मायावती ने अयोध्या के मिल्कीपुर में रामगोपाल कोरी को उतारा:चंद्रशेखर आजाद के करीबी शाह नजर को तोड़कर मीरापुर से बनाया प्रत्याशी

मायावती ने अयोध्या के मिल्कीपुर में रामगोपाल कोरी को उतारा:चंद्रशेखर आजाद के करीबी शाह नजर को तोड़कर मीरापुर से बनाया प्रत्याशी

यूपी में उप-चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने रविवार को दो और प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने राम गोपाल कोरी को अयोध्या की मिल्कीपुर सीट से प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं, मुजफ्फरनगर की मीरापुरा विधानसभा सीट पर शाह नजर को उतारा है। शाह नजर नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद की आजाद पार्टी से जुड़े रहे हैं। बसपा करीब डेढ़ दशक बाद उप-चुनाव में दमखम के साथ उतर रही है। बसपा ने 6 दिन पहले भी 2 प्रत्याशियों की घोषणा की थी। मझवां से दीपू तिवारी और फूलपुर से शिवबरन पासी को प्रभारी के तौर पर घोषित कर चुकी है। कहा जाता है कि बसपा में मायावती जिसे सीट का प्रभारी बनाती हैं, वही उस सीट से प्रत्याशी होता है। कौन हैं रामगोपाल कोरी और शाह नजर, जानिए… राम गोपाल कोरी: 2017 के चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे 2017 में बसपा के टिकट पर मिल्कीपुर से चुनाव लड़े थे। 46 हजार वोट हासिल कर पाए और वह तीसरे स्थान पर रहे। 2017 में भाजपा के बाबा गोरखनाथ विधायक चुने गए। उन्होंने अयोध्या के मौजूदा सांसद और मिल्कीपुर के निवर्तमान विधायक अवधेश प्रसाद को हराया था। मिल्कीपुर की लड़ाई और दिलचस्प होने की उम्मीद है। क्योंकि, माना जा रहा है कि भाजपा बाबा गोरखनाथ को और सपा अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बनाएगी। मिल्कीपुर से सपा विधायक रहे अवधेश प्रसाद के फैजाबाद से सांसद चुने जाने के कारण यह सीट खाली हुई है।

अब बात मीरापुर विधानसभा की, शाह नजर चंद्रशेखर के करीबी
बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से शाह नजर को टिकट दिया है। शाह नजर बसपा के जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। वे नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी से जुड़े रहे हैं। हालांकि बसपा ने उन्हें तोड़कर अपना उम्मीदवार बनाया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल से चंदर चौहान ने जीत हासिल की थी। उन्होंने भाजपा के प्रशांत गुर्जर को हराया था। लोकसभा चुनाव में भाजपा-रालोद के गंठबंधन में यह सीट रालोद के खाते में थी। चंदर चौहान के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई थी। लोकसभा में शून्य, यूपी विधानसभा में महज एक सदस्य
वर्तमान में बसपा का यूपी विधानसभा में सिर्फ एक सदस्य है। जबकि लोकसभा में एक भी सदस्य नहीं है। बहुजन समाज पार्टी की ऐसी स्थिति कभी नहीं रही, जैसी आज है। यानी बहुजन समाज पार्टी के गठन के बाद साल 1989 में 3 विधायक जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। उसके बाद से लगातार पार्टी बढ़ती ही रही। 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। 2012 में पार्टी के सदस्यों की संख्या घटकर 80 रह गई। 2017 में चुनाव हुआ तो बसपा 19 पर सिमट गई। 2022 में सबसे खराब स्थिति रही और मात्र एक सदस्य उमाशंकर सिंह बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट से चुनाव जीते।
जुलाई 2024 के अंत में जब विधानसभा सत्र शुरू हुआ तो बसपा का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नहीं था। पार्टी के इकलौते सदस्य उमाशंकर सिंह बीमारी की वजह से सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सके।1989 के बाद यह पहला मौका था जब बसपा का कोई सदस्य विधानसभा में नहीं था। आरक्षण कोटे में क्रीमी लेयर के मसले को लेकर आदेश पारित हुआ तो मायावती ने इसका खुले तौर पर विरोध किया। बसपा को लगा कि यह बेहतर मौका है, अपने छिटके वोट बैंक को एक बार फिर एकजुट करने की कोशिश की जाए। इन परिस्थितियों के मद्देनजर मायावती ने उपचुनाव लड़ने का फैसला किया। इस उप-चुनाव में बसपा के पास कम से कम तीन सीट ऐसी हैं, जहां उसे 2022 विधानसभा में खराब स्थिति में भी 50 हजार से अधिक वोट मिले। इसमें अलीगढ़ की खैर सीट पर बसपा को 65302 वोट मिले थे। अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट पर 58482 वोट और मिर्जापुर की मझवां सीट पर 52990 वोट मिले। इसलिए बसपा इन सीटों को अपने लिए मजबूत मानकर चल रही है। यह भी पढ़ें:- योगी बोले-बेशर्मी से रेपिस्ट का समर्थन कर रही सपा:लखनऊ बैडटच में अखिलेश आरोपी के साथ खड़े हो गए; इनका चरित्र ही ऐसा…आदत नहीं छूटी ‘सपा बेशर्मी से रेपिस्ट का समर्थन कर रही है। लखनऊ बैडटच केस में सपा के मुखिया अखिलेश यादव आरोपी के साथ खड़े हो गए। इनकी पार्टी का चरित्र ही ऐसा हो गया है। इनकी आदत छूट नहीं सकती है, लेकिन आदत को सुधारने के लिए कानून का डंडा है। इसका इस्तेमाल होगा।’ सीएम योगी ने ये बातें अयोध्या के आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कहीं। पढ़ें पूरी खबर… यूपी में उप-चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने रविवार को दो और प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने राम गोपाल कोरी को अयोध्या की मिल्कीपुर सीट से प्रत्याशी घोषित किया है। वहीं, मुजफ्फरनगर की मीरापुरा विधानसभा सीट पर शाह नजर को उतारा है। शाह नजर नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद की आजाद पार्टी से जुड़े रहे हैं। बसपा करीब डेढ़ दशक बाद उप-चुनाव में दमखम के साथ उतर रही है। बसपा ने 6 दिन पहले भी 2 प्रत्याशियों की घोषणा की थी। मझवां से दीपू तिवारी और फूलपुर से शिवबरन पासी को प्रभारी के तौर पर घोषित कर चुकी है। कहा जाता है कि बसपा में मायावती जिसे सीट का प्रभारी बनाती हैं, वही उस सीट से प्रत्याशी होता है। कौन हैं रामगोपाल कोरी और शाह नजर, जानिए… राम गोपाल कोरी: 2017 के चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे 2017 में बसपा के टिकट पर मिल्कीपुर से चुनाव लड़े थे। 46 हजार वोट हासिल कर पाए और वह तीसरे स्थान पर रहे। 2017 में भाजपा के बाबा गोरखनाथ विधायक चुने गए। उन्होंने अयोध्या के मौजूदा सांसद और मिल्कीपुर के निवर्तमान विधायक अवधेश प्रसाद को हराया था। मिल्कीपुर की लड़ाई और दिलचस्प होने की उम्मीद है। क्योंकि, माना जा रहा है कि भाजपा बाबा गोरखनाथ को और सपा अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बनाएगी। मिल्कीपुर से सपा विधायक रहे अवधेश प्रसाद के फैजाबाद से सांसद चुने जाने के कारण यह सीट खाली हुई है।

अब बात मीरापुर विधानसभा की, शाह नजर चंद्रशेखर के करीबी
बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से शाह नजर को टिकट दिया है। शाह नजर बसपा के जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। वे नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी से जुड़े रहे हैं। हालांकि बसपा ने उन्हें तोड़कर अपना उम्मीदवार बनाया है। 2022 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल से चंदर चौहान ने जीत हासिल की थी। उन्होंने भाजपा के प्रशांत गुर्जर को हराया था। लोकसभा चुनाव में भाजपा-रालोद के गंठबंधन में यह सीट रालोद के खाते में थी। चंदर चौहान के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई थी। लोकसभा में शून्य, यूपी विधानसभा में महज एक सदस्य
वर्तमान में बसपा का यूपी विधानसभा में सिर्फ एक सदस्य है। जबकि लोकसभा में एक भी सदस्य नहीं है। बहुजन समाज पार्टी की ऐसी स्थिति कभी नहीं रही, जैसी आज है। यानी बहुजन समाज पार्टी के गठन के बाद साल 1989 में 3 विधायक जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। उसके बाद से लगातार पार्टी बढ़ती ही रही। 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। 2012 में पार्टी के सदस्यों की संख्या घटकर 80 रह गई। 2017 में चुनाव हुआ तो बसपा 19 पर सिमट गई। 2022 में सबसे खराब स्थिति रही और मात्र एक सदस्य उमाशंकर सिंह बलिया की रसड़ा विधानसभा सीट से चुनाव जीते।
जुलाई 2024 के अंत में जब विधानसभा सत्र शुरू हुआ तो बसपा का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई नहीं था। पार्टी के इकलौते सदस्य उमाशंकर सिंह बीमारी की वजह से सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सके।1989 के बाद यह पहला मौका था जब बसपा का कोई सदस्य विधानसभा में नहीं था। आरक्षण कोटे में क्रीमी लेयर के मसले को लेकर आदेश पारित हुआ तो मायावती ने इसका खुले तौर पर विरोध किया। बसपा को लगा कि यह बेहतर मौका है, अपने छिटके वोट बैंक को एक बार फिर एकजुट करने की कोशिश की जाए। इन परिस्थितियों के मद्देनजर मायावती ने उपचुनाव लड़ने का फैसला किया। इस उप-चुनाव में बसपा के पास कम से कम तीन सीट ऐसी हैं, जहां उसे 2022 विधानसभा में खराब स्थिति में भी 50 हजार से अधिक वोट मिले। इसमें अलीगढ़ की खैर सीट पर बसपा को 65302 वोट मिले थे। अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट पर 58482 वोट और मिर्जापुर की मझवां सीट पर 52990 वोट मिले। इसलिए बसपा इन सीटों को अपने लिए मजबूत मानकर चल रही है। यह भी पढ़ें:- योगी बोले-बेशर्मी से रेपिस्ट का समर्थन कर रही सपा:लखनऊ बैडटच में अखिलेश आरोपी के साथ खड़े हो गए; इनका चरित्र ही ऐसा…आदत नहीं छूटी ‘सपा बेशर्मी से रेपिस्ट का समर्थन कर रही है। लखनऊ बैडटच केस में सपा के मुखिया अखिलेश यादव आरोपी के साथ खड़े हो गए। इनकी पार्टी का चरित्र ही ऐसा हो गया है। इनकी आदत छूट नहीं सकती है, लेकिन आदत को सुधारने के लिए कानून का डंडा है। इसका इस्तेमाल होगा।’ सीएम योगी ने ये बातें अयोध्या के आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में कहीं। पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर