हिमाचल हाईकोर्ट में आज मंडी से BJP सांसद कंगना रनोट के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई होगी। कंगना को उस नोटिस का जवाब देना है, जो पिछली सुनवाई में कोर्ट ने किन्नौर जिला निवासी लायक राम नेगी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान जारी किया था। लायक राम नेगी चुनाव रद करने की मांग की है। यह मामला न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की बैंच सुनेगी। अदालत ने कंगना को प्रतिवादी बनाया है। दरअसल, लायक राम ने भी मंडी लोकसभा सीट से नामांकन पत्र भरा था। लायक राम नेगी के अनुसार, उनके नामांकन पत्र को गलत ढंग से अस्वीकार किया गया। इसलिए उन्होंने मंडी लोकसभा चुनाव को रद करने की मांग की है। लायक राम ने इस मामले में रिटर्निंग ऑफिसर (RO) एवं डीसी मंडी को भी प्रतिवादी बनाया है। उन्होंने मंडी सीट पर दोबारा चुनाव की मांग की है। याचिकाकर्ता ने कहा- नामांकन के दौरान मुझ पर ऑब्जेक्शन लगाए लायक राम के अनुसार, उन्होंने 14 मई को मंडी लोकसभा सीट से अपना नामांकन पत्र भरा। वन विभाग से असामयिक सेवानिवृत्त होने पर उन्होंने निर्वाचन अधिकारी के समक्ष वन विभाग से जारी जरूरी नो ड्यूज सर्टिफिकेट नामांकन पत्र के साथ सौंपे। नामांकन के दौरान उन्हें कहा गया कि स्वतंत्र रूप से संबंधित विभागों द्वारा सरकारी आवास को लेकर जारी बिजली, पानी और टेलीफोन के नो ड्यूज सर्टिफिकेट भी देने होंगे। उसे यह प्रमाण पत्र देने के लिए अगले दिन तक का समय दिया गया। लायक राम का इस वजह से रद्द किया गया था नामांकन 15 मई को नामांकन पत्रों की जांच की जानी थी। प्रार्थी के अनुसार, 15 मई को उसने विभिन्न विभागों द्वारा जारी बिजली, पानी और टेलीफोन के नो ड्यूज सर्टिफिकेट RO को सौंप दिए। मगर उन्होंने यह दस्तावेज लेने से इनकार कर दिया और कहा कि प्रार्थी के नामांकन में उपरोक्त नो ड्यूज सर्टिफिकेट न लगना एक बड़ी त्रुटि है, जिसे अब दूर नहीं किया जा सकता है। इसके बाद उनका नामांकन अस्वीकार किया गया। मंडी सीट पर चुनाव दोबारा कराने का आग्रह लायक राम के अनुसार, इस वजह से वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाए। प्रार्थी के अनुसार यह कोई बड़ी त्रुटि नहीं थी, जिस कारण उसका नामांकन अस्वीकार कर दिया जाता। याची का कहना है कि यदि उसे चुनाव लड़ने का अवसर दिया जाता तो वह लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब हो जाता। इसे देखते हुए उन्होंने मंडी सीट के चुनाव को रद करने की गुहार लगाई है,ताकि इस सीट पर दोबारा चुनाव हो सके। कंगना की इमरजेंसी फिल्म पर विवाद इस बीच BJP सांसद एवं एक्ट्रेस कंगना अपकमिंग मूवी इमरजेंसी विवादों से घिर गई हैं। कंगना की ये फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में लगाई गई इमरजेंसी पर बनाई गई है। फिल्म 6 सितंबर को रिलीज होगी। इससे पहले पंजाब के निर्दलीय सांसद सर्बजीत सिंह खालसा ने ट्रेलर में दिखाए गए दृश्यों पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि इसमें सिखों को गलत तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार को लेटर लिखकर फिल्म की रिलीज रोकने की मांग की है। सर्बजीत सिंह खालसा ने कहा, ‘नई फिल्म ‘इमरजेंसी’ में सिखों को गलत तरीके से पेश करने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे समाज में शांति और कानून की स्थिति बिगड़ने की आशंका है। अगर इस फिल्म में सिखों को अलगाववादी या आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है तो यह एक गहरी साजिश है हिमाचल हाईकोर्ट में आज मंडी से BJP सांसद कंगना रनोट के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई होगी। कंगना को उस नोटिस का जवाब देना है, जो पिछली सुनवाई में कोर्ट ने किन्नौर जिला निवासी लायक राम नेगी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान जारी किया था। लायक राम नेगी चुनाव रद करने की मांग की है। यह मामला न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की बैंच सुनेगी। अदालत ने कंगना को प्रतिवादी बनाया है। दरअसल, लायक राम ने भी मंडी लोकसभा सीट से नामांकन पत्र भरा था। लायक राम नेगी के अनुसार, उनके नामांकन पत्र को गलत ढंग से अस्वीकार किया गया। इसलिए उन्होंने मंडी लोकसभा चुनाव को रद करने की मांग की है। लायक राम ने इस मामले में रिटर्निंग ऑफिसर (RO) एवं डीसी मंडी को भी प्रतिवादी बनाया है। उन्होंने मंडी सीट पर दोबारा चुनाव की मांग की है। याचिकाकर्ता ने कहा- नामांकन के दौरान मुझ पर ऑब्जेक्शन लगाए लायक राम के अनुसार, उन्होंने 14 मई को मंडी लोकसभा सीट से अपना नामांकन पत्र भरा। वन विभाग से असामयिक सेवानिवृत्त होने पर उन्होंने निर्वाचन अधिकारी के समक्ष वन विभाग से जारी जरूरी नो ड्यूज सर्टिफिकेट नामांकन पत्र के साथ सौंपे। नामांकन के दौरान उन्हें कहा गया कि स्वतंत्र रूप से संबंधित विभागों द्वारा सरकारी आवास को लेकर जारी बिजली, पानी और टेलीफोन के नो ड्यूज सर्टिफिकेट भी देने होंगे। उसे यह प्रमाण पत्र देने के लिए अगले दिन तक का समय दिया गया। लायक राम का इस वजह से रद्द किया गया था नामांकन 15 मई को नामांकन पत्रों की जांच की जानी थी। प्रार्थी के अनुसार, 15 मई को उसने विभिन्न विभागों द्वारा जारी बिजली, पानी और टेलीफोन के नो ड्यूज सर्टिफिकेट RO को सौंप दिए। मगर उन्होंने यह दस्तावेज लेने से इनकार कर दिया और कहा कि प्रार्थी के नामांकन में उपरोक्त नो ड्यूज सर्टिफिकेट न लगना एक बड़ी त्रुटि है, जिसे अब दूर नहीं किया जा सकता है। इसके बाद उनका नामांकन अस्वीकार किया गया। मंडी सीट पर चुनाव दोबारा कराने का आग्रह लायक राम के अनुसार, इस वजह से वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाए। प्रार्थी के अनुसार यह कोई बड़ी त्रुटि नहीं थी, जिस कारण उसका नामांकन अस्वीकार कर दिया जाता। याची का कहना है कि यदि उसे चुनाव लड़ने का अवसर दिया जाता तो वह लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब हो जाता। इसे देखते हुए उन्होंने मंडी सीट के चुनाव को रद करने की गुहार लगाई है,ताकि इस सीट पर दोबारा चुनाव हो सके। कंगना की इमरजेंसी फिल्म पर विवाद इस बीच BJP सांसद एवं एक्ट्रेस कंगना अपकमिंग मूवी इमरजेंसी विवादों से घिर गई हैं। कंगना की ये फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में लगाई गई इमरजेंसी पर बनाई गई है। फिल्म 6 सितंबर को रिलीज होगी। इससे पहले पंजाब के निर्दलीय सांसद सर्बजीत सिंह खालसा ने ट्रेलर में दिखाए गए दृश्यों पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि इसमें सिखों को गलत तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार को लेटर लिखकर फिल्म की रिलीज रोकने की मांग की है। सर्बजीत सिंह खालसा ने कहा, ‘नई फिल्म ‘इमरजेंसी’ में सिखों को गलत तरीके से पेश करने की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे समाज में शांति और कानून की स्थिति बिगड़ने की आशंका है। अगर इस फिल्म में सिखों को अलगाववादी या आतंकवादी के रूप में दिखाया गया है तो यह एक गहरी साजिश है हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल हाईकोर्ट के कंटेम्प्ट केस में सख्त आदेश:पंचायतीराज विभाग के सचिव-डायरेक्टर की सरकारी गाड़ियां जब्त की जाए, पंचायत चौकीदारों को दैनिक वेतनभोगी नहीं बनाया हिमाचल हाईकोर्ट ने न्यायालय के आदेशों की अवहेलना से जुड़े केस में पंचायती राज विभाग के सचिव और डायरेक्टर की सरकारी गाड़ियां जब्त करने के आदेश दिए है। कोर्ट के आदेशों के बाद सचिव और डायरेक्टर सरकारी गाड़ियों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने कहा कि दोनों अधिकारियों के सरकारी वाहन नंबर HP-07-E- 0027 और HP-07-E-0003 को कोर्ट के आगामी आदेशों तक जब्त किया जाए। हाईकोर्ट ने यह आदेश 25 सितंबर, 2023 को पारित आदेशों की अनुपालना नहीं करने पर दिए है, जिसमें कोर्ट ने 10 वर्षो तक बतौर अंशकालिक कार्यकाल पूरा करने वाले याचिकाकर्ता पंचायत चौकीदारों को नियत तिथि से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों में परिवर्तित करने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट ने इन आदेशों की अनुपालना के लिए राज्य सरकार को आठ सप्ताह का समय दिया था। कोर्ट ने इन्हें राज्य सरकार की नियमितिकरण नीति के अनुसार नियत तारीख से दैनिक वेतन भोगी बनाने को कहा था। कोर्ट का फैसला लागू नहीं होने पर प्रार्थियों ने कंटेम्प्ट पिटीशन डाली। इस पिटीशन पर कोर्ट ने फिर से पंचायती राज विभाग ने जवाब मांगा। दैनिक वेतन भोगी को कुछ साल की सेवाओं के बाद सरकार चतुर्थ श्रेणी पदों पर रेगुलर करती है। विभाग फिर बोला, रेगुलर नहीं किए जा सकते पंचायत चौकीदार कोर्ट में विभाग ने कहा कि प्रार्थियों को सरकार की नीति के अनुसार दैनिक वेतनभोगी नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे एक स्वायत संस्था जिला परिषद के कर्मचारी हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि अनुपालना याचिका में अदालती आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित की जाती है, इसलिए मुख्य मामले में दिए फैसले की समीक्षा अनुपालना याचिका में नहीं की जा सकती। कर्मचारी-पेंशनर के 10 हजार करोड़ सरकार के पास कर्मचारी व पेंशनर के वित्तीय मामलों में हिमाचल हाईकोर्ट पहले इस तरह के सख्त आदेश व टिप्पणी कर चुका है। राज्य सरकार माली वित्तीय हालात के कारण कर्मचारियों व पेंशनर को लाभ नहीं दे पा रही। कर्मचारी-पेंशनर के 10 हजार करोड़ रुपए की राशि सरकार के पास पेंडिंग है।
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