भास्कर न्यूज | रोहतक मांगें पूरी नहीं होने पर दूसरे दिन भी क्लर्क हड़ताल पर रहे। इससे सभी विभागों में काम प्रभावित रहे। नगर निगम में जहां 350 लोग बिना काम कराए लौट गए तो वहीं रजिस्ट्री ऑफिस में दोपहर तक सिर्फ 70 रजिस्ट्री ही हो सकीं। इसके बाद करीब 30 लोगों को वापस कर दिया गया। इसके साथ ही तहसील, लघु सचिवालय स्थित एसडीएम कार्यालय, ई दिशा केंद्र समेत नगर निगम, सिंचाई विभाग, समाज कल्याण विभाग, को-ऑपरेटिव आदि विभागों में अपने कार्य से आए आमजन को मायूस होना पड़ा। अंबेडकर चौक स्थित नगर निगम कार्यालय में हड़ताल से निपटने के लिए अन्य कर्मचारियों के जरिए किया गया वैकल्पिक प्रबंध भी नाकाफी साबित हुआ। हालांकि डीसी कार्यालय के लिपिक दोपहर बाद हड़ताल में शामिल हुए। इससे दोपहर बाद रजिस्ट्री कार्य ठप रहा। रोहतक. लघु सचिवालय के बाहर हड़ताल पर बैठे हुए लिपिक वर्ग। संगठन के जिला प्रधान संदीप दांगी जिला प्रधान ने कहा कि सरकार से लिपिकों की कई बार बैठकें हो चुकी हैं, परंतु सरकार केवल विश्वासघात कर रही है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने मुलाकात में मांगों का समाधान करने का वादा किया था, परंतु इसके एवज में मुख्य सचिव राजेश खुल्लर के कहने पर लिपिकों की कमेटी भी सचिवालय में 5 दिन तक जमा रही। फिर भी कोई नतीजा नहीं निकला। उन्होंने कहा कि यदि मांगों का समाधान नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। भास्कर न्यूज | रोहतक मांगें पूरी नहीं होने पर दूसरे दिन भी क्लर्क हड़ताल पर रहे। इससे सभी विभागों में काम प्रभावित रहे। नगर निगम में जहां 350 लोग बिना काम कराए लौट गए तो वहीं रजिस्ट्री ऑफिस में दोपहर तक सिर्फ 70 रजिस्ट्री ही हो सकीं। इसके बाद करीब 30 लोगों को वापस कर दिया गया। इसके साथ ही तहसील, लघु सचिवालय स्थित एसडीएम कार्यालय, ई दिशा केंद्र समेत नगर निगम, सिंचाई विभाग, समाज कल्याण विभाग, को-ऑपरेटिव आदि विभागों में अपने कार्य से आए आमजन को मायूस होना पड़ा। अंबेडकर चौक स्थित नगर निगम कार्यालय में हड़ताल से निपटने के लिए अन्य कर्मचारियों के जरिए किया गया वैकल्पिक प्रबंध भी नाकाफी साबित हुआ। हालांकि डीसी कार्यालय के लिपिक दोपहर बाद हड़ताल में शामिल हुए। इससे दोपहर बाद रजिस्ट्री कार्य ठप रहा। रोहतक. लघु सचिवालय के बाहर हड़ताल पर बैठे हुए लिपिक वर्ग। संगठन के जिला प्रधान संदीप दांगी जिला प्रधान ने कहा कि सरकार से लिपिकों की कई बार बैठकें हो चुकी हैं, परंतु सरकार केवल विश्वासघात कर रही है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने मुलाकात में मांगों का समाधान करने का वादा किया था, परंतु इसके एवज में मुख्य सचिव राजेश खुल्लर के कहने पर लिपिकों की कमेटी भी सचिवालय में 5 दिन तक जमा रही। फिर भी कोई नतीजा नहीं निकला। उन्होंने कहा कि यदि मांगों का समाधान नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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अंबाला का जवान लेह में शहीद:ड्यूटी के दौरान बर्फ पर फिसला, अस्पताल में मौत, आज शेरपुर पहुंचेगा पार्थिव शरीर अंबाला के शेरपुर गांव के एक आर्मी जवान की ड्यूटी के दौरान लेह लद्दाख में बर्फ पर फिसलने से मौत हो गई। जवान का पार्थिव शरीर शुक्रवार सुबह शेरपुर गांव पहुंचेगा। पुलिस ने जानकारी देते हुए बताया कि शेरपुर गांव निवासी गुरप्रीत सिंह (32) भारतीय सेना में तैनात थे और इस समय वह अन्य आर्मी जवानों के साथ लेह लद्दाख में ड्यूटी पर थे। गश्त के दौरान गुरप्रीत सिंह बर्फ पर फिसलकर नहर में गिर गए और गंभीर रूप से घायल हो गए। आर्मी के जवानों ने घायल अवस्था में गुरप्रीत सिंह को अस्पताल पहुंचाया। जहां इलाज के दौरान गुरप्रीत सिंह ने अंतिम सांस ली। गुरुवार को आर्मी ने गुरप्रीत सिंह के परिजनों को उनकी मौत की सूचना दी। आज शेरपुर पहुंचेगा पार्थिव शरीर सूचना मिलते ही परिजनों में मातम पसर गया। गुरप्रीत सिंह के शव की लेह अस्पताल में मेडिकल जांच कराई गई है। शुक्रवार सुबह सेना के वाहन में गुरप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर अंबाला से उनके गांव शेरपुर लाया जाएगा। जहां परिजन और अन्य रिश्तेदार जवान के अंतिम दर्शन कर सकेंगे। सेना की टुकड़ी गुरप्रीत सिंह के पार्थिव शरीर को सलामी देगी, जिसके बाद गुरप्रीत सिंह के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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वहां डॉक्टर ने उनकी बेटी को इंजेक्शन और दवाई दी, लेकिन दवाइयों से उनकी बेटी को बिल्कुल आराम नहीं हुआ। पंकज ने बताया की बंगाली डॉक्टर ने उनकी बेटी को खाली पेट ही इंजेक्शन लगाया था। इसके चलते उनकी बेटी की तबीयत बिगड़ने लगी थी। शाम होते-होते उनकी बेटी शबनम की हालत और खराब होती चली गई। अस्पताल में बेटी को डॉक्टरों ने मृत घोषित किया
इसके बाद शबनम को वह शाम को लगभग 7:30 बजे फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल में इलाज के लिए लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने उनकी बेटी को देखते ही मृत घोषित कर दिया। हालांकि इस दौरान अस्पताल स्टाफ ने उनकी बेटी की मृत्यु के बाद एक फॉर्म भरकर उन्हें दिया, लेकिन किसी ने उन्हें जानकारी नहीं दी कि अस्पताल से उन्हें शव ले जाने के लिए घर तक फ्री में एंबुलेंस मुहैया कराई जाती है। ऑटो वाले भी शव ले जाने में राजी नहीं हुए
उन्होंने अपने एक परिचित ऑटो चालक को फोन कर अस्पताल आने के लिए कहा, लेकिन काफी देर होने के बाद वह अपनी बेटी के शव को दूसरे ऑटो में ले जाने के लिए अस्पताल के बाहर लेकर आ गए। कोई भी ऑटो वाला बेटी के शव को लेकर जाने को तैयार नहीं हुआ। पंकज ने बताया कि यदि अस्पताल स्टाफ ने उन्हें जानकारी दी होती तो वह अपनी बेटी के शव को इस प्रकार से अस्पताल के बाहर नहीं लाते। डॉक्टर बोले- उचित कार्रवाई करेंगे
अस्पताल के पीएमओ का पदभार संभाल रहे डॉक्टर विकास गोयल से बात की गई तो उन्होंने भी माना कि अस्पताल के स्टाफ को मृतक बच्ची के परिजनों को फ्री शव वाहन (एम्बुलेंस) मिलने की जानकारी दी जानी चाहिए थी। वह इस मामले में जानकारी लेकर उचित कार्रवाई करेंगे।