जालंधर वेस्ट विधानसभा उप चुनाव के करीब एक महीने बाद पंजाब भाजपा प्रधान एक्टिव मोड में आ गए हैं। आज मोहाली से वह भाजपा की मेंबरशिप मुहिम का आगाज करेंगे। इस दौरान भाजपा के दिग्गज नेता भी हाजिर रहेंगे। इसके साथ ही वह बीजेपी नेताओं से मीटिंग भी करेंगे। इसमें आगे आने वाले विधानसभा के उप चुनावों को लेकर भी रणनीति बनेगी। लोगों को पार्टी से जोड़ना बड़ी चुनौती बीजेपी की तरफ से राष्ट्रीय स्तर पर 18 करोड़ लोगों को बीजेपी से जोड़ने की कोशिश है कि हर घर को पार्टी से जोड़ा जाए। इसी कड़ी में यह अभियान सितंबर से चलाया जाना है। लेकिन इसका औपचारिक आगाज आज होगा। मुहिम सितंबर से चलेगी। हालांकि पंजाब में पार्टी से लोगों को जोड़ना चुनौती से कम नहीं है। क्योंकि किसान आंदोलन अभी चल रहा है। इस वजह से गांवों में लोगों पार्टी से नहीं जुड़ते हैं। वोट बैंक बढ़ना बीजेपी के लिए राहत बीजेपी के लिए एक अच्छी बात यह है कि इस बार पंजाब में लोकसभा चुनाव में भाजपा कोई सीट नहीं जीत पाई है। लेकिन वोट प्रतिशत बढ़ा है। बीजेपी 18.56% वोट शेयर हासिल कर क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल (SAD) से भी बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। ये पहला चुनाव है जब दोनों पार्टियां अलग-अलग लोकसभा चुनाव लड़ी हैं। अकाली दल ने इस चुनाव में 13.42% वोट हासिल किए हैं यानी 18 लाख 8 हजार 837 वोट कास्ट हुए। पार्टी सिर्फ बठिंडा सीट पर ही जीत हासिल कर सकी है। जालंधर वेस्ट विधानसभा उप चुनाव के करीब एक महीने बाद पंजाब भाजपा प्रधान एक्टिव मोड में आ गए हैं। आज मोहाली से वह भाजपा की मेंबरशिप मुहिम का आगाज करेंगे। इस दौरान भाजपा के दिग्गज नेता भी हाजिर रहेंगे। इसके साथ ही वह बीजेपी नेताओं से मीटिंग भी करेंगे। इसमें आगे आने वाले विधानसभा के उप चुनावों को लेकर भी रणनीति बनेगी। लोगों को पार्टी से जोड़ना बड़ी चुनौती बीजेपी की तरफ से राष्ट्रीय स्तर पर 18 करोड़ लोगों को बीजेपी से जोड़ने की कोशिश है कि हर घर को पार्टी से जोड़ा जाए। इसी कड़ी में यह अभियान सितंबर से चलाया जाना है। लेकिन इसका औपचारिक आगाज आज होगा। मुहिम सितंबर से चलेगी। हालांकि पंजाब में पार्टी से लोगों को जोड़ना चुनौती से कम नहीं है। क्योंकि किसान आंदोलन अभी चल रहा है। इस वजह से गांवों में लोगों पार्टी से नहीं जुड़ते हैं। वोट बैंक बढ़ना बीजेपी के लिए राहत बीजेपी के लिए एक अच्छी बात यह है कि इस बार पंजाब में लोकसभा चुनाव में भाजपा कोई सीट नहीं जीत पाई है। लेकिन वोट प्रतिशत बढ़ा है। बीजेपी 18.56% वोट शेयर हासिल कर क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल (SAD) से भी बड़ी पार्टी बन कर उभरी है। ये पहला चुनाव है जब दोनों पार्टियां अलग-अलग लोकसभा चुनाव लड़ी हैं। अकाली दल ने इस चुनाव में 13.42% वोट हासिल किए हैं यानी 18 लाख 8 हजार 837 वोट कास्ट हुए। पार्टी सिर्फ बठिंडा सीट पर ही जीत हासिल कर सकी है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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नई टेक्नोलॉजी वाले पावर मीटरों पर करवाया सेमिनार भास्कर न्यूज | जालंधर पॉवरकाम स्टीक बिजली रीडिंग के लिए अब पावर इंटेसिव कारखानों में नई किस्म के मीटर लगा रहा है। ये दूसरे उपकरणों की फ्रीक्वेंसी (तरंग धारा) के प्रभाव से मुक्त होते हैं। जालंधर ऑटो पार्ट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने जालंधर में सेमिनार करके नए मीटरों की हर बारीकी से अपने मेंबरों को जानकार करवाया है। ऐसा सिटी में इन मीटरों पर पहला विचार चर्चा सेशन रहा है। वजह – इन मीटरों को लगाने को लेकर कारोबारियों को हर बारीक जानकारी मिल गई है। जामा के सेमिनार में पावरकाम के चीफ इंजीनियर रमेश सारंगल मुख्य वक्ता रहे। उन्होंने कहा – पावर क्वालिटी मीटर के उपयोग से हार्मोनिक्स की निगरानी करने में मदद मिलेगी। फिल्टर के उपयोग से स्टीक बिजली रीडिंग ली जा सकेगी। इससे बिजली की बर्बादी कम करने में मदद मिलेगी। नई टेक्नोलॉजी से उद्योग उपयोगकर्ताओं के बिजली बिल में कमी आएगी। साथ ही यह उनके उपकरणों को अधिक गर्मी से क्षतिग्रस्त होने के मामले घटेंगे। दूसरी तरफ पावरकाम के जालंधर सर्किल हेड एसपी सोंधी ने कहा कि हार्मोनिक्स की विकृतियां एसी बिजली लोड को डीसी बिजली लोड में परिवर्तित करने वाले कंप्यूटर और इनवर्टर जैसे अन्य उपकरणों के कारण होती हैं। नए मीटर में इन उपकरणों की फ्रीक्वेंसी का कार्यप्रणाली पर कोई कुप्रभाव नहीं होता है। इस दौरान जामा के अध्यक्ष संजीव जुनेजा ने कहा कि इन मीटरों को पावरकॉम ने उपभोक्ताओं को खुद खरीदने या किराए पर लेने का विकल्प दिया था। लेकिन पीएसपीसीएल पीक्यू मीटर लगाने से पहले ही उपभोक्ताओं से किराया वसूल रहा है। ये समस्या दूर हो। हैवल्स इंडिया लिमिटेड के सीनियर इंजीनियर नीतीश यादव ने भी विचार रखे। इसी दौरान जामा के चेयरमैन बलराम कपूर ने पावरकाम के मुलाजिमों की तरफ गर्मी में झेली जा रही चुनौतियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कर्मचारी दिन-रात काम कर रहे हैं, खराबी को ठीक कर रहे हैं, आपूर्ति बहाल कर रहे हैं। उद्योग को निर्बाध आपूर्ति देने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि पावरकाम के पास ग्राउंड स्टाफ की कमी भी है। उन्होंने कहा कि उच्च तापमान के दौरान ग्राउंड स्टाफ बिजली के खंभों के ऊपर बैठकर काम कर रहा है जो अत्यधिक गर्म हो जाते हैं। उन्हें छूना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में कारोबारी उनकी मेहनत की सराहना करते हैं लेकिन पावरकाम को नई भर्ती करनी चाहिए। इस दौरान एचआर इंटरनेशनल से नरेश शर्मा ने विचार रखे। उन्होंने कहा कि जामा को ऐसे सेमिनारों की कड़ी जारी रखनी चाहिए। सेमिनार में फोकल प्वाइंट के प्रधान नरिंदर सिंह सग्गू, उद्योग नगर के प्रधान तेजिंदर सिंह भसीन, नितिन कपूर सहित तमाम कारोबारी शामिल रहे।
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हिमाचल में मानसून में पूरी तरह नहीं भरे बांध:भाखड़ा का जलाशय 36 फीट खाली, पड़ोसी राज्यों की खेती पर पड़ेगा असर हिमाचल प्रदेश की नदियों पर बने बांधों के जलाशय इस बार बरसात में भी पूरी तरह नहीं भर पाए हैं। जानकारों की माने तो इसका असर आने वाले दिनों में राजस्थान, पंजाब, और हरियाणा की खेतीबाड़ी पर पड़ सकता है। खासकर भाखड़ा और पौंग बांध को पड़ोसी राज्य की लाइफ लाइन माना जाता है। क्योंकि इन राज्यों की खेतीबाड़ी हिमाचल की नदियों से बहने वाले पानी पर बहुत ज्यादा निर्भर रहती है। यह पानी नहरों के जरिए पड़ोसी राज्यों के किसानों के खेतों में पहुंचता है। बांध में जब पानी नहीं होगा तो किसानों के खेतों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाएगा। हिमाचल में पावर प्रोडक्शन पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। भाखड़ा बांध का जलाशय इस बार बरसात में भी 11 मीटर और पौंग बांध का जलाशय 8 मीटर खाली खाली रह गया है। बरसात में पूरी तरह भर जाते थे बांध आमतौर पर बरसात में प्रदेश की विभिन्न नदियों पर बने बांध के जलाशय पूरी तरह भर जाते थे। मगर इस बार ज्यादातर बांध के जलाशय 10 से 120 फीट तक खाली पड़े हैं। क्योंकि इस बार मानसून सीजन में सामान्य से 18 प्रतिशत कम बारिश हुई है। चिंता इस बात की है कि मानसून के बाद पोस्ट मानसून सीजन में भी प्रदेश में बारिश नहीं हो रही। प्रदेश में मानसून की विदाई के बाद से यानी एक से 15 अक्टूबर के बीच सामान्य से 95 प्रतिशत कम बारिश हुई है। अगले 5-6 दिन तक भी बारिश के आसार नहीं है। भाखड़ा बांध का जलाशय 36 फीट खाली भारत की सबसे बड़ी बहु उद्देशीय जल विद्युत परियोजना भाखड़ा बांध का जलाशय 11 मीटर यानी 36 फीट से ज्यादा खाली पड़ा है। पार्वती-2 प्रोजेक्ट का जलाशय लगभग 118 फीट, मलाणा-1 का जलाशय 45 फीट और पौंग डेम का जलाशय भी लगभग 26 फीट खाली पड़ा है। मानसून विड्रा होने के बाद हर रोज बांधों के जलाशय में जल स्तर धीरे धीरे कम होता जा रहा है। इससे उत्तर भारत में जल संकट गहरा सकता है। प्रदेश में जैसे जैसे सर्दी बढ़ रही है। इससे ग्लेशियर पिघलने भी बंद हो रहे है। इससे नदियों में वाटर लेवल और गिरेगा और बिजली उत्पादन के लिए पानी की कमी खलनी शुरू होगी। सर्दियों में 15-20% रह जाता है विद्युत उत्पादन बता दें कि सर्दियों में ग्लेशियर जमने के बाद नदी नालों में जल स्तर गिर जाता है। इससे हिमाचल में कुल क्षमता का मुश्किल से 15 से 20 प्रतिशत विद्युत उत्पादन हो पाता है। जाहिर है कि जो बांध पहले ही पूरी तरह नहीं भर पाए, आने वाले दिनों में जब ग्लेशियर पिघलने बंद होंगे, इससे बांधों में जल स्तर और तेजी से गिरेगा।