UP के 4 हजार से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर आज यानी मंगलवार को हड़ताल पर रहे। लखनऊ के KGMU, लोहिया संस्थान और SGPGI में इन रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल का जबरदस्त असर दिखा। अकेले इन तीन चिकित्सा संस्थानों में हजारों की संख्या में मरीजों को बिना इलाज ही वापस लौटना पड़ा है। KGMU के रेजीडेंट डॉक्टरों ने मंगलवार को ओपीडी में पहुंचकर प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही उन्होंने वहां मरीजों को इलाज दे रहे डॉक्टरों से भी प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कहा। रेजिडेंट डॉक्टर ओपीडी के मुख्य गेट पर बैठ गये। जिससे मरीज ओपीडी में नहीं पहुंच पा रहे थे। इससे मरीजों का इलाज बाधित हो रहा था। हालांकि बहुत से मरीज पुरानी ओपीडी के रास्ते अंदर पहुंचने में सफल रहे, लेकिन उनमें से भी कई मरीजों को बिना इलाज ही वापस लौटना पड़ा है। रेजिडेंट डॉक्टर का कहना था कि वह इमरजेंसी सेवाएं बाधित नहीं कर रहे हैं लेकिन ओपीडी में वह सेवाएं बंद कर रहे हैं। बाद में केजीएमयू की ओपीडी में मरीजों के नये पर्चे बनाये गये। केजीएमयू के प्रवक्ता डॉक्टर सुधीर सिंह का कहना है कि जो मरीज OPD के अंदर आ गए थे उन्हें इलाज दिया गया है। लोहिया संस्थान में ठप रही OPD डॉ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में 11 बजे के बाद इलाज पूरी तरह से ठप हो गया और मरीजों को ओपीडी से बाहर कर दिया गया। इतना ही नहीं कई मरीजों ने बताया कि काउंटर पर ताले डाल दिये गये। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की तरफ से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा गया है कि कोलकाता की रेजिडेंट डॉक्टर की रेप और मर्डर की घटना के दृष्टिगत लोहिया संस्थान के रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल कर संस्थान के प्रशासनिक भवन के सामने धरना प्रदर्शन और नारेबाजी की है। सुबह 11:30 बजे के बाद संस्थान की OPD सेवाएं बाधित रही, लेकिन भर्ती मरीजों को इलाज मुहैया कराया गया। वहीं, संस्थान में करीब 15 सर्जरी इस हड़ताल की वजह से टालनी पड़ी है। SGPGI में रेजिडेंट डॉक्टरों ने कैंडल मार्च निकाला SGPGI में प्लान की गई सर्जरी को डॉक्टरों ने टाल दिया है। यहां रेजिडेंट डॉक्टरों के समर्थन में फैकेल्टी ने काला फीता बांधकर मरीजों का इलाज किया है, लेकिन OPD में आये मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यहां हड़ताल की वजह से बहुत से मरीजों का पर्चा ही नहीं बन पाया, जिससे पहली बार SGPGI पहुंचे मरीजों को वापस लौटना पड़ा। यहां पर शाम को रेजिडेंट डॉक्टरों ने कैंडल मार्च निकाला और दिवंगत डॉक्टर को श्रद्धांजलि दी गई। सोमवार को हड़ताल का रहा असर
सोमवार को प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीजों को बिना इलाज ही OPD से वापस लौटना पड़ा। दोपहर 12 बजे के बाद OPD में नए पर्चे नहीं बने और जांच भी प्रभावित हुई। फैकल्टी फोरम ने रेजिडेंट डॉक्टरों का किया समर्थन
KGMU फैकल्टी फोरम सदस्य डॉ. केके सिंह ने बताया कि आम तौर पर KGMU का फैकल्टी फोरम इन चीजों से दूर रहता है। पर, आज रेजिडेंट डॉक्टरों की पीड़ा सुनकर शिक्षक संघ ने ये फैसला लिया है कि उनके प्रोटेस्ट को हमारी तरफ से पूरा समर्थन है। यदि, वो मार्च निकालेंगे तो हम सब उनका साथ देंगे। रही बात मरीजों को मिलने वाले इलाज की तो, इतने बड़ी संख्या रेजिडेंट डॉक्टरों की है, उनके बिना सभी मरीजों का इलाज संभव नही हैं। KGMU प्रॉक्टर बोले- हमारी कोशिश मरीजों को न हो परेशानी
KGMU के चीफ प्रॉक्टर डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव ने बताया कि कोलकाता की घटना को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर पीस फुल प्रोटेस्ट कर रहे हैं। मरीजों को मिलने वाले इलाज के सवाल पर उन्होंने कहा कि स्ट्राइक का क्या असर होगा? ये तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा। हम लोगों की कोशिश है कि सभी मरीजों को इलाज मिलता रहे। SGPGI-लोहिया के डॉक्टर भी विरोध में उतरे
SGPGI फैकल्टी फोरम अध्यक्ष डॉ. अमिताभ आर्या, सचिव डॉ. पुनीत गोयल ने भी सोमवार को कैंडल मार्च में शामिल रहे। सभी ने घटना की निंदा की। मंगलवार से ट्रॉमा इमरजेंसी सेवाएं छोड़कर पूरी तरह कार्य बहिष्कार होगा। कल्याण सिंह कैंसर संस्थान के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन प्रेसिडेंट डॉ. रितिका रंजन के नेतृत्व में सभी रेजिडेंट ने काली पट्टी बांधकर काम किया। मंगलवार से यहां भी इमरजेंसी सेवा छोड़कर सब कुछ ठप रहेगा। दरअसल, कोलकाता की ट्रेनी महिला डॉक्टर का रेप और मर्डर की घटना के बाद देश भर के रेजिडेंट डॉक्टरों में जबरदस्त आक्रोश है। रविवार शाम को फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (FORDA) के आह्वान पर यूपी समेत देश भर के सभी रेजिडेंट डॉक्टर, एसोसिएशन, यूपी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने इस हड़ताल का ऐलान किया है। डॉक्टर खुद नही सुरक्षित, कैसे करेंगे दूसरों का इलाज यूपी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन प्रदेश अध्यक्ष डॉ.हरदीप जोगी ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त सिक्योरिटी का न होना, डॉक्टरों के लिए जानलेवा बन चुका हैं। आखिर कब तक सहन करेंगे डॉक्टर? इतने बड़े जघन्य अपराध के बाद भी जिम्मेदार एक्शन लेने में कोताही कर रहे हैं। यही कारण हैं कि डॉक्टरों में बेहद आक्रोश हैं। निर्भया से भी ज्यादा जघन्य अपराध हुआ डॉ. हरदीप कहते हैं कि कोलकाता की रेजिडेंट डॉक्टर के साथ दिल्ली के निर्भया कांड से ज्यादा जघन्य और बर्बर तरीके से अपराध किया गया हैं। बावजूद इसके वहां के जिम्मेदार कार्रवाई को लेकर लचर रवैया अपना रहे हैं।तमाम राज्यों में जब कोई अधिकारी निकलता हैं, तो वो गार्ड साथ लेकर जाता हैं। पर डॉक्टर को अकेले भेजा जाता हैं। ऐसे में डॉक्टरों के ऐसी घटना होना लाजिमी हैं।सवाल ये भी उठता हैं कि NMC जो मेडिकल कॉलेज को अप्रूवल देने वाली बॉडी हैं, वो ऐसे कॉलेज के संचालन की कैसे परमिशन दे देती हैं। जहां डॉक्टरों के लिए सुरक्षित माहौल तक नही हैं। ऐसे हालात में डॉक्टर कैसे लोगों का इलाज कर सकेंगे जब वो खुद ही सुरक्षित नही रहेंगे। यह भी पढ़ें डॉक्टर रेप-मर्डर केस…पुलिस की वर्दी में घूमता था आरोपी:पुलिस कैंपस में रह रहा था, घटना वाली रात दो बार हॉस्पिटल गया ‘गुरुवार रात 11 बजे बेटी से आखिरी बार बात हुई थी। मैंने पूछा- खाना खा लिया? उसने कहा, अभी नहीं, ऑनलाइन आर्डर किया है। फिर उससे बात नहीं हुई। मेरी लड़की को मार दिया। बहुत मेहनत करके उसे डॉक्टर बनाया था।’ ये 31 साल की उस ट्रेनी डॉक्टर की मां का दर्द है, जो कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में काम करती थी। चेस्ट मेडिसिन डिपार्टमेंट में PG सेकेंड ईयर की स्टूडेंट थी। शुक्रवार, 9 अगस्त को हॉस्पिटल के सेमिनार हॉल में उसकी डेडबॉडी मिली। पढ़ें पूरी खबर… UP के 4 हजार से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर आज यानी मंगलवार को हड़ताल पर रहे। लखनऊ के KGMU, लोहिया संस्थान और SGPGI में इन रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल का जबरदस्त असर दिखा। अकेले इन तीन चिकित्सा संस्थानों में हजारों की संख्या में मरीजों को बिना इलाज ही वापस लौटना पड़ा है। KGMU के रेजीडेंट डॉक्टरों ने मंगलवार को ओपीडी में पहुंचकर प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही उन्होंने वहां मरीजों को इलाज दे रहे डॉक्टरों से भी प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कहा। रेजिडेंट डॉक्टर ओपीडी के मुख्य गेट पर बैठ गये। जिससे मरीज ओपीडी में नहीं पहुंच पा रहे थे। इससे मरीजों का इलाज बाधित हो रहा था। हालांकि बहुत से मरीज पुरानी ओपीडी के रास्ते अंदर पहुंचने में सफल रहे, लेकिन उनमें से भी कई मरीजों को बिना इलाज ही वापस लौटना पड़ा है। रेजिडेंट डॉक्टर का कहना था कि वह इमरजेंसी सेवाएं बाधित नहीं कर रहे हैं लेकिन ओपीडी में वह सेवाएं बंद कर रहे हैं। बाद में केजीएमयू की ओपीडी में मरीजों के नये पर्चे बनाये गये। केजीएमयू के प्रवक्ता डॉक्टर सुधीर सिंह का कहना है कि जो मरीज OPD के अंदर आ गए थे उन्हें इलाज दिया गया है। लोहिया संस्थान में ठप रही OPD डॉ.राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में 11 बजे के बाद इलाज पूरी तरह से ठप हो गया और मरीजों को ओपीडी से बाहर कर दिया गया। इतना ही नहीं कई मरीजों ने बताया कि काउंटर पर ताले डाल दिये गये। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की तरफ से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा गया है कि कोलकाता की रेजिडेंट डॉक्टर की रेप और मर्डर की घटना के दृष्टिगत लोहिया संस्थान के रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल कर संस्थान के प्रशासनिक भवन के सामने धरना प्रदर्शन और नारेबाजी की है। सुबह 11:30 बजे के बाद संस्थान की OPD सेवाएं बाधित रही, लेकिन भर्ती मरीजों को इलाज मुहैया कराया गया। वहीं, संस्थान में करीब 15 सर्जरी इस हड़ताल की वजह से टालनी पड़ी है। SGPGI में रेजिडेंट डॉक्टरों ने कैंडल मार्च निकाला SGPGI में प्लान की गई सर्जरी को डॉक्टरों ने टाल दिया है। यहां रेजिडेंट डॉक्टरों के समर्थन में फैकेल्टी ने काला फीता बांधकर मरीजों का इलाज किया है, लेकिन OPD में आये मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यहां हड़ताल की वजह से बहुत से मरीजों का पर्चा ही नहीं बन पाया, जिससे पहली बार SGPGI पहुंचे मरीजों को वापस लौटना पड़ा। यहां पर शाम को रेजिडेंट डॉक्टरों ने कैंडल मार्च निकाला और दिवंगत डॉक्टर को श्रद्धांजलि दी गई। सोमवार को हड़ताल का रहा असर
सोमवार को प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीजों को बिना इलाज ही OPD से वापस लौटना पड़ा। दोपहर 12 बजे के बाद OPD में नए पर्चे नहीं बने और जांच भी प्रभावित हुई। फैकल्टी फोरम ने रेजिडेंट डॉक्टरों का किया समर्थन
KGMU फैकल्टी फोरम सदस्य डॉ. केके सिंह ने बताया कि आम तौर पर KGMU का फैकल्टी फोरम इन चीजों से दूर रहता है। पर, आज रेजिडेंट डॉक्टरों की पीड़ा सुनकर शिक्षक संघ ने ये फैसला लिया है कि उनके प्रोटेस्ट को हमारी तरफ से पूरा समर्थन है। यदि, वो मार्च निकालेंगे तो हम सब उनका साथ देंगे। रही बात मरीजों को मिलने वाले इलाज की तो, इतने बड़ी संख्या रेजिडेंट डॉक्टरों की है, उनके बिना सभी मरीजों का इलाज संभव नही हैं। KGMU प्रॉक्टर बोले- हमारी कोशिश मरीजों को न हो परेशानी
KGMU के चीफ प्रॉक्टर डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव ने बताया कि कोलकाता की घटना को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर पीस फुल प्रोटेस्ट कर रहे हैं। मरीजों को मिलने वाले इलाज के सवाल पर उन्होंने कहा कि स्ट्राइक का क्या असर होगा? ये तो आने वाला वक्त ही बता पाएगा। हम लोगों की कोशिश है कि सभी मरीजों को इलाज मिलता रहे। SGPGI-लोहिया के डॉक्टर भी विरोध में उतरे
SGPGI फैकल्टी फोरम अध्यक्ष डॉ. अमिताभ आर्या, सचिव डॉ. पुनीत गोयल ने भी सोमवार को कैंडल मार्च में शामिल रहे। सभी ने घटना की निंदा की। मंगलवार से ट्रॉमा इमरजेंसी सेवाएं छोड़कर पूरी तरह कार्य बहिष्कार होगा। कल्याण सिंह कैंसर संस्थान के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन प्रेसिडेंट डॉ. रितिका रंजन के नेतृत्व में सभी रेजिडेंट ने काली पट्टी बांधकर काम किया। मंगलवार से यहां भी इमरजेंसी सेवा छोड़कर सब कुछ ठप रहेगा। दरअसल, कोलकाता की ट्रेनी महिला डॉक्टर का रेप और मर्डर की घटना के बाद देश भर के रेजिडेंट डॉक्टरों में जबरदस्त आक्रोश है। रविवार शाम को फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (FORDA) के आह्वान पर यूपी समेत देश भर के सभी रेजिडेंट डॉक्टर, एसोसिएशन, यूपी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने इस हड़ताल का ऐलान किया है। डॉक्टर खुद नही सुरक्षित, कैसे करेंगे दूसरों का इलाज यूपी रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन प्रदेश अध्यक्ष डॉ.हरदीप जोगी ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त सिक्योरिटी का न होना, डॉक्टरों के लिए जानलेवा बन चुका हैं। आखिर कब तक सहन करेंगे डॉक्टर? इतने बड़े जघन्य अपराध के बाद भी जिम्मेदार एक्शन लेने में कोताही कर रहे हैं। यही कारण हैं कि डॉक्टरों में बेहद आक्रोश हैं। निर्भया से भी ज्यादा जघन्य अपराध हुआ डॉ. हरदीप कहते हैं कि कोलकाता की रेजिडेंट डॉक्टर के साथ दिल्ली के निर्भया कांड से ज्यादा जघन्य और बर्बर तरीके से अपराध किया गया हैं। बावजूद इसके वहां के जिम्मेदार कार्रवाई को लेकर लचर रवैया अपना रहे हैं।तमाम राज्यों में जब कोई अधिकारी निकलता हैं, तो वो गार्ड साथ लेकर जाता हैं। पर डॉक्टर को अकेले भेजा जाता हैं। ऐसे में डॉक्टरों के ऐसी घटना होना लाजिमी हैं।सवाल ये भी उठता हैं कि NMC जो मेडिकल कॉलेज को अप्रूवल देने वाली बॉडी हैं, वो ऐसे कॉलेज के संचालन की कैसे परमिशन दे देती हैं। जहां डॉक्टरों के लिए सुरक्षित माहौल तक नही हैं। ऐसे हालात में डॉक्टर कैसे लोगों का इलाज कर सकेंगे जब वो खुद ही सुरक्षित नही रहेंगे। यह भी पढ़ें डॉक्टर रेप-मर्डर केस…पुलिस की वर्दी में घूमता था आरोपी:पुलिस कैंपस में रह रहा था, घटना वाली रात दो बार हॉस्पिटल गया ‘गुरुवार रात 11 बजे बेटी से आखिरी बार बात हुई थी। मैंने पूछा- खाना खा लिया? उसने कहा, अभी नहीं, ऑनलाइन आर्डर किया है। फिर उससे बात नहीं हुई। मेरी लड़की को मार दिया। बहुत मेहनत करके उसे डॉक्टर बनाया था।’ ये 31 साल की उस ट्रेनी डॉक्टर की मां का दर्द है, जो कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में काम करती थी। चेस्ट मेडिसिन डिपार्टमेंट में PG सेकेंड ईयर की स्टूडेंट थी। शुक्रवार, 9 अगस्त को हॉस्पिटल के सेमिनार हॉल में उसकी डेडबॉडी मिली। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर