बिलासपुर जिले में पंजाब हिमाचल सीमा पर किरतपुर-नेरचौक फोर लेन पर गरामौडा के पास रविवार सुबह लगभग 3 बजे एक तेज रफ्तार ट्रक सड़क पर पलट गया। ट्रक सेब से भरा हुआ था और हादसे में ड्राइवर की मौत हो गई है। जबकि हैल्पर गंभीर रूप से घायल हो गया है। दोनों को तुरंत इलाज के लिए बिलासपुर एम्स अस्पताल पहुंचाया गया था। लेकिन डॉक्टरों ने ड्राइवर को मृत घोषित कर दिया गया। वहीं दूसरे का इलाज किया जा रहा है। अभी ट्रक ड्राइवर और हैल्पर की पहचान नहीं हो सकी है। दीवार से टकराने के बाद हुआ हादसा यह हादसा उस समय हुआ जब बिलासपुर की तरफ से एक ट्रक सेब भरकर पंजाब की तरफ जा रहा था। पहले ट्रक सड़क की दीवार से टकराया और फिर काफी दूरी तक जाने के बाद सड़क पर पलट गया। ट्रक में लदी सेब की पेटियां इधर उधर बिखर गई है। गनीमत यह रही कि ट्रक क्रैश बैरियर से टकराकर सड़क पर ही पलट गया, वरना खाई में गिर सकता था। मौके पर पहुंचे एनएचएआई की 1033 एम्बुलेंस सेवा ने घायल अवस्था में ड्राइवर और कंडक्टर को तुरंत अस्पताल पहुंचाया। हादसे की खबर मिलते ही पुलिस और अन्य संबंधित विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंच गए और जांच शुरू कर दी है। बिलासपुर जिले में पंजाब हिमाचल सीमा पर किरतपुर-नेरचौक फोर लेन पर गरामौडा के पास रविवार सुबह लगभग 3 बजे एक तेज रफ्तार ट्रक सड़क पर पलट गया। ट्रक सेब से भरा हुआ था और हादसे में ड्राइवर की मौत हो गई है। जबकि हैल्पर गंभीर रूप से घायल हो गया है। दोनों को तुरंत इलाज के लिए बिलासपुर एम्स अस्पताल पहुंचाया गया था। लेकिन डॉक्टरों ने ड्राइवर को मृत घोषित कर दिया गया। वहीं दूसरे का इलाज किया जा रहा है। अभी ट्रक ड्राइवर और हैल्पर की पहचान नहीं हो सकी है। दीवार से टकराने के बाद हुआ हादसा यह हादसा उस समय हुआ जब बिलासपुर की तरफ से एक ट्रक सेब भरकर पंजाब की तरफ जा रहा था। पहले ट्रक सड़क की दीवार से टकराया और फिर काफी दूरी तक जाने के बाद सड़क पर पलट गया। ट्रक में लदी सेब की पेटियां इधर उधर बिखर गई है। गनीमत यह रही कि ट्रक क्रैश बैरियर से टकराकर सड़क पर ही पलट गया, वरना खाई में गिर सकता था। मौके पर पहुंचे एनएचएआई की 1033 एम्बुलेंस सेवा ने घायल अवस्था में ड्राइवर और कंडक्टर को तुरंत अस्पताल पहुंचाया। हादसे की खबर मिलते ही पुलिस और अन्य संबंधित विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंच गए और जांच शुरू कर दी है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में स्नो-कवर एरिया 12.73% घटा:बर्फबारी का बदला ट्रेंड; सर्दियों के बजाय गर्मियों में स्नोफॉल, जनवरी में सतलुज बेसिन पर 67% बर्फ क्षेत्र घटा
हिमाचल में स्नो-कवर एरिया 12.73% घटा:बर्फबारी का बदला ट्रेंड; सर्दियों के बजाय गर्मियों में स्नोफॉल, जनवरी में सतलुज बेसिन पर 67% बर्फ क्षेत्र घटा हिमाचल में इस बार 2022-23 की तुलना में स्नो कवर एरिया 12.72% कम हुआ है। साल 2022-23 की तुलना में 2023-24 में चिनाब बेसिन में सबसे ज्यादा 15.39% की कमी आई है, जबकि ब्यास बेसिन पर 7.65%, रावी बेसिन पर 9.89% और सतलुज बेसिन पर 12.45% कम हुआ है। यह दावा हिमाचल पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (हिमकॉस्ट) के स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंजिज द्वारा किए गए ताजा सर्वेक्षण में हुआ है। इसी तरह हिमाचल के हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी का ट्रेंड भी बदल रहा है। विंटर सीजन जब पीक पर होता है तो उस दौरान पहाड़ों पर नाममात्र बर्फ गिरी है। इससे दिसंबर से फरवरी के बीच स्नो कवर एरिया में भारी गिरावट दर्ज की गई। हालांकि मार्च और अप्रैल में 2022-23 की तुलना में 2023-24 में ज्यादा बर्फबारी हुई है। सतलुज बेसिन पर जनवरी में स्नो कवर एरिया 67% कम हुआ हिमकॉस्ट के अनुसार, दिसंबर से फरवरी के बीच जब विंटर सीजन पीक पर होता है, उस दौरान 2023-24 में सतलुज को छोड़कर तीनों बेसिन के स्नो कवर एरिया में गिरावट दर्ज की गई। जनवरी महीने में स्नो-कवर एरिया में ज्यादा डरावनी गिरावट आई है। चिनाब बेसिन पर जनवरी 2024 में स्नो कवर एरिया में 42%, ब्यास बेसिन पर 43%, रावी बेसिन पर 64% और सतलुज बेसिन पर 67% की स्नो कवर एरिया में कमी आई। हिमकॉस्ट ने चारों रिवर बेसिन पर किया सर्वेक्षण हिमकॉस्ट के स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंजिज द्वारा चारों रिवर बेसिन चिनाब, रावी, सतलुज और ब्यास पर यह सर्वेक्षण किया है। यह सर्वेक्षण सेटेलाईट इमेज के जरिए किया है। स्नो कवर एरिया कम होना हिमाचल सहित पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान के लिए अच्छा संकेत नहीं है। मार्च-अप्रैल में स्नोफॉल से संजीवनी प्रदेश में एक दशक पहले तक दिसंबर से फरवरी के बीच में अच्छी बर्फबारी होती थी। मगर पिछले कुछ सालों से मार्च-अप्रैल में बर्फबारी हो रही है। दिसंबर से फरवरी के बीच होने वाली बर्फबारी लंबे समय तक टिकती है, जबकि मार्च अप्रैल की बर्फबारी जल्दी पिघल जाती है। इसलिए ग्लेशियर और पानी के स्तोत्र रिचार्ज करने के लिए पीक विंटर सीजन के दौरान बर्फबारी जरूरी होती है। रिन्यूएबल एनर्जी और ई-व्हीकल की तरफ जाने की सलाह रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले कुछ सालों में हिमालय के तापमान में उछाल से स्नो कवर एरिया घटा है। इससे ग्लेशियर भी तेजी से पिघल रहे हैं। शिमला में ऐसा पहली बार हुआ, जब यहां बर्फ नहीं गिरी। इसलिए रिपोर्ट में ई-व्हीकल और रिन्यूएबल एनर्जी की तरफ जाने की सलाह दी गई है।
बिलासपुर में कांग्रेस नेता जितेंद्र चंदेल कर्मचारी नेताओं पर नाराज:बोले- गलत बयानबाजी करने वाले नेताओं पर हो कड़ी कार्रवाई
बिलासपुर में कांग्रेस नेता जितेंद्र चंदेल कर्मचारी नेताओं पर नाराज:बोले- गलत बयानबाजी करने वाले नेताओं पर हो कड़ी कार्रवाई शनिवार को बिलासपुर के परिधि गृह में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व हिमुडा के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर जितेंद्र चंदेल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी पर टिप्पणी करने वाले कर्मचारी नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। चंदेल बोले- गलत बयानबाजी कर रहे कर्मचारी नेता उन्होंने स्पष्ट किया कि या तो ये कर्मचारी नेता मंत्री से माफी मांगें, अन्यथा सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। चंदेल ने कहा कि कुछ कर्मचारी नेता अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते इस प्रकार की बयानबाजी कर रहे हैं, जो बिल्कुल अनुचित है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी नेताओं को अपनी हद में रहकर ही बयान देना चाहिए और राजनीतिक लाभ के लिए इस प्रकार की टिप्पणियों से बचना चाहिए। मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री की प्रशंसा किए चंदेल चंदेल ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू को कर्मचारी हितैषी बताते हुए कहा कि सरकार कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर प्रतिबद्ध है और उचित समय पर उन्हें उनका हक अवश्य दिया जाएगा। साथ ही, उन्होंने तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी की प्रशंसा करते हुए उन्हें स्वच्छ और ईमानदार नेता करार दिया। चंदेल ने कहा कि कर्मचारियों को भी सरकार की व्यवस्था और स्थितियों को समझते हुए सहयोगात्मक रवैया अपनाना चाहिए।
मणिमहेश में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई:11:47 बजे तक शाही स्नान का शुभ मुहूर्त; 6 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच गए
मणिमहेश में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई:11:47 बजे तक शाही स्नान का शुभ मुहूर्त; 6 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच गए उत्तर भारत की पवित्र एवं पावन मणिमहेश यात्रा के लिए हिमाचल के भरमौर में भारी जन सैलाब उमड़ आया है। देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालु डल झील में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर बीते 26 अगस्त से शुरू मणिमहेश यात्रा आज देर रात आधिकारिक तौर पर यात्रा संपन्न हो जाएगी। मणिमहेश यात्रा के शाही स्नान की शुभ मुहूर्त बीती रात 11 बजकर 13 मिनट से शुरू हुआ, जो कि बुधवार रात 11 बजकर 47 मिनट पर खत्म होगा। बीते कल शिव चेलों ने शिव कुंड की परिक्रमा करने के बाद डल तोड़ने की परंपरा निभाई। एक लाख श्रद्धालु करेंगे शाही स्नान SDM भरमौर कुलविंदर सिंह ने बताया कि इस बार एक लाख से ज्यादा श्रद्धालु शाही स्नान करेंगे। उन्होंने बताया कि यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 6 लाख से ज्यादा लोग मणिमहेश पहुंच चुके हैं। आज शाम तक श्रद्धालुओं का यह आंकड़ा और बढ़ेगा। इस यात्रा के लिए पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ से काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। शिव भक्त हर हर महादेव का जयकारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। मान्यता के अनुसार मणिमहेश की इन पहाड़ियों पर शिव का वास है। नीचे डल झील जहां शाही स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंचे हैं। हेलिकॉप्टर की उड़ान में खराब मौसम से बाधा उत्पन्न मणिमहेश के लिए सरकार ने भरमौर से हेलिकॉप्टर सेवा बीते 24 अगस्त को ही शुरू कर दी थी, लेकिन इस बार खराब मौसम ने इसमें बाधा उत्पन्न की है। लिहाजा ज्यादातर श्रद्धालु इस बार पैदल चल कर मणिमहेश पहुंचे है। कुछ श्रद्धालु घोड़ों व खच्चरों पर भी इस पावन यात्रा के लिए आएं। यहां बनाए गए कैंप प्रशासन ने मणिमहेश यात्रा के लिए भरमौर, हड़सर, धनछो, सुंदरासी और गौरीकुंड में 5 जगह कैंप स्थापित किए है। यहां से प्रत्येक श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य जांच के बाद ही आगे भेजा गया, क्योंकि 13385.83 फीट की ऊंचाई पर स्थित मणिमहेश में कई बार ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इन कैंप में मेडिकल टीमें तैनात की गई है। उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा मणिमहेश यात्रा को उत्तर भारत की कठिन धार्मिक यात्रा माना जाता है। 13 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थिति मणिमहेश पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को ऊंचे-ऊंचे पहाड़ चढ़ने पड़ते हैं। यह यात्रा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सुंदर दृश्यों के लिए भी जानी जाती है, क्योंकि इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को घने जंगलों, अल्पाइन घास के मैदानों और चट्टानों के बीच बीच से होकर गुजरना पड़ता है। इस दौरान हिमालय का मनमोहक दृश्य भी देखने को मिलता हैं। यही वजह है कि यह अध्यात्मिक यात्रा रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता का भी आभास कराती है। मणिमहेश के कैलाश शिखर में शिव का निवास मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर निवास करते हैं, जो झील से दिखाई देता है। यह यात्रा हर साल, आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में हिंदू त्यौहार जन्माष्टमी के अवसर पर होती है। माना जाता है कि यह यात्रा 9वीं शताब्दी में शुरू हुई थी जब एक स्थानीय राजा, राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन हुए थे जिन्होंने मणिमहेश झील पर एक मंदिर स्थापित करने का निर्देश दिया।