हरियाणा में करनाल के मधुबन थाना क्षेत्र में चोरों ने दो अलग-अलग घरों को निशाना बनाया और लाखों के गहने और अन्य कीमती सामान चुरा लिए। बजीदा जटान गांव में चोरी की वारदात के दौरान परिवार घर पर सोया हुआ था, जबकि मधुबन की अशोक विहार कालोनी के किराए के मकान में रहने वाले लोग बाहर गए हुए थे। पुलिस ने दोनों मामलों में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पहली घटना: बजीदा जटान गांव मधुबन थाना क्षेत्र के बजीदा जटान गांव में रात के समय चोरों ने पवन कुमार के घर में चोरी की वारदात को अंजाम दिया। जब परिवार घर पर सो रहा था, तब चोरों ने घर में घुसकर लाखों के गहनों पर हाथ साफ कर दिया। शिकायतकर्ता पवन कुमार के मुताबिक, सोने के झुमके, सोने की बाली, दो पैरों की चैन (चांदी की), दो गले की चैन (चांदी की), बालों की 2 सुई (चांदी की), बच्चों की पायल (दो जोड़ी, चांदी की), महंदी चुकटी (चांदी की), पैरों की चुकटी (3 सेट वाली), गले का सेट (चांदी का), बच्चों की गुल्लक, बच्चों के हाथ पैर की कंडुली, तीन परफ्यूम, बाइक का शीशा चोरी हुआ है। ताला तोड़कर दिया चोरी की घटना को अंजाम दूसरी घटना, मधुबन की अशोक विहार कॉलोनी में घटी, जहां चोरों ने एक किराए के मकान में रखे सोने-चांदी के आभूषण चुरा लिए। इस चोरी में लगभग 3 से 4 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। मधुबन के अशोक विहार कालोनी निवासी पुष्पा पत्नी मनोज कुमार किराए के मकान में रहते है। पुष्पा 11 जुलाई की रात को करीब 9 बजे अपने मम्मी-पापा के पास चली गई थी। 12 जुलाई की सुबह जब वह अपने किराये के मकान में लौटी तो घर का ताला टूटा हुआ था और घर का सामान बिखरा पड़ा था। उसने तुरंत पुलिस को जानकारी दी और पुलिस FSL टीम के साथ मौके पर पहुंची और घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए। क्या क्या हुआ है चोरी शिकायतकर्ता पुष्पा ने बताया है कि मंगलसूत्र, कान का पांच लड़ी वाला झुमका, सात लोकेट (हनुमान जी), तीन नाक की नथुनी, एक नाक का कोका चोरी हुआ है। सारे सामान की कीमत करीब 3 से 4 लाख रुपए बताई गई है।क्या कहती है पुलिस-मधुबन थाना के उप निरीक्षक सुखबीर सिंह ने बताया कि प्राथमिक जांच में पाया गया कि अज्ञात चोरों ने रात के समय घर में घुसकर इन चोरियों को अंजाम दिया। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। FSL टीम के साथ पुलिस ने घटनास्थलों से साक्ष्य जुटाए हैं और चोरों की तलाश जारी है। हरियाणा में करनाल के मधुबन थाना क्षेत्र में चोरों ने दो अलग-अलग घरों को निशाना बनाया और लाखों के गहने और अन्य कीमती सामान चुरा लिए। बजीदा जटान गांव में चोरी की वारदात के दौरान परिवार घर पर सोया हुआ था, जबकि मधुबन की अशोक विहार कालोनी के किराए के मकान में रहने वाले लोग बाहर गए हुए थे। पुलिस ने दोनों मामलों में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पहली घटना: बजीदा जटान गांव मधुबन थाना क्षेत्र के बजीदा जटान गांव में रात के समय चोरों ने पवन कुमार के घर में चोरी की वारदात को अंजाम दिया। जब परिवार घर पर सो रहा था, तब चोरों ने घर में घुसकर लाखों के गहनों पर हाथ साफ कर दिया। शिकायतकर्ता पवन कुमार के मुताबिक, सोने के झुमके, सोने की बाली, दो पैरों की चैन (चांदी की), दो गले की चैन (चांदी की), बालों की 2 सुई (चांदी की), बच्चों की पायल (दो जोड़ी, चांदी की), महंदी चुकटी (चांदी की), पैरों की चुकटी (3 सेट वाली), गले का सेट (चांदी का), बच्चों की गुल्लक, बच्चों के हाथ पैर की कंडुली, तीन परफ्यूम, बाइक का शीशा चोरी हुआ है। ताला तोड़कर दिया चोरी की घटना को अंजाम दूसरी घटना, मधुबन की अशोक विहार कॉलोनी में घटी, जहां चोरों ने एक किराए के मकान में रखे सोने-चांदी के आभूषण चुरा लिए। इस चोरी में लगभग 3 से 4 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। मधुबन के अशोक विहार कालोनी निवासी पुष्पा पत्नी मनोज कुमार किराए के मकान में रहते है। पुष्पा 11 जुलाई की रात को करीब 9 बजे अपने मम्मी-पापा के पास चली गई थी। 12 जुलाई की सुबह जब वह अपने किराये के मकान में लौटी तो घर का ताला टूटा हुआ था और घर का सामान बिखरा पड़ा था। उसने तुरंत पुलिस को जानकारी दी और पुलिस FSL टीम के साथ मौके पर पहुंची और घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए। क्या क्या हुआ है चोरी शिकायतकर्ता पुष्पा ने बताया है कि मंगलसूत्र, कान का पांच लड़ी वाला झुमका, सात लोकेट (हनुमान जी), तीन नाक की नथुनी, एक नाक का कोका चोरी हुआ है। सारे सामान की कीमत करीब 3 से 4 लाख रुपए बताई गई है।क्या कहती है पुलिस-मधुबन थाना के उप निरीक्षक सुखबीर सिंह ने बताया कि प्राथमिक जांच में पाया गया कि अज्ञात चोरों ने रात के समय घर में घुसकर इन चोरियों को अंजाम दिया। पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। FSL टीम के साथ पुलिस ने घटनास्थलों से साक्ष्य जुटाए हैं और चोरों की तलाश जारी है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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कुरूक्षेत्र में पराली जलाने के आरोप में दो गिरफ्तार:पुलिस टीमें कर रही गांवों का निरीक्षण, जिले में फसल के अवशेष जलाने पर बैन कुरूक्षेत्र पुलिस ने पराली जलाने के आरोप में दो किसानों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने पराली जलाने के अलग-अलग मामलों मे गुरचरण सिंह निवासी गांव रायमाजरा और सोहना राम निवासी गांव लौहारा को गिरफ्तार किया है। उपायुक्त कुरूक्षेत्र ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत फसलों के अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। इसके बावजूद किसानों द्वारा पराली जलाई जा रही है। उपायुक्त के आदेशों की अवहेलना में यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो वह भारतीय न्याय संहिता की धारा 223(ए) के तहत दंड का पात्र होगा। उपायुक्त कार्यालय के आदेशानुसार कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. कर्मचन्द कुरूक्षेत्र कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा ग्राम स्तर पर गठित की गई कमेटी द्वारा मौके का मुआयना करने पर गांव राय माजरा में रकबा एक एकड़ की जमीन पर आगजनी पाई गई थी। इस पर पुलिस ने 22 अक्टूबर को थाना शाहबाद में मामला दर्ज किया था। मामले की जांच करते हुए एएसआई देवेंद्र कुमार ने आगजनी के आरोप में गुरचरण सिंह निवासी गांव रायमाजरा थाना शाहबाद के मामले मे शामिल तफ्तीश किया गया। इसी प्रकार थाना लाडवा में 21 अक्टूबर के वायु प्रदूषण एक्ट की उल्लंघना करके अपराध में एसआई बलबीर दत्त ने सोहन सिंह निवासी गांव लौहारा के एक एकड़ क्षेत्र में आगजनी का मामला दर्ज किया गया था। इसमें आगजनी के आरोपी सोहन सिंह को मामले में शामिल किया गया।
कैप्टन अजय यादव बोले-मैं कोई साधु नहीं हूं:कांग्रेस में अपमानित कर रहे थे; इस्तीफा स्वीकार होते ही खुलासा करूंगा, भाजपा में जाने की अटकलें
कैप्टन अजय यादव बोले-मैं कोई साधु नहीं हूं:कांग्रेस में अपमानित कर रहे थे; इस्तीफा स्वीकार होते ही खुलासा करूंगा, भाजपा में जाने की अटकलें हरियाणा के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय यादव के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। हालांकि कैप्टन की तरफ से अभी पत्ते नहीं खोले गए हैं। शुक्रवार को कैप्टन अजय यादव ने X पर दो और पोस्ट की। जिसमें लिखा-‘मैं कोई संत नहीं हूं और एक पूर्णकालिक राजनीतिज्ञ हूं, तथा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा मेरा इस्तीफा स्वीकार किए जाने के बाद ही मैं अपने भविष्य की रणनीति तय करूंगा तथा कुछ नेताओं द्वारा मेरे राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचाने के लिए की गई कार्यप्रणाली और बाधाओं का विस्तृत विवरण दूंगा।’ दूसरी पोस्ट में लिखा- ‘मैं इंतजार कर रहा हूं कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लें तो मै मीडिया से मुलाकात करूंगा। मैं बताऊंगा कि कैसे दो साल से कुछ नेता मुझे अपमानित और परेशान कर रहे थे। कैप्टन अजय द्वारा पार्टी छोड़ने के फैसले पर उनके बेटे और पूर्व विधायक चिरंजीव राव ने कहा-‘कैप्टन साहब ने ये फैसला कैसे और क्यों लिया ये तो वही बता सकते हैं। मैं कांग्रेस के साथ हूं।’ बता दें कि एक दिन पहले सोशल मीडिया (X) पर खुद की अनदेखी से खफा होकर कैप्टन ने दो पोस्ट करते हुए कांग्रेस ओबीसी विभाग के चेयरमैन पद छोड़ने सहित पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा देने की जानकारी दी थी। कैप्टन के अचानक पार्टी छोड़ने से कांग्रेस में खलबली मच गई। कैप्टन ने पार्टी छोड़ते हुए कहा कि उनका पार्टी आलाकमान से मोहभंग हो चुका है। पहले भी बीजेपी में जाने की चर्चाएं चली दरअसल, कैप्टन अजय यादव के पहले भी कई बार बीजेपी जॉइन करने की चर्चाएं चली थी। 2014 और 2019 के चुनाव से पहले भी इस तरह की चर्चाएं हुई। हालांकि कैप्टन पार्टी में बने रहे। लेकिन अब पार्टी छोड़ने के बाद बीजेपी जॉइन करने की चर्चाओं को ज्यादा बल मिला है। राज्यसभा सांसद किरण चौधरी के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने को उन्होंने गलत नहीं बताया था। उस समय भी आशंका व्यक्त की गई कि उनका कांग्रेस से मोहभंग हो चुका है। कैप्टन ने इस्तीफे की जानकारी के साथ कारण भी बताया कैप्टन ने गुरुवार की शाम X पर लिखा, ‘मैंने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अब मैं ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के OBC मोर्चा का चेयरमैन भी नहीं रहा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इसकी जानकारी दे दी गई है।’ कैप्टन यादव ने आगे लिखा, ‘इस्तीफा देने का यह निर्णय वास्तव में बहुत कठिन था, क्योंकि मेरे परिवार का कांग्रेस से 70 वर्षों से जुड़ाव था। मेरे पिता दिवंगत राव अभय सिंह 1952 में कांग्रेस से विधायक बने और उसके बाद मैंने पारिवारिक परंपरा को जारी रखा, लेकिन सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने के बाद मेरे साथ खराब व्यवहार किया गया। इससे मेरा पार्टी हाईकमान से मोहभंग हो गया है।’ लालू यादव के समधी हैं कैप्टन अजय कैप्टन अजय यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के समधी है। कैप्टन के बेटे चिरंजीव राव की 2011 में लालू यादव की बेटी अनुष्का से हुई थी। चिरंजीव भी काफी लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं। यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सहित विभिन्न पदों पर रहने के बाद 2019 में चिरंजीव राव रेवाड़ी सीट से विधायक चुने गए। इससे पहले उनके पिता कैप्टन अजय यादव लगातार 6 बार 1991 से 2014 तक इस सीट से विधायक रहे। कैप्टन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तत्कालीन सरकार में दोनों बार पावरफुल मंत्री भी रहे। लोकसभा टिकट न मिलने से नाराज चल रहे थे, बेटे की हार के बाद निराश पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव हरियाणा कांग्रेस में अपनी अनदेखी से नाराज चल रहे थे। उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले गुरुग्राम लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट न देकर राज बब्बर को यहां से मैदान में उतारा था। हालांकि कैप्टन की ये नाराजगी विधानसभा चुनाव आते-आते कम हो गई। इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कैप्टन के बेटे चिरंजीव राव को फिर से रेवाड़ी सीट से चुनावी मैदान में उतारा, लेकिन वह हार गए। उन्हें भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह यादव ने 28769 वोटों से हराया है। बेटे की हार के बाद अजय यादव ने पार्टी नेताओं पर लापरवाही के आरोप लगाए थे। उन्होंने OBC विभाग पद को भी झुनझुना बताया था। हालांकि, पार्टी ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की तो 7 दिन बाद कैप्टन यादव ने खुद ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया। अजय यादव के बेटे चिरंजीव राव पार्टी के राष्ट्रीय सचिव भी हैं।
हरियाणा में ‘रामपुरा हाउस’ का दबदबा संकट में:राव इंद्रजीत ने सिक्सर लगाया लेकिन लड़खड़ाते हुए जीते, पैतृक सीट पर भी लीड नहीं दिला सके
हरियाणा में ‘रामपुरा हाउस’ का दबदबा संकट में:राव इंद्रजीत ने सिक्सर लगाया लेकिन लड़खड़ाते हुए जीते, पैतृक सीट पर भी लीड नहीं दिला सके हरियाणा की अहीरवाल बैल्ट यानी दक्षिणी हरियाणा में दशकों तक सियासी दबदबा रखने वाले रामपुरा हाउस के वजूद पर इस बार संकट नजर आया। यहां से रामपुरा हाउस की सियासत आगे बढ़ा रहे भाजपा उम्मीदवार राव इंद्रजीत ने भले ही लगातार छठी बार जीत का सिक्सर लगा दिया हो लेकिन हार-जीत का मार्जिन पिछली जीत के मुकाबले काफी कम रहा। मतगणना के दौरान शुरूआत में तो ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस के राज बब्बर से उनकी हार हो सकती है लेकिन अंतिम वक्त में वह 75079 वोटों से जीत गए। हालत यह हो गई कि राव इंद्रजीत सिंह के खुद के पैतृक हल्के रेवाड़ी, बावल और पटौदी ने उन्हें कड़े मुकाबले में लाकर खड़ा कर दिया। इन तीनों ही सीट पर राव की उम्मीद के अनुरूप उन्हें लीड नहीं मिली और कांग्रेस के प्रत्याशी राज बब्बर को तीनों ही विधानसभा में 60 हजार से ज्यादा वोट मिले। जीत के बाद खुद राव ने माना कि अगर उन्हें गुरुग्राम, बादशाहपुर सीट से बढ़त नहीं मिलती तो इस बार जीत मुश्किल थी। खुद लड़खड़ाते जीते, पैतृक सीट से BJP हारी
खुद के इलाके में घिरने के बाद लड़खड़ाते हुए राव इंद्रजीत को आखिर में जीत मिल ही गई, लेकिन उनकी एक और पैतृक सीट कोसली विधानसभा ने भी सभी को चौंका दिया। पिछली बार इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी डा. अरविंद शर्मा को 75 हजार वोटों की लीड मिली थी। जिसकी वजह से कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा चुनाव हार गए थे, लेकिन इस बार कोसली से भले ही दीपेंद्र 2 वोट से जीते, लेकिन ये परिणाम अपने आप में चौंकाने वाला है। कोसली रामपुरा हाउस का गढ़ रहा है। रोहतक से हारे अरविंद शर्मा की मदद नहीं कर पाए
यहां से बीजेपी को लीड दिलाने की जिम्मेवारी राव इंद्रजीत सिंह के कंधे पर थी। राव इंद्रजीत सिंह खुद भी आखिरी वक्त पर कोसली में प्रचार करने के लिए पहुंचे, लेकिन यहां भी बीजेपी प्रत्याशी की हार ने राव इंद्रजीत सिंह की साख पर सवाल खड़े कर दिए। हालांकि राव इंद्रजीत सिंह महेंद्रगढ़ जिले में अपनी छाप बरकरार रखने में जरूर कामयाब रहे। भिवानी-महेंद्रगढ़ से बीजेपी प्रत्याशी चौधरी धर्मबीर सिंह की जीत में महेंद्रगढ़ जिले का अहम रोल रहा है। गुरुग्राम सीट पर लगातार चौथी जीत
बता दें कि गुरुग्राम सीट 2008 में अस्तित्व में आई। कांग्रेस की टिकट पर राव इंद्रजीत सिंह ने पहला चुनाव 2009 में इस सीट से लड़ा और बीएसपी के जाकिर हुसैन को 84,864 वोटों से हराया था। 2013 में मोदी लहर को देख राव इंद्रजीत सिंह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। साल 2014 में हुए चुनाव में रिकॉर्ड 2,74,722 वोटों से जीते थे। इसमें राव इंद्रजीत सिंह को 644780 और इनेलो नेता जाकिर हुसैन को 370058 वोट मिले थे। 2019 में हुए चुनाव में बीजेपी ने दूसरी बार राव इंद्रजीत को गुरुग्राम सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। उनका मुकाबला कांग्रेस नेता और 6 बार विधायक रहे कैप्टन अजय सिंह यादव से हुआ। इसमें राव इंद्रजीत सिंह को 881546 वोट मिले और कैप्टन अजय सिंह यादव को 495290 वोट मिले थे। इस सीट राव इंद्रजीत ने अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ा और 386256 वोटों से जीते थे। लेकिन इस बार राव इंद्रजीत सिंह पहली बार कड़े मुकाबले में फंसते हुए दिखाई दिए। राव इंद्रजीत सिंह को कुल 8 लाख 8 हजार 336 वोट मिले और उन्होंने राज बब्बर को 75079 वोट से हरा दिया। राव इंद्रजीत सिंह की ये सबसे छोटी जीत है। विरोधी रहे एक्टिव, बादशाहपुर ने बचाई लाज
दरअसल, गुरुग्राम सीट पर बीजेपी के भीतर सबसे ज्यादा गुटबाजी भी रही। अहीरवाल की राजनीति को अपने हिसाब से चलाने वाले राव इंद्रजीत सिंह के विरोधियों की फेहरिस्त अपनी ही पार्टी में काफी लंबी हैं। इसी गुटबाजी की वजह से इस बार चुनाव प्रचार में राव इंद्रजीत सिंह पूरी तरह अलग-थलग भी पड़ते हुए दिखाई दिए। उनके लिए ना कोई बड़ा नेता प्रचार करने आया और ना ही इलाके के दूसरे बड़े स्थानीय नेताओं ने प्रचार किया। पूर्व सांसद सुधा यादव, निवर्तमान केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह, पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास जैसे सीनियर नेताओं ने दूरी बनाए रखी। जिसकी वजह से राव इंद्रजीत सिंह को बीजेपी के मजबूत कहे जाने वाले रेवाड़ी जिले की तीनों विधानसभा सीट पर राव इंद्रजीत सिंह कांटे के मुकाबले में फंसे रहे। हालांकि उन्हें गुरुग्राम और बादशाहपुर विधानसभा में करीब 1-1 लाख वोट की लीड मिली, जिसकी वजह वो चुनाव जीत गए। बता दें कि बादशाहपुर वहीं हल्का है, जहां से 2019 में राव इंद्रजीत सिंह ने पूर्व कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह की टिकट कटवा दी थी। इस सीट पर सबसे ज्यादा भीतरघात की होने की चर्चा थी, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद ऐसा दिखाई नहीं दिया। कभी 14 विधानसभा सीटों पर रहा दबदबा दक्षिणी हरियाणा में विधानसभा की 14 सीटें है। इनमें गुरुग्राम, रेवाड़ी, नूंह और महेंद्रगढ़ जिले की अलग-अलग विधानसभा सीटें शामिल है। दशकों तक इन सीटों पर रामपुरा हाउस का दबदबा बना रहा, लेकिन पिछले कुछ सालों में इन सीटों पर रामपुरा हाउस की पकड़ कमजोर होती चली गई। पिछले विधानसभा चुनाव में भी इसकी बानगी देखने को मिली थी। राव इंद्रजीत सिंह के खुद के गृह जिले रेवाड़ी की विधानसभा सीट पर उनके समर्थक सुनील मुसेपुर को हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में इस बार खुद राव इंद्रजीत सिंह के सामने खड़ी हुई चुनौती ने इसे और गहरा कर दिया है।