यूपी में मुस्लिम-यादव अफसर फील्ड पोस्टिंग से हटेंगे:विधानसभा उपचुनाव वाले 10 जिलों से शुरुआत, मुरादाबाद को छोड़ कहीं भी यादव अधिकारी नहीं

यूपी में मुस्लिम-यादव अफसर फील्ड पोस्टिंग से हटेंगे:विधानसभा उपचुनाव वाले 10 जिलों से शुरुआत, मुरादाबाद को छोड़ कहीं भी यादव अधिकारी नहीं

‘अपराधियों के लिए सद्भावना एक्सप्रेस नहीं अब बुलेट ट्रेन चलेगी।’ यह बात विधानसभा में सीएम योगी ने लखनऊ में बारिश के बीच लड़की से छेड़खानी की घटना पर कही थी। लेकिन, इस बुलेट ट्रेन की चपेट में समाजवादी पार्टी के MY (मुस्लिम-यादव) गठजोड़ में शामिल अफसर भी आ जाएंगे। यह किसी ने नहीं सोचा था। लोकसभा चुनाव में MY फैक्टर से चोट खा चुकी भाजपा सरकार ने अब प्रदेश में मुस्लिम-यादव अफसरों को फील्ड पोस्टिंग से दूर रखने की तैयारी कर ली है। इसकी शुरुआत विधानसभा उप चुनाव वाली 10 सीटों से हो गई है। इन चुनाव वाले जिले मुरादाबाद में सीडीओ को छोड़कर किसी भी जिले में जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर, एसएसपी, एसपी, सीडीओ, सीएमओ सहित फील्ड से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पदों पर एक भी मुस्लिम और यादव अफसर पोस्टेड नहीं हैं। अंबेडकर नगर की कटेहरी, अयोध्या की मिल्कीपुर, भदोही की मझवां, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर की कुंदरकी, अलीगढ़ की खैर, प्रयागराज की फूलपुर, कानपुर नगर की सीसामऊ, मुरादाबाद की मीरापुर और मैनपुरी की करहल विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव होना है। वर्तमान में इन 10 सीटों में से NDA और सपा के पास पांच-पांच सीटें हैं। भाजपा ने उप चुनाव में सभी सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इसलिए पार्टी एक-एक कदम रणनीति के साथ रख रही है। भाजपा सरकार और संगठन ने उप चुनाव की घोषणा से पहले जमीनी काम पूरा करने की रणनीति बनाई है। इसमें भाजपा के खिलाफ बने संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने के नैरेटिव को समाप्त करना भी शामिल है। इसी नैरेटिव को खत्म करने के लिए यादव और मुस्लिम अफसरों को अब नॉन फील्ड पोस्टिंग दी जा रही है। ताकि वह फील्ड में रहकर भाजपा के खिलाफ चल रही मुहिम का हिस्सा न बन सकें। रणनीति यह है कि यदि उप चुनाव में यह प्रयोग सफल रहा तो विधानसभा चुनाव 2027 के लिए इसे ब्लॉक और तहसील स्तर तक लागू किया जाएगा। ये शुरुआत भर है, 2027 से पहले नीचे तक बदलाव होगा
भाजपा सरकार की इस रणनीति को विधानसभा चुनाव 2027 से पहले की रिहर्सल मानी जा रही है। 10 जिलों में जिलाधिकारी, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार, पुलिस कमिश्नर, एसएसपी, एसपी, एएसपी और सीडीओ स्तर पर एक भी यादव और मुस्लिम अधिकारी को तैनात नहीं किया गया है। मुख्य विकास अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्तर पर भी इन जिलों में मुस्लिम या यादव अफसर को तैनाती नहीं दी गई है। सूत्रों के मुताबिक 2027 तक बीएलओ, लेखपाल, खंड शिक्षा अधिकारी, खंड विकास अधिकारी सहित अन्य स्तर पर भी मुस्लिम और यादव सहित सपा का वोट बैंक माने जाने वाली जातियों के कर्मचारी तक मुख्य धारा से बाहर करने की योजना है। नजर प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार की जाति पर भी
संगठन और सरकार विधानसभा चुनाव में प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों पर भी नजर रख रही है। सरकार को उम्मीद है कि सपा कटेहरी में कुर्मी और मिल्कीपुर में पासी समाज के व्यक्ति को प्रत्याशी बनाएगी। ऐसे में सरकार ने दोनों विधानसभा क्षेत्रों में लेखपाल से लेकर चुनावी व्यवस्था से जुड़े अन्य पदों पर तैनात कुर्मी और पासी जाति के कर्मचारियों को हटाना शुरू कर दिया है। यही रणनीति बाकी 8 विधानसभा क्षेत्रों में भी अपनाई जा रही है। बीते दिनों कटेहरी के कुर्मी बिरादरी के लेखपालों ने भाजपा के विधायकों और सरकार के मंत्री से मुलाकात कर उन्हें अपना दुखड़ा सुनाया। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने भी मदद में असमर्थता जताते हुए उप चुनाव के बाद राहत दिलाने का आश्वासन दिया। लोकसभा चुनाव के बाद सीएम योगी ने सभी 18 मंडलों के NDA के सांसद और विधायकों की बैठक ली। बैठक में भी अधिकांश सांसदों और विधायकों ने यही मुद्दा उठाया कि थाना और तहसील से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ग्राम्य विकास और ऊर्जा विभाग में सपा की मानसिकता वाले अधिकारी तैनात हैं। यहां तक आरोप लगाया गया कि सपा के MY से जुड़े बीएलओ ने लोकसभा चुनाव में मतदाता सूची में भाजपा के वोटर्स के नाम ही काट दिए। सिंचाई विभाग के तबादले में कट गए नाम
सिंचाई विभाग के अधिकारी ने बताया कि विभाग की ओर से एक्सईएन की तबादला सूची में कई मुस्लिम और यादव एक्सईएन की फील्ड पोस्टिंग प्रस्तावित थी। लेकिन, हाई लेवल से मुस्लिम और यादव एक्सईएन के नाम हटा दिए गए। विभागीय मंत्री के विशेष प्रयास की बदौलत यूपी में मथुरा सहित केवल एक-दो जिलों में ही मुस्लिम और यादव इंजीनियर को फील्ड पोस्टिंग मिली। सीएम योगी और अखिलेश पहले दे चुके हैं संकेत योगी: लखनऊ के गोमती नगर में बारिश के बीच एक युवक-युवती के साथ कुछ असामाजिक तत्वों ने बदसलूकी की। मामले में सबसे पहले पकड़े गए आरोपी मुस्लिम और यादव ही निकले। सीएम योगी ने एक अगस्त को विधानसभा में दोनों आरोपी पवन यादव और मोहम्मद अरबाज का नाम लेते हुए कहा- इनके लिए सद्भावना ट्रेन नहीं, बुलेट ट्रेन चलेगी। जानकार मानते हैं कि सीएम योगी ने सदन से जनता को MY फैक्टर के खिलाफ संदेश दिया था। अखिलेश यादव: योगी के बयान के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- अभी सुनने में आ रहा है कि कौन अधिकारी, कहां पोस्ट होगा? कौन-कहां रहेगा? पुलिस का कर्मचारी, सिपाही कौन-कहां रहेगा? इसकी तैयारी चल रही है। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह इसलिए हो रहा है कि क्योंकि भाजपा सरकार ने आरक्षण के साथ खिलवाड़ किया है। संजय निषाद का भी यही दर्द
योगी सरकार में सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी समय-समय पर यही दर्द बयां करते हैं। संजय निषाद खुले तौर पर कहते हैं कि शासन, पुलिस और जिलों के प्रशासन में विपक्ष की मानसिकता वाले अधिकारी बैठे हैं। वही अधिकारी सरकार के खिलाफ काम करते हैं। सरकार की योजनाओं का लाभ जनता तक नहीं पहुंचने देते। पिछड़े और दलितों के हित में बाधक बनते हैं। क्या पहले भी ऐसा हुआ है?
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में करीब 1.35 लाख शिक्षा मित्र हैं। शिक्षा मित्र मानदेय बढ़ाने सहित अन्य मांगे पूरी नहीं होने से सरकार से खफा है। सरकार को अंदाजा हो गया था कि शिक्षा मित्र विधानसभा चुनाव 2022 और लोकसभा चुनाव 2024 में नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसी के चलते दोनों चुनावों में शिक्षा मित्रों को मतदान दल में शामिल नहीं किया गया। अधिकांश जगह शिक्षा मित्रों को बीएलओ पद से भी हटा दिया गया। सरकार की इस रणनीति पर एक्सपर्ट्स ने कहा कहा, पढ़िए… राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्रनाथ भट्‌ट कहते हैं- यूपी में अफसरों की पोस्टिंग में भेदभाव की शुरुआत तो कांग्रेस, बसपा और सपा ने की। कांग्रेस की सरकार में जाट, कुर्मी अफसर को फील्ड पोस्टिंग नहीं दी जाती थी। 1991 में कल्याण सिंह सरकार के समय राम मंदिर आंदोलन के मद्देनजर मुस्लिम अफसरों को फील्ड पोस्टिंग नहीं दी गई थी। उसके बाद सपा-बसपा गठबंधन की सरकार में चुन-चुन कर फील्ड से ब्राह्मण और ठाकुर अफसर हटाए गए। ब्राह्मण और ठाकुर अफसरों को फील्ड पोस्टिंग नहीं दी जाती थी। मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में तो अन्य राज्यों से यादव आईएएस और आईपीएस अफसरों को प्रतिनियुक्ति पर यूपी लाया गया। वैसे भी यूपी में मुस्लिम आईएएस और आईपीएस बहुत कम हैं। सरकार आईएएस, आईपीएस की जाति नहीं देखती है। वह कानून के दायरे में ही काम करती है। योगी के राज में लॉ एंड आर्डर में जो काम हुआ है, वह कभी नहीं हुआ। पूर्व DGP सुलखान सिंह कहते हैं कि मेरिट के अनुसार काम होता है तो यह नहीं होता है। जब पोस्टिंग में सिफारिश चलने लगती है तो अफसर जुगाड़ लगाकर पोस्टिंग पा लेते हैं। पुलिस में तो पिछली सरकार में थानाध्यक्ष की पोस्टिंग में एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक का कोटा भी निर्धारित हुआ था। यह भी पढ़ें:- अखिलेश के नजदीकी नवाब ने नाबालिग से रेप भी किया:कन्नौज में पीड़िता की मां बोली- बेटी को ननद ही सपा नेता के पास ले गई कन्नौज में अखिलेश यादव के नजदीकी नवाब सिंह यादव के खिलाफ दर्ज केस में रेप की धाराएं बढ़ेंगी। एसपी अमित कुमार आनंद में बताया- पीड़ित लड़की का मेडिकल परीक्षण कराया गया है। मजिस्ट्रेट के सामने उसने कहा, मेरे साथ नवाब सिंह ने रेप किया है। उन्होंने कहा- लड़की की मां ने अपनी ननद के खिलाफ पुलिस को तहरीर दी है। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया, ननद ही बेटी को सपा नेता के पास ले गई थी, जहां उसके साथ गंदा काम हुआ। पढ़ें पूरी खबर… ‘अपराधियों के लिए सद्भावना एक्सप्रेस नहीं अब बुलेट ट्रेन चलेगी।’ यह बात विधानसभा में सीएम योगी ने लखनऊ में बारिश के बीच लड़की से छेड़खानी की घटना पर कही थी। लेकिन, इस बुलेट ट्रेन की चपेट में समाजवादी पार्टी के MY (मुस्लिम-यादव) गठजोड़ में शामिल अफसर भी आ जाएंगे। यह किसी ने नहीं सोचा था। लोकसभा चुनाव में MY फैक्टर से चोट खा चुकी भाजपा सरकार ने अब प्रदेश में मुस्लिम-यादव अफसरों को फील्ड पोस्टिंग से दूर रखने की तैयारी कर ली है। इसकी शुरुआत विधानसभा उप चुनाव वाली 10 सीटों से हो गई है। इन चुनाव वाले जिले मुरादाबाद में सीडीओ को छोड़कर किसी भी जिले में जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर, एसएसपी, एसपी, सीडीओ, सीएमओ सहित फील्ड से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण पदों पर एक भी मुस्लिम और यादव अफसर पोस्टेड नहीं हैं। अंबेडकर नगर की कटेहरी, अयोध्या की मिल्कीपुर, भदोही की मझवां, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर की कुंदरकी, अलीगढ़ की खैर, प्रयागराज की फूलपुर, कानपुर नगर की सीसामऊ, मुरादाबाद की मीरापुर और मैनपुरी की करहल विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव होना है। वर्तमान में इन 10 सीटों में से NDA और सपा के पास पांच-पांच सीटें हैं। भाजपा ने उप चुनाव में सभी सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इसलिए पार्टी एक-एक कदम रणनीति के साथ रख रही है। भाजपा सरकार और संगठन ने उप चुनाव की घोषणा से पहले जमीनी काम पूरा करने की रणनीति बनाई है। इसमें भाजपा के खिलाफ बने संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने के नैरेटिव को समाप्त करना भी शामिल है। इसी नैरेटिव को खत्म करने के लिए यादव और मुस्लिम अफसरों को अब नॉन फील्ड पोस्टिंग दी जा रही है। ताकि वह फील्ड में रहकर भाजपा के खिलाफ चल रही मुहिम का हिस्सा न बन सकें। रणनीति यह है कि यदि उप चुनाव में यह प्रयोग सफल रहा तो विधानसभा चुनाव 2027 के लिए इसे ब्लॉक और तहसील स्तर तक लागू किया जाएगा। ये शुरुआत भर है, 2027 से पहले नीचे तक बदलाव होगा
भाजपा सरकार की इस रणनीति को विधानसभा चुनाव 2027 से पहले की रिहर्सल मानी जा रही है। 10 जिलों में जिलाधिकारी, एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार, पुलिस कमिश्नर, एसएसपी, एसपी, एएसपी और सीडीओ स्तर पर एक भी यादव और मुस्लिम अधिकारी को तैनात नहीं किया गया है। मुख्य विकास अधिकारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्तर पर भी इन जिलों में मुस्लिम या यादव अफसर को तैनाती नहीं दी गई है। सूत्रों के मुताबिक 2027 तक बीएलओ, लेखपाल, खंड शिक्षा अधिकारी, खंड विकास अधिकारी सहित अन्य स्तर पर भी मुस्लिम और यादव सहित सपा का वोट बैंक माने जाने वाली जातियों के कर्मचारी तक मुख्य धारा से बाहर करने की योजना है। नजर प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार की जाति पर भी
संगठन और सरकार विधानसभा चुनाव में प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों पर भी नजर रख रही है। सरकार को उम्मीद है कि सपा कटेहरी में कुर्मी और मिल्कीपुर में पासी समाज के व्यक्ति को प्रत्याशी बनाएगी। ऐसे में सरकार ने दोनों विधानसभा क्षेत्रों में लेखपाल से लेकर चुनावी व्यवस्था से जुड़े अन्य पदों पर तैनात कुर्मी और पासी जाति के कर्मचारियों को हटाना शुरू कर दिया है। यही रणनीति बाकी 8 विधानसभा क्षेत्रों में भी अपनाई जा रही है। बीते दिनों कटेहरी के कुर्मी बिरादरी के लेखपालों ने भाजपा के विधायकों और सरकार के मंत्री से मुलाकात कर उन्हें अपना दुखड़ा सुनाया। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने भी मदद में असमर्थता जताते हुए उप चुनाव के बाद राहत दिलाने का आश्वासन दिया। लोकसभा चुनाव के बाद सीएम योगी ने सभी 18 मंडलों के NDA के सांसद और विधायकों की बैठक ली। बैठक में भी अधिकांश सांसदों और विधायकों ने यही मुद्दा उठाया कि थाना और तहसील से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ग्राम्य विकास और ऊर्जा विभाग में सपा की मानसिकता वाले अधिकारी तैनात हैं। यहां तक आरोप लगाया गया कि सपा के MY से जुड़े बीएलओ ने लोकसभा चुनाव में मतदाता सूची में भाजपा के वोटर्स के नाम ही काट दिए। सिंचाई विभाग के तबादले में कट गए नाम
सिंचाई विभाग के अधिकारी ने बताया कि विभाग की ओर से एक्सईएन की तबादला सूची में कई मुस्लिम और यादव एक्सईएन की फील्ड पोस्टिंग प्रस्तावित थी। लेकिन, हाई लेवल से मुस्लिम और यादव एक्सईएन के नाम हटा दिए गए। विभागीय मंत्री के विशेष प्रयास की बदौलत यूपी में मथुरा सहित केवल एक-दो जिलों में ही मुस्लिम और यादव इंजीनियर को फील्ड पोस्टिंग मिली। सीएम योगी और अखिलेश पहले दे चुके हैं संकेत योगी: लखनऊ के गोमती नगर में बारिश के बीच एक युवक-युवती के साथ कुछ असामाजिक तत्वों ने बदसलूकी की। मामले में सबसे पहले पकड़े गए आरोपी मुस्लिम और यादव ही निकले। सीएम योगी ने एक अगस्त को विधानसभा में दोनों आरोपी पवन यादव और मोहम्मद अरबाज का नाम लेते हुए कहा- इनके लिए सद्भावना ट्रेन नहीं, बुलेट ट्रेन चलेगी। जानकार मानते हैं कि सीएम योगी ने सदन से जनता को MY फैक्टर के खिलाफ संदेश दिया था। अखिलेश यादव: योगी के बयान के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- अभी सुनने में आ रहा है कि कौन अधिकारी, कहां पोस्ट होगा? कौन-कहां रहेगा? पुलिस का कर्मचारी, सिपाही कौन-कहां रहेगा? इसकी तैयारी चल रही है। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह इसलिए हो रहा है कि क्योंकि भाजपा सरकार ने आरक्षण के साथ खिलवाड़ किया है। संजय निषाद का भी यही दर्द
योगी सरकार में सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी समय-समय पर यही दर्द बयां करते हैं। संजय निषाद खुले तौर पर कहते हैं कि शासन, पुलिस और जिलों के प्रशासन में विपक्ष की मानसिकता वाले अधिकारी बैठे हैं। वही अधिकारी सरकार के खिलाफ काम करते हैं। सरकार की योजनाओं का लाभ जनता तक नहीं पहुंचने देते। पिछड़े और दलितों के हित में बाधक बनते हैं। क्या पहले भी ऐसा हुआ है?
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में करीब 1.35 लाख शिक्षा मित्र हैं। शिक्षा मित्र मानदेय बढ़ाने सहित अन्य मांगे पूरी नहीं होने से सरकार से खफा है। सरकार को अंदाजा हो गया था कि शिक्षा मित्र विधानसभा चुनाव 2022 और लोकसभा चुनाव 2024 में नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसी के चलते दोनों चुनावों में शिक्षा मित्रों को मतदान दल में शामिल नहीं किया गया। अधिकांश जगह शिक्षा मित्रों को बीएलओ पद से भी हटा दिया गया। सरकार की इस रणनीति पर एक्सपर्ट्स ने कहा कहा, पढ़िए… राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्रनाथ भट्‌ट कहते हैं- यूपी में अफसरों की पोस्टिंग में भेदभाव की शुरुआत तो कांग्रेस, बसपा और सपा ने की। कांग्रेस की सरकार में जाट, कुर्मी अफसर को फील्ड पोस्टिंग नहीं दी जाती थी। 1991 में कल्याण सिंह सरकार के समय राम मंदिर आंदोलन के मद्देनजर मुस्लिम अफसरों को फील्ड पोस्टिंग नहीं दी गई थी। उसके बाद सपा-बसपा गठबंधन की सरकार में चुन-चुन कर फील्ड से ब्राह्मण और ठाकुर अफसर हटाए गए। ब्राह्मण और ठाकुर अफसरों को फील्ड पोस्टिंग नहीं दी जाती थी। मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में तो अन्य राज्यों से यादव आईएएस और आईपीएस अफसरों को प्रतिनियुक्ति पर यूपी लाया गया। वैसे भी यूपी में मुस्लिम आईएएस और आईपीएस बहुत कम हैं। सरकार आईएएस, आईपीएस की जाति नहीं देखती है। वह कानून के दायरे में ही काम करती है। योगी के राज में लॉ एंड आर्डर में जो काम हुआ है, वह कभी नहीं हुआ। पूर्व DGP सुलखान सिंह कहते हैं कि मेरिट के अनुसार काम होता है तो यह नहीं होता है। जब पोस्टिंग में सिफारिश चलने लगती है तो अफसर जुगाड़ लगाकर पोस्टिंग पा लेते हैं। पुलिस में तो पिछली सरकार में थानाध्यक्ष की पोस्टिंग में एससी, ओबीसी और अल्पसंख्यक का कोटा भी निर्धारित हुआ था। यह भी पढ़ें:- अखिलेश के नजदीकी नवाब ने नाबालिग से रेप भी किया:कन्नौज में पीड़िता की मां बोली- बेटी को ननद ही सपा नेता के पास ले गई कन्नौज में अखिलेश यादव के नजदीकी नवाब सिंह यादव के खिलाफ दर्ज केस में रेप की धाराएं बढ़ेंगी। एसपी अमित कुमार आनंद में बताया- पीड़ित लड़की का मेडिकल परीक्षण कराया गया है। मजिस्ट्रेट के सामने उसने कहा, मेरे साथ नवाब सिंह ने रेप किया है। उन्होंने कहा- लड़की की मां ने अपनी ननद के खिलाफ पुलिस को तहरीर दी है। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया, ननद ही बेटी को सपा नेता के पास ले गई थी, जहां उसके साथ गंदा काम हुआ। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर