69000 शिक्षक भर्ती लिस्ट रद्द कराने वाले 5..चेहरे:तीन साल तक सड़क से कोर्ट तक संघर्ष, लाठियां खाईं: 7 महीने पानी टंकी पर रहे

69000 शिक्षक भर्ती लिस्ट रद्द कराने वाले 5..चेहरे:तीन साल तक सड़क से कोर्ट तक संघर्ष, लाठियां खाईं: 7 महीने पानी टंकी पर रहे

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69000 शिक्षक भर्ती लिस्ट रद्द कर दी। सरकार को तीन महीने में नए सिरे से चयन सूची बनाने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा, पुरानी चयन सूची के आधार पर काम कर रहे टीचर, नई चयन सूची आने के बाद बाहर होंगे। हालांकि, वर्तमान शैक्षिक सत्र तक पद पर कार्य करते रहेंगे। दैनिक भास्कर ने उन 5 चेहरों से मुलाकात की, जिन्होंने इस भर्ती की चयन सूची रद्द करवाने के लिए 3 साल तक सड़क से लेकर कोर्ट तक संघर्ष किया। 2021 में आंदोलन की शुरुआत हुई
अभ्यर्थियों ने तीन साल पहले 69000 शिक्षक भर्ती के आरक्षण को लेकर 2021 में निशातगंज स्थित SCERT कार्यालय से प्रदर्शन की शुरुआत की। अभ्यर्थियों ने लखनऊ के विभिन्न चौराहों सरकारी कार्यालय मुख्यमंत्री और मंत्रियों की आवास पर विरोध जताया। शिक्षक अभ्यर्थियों ने इन जगहों पर प्रदर्शन किया 1- मुख्यमंत्री आवास। 2- भारतीय जनता पार्टी कार्यालय। 3-विधानसभा। 4- शिक्षा मंत्री का आवास। 5- डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का आवास। 6- 7 महीने 100 फीट ऊंची टंकी पर प्रदर्शन किया। बीमारी पड़ी, प्लेटलेट्स 10 हजार पहुंची पर आंदोलन नहीं छोड़ा
शिखा पाल लखनऊ की रहने वाली हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में कहती हैं कि आंदोलन के दौरान पुलिस की लाठियां खाई, घर छोड़ा, सड़कों पर रात गुजारी। सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए 100 फीट ऊंची टंकी पर सात महीने तक आंदोलन किया। गर्मी, ठंडी और बरसात में संघर्ष किया। मुझे डेंगू हो गया, प्लेटलेट्स घटकर 10 हजार पहुंच गई। फिर भी संघर्ष जारी रखा। मौसम की वजह से शरीर में इन्फेक्शन हो गया। जिसका इलाज अभी भी करा रही हूं। कई दोस्तों ने सुसाइड कर लिया
आंदोलन करने वाले अजय जायसवाल ने बताया कि वो अयोध्या के रहने वाले हैं। आंदोलन आसान नहीं था। इस दौरान हमारे कई साथियों ने सुसाइड कर लिया। बीमारी की वजह से भी कई साथियों की मौत हो गई। आंदोलन के समय ही कई साथियों के परिवार वालों की भी मौत हो गई। किसी के पिता दुनिया में नहीं रहे, किसी की मां ने साथ छोड़ दिया। लेकिन हम सभी ने चंदा जुटाकर साथियों की मदद की। हम लोगों ने इस आंदोलन को जिस मजबूती से लड़ा है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। रिश्तेदारों ने फोन उठाना बंद कर दिया
आंदोलन का नेतृत्व करने वाले कृष्ण चंद ने बताया कि वो रायबरेली के रहने वाले हैं। 69000 शिक्षक भर्ती लिस्ट जारी होने के साथ ही पता चल गया था कि इसमें धांधली हुई है। शुरुआत में लगा कि हम आसानी से अपनी बात रख पाएंगे, लेकिन कई मुश्किलें आईं। लखनऊ में कुछ दिन रिश्तेदारों ने सहयोग किया, इसके बाद उन्होंने फोन उठाना बंद कर दिया। हम लोगों ने धरना स्थल को ही अपना घर और अपने प्रदर्शनकारी साथियों को अपना परिवार बना लिया। प्रदर्शन के दौरान कई बार ऐसा हुआ की होली, दिवाली में घर नहीं जा पाए संघर्ष का वो समय जीवन में कभी नहीं भूल सकते। करवा चौथ पर पत्नी बुलाती रही, आंदोलन छोड़कर नहीं गया
प्रयागराज के रहने वाले अमरेंद्र कहते हैं कि आंदोलन हमारे लिए आसान नहीं था। घर में माता-पिता पत्नी और छोटा बच्चा है। सबकी जिम्मेदारी मेरे ऊपर है। पैसों का संकट था, लेकिन हमने लड़ाई जारी रखी। आंदोलन के दौरान जब पुलिस हम लोगों पर लाठी चार्ज करती थी और हिरासत में लेती थी तो यह समाचार सुनकर घर वालों को बहुत तकलीफ होती थी। परिजन कहते थे कि नौकरी की आस छोड़ दो, वापस लौट आओ। मगर हमने हिम्मत नहीं हारी और लगातार 650 दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया। कभी पेट भर खाना नहीं खा सकी
बनारस की नंदनी यादव ने बताया कि अपना शहर छोड़कर लखनऊ में प्रदर्शन करना मुश्किल था। कई बार घर वालों ने कहा- वापस लौट आओ। कितने दिन तक संघर्ष करोगी, लेकिन हमने हार नहीं मानी। हमने बिना पानी, बिना शौचालय, बिना बिजली के कई महीने गुजारे। आसपास जो मकान थे हम लोग विनती करके उनके घरों के शौचालय का प्रयोग करते थे। अब कोर्ट का फैसला आया है तो निश्चित रूप से हम आरक्षण के अभ्यर्थियों को एक राहत मिली है। कोर्ट में पैरवी करते हुए पांच अभ्यर्थियों ने कर ली वकालत
अमरेंद्र ने बताया कि जब भर्ती का मामला कोर्ट चला गया तो हम लोगों के सामने एक नई चुनौती आ गई। जिसके बाद कई अभ्यर्थियों ने फैसला किया कि वकालत करके इस मामले की कानूनी पहलुओं को समझने का प्रयास करेंगे। जिसमें कई लोगों ने वकालत की पढ़ाई शुरू कर दी, जिसमे पांच लोग अमरेंद्र , कृष्ण चंद्र , जाकिर, सुशील कश्यप और राज बहादुर डिग्री हासिल करके वकील बन गए। 69000 शिक्षक भर्ती से जुड़ी आंदोलन की तस्वीरें… खून से लिखा था
आरक्षण अभ्यर्थियों ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को खून से लिखा पत्र भेजा था। भर्ती लिस्ट को रद्द कर नई लिस्ट जारी करने की मांग की थी। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69000 शिक्षक भर्ती लिस्ट रद्द कर दी। सरकार को तीन महीने में नए सिरे से चयन सूची बनाने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा, पुरानी चयन सूची के आधार पर काम कर रहे टीचर, नई चयन सूची आने के बाद बाहर होंगे। हालांकि, वर्तमान शैक्षिक सत्र तक पद पर कार्य करते रहेंगे। दैनिक भास्कर ने उन 5 चेहरों से मुलाकात की, जिन्होंने इस भर्ती की चयन सूची रद्द करवाने के लिए 3 साल तक सड़क से लेकर कोर्ट तक संघर्ष किया। 2021 में आंदोलन की शुरुआत हुई
अभ्यर्थियों ने तीन साल पहले 69000 शिक्षक भर्ती के आरक्षण को लेकर 2021 में निशातगंज स्थित SCERT कार्यालय से प्रदर्शन की शुरुआत की। अभ्यर्थियों ने लखनऊ के विभिन्न चौराहों सरकारी कार्यालय मुख्यमंत्री और मंत्रियों की आवास पर विरोध जताया। शिक्षक अभ्यर्थियों ने इन जगहों पर प्रदर्शन किया 1- मुख्यमंत्री आवास। 2- भारतीय जनता पार्टी कार्यालय। 3-विधानसभा। 4- शिक्षा मंत्री का आवास। 5- डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का आवास। 6- 7 महीने 100 फीट ऊंची टंकी पर प्रदर्शन किया। बीमारी पड़ी, प्लेटलेट्स 10 हजार पहुंची पर आंदोलन नहीं छोड़ा
शिखा पाल लखनऊ की रहने वाली हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में कहती हैं कि आंदोलन के दौरान पुलिस की लाठियां खाई, घर छोड़ा, सड़कों पर रात गुजारी। सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए 100 फीट ऊंची टंकी पर सात महीने तक आंदोलन किया। गर्मी, ठंडी और बरसात में संघर्ष किया। मुझे डेंगू हो गया, प्लेटलेट्स घटकर 10 हजार पहुंच गई। फिर भी संघर्ष जारी रखा। मौसम की वजह से शरीर में इन्फेक्शन हो गया। जिसका इलाज अभी भी करा रही हूं। कई दोस्तों ने सुसाइड कर लिया
आंदोलन करने वाले अजय जायसवाल ने बताया कि वो अयोध्या के रहने वाले हैं। आंदोलन आसान नहीं था। इस दौरान हमारे कई साथियों ने सुसाइड कर लिया। बीमारी की वजह से भी कई साथियों की मौत हो गई। आंदोलन के समय ही कई साथियों के परिवार वालों की भी मौत हो गई। किसी के पिता दुनिया में नहीं रहे, किसी की मां ने साथ छोड़ दिया। लेकिन हम सभी ने चंदा जुटाकर साथियों की मदद की। हम लोगों ने इस आंदोलन को जिस मजबूती से लड़ा है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। रिश्तेदारों ने फोन उठाना बंद कर दिया
आंदोलन का नेतृत्व करने वाले कृष्ण चंद ने बताया कि वो रायबरेली के रहने वाले हैं। 69000 शिक्षक भर्ती लिस्ट जारी होने के साथ ही पता चल गया था कि इसमें धांधली हुई है। शुरुआत में लगा कि हम आसानी से अपनी बात रख पाएंगे, लेकिन कई मुश्किलें आईं। लखनऊ में कुछ दिन रिश्तेदारों ने सहयोग किया, इसके बाद उन्होंने फोन उठाना बंद कर दिया। हम लोगों ने धरना स्थल को ही अपना घर और अपने प्रदर्शनकारी साथियों को अपना परिवार बना लिया। प्रदर्शन के दौरान कई बार ऐसा हुआ की होली, दिवाली में घर नहीं जा पाए संघर्ष का वो समय जीवन में कभी नहीं भूल सकते। करवा चौथ पर पत्नी बुलाती रही, आंदोलन छोड़कर नहीं गया
प्रयागराज के रहने वाले अमरेंद्र कहते हैं कि आंदोलन हमारे लिए आसान नहीं था। घर में माता-पिता पत्नी और छोटा बच्चा है। सबकी जिम्मेदारी मेरे ऊपर है। पैसों का संकट था, लेकिन हमने लड़ाई जारी रखी। आंदोलन के दौरान जब पुलिस हम लोगों पर लाठी चार्ज करती थी और हिरासत में लेती थी तो यह समाचार सुनकर घर वालों को बहुत तकलीफ होती थी। परिजन कहते थे कि नौकरी की आस छोड़ दो, वापस लौट आओ। मगर हमने हिम्मत नहीं हारी और लगातार 650 दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया। कभी पेट भर खाना नहीं खा सकी
बनारस की नंदनी यादव ने बताया कि अपना शहर छोड़कर लखनऊ में प्रदर्शन करना मुश्किल था। कई बार घर वालों ने कहा- वापस लौट आओ। कितने दिन तक संघर्ष करोगी, लेकिन हमने हार नहीं मानी। हमने बिना पानी, बिना शौचालय, बिना बिजली के कई महीने गुजारे। आसपास जो मकान थे हम लोग विनती करके उनके घरों के शौचालय का प्रयोग करते थे। अब कोर्ट का फैसला आया है तो निश्चित रूप से हम आरक्षण के अभ्यर्थियों को एक राहत मिली है। कोर्ट में पैरवी करते हुए पांच अभ्यर्थियों ने कर ली वकालत
अमरेंद्र ने बताया कि जब भर्ती का मामला कोर्ट चला गया तो हम लोगों के सामने एक नई चुनौती आ गई। जिसके बाद कई अभ्यर्थियों ने फैसला किया कि वकालत करके इस मामले की कानूनी पहलुओं को समझने का प्रयास करेंगे। जिसमें कई लोगों ने वकालत की पढ़ाई शुरू कर दी, जिसमे पांच लोग अमरेंद्र , कृष्ण चंद्र , जाकिर, सुशील कश्यप और राज बहादुर डिग्री हासिल करके वकील बन गए। 69000 शिक्षक भर्ती से जुड़ी आंदोलन की तस्वीरें… खून से लिखा था
आरक्षण अभ्यर्थियों ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को खून से लिखा पत्र भेजा था। भर्ती लिस्ट को रद्द कर नई लिस्ट जारी करने की मांग की थी।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर