कालका से शिमला पहुंचना हुआ आसान:30 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी ट्रेन, मल्टीपल यूनिट का चौथा ट्रायल सफल

कालका से शिमला पहुंचना हुआ आसान:30 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी ट्रेन, मल्टीपल यूनिट का चौथा ट्रायल सफल

कालका-शिमला के बीच चलने वाली सेल्फ प्रोपेल्ड हाइड्रोलिक मल्टीपल यूनिट नई ट्रेन का चौथा ट्रायल सफल होने के साथ ही रेलवे ने इस ट्रेन को विंटर शेड्यूल में चलाने का फैसला कर लिया है। अधिकारियों का कहना है कि इस ट्रेन से जहां पयर्टकों को सफर का नया अनुभव मिलेगा। वहीं अब कालका से शिमला पहुंचने में सिर्फ 5 घंटे ही लगेंगे, क्योंकि अब विश्व धरोहर ट्रैक पर 30 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन दौड़ेगी। ट्रायल सफल रहा कोच निर्माता कंपनी जल्द रेलवे के अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसजी) के सामने फाइनल ट्रायल किया। इस दौरान इस ट्रेन की सीटों पर रेत की बोरियों के साथ कालका से शिमला तक सफर तय कर इसकी क्षमता को परखा गया और यह ट्रायल सफल रहा। रेलवे के अंबाला मंडल के डीआरएम मंदीप सिंह भाटिया ने कहा सेल्फ प्रोपेल्ड हाइड्रोलिक मल्टीपल यूनिट ट्रेन का ट्रायल सफल हो गया। कालका शिमला के बीच दौड़ी रेलवे सेफ्टी डिपार्टमेंट से परमिशन मिलने के बाद ट्रेन शुरू की जाएगी। 16 फरवरी को ट्रेन सेट का पहला ट्रायल किया रेलवे ने 16 फरवरी को ट्रेन सेट का पहला ट्रायल किया था। आधा किलोमीटर की दूरी पर तकनीकी खराबी आने के चलते ट्रेन सेट आगे नहीं बढ़ सका। दूसरा ट्रायल 19 फरवरी को किया गया था। इंजन गर्म होने के चलते ट्रेन सेंट को टकसाल से वापस कालका भेज दिया गया। तीसरे ट्रायल के दौरान ट्रेन सेट 10 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद ही हांफ गया था। लेकिन चौथा ट्रायल 3 अगस्त को किया गया, जो सफल रहा। 80 यात्री बैठ सकेंगे ट्रेन सेट में तीन कोच लगे हैं। इसमें 80 यात्री बैठ सकेंगे। इसे ट्रेन सेट को इंजन रहित ट्रेन भी कहते हैं। इसमें कोच के अंदर ही इंजन लगे हैं। ट्रेन सेट में सुविधाजनक सीटों के अलावा, एसी, हीटर, एलईडी व डिस्प्ले बोर्ड की सुविधा भी उपलब्ध है। रेल मोटर कार के विकल्प के तौर पर चलाए जाने वाले ट्रेन सेंट के तीनों कोच वेस्टिबुल (आपस में जुड़े हैं) यात्री गाड़ी से उतरे बिना ही एक कोच से दूसरे में जा सकते हैं। कालका-शिमला के बीच चलने वाली सेल्फ प्रोपेल्ड हाइड्रोलिक मल्टीपल यूनिट नई ट्रेन का चौथा ट्रायल सफल होने के साथ ही रेलवे ने इस ट्रेन को विंटर शेड्यूल में चलाने का फैसला कर लिया है। अधिकारियों का कहना है कि इस ट्रेन से जहां पयर्टकों को सफर का नया अनुभव मिलेगा। वहीं अब कालका से शिमला पहुंचने में सिर्फ 5 घंटे ही लगेंगे, क्योंकि अब विश्व धरोहर ट्रैक पर 30 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेन दौड़ेगी। ट्रायल सफल रहा कोच निर्माता कंपनी जल्द रेलवे के अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसजी) के सामने फाइनल ट्रायल किया। इस दौरान इस ट्रेन की सीटों पर रेत की बोरियों के साथ कालका से शिमला तक सफर तय कर इसकी क्षमता को परखा गया और यह ट्रायल सफल रहा। रेलवे के अंबाला मंडल के डीआरएम मंदीप सिंह भाटिया ने कहा सेल्फ प्रोपेल्ड हाइड्रोलिक मल्टीपल यूनिट ट्रेन का ट्रायल सफल हो गया। कालका शिमला के बीच दौड़ी रेलवे सेफ्टी डिपार्टमेंट से परमिशन मिलने के बाद ट्रेन शुरू की जाएगी। 16 फरवरी को ट्रेन सेट का पहला ट्रायल किया रेलवे ने 16 फरवरी को ट्रेन सेट का पहला ट्रायल किया था। आधा किलोमीटर की दूरी पर तकनीकी खराबी आने के चलते ट्रेन सेट आगे नहीं बढ़ सका। दूसरा ट्रायल 19 फरवरी को किया गया था। इंजन गर्म होने के चलते ट्रेन सेंट को टकसाल से वापस कालका भेज दिया गया। तीसरे ट्रायल के दौरान ट्रेन सेट 10 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद ही हांफ गया था। लेकिन चौथा ट्रायल 3 अगस्त को किया गया, जो सफल रहा। 80 यात्री बैठ सकेंगे ट्रेन सेट में तीन कोच लगे हैं। इसमें 80 यात्री बैठ सकेंगे। इसे ट्रेन सेट को इंजन रहित ट्रेन भी कहते हैं। इसमें कोच के अंदर ही इंजन लगे हैं। ट्रेन सेट में सुविधाजनक सीटों के अलावा, एसी, हीटर, एलईडी व डिस्प्ले बोर्ड की सुविधा भी उपलब्ध है। रेल मोटर कार के विकल्प के तौर पर चलाए जाने वाले ट्रेन सेंट के तीनों कोच वेस्टिबुल (आपस में जुड़े हैं) यात्री गाड़ी से उतरे बिना ही एक कोच से दूसरे में जा सकते हैं।   पंजाब | दैनिक भास्कर