाहतीं थीं कि भगवत दयाल की सरकार किसी तरीके से गिर जाए। उन्होंने भगवत दयाल के विरोधी और कांग्रेस के कद्दावर नेता चौधरी देवीलाल को इसकी जिम्मेदारी सौंपी।’ इंदिरा गांधी के इशारे पर चौधरी देवीलाल, भगवत दयाल सरकार को गिराने में जुट चुके थे, लेकिन इसके लिए जरूरी था कि राव बीरेंद्र सिंह के साथ उनके सियासी मतभेद दूर हों। लेखक के. गोपी यादव लिखते हैं, ‘हरियाणा बनने से पहले देवीलाल और राव के बीच गहरी दोस्ती थी, बाद में दोनों के संबंध बिगड़ गए। दोबारा संबंध ठीक करने के लिए देवीलाल ने दिल्ली के एक बिल्डर की मदद ली। बिल्डर ने राव को दिल्ली में अपने बंगले पर डिनर के लिए बुलाया। राव डिनर पर नहीं जाना चाहते थे, लेकिन उसके बार-बार आग्रह करने पर वे मान गए। राव उसके घर जैसे ही पहुंचे, उन्हें वहां देवीलाल मिल गए। राव बिल्डर पर गुस्सा हो गए। बिल्डर ने हिम्मत जुटाते हुए राव साहब से कहा कि देवीलाल चाहते हैं कि आप मुख्यमंत्री बनें और वह तहे दिल से आपका सहयोग करेंगे। इस पर राव ने देवीलाल की ओर इशारा करते हुए कहा कि वो इन पर भरोसा नहीं कर सकते। राव का लहजा और लफ्ज दोनों ही सख्त थे, लेकिन देवीलाल ने संयम नहीं खोया। उन्होंने राव को मना लिया। उसी रोज डिनर की टेबल पर पंडित भगवत दयाल शर्मा की सरकार गिराने का प्लान बना।’ अपनी पार्टी की सरकार के खिलाफ लड़ा स्पीकर का चुनाव और जीत भी गए 17 मार्च 1967, भगवत दयाल को मुख्यमंत्री बने एक हफ्ता बीत चुका था। अब स्पीकर चुनने की बारी थी। भगवत दयाल शर्मा ने जींद से विधायक लाला दयाकिशन का नाम स्पीकर के लिए आगे बढ़ाया। इस बीच उन्हीं की पार्टी के एक विधायक ने राव बीरेंद्र सिंह का नाम स्पीकर पद के लिए प्रपोज कर दिया। मुख्यमंत्री भगवत दयाल के खेमे में खलबली मच गई। वोटिंग हुई तो दयाकिशन को 37 वोट मिले, जबकि राव को 28 विपक्षी और कांग्रेस के 12 असंतुष्ट विधायकों को मिलाकर कुल 40 वोट मिले। इसका सीधा मतलब था कि भगवत दयाल शर्मा की सरकार खतरे में है। आखिर बहुमत परीक्षण की बारी भी आई। स्पीकर का चुनाव जीतने के बाद भी बीरेंद्र सिंह का खेमा एक विधायक को लेकर चिंतित था। वो थे चौधरी बंसीलाल, जो पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। राव साहब जानते थे कि अगर बंसीलाल विधानसभा पहुंच गए, तो खेल बिगड़ सकता है। ऐसे में योजना बनाई गई कि बंसीलाल को फ्लोर टेस्ट वाले दिन सदन में आने ही न दिया जाए। पूर्व विधायक और लेखक भीम सिंह दहिया अपनी किताब ‘पावर पॉलिटिक्स ऑफ हरियाणा’ में लिखते हैं- ‘बंसीलाल को सदन से दूर रखने की जिम्मेदारी एक अफसर को सौंपी गई। उसने बंसीलाल को अपने घर बुलाया। थोड़ी देर बाद जब वे बाथरूम में गए, तो अफसर ने दरवाजा बंद कर दिया। वे काफी देर तक आवाज लगाते रहे, लेकिन दरवाजा तब तक नहीं खोला गया, जब तक फ्लोर टेस्ट में भगवत दयाल की सरकार गिरा नहीं दी गई।’ भगवत दयाल की सरकार गिराने के बाद कांग्रेस से बागी हुए 12 विधायकों ने हरियाणा कांग्रेस नाम की नई पार्टी बनाई। 16 निर्दलीय विधायकों ने नवीन हरियाणा पार्टी बनाई। 20 मार्च 1967 को कांग्रेस, इन सभी को मिलाकर हरियाणा संयुक्त विधायक दल पार्टी का गठन किया। चौधरी देवीलाल को इसका संयोजक बनाया गया। चार दिन बाद यानी, 24 मार्च को राव बीरेंद्र सिंह ने 15 मंत्रियों के साथ हरियाणा के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इस तरह पहली बार राव बीरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री बने। देवीलाल ने गंगाजल में नमक डालकर साथ देने की कसम खाई सीएम बनने के बाद भी राव बीरेंद्र के मन में देवीलाल को लेकर संशय बना हुआ था। के. गोपी यादव लिखते हैं- ‘देवीलाल ने संयुक्त विधायक दल की सरकार के सभी समर्थक विधायकों के सामने गंगाजल से भरी हांडी में नमक डालकर कसम खाई कि अगर वे किसान-मजदूर हितैषी राव की सरकार के साथ विश्वासघात करेंगे, तो वे हांडी में डाले गए नमक की तरह घुल जाएंगे। इसके बाद राव ने उनसे पूछा कि मुझे क्या कीमत चुकानी पड़ेगी। देवीलाल ने कहा कि हमारी कोई शर्त नहीं है, लेकिन राव को अब भी यकीन नहीं हो रहा था। उनका मन कह रहा था कि जरूर कुछ ऐसा है जिसे छिपाया जा रहा है। तब देवीलाल ने कहा कि राव साहब, अगर आपको उचित लगे तो चांदराम को उद्योग मंत्री बना दीजिए। राव ने चांदराम को मंत्री बनाया, लेकिन उन्हें उद्योग विभाग नहीं दिया।’ देवीलाल ने ढाई महीने में ही तोड़ दी अपनी कसम राव बीरेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री बने अभी कुछ ही महीने हुए थे कि उन्होंने देवीलाल को तवज्जो देना बंद कर दिया। देवीलाल, सरकार के खिलाफ खुलकर नाराजगी भी जाहिर करने लगे। 5 जून 1967 को देवीलाल ने लेटर जारी किया, जिस पर 13 विधायकों और मंत्रियों के हस्ताक्षर थे। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच रिश्ते फिर बिगड़ने लगे। 13 जुलाई को देवीलाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा- ‘राव बीरेंद्र सिंह की सरकार जनसंघ से प्रभावित है। इसलिए हरियाणा विरोधी इस सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया गया है। देवीलाल ने राव पर कांग्रेस से साठगांठ का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि राव इस बात के लिए तैयार हो गए थे कि यदि उन्हें मुख्यमंत्री बनाए रखने का वचन दिया जाए तो वे कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे।’ हालांकि राव ने इस आरोप को निराधार बताते हुए कहा कि देवीलाल की नाराजगी का असली कारण उन्हें मंत्री न बनाया जाना है। सरकार बनाने पहुंचे देवीलाल तो राज्यपाल ने ठुकराया प्रस्ताव 14 जुलाई को संयुक्त विधायक दल ने 38 विधायकों के साथ बैठक की और देवीलाल को निष्कासित कर दिया। देवीलाल ने तुरंत कांग्रेस से समझौता कर लिया और राव सरकार का तख्तापलट करने में जुट गए। दावा किया जाता है कि कांग्रेस हाईकमान समझौते के तहत देवीलाल को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भी तैयार हो गया था। बशर्तें वे संयुक्त मोर्चे के कुछ विधायकों को अपने साथ ले आएं। राव को इसकी भनक लग चुकी थी। 15 जुलाई को अचानक राव बीरेंद्र सिंह ने राज्यपाल को मंत्रिमंडल का त्यागपत्र दे दिया। उनका मकसद देवीलाल समर्थकों को मंत्रिमंडल से हटाकर नया मंत्रिमंडल बनाना था। राव जब तक अपनी योजना को अमलीजामा पहना पाते, उससे पहले ही देवीलाल 51 विधायकों के समर्थन का दावा लेकर राज्यपाल के पास पहुंच गए, लेकिन राज्यपाल ने यह कहते हुए देवीलाल का दावा खारिज कर दिया कि सूची में विधायकों के साइन नहीं हैं। हालांकि कहा जाता है कि उस पत्र में विधायकों के दस्तखत थे। राज्यपाल ने राव बीरेंद्र सिंह को फिर से मंत्रिमंडल बनाने को कहा। उसी दिन 15 जुलाई को राव के नए मंत्रिमंडल ने शपथ ली। इस बार मंत्रिमंडल में देवीलाल के करीबी चांदराम और मनीराम गोदारा को शामिल नहीं किया गया। इससे नाराज देवीलाल समर्थक मुख्य संसदीय सचिव जगन्नाथ ने भी अपना इस्तीफा दे दिया। अगले चार महीने यानी नवंबर तक दोनों खेमों में सियासी उठापटक चलती रही। कभी देवीलाल के सहयोगी टूटकर संयुक्त मोर्चे में शामिल होते, तो कभी संयुक्त मोर्चे के विधायक को तोड़कर देवीलाल अपने पाले में लाते। 17 नवंबर 1967 को राज्यपाल वीएन चक्रवर्ती ने हरियाणा की राजनीतिक उठापटक को लेकर राष्ट्रपति से विधानसभा भंग करने की सिफारिश की। राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन ने 21 नवंबर 1967 को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया। सरकार गिरने के बाद राव बीरेंद्र सिंह ने विशाल हरियाणा पार्टी बनाई। जबकि देवीलाल कांग्रेस में शामिल हो गए। अप्रैल-मई 1968 में हरियाणा में तीसरी बार विधानसभा चुनाव हुए। वोटों की गिनती हुई तो कांग्रेस को 48 सीटें मिलीं। इस बार बंसीलाल को मुख्यमंत्री का ताज पहनाया गया। वही बंसीलाल जिन्हें एक साल पहले भगवत दयाल की सरकार गिराने के लिए बाथरूम में बंद कर दिया गया था।
तिगांव से कांग्रेस प्रत्याशी का मामा ने किया विरोध:अर्धनग्न होकर गांव में किया प्रचार; बोले- बेईमानों को वोट न दें, सावधान रहने की अपील
तिगांव से कांग्रेस प्रत्याशी का मामा ने किया विरोध:अर्धनग्न होकर गांव में किया प्रचार; बोले- बेईमानों को वोट न दें, सावधान रहने की अपील फरीदाबाद जिले के तिगांव विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार रोहित नागर के मामा मनीराम भरना खुद गांव जाकर रोहित नागर और उनके पिता यशपाल नागर को बेईमान बताया है। उन्हें वोट न देने के साथ साथ सावधान रहने की अपील की। बाइक पर सवार मनीराम अर्धनग्न होकर रोहित नागर के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। मनीराम भड़ाना ने कहा कि रोहित नागर के पिता यशपाल नागर उनके सगे बहनोई हैं। लेकिन बावजूद उसके उन्होंने उनके साथ 60 लख रुपए की बेईमानी की और प्रॉपर्टी में भी उनके साथ धोखाधड़ी की। जिसकी शिकायत में 2009 से करते आ रहे हैं। लघु सचिवालय पर 1 साल से धरने पर मनीराम भड़ाना ने बताया की यशपाल नागर ने उन्हें कई बार कभी घर तो कभी ऑफिस बुलाया। लेकिन उनके रुपए नहीं दिए। पुलिस से साथ गांठ कर उनके केस को दबा दिया। जिसके चलते पिछले लगभग 1 साल से फरीदाबाद के लघु सचिवालय के बाहर ही अर्धनग्न अवस्था में धरने पर बैठे हैं। लेकिन बावजूद उसके उन्हें अभी तक कहीं से न्याय मिलता नजर नहीं आ रहा इसलिए वह चाहते हैं कि ऐसे बेईमानों को वोट न दी जाए, जो लोगों के साथ धोखाधड़ी करते हैं। रोहित नागर का कांग्रेसियों ने भी किया था विरोध गौरतलब है कि रोहित नागर ने कभी पार्षद का भी चुनाव तक नहीं लड़ा है। लेकिन पार्टी ने युवा रोहित नागर पर विश्वास जताया और पूर्व में कांग्रेस की सरकार में विधायक रहे ललित नागर की टिकट काट दी। जिसके चलते ललित नागर समेत अन्य कांग्रेसी रोहित नागर को टिकट दिए जाने का विरोध करते नजर आए।
हरियाणा में कांग्रेस उम्मीदवार ने डिप्टी CM का दावा ठोका:बोले- जब तक भूपेंद्र हुड्डा जिंदा, मुख्यमंत्री पद नहीं मागूंगा, ज्यादा लालच नहीं करूंगा
हरियाणा में कांग्रेस उम्मीदवार ने डिप्टी CM का दावा ठोका:बोले- जब तक भूपेंद्र हुड्डा जिंदा, मुख्यमंत्री पद नहीं मागूंगा, ज्यादा लालच नहीं करूंगा हरियाणा चुनाव को लेकर अभी वोटिंग-काउंटिंग होनी है लेकिन कांग्रेस के नेता उससे पहले ही सरकार में पदों का दावा ठोकने लगे हैं। फरीदाबाद NIT से निवर्तमान विधायक नीरज शर्मा ने कांग्रेस सरकार में डिप्टी CM पद पर दावा ठोक दिया है। उनका कहना है कि जब तक भूपेंद्र हुड्डा जिंदा हैं, मैं सीएम का पद नहीं मांगूंगा। नीरज शर्मा को कांग्रेस ने फरीदाबाद NIT से दोबारा टिकट दी है। डिप्टी सीएम पद की दावेदारी का उनका वीडियो खूब वायरल हो रहा है। जवाहर कॉलोनी में सभा में कही बड़ी बात
फरीदाबाद NIT विधानसभा 86 के कांग्रेस प्रत्याशी नीरज शर्मा जवाहर कॉलोनी में चुनाव प्रचार के लिए गए थे। उन्होंने जन सभा में स्टेज पर खड़े होकर लोगों से बातचीत की। इस दौरान नीरज शर्मा ने सरकार बनने से पहले ही अपनी भावना लोगों के सामने रख दी। नीरज शर्मा ने कहा कि आज यहां इतनी संख्या में लोग इकट्ठा हुए हैं, देख कर लगता है कि जैसे मंत्रालय तुम लेकर ही रहोगे। उनका इशारा सीधे सीधे चुनाव में जीत दिलाने का था। अभी पिता (हुड्डा) जीवित हैं, उनकी जगह नहीं ले सकते
नीरज शर्मा इस दौरान लोगों से पूछने लगे कि कैबिनेट मिनिस्ट्री लोगे या डिप्टी सीएम। लोगों ने कह दिया सीएम बन जाओ। इतने में नीरज शर्मा ने कहा ‘हुड्डा साहब सीएम ठीक हैं, मैं डिप्टी सीएम ही ठीक हूं’। उन्होंने कहा कि जब तक पिता (भूपेंद्र हुड्डा) जिंदा हैं तो पिता की जगह नहीं ली जा सकती, इसीलिए हरियाणा में हुड्डा साहब सीएम बनेंगे। बोले- हम बाहर से आकर बसे, जितना मिल जाए, वो सही
नीरज शर्मा कहने लगे कि हम बाहर से आकर यहां बसे हुए हैं, इसीलिए डिप्टी सीएम ही बन जाएं, इतना ही बहुत है, ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए। जितना परमात्मा ने दिया है, उतने में ही संतुष्टि करना चाहिए, क्योंकि लालच करना बुरी बला है। नीरज शर्मा का ये बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। लालू यादव के दामाद भी ठोक चुके दावा
इससे पहले कांग्रेस के रेवाड़ी से उम्मीदवार और बिहार के पूर्व CM लालू यादव के दामाद चिरंजीव राव भी डिप्टी सीएम पद पर दावा ठोक चुके हैं। तब तक उन्हें कांग्रेस से औपचारिक तौर पर टिकट भी नहीं मिली थी। कार्यकर्ता मीटिंग के दौरान चिरंजीव राव ने कहा था कि अगर रेवाड़ी की जनता उन्हें इस बार विधायक चुनती है तो वह सरकार बनने पर डिप्टी सीएम के दावेदार होंगे। मीडियाकर्मियों ने जब इसको लेकर चिरंजीव राव से सवाल किया तो उन्होंने कहा था कि महत्वकांक्षा सभी की होती है और महत्वकांक्षा रखना गलत भी नहीं है। ऐसे ही मेरी भी है। सरकार बनने से पहले नौकरियां भी बांट रहे कांग्रेस उम्मीदवार कांग्रेस अध्यक्ष बोले- 5 हजार युवाओं को नौकरी दूंगा
हरियाणा कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान का एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें वो 5000 युवाओं को नौकरी देने का वादा कर रहे हैं। वायरल वीडियो में वह कह रहे हैं- सरकार हमारी आएगी और उदयभान सरकार के केंद्र में होगा। कम से कम 5000 बंदों को सरकारी नौकरी में लगाएंगे। यह हमारा वादा है। गन्नौर उम्मीदवार बोले- हिस्से से 25-25% ज्यादा देंगे, बेटा बोला- हुड्डा तक आवेदन ले जाउंगा
गन्नौर विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार कुलदीप शर्मा और उनके बेटे चाणक्य ने सरकारी नौकरियों को लेकर विवादित बयान दिया है। प्रचार के दौरान कुलदीप शर्मा ने एक सभा में कहा, ‘इस बार हुड्डा 2 लाख सरकारी नौकरी लेकर आ रहे हैं, इसमें जो भी तुम्हारा हिस्सा होगा उससे 20-25% ज्यादा दे देंगे’। तो वहीं उनके बेटे चाणक्य का भी एक वीडियो सामने आया है जिसमें वो एक जनसभा में भाषण देते हुए कह रहे हैं- मैं आपको अपना नंबर देकर जाउंगा और आप अपना सिर्फ रोल नंबर लेकर मेरे पास आना, चौधरी भूपेंद्र हुड्डा के पास आपका आवेदन लेकर मैं जाउंगा”। नीरज शर्मा भी कह चुके- 50 वोट पर एक नौकरी देंगे
फरीदाबाद एनआईटी से पूर्व कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा का भी इस बारे में बयान सामने आ चुका है। दरअसल एक जनसभा के दौरान नीरज शर्मा ने अपने समर्थकों से कहा था, ‘ भैया सबकी आज्ञा ले ली, भाई ने खुला चैलेंज कर दिया है। हुड्डा साहब को 2 लाख नौकरी देनी है, मुझे जिता कर भेज दो 2 हजार का कोटा मिलेगा और 50 वोट पर एक नौकरी मिलेगी’। इसके साथ ही उन्होंने मंच से कहा था, ‘जिस गांव में ज्यादा डब्बा भरेगा, उस गांव में ज्यादा नौकरी मिलेगी। यह मेरा फैसला नहीं है, यह सबका फैसला है। कल को मेरे ऊपर मत थोपना’। गोगी बोले- पहले अपना घर भरेंगे
असंध विधानसभा से पूर्व विधायक और इस बार कांग्रेस के उम्मीदवार शमशेर गोगी के बयान का भी वीडियो वायरल हो चुका है। एक पब्लिक मीटिंग के दौरान उन्होंने कहा था, ‘सरकार में सबका हिस्सा होगा, तो सरकार में अपने रिश्तेदारों को भी खुश करेंगे। जो बाहर से आ रहे हैं, भाईचारे में उन्हें भी सेट करेंगे। अपना घर भी भरेंगे। तो इसलिए सरकार में बनने के लिए इलेक्शन जीतना जरूरी है’।