भास्कर न्यूज | अमृतसर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत वॉल्ड सिटी के आउटर सर्किल रोड के 7.5 किलोमीटर के दायरे में एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाने का काम नगर निगम एक साल बाद भी पूरा नहीं करवा पाया है। इससे शहर के लोगों को रात में अंधेर में इस रोड से गुजरना पड़ रहा है। रात को 9 बजे दुकानें बंद होने के बाद इस रोड पर अंधेरा छा जाता है। इससे लूटपाट की वारदातों का भी खतरा रहता है। 40 करोड़ के इस प्रोजेक्ट की शुरुआत बीते साल हुई थी। इसके तहत अब तक हाल बाजार, हाथी गेट से लेकर चाटीविंड चौक पोल और लाइट्स लगाई जा सकी हैं। मगर इन्हें भी निगम अभी तक जलाने की दिलचस्पी नहीं दिखा रहा। दूसरी तरफ गुरुद्वारा शहीदां साहिब से रामबाग चौक लाइट्स के लिए अंडरग्राउंड वायरिंग कर ली गई है, मगर पोल इसलिए नहीं लगाए जा सके, क्योंकि पावरकॉम ने अपने पुराने पोल और तार डिवाइडर से हटाए नहीं है। इसके अलावा रामबाग से हाल गेट तक डिवाइडर न होने के कारण सड़क के एक तरफ लाइटें लगाई गई हैं। रामबाग से शहीदां साहिब चौक तक 90 जगह स्ट्रीट लाइटों के कनेक्शन देने के लिए तारें अंडरग्राउंड की जा चुकी हैं। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर वाल्ड सिटी आउटर सर्कुलर रोड को लाइटिंग नहीं लुक देगी। इन लाइटों की रोशनी पहले लगी लाइटों से काफी ज्यादा है। भास्कर न्यूज | अमृतसर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत वॉल्ड सिटी के आउटर सर्किल रोड के 7.5 किलोमीटर के दायरे में एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाने का काम नगर निगम एक साल बाद भी पूरा नहीं करवा पाया है। इससे शहर के लोगों को रात में अंधेर में इस रोड से गुजरना पड़ रहा है। रात को 9 बजे दुकानें बंद होने के बाद इस रोड पर अंधेरा छा जाता है। इससे लूटपाट की वारदातों का भी खतरा रहता है। 40 करोड़ के इस प्रोजेक्ट की शुरुआत बीते साल हुई थी। इसके तहत अब तक हाल बाजार, हाथी गेट से लेकर चाटीविंड चौक पोल और लाइट्स लगाई जा सकी हैं। मगर इन्हें भी निगम अभी तक जलाने की दिलचस्पी नहीं दिखा रहा। दूसरी तरफ गुरुद्वारा शहीदां साहिब से रामबाग चौक लाइट्स के लिए अंडरग्राउंड वायरिंग कर ली गई है, मगर पोल इसलिए नहीं लगाए जा सके, क्योंकि पावरकॉम ने अपने पुराने पोल और तार डिवाइडर से हटाए नहीं है। इसके अलावा रामबाग से हाल गेट तक डिवाइडर न होने के कारण सड़क के एक तरफ लाइटें लगाई गई हैं। रामबाग से शहीदां साहिब चौक तक 90 जगह स्ट्रीट लाइटों के कनेक्शन देने के लिए तारें अंडरग्राउंड की जा चुकी हैं। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर वाल्ड सिटी आउटर सर्कुलर रोड को लाइटिंग नहीं लुक देगी। इन लाइटों की रोशनी पहले लगी लाइटों से काफी ज्यादा है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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अकील खान ने बताया कि ऑर्डर मिलने के पश्चात आगरा में ही सभी पुतले मिट्टी से पहले ही तैयार कर लिए जाते हैं। इन पुतलों को बनाने में लगभग 45 दिन का समय लगता है। इसके लिए 20 कारीगर लेकर आते हैं। ये कारीगर उपकार नगर, दुगरी, बीआरएस नगर, राजगुरु नगर, जमालपुर, मुलाहपुर, जगराओं और खन्ना सभी दशहरे ग्राउंड में तैयार करके भेजते हैं। कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले भी तैयार किए गए थे, जो 60 फीट ऊंचे थे और उनकी कीमत एक लाख रुपये प्रति पुतला थी। इन पुतलों को दो क्रेन के माध्यम से खड़ा करते हैं। सिविल इंजीनियर का परिवार कर रहा रावण तैयार
अकील खान ने बताया कि उनके मामा इमरान सिविल इंजीनियर हैं। उन्होंने पुश्तैनी काम रावण बनाने के कारण अपनी नौकरी छोड़ दी। 1992 से उनका परिवार रावण बनाने का काम करता आ रहा है। यह उनकी तीसरी पीढ़ी है। उनकी एक बहन है जो सरकारी स्कूल में टीचर है, जब काम अधिक आ जाता है तो वह भी रावण बनाने में उनकी मदद करने आती है।