नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने हालिया आदेश में पुराने कचरे के साथ-साथ अनुपचारित सीवेज डिस्चार्ज के प्रबंधन के लिए उचित कदम उठाने में विफल रहने के लिए पंजाब सरकार पर 1026 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। आदेशों में, एनजीटी ने मुख्य सचिव के माध्यम से पंजाब राज्य को एक महीने के भीतर सीपीसीबी के साथ पर्यावरण मुआवजे के लिए 1026 करोड़ रुपए जमा करने और एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। मामला लुधियाना नगर कौसिंल से भी जुड़ा है। 53.87 लाख टन कूड़े के निपटारे को लगेंगे 10 साल NGT ने बताया है कि राज्य में पुराना कचरा 53.87 लाख टन पड़ा हुआ है। दो वर्ष पहले यह आंकड़ा 66.66 लाख टन था। इन दो वर्षों के दौरान मात्र 10 लाख टन कचरे का निस्तारण हो सकता है। एनजीपी मुताबिक जिस गति से काम चल रहा है, उससे स्पष्ट होता है कि बचा 53.87 लाख टन कचरा निपटाने में लगभग 10 साल का समय लग जाएगा। वहीं 31406 लाख लीटर सीवरेज पानी साफ करना रहता है। इससे पहले सितंबर 2022 में, एनजीटी ने अनुपचारित सीवेज और ठोस अपशिष्ट के निर्वहन को रोकने में विफलता के लिए पंजाब सरकार पर कुल 2180 करोड़ रुपए का मुआवजा लगाया था और पंजाब सरकार ने अब तक केवल 100 करोड़ रुपए जमा किए हैं। आदेश का अनुपालन करने में रहे विफल एनजीटी ने अपने ताजा आदेश में आगे कहा कि चूंकि मुख्य सचिव 2080 करोड़ रुपए के रिंग-फेंस खाते के निर्माण के संबंध में 22 सितंबर, 2022 के ट्रिब्यूनल के आदेश का अनुपालन करने में भी विफल रहे हैं, इसलिए यह स्पष्ट है कि इस ट्रिब्यूनल का आदेश रद्द कर दिया गया है। अवहेलना और अवज्ञा की, जो एनजीटी अधिनियम 2010 की धारा 26 के तहत अपराध है। आदेश में आगे कहा गया है कि जल अधिनियम, 1974 की धारा 24 के लगातार उल्लंघन और गैर-अनुपालन और जनादेश का उल्लंघन भी उक्त अधिनियम की धारा 43 के तहत एक अपराध है और जब अपराध सरकारी विभाग द्वारा होता है, तो धारा 48 भी आकर्षित होती है, जो घोषित करती है कि विभागाध्यक्ष को अपराध का दोषी माना जाएगा और उसके विरुद्ध मुकदमा चलाया जाएगा और दंडित किया जाएगा। 1 महीने में देना है जवाब एनजीटी ने मुख्य सचिव, पंजाब राज्य और प्रधान सचिव/अतिरिक्त मुख्य सचिव, शहरी विकास को नोटिस जारी कर यह बताने को कहा है कि जल अधिनियम, 1974 की धारा 43 और 48 के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 24 के तहत अपराध करने और गैर-अनुपालन के लिए मुकदमा क्यों चलाया जाए। एनजीटी अधिनियम, 2010 की धारा 26 के तहत ट्रिब्यूनल के आदेश को उचित फोरम में शुरू नहीं किया जाना चाहिए। एनजीटी ने जवाब दाखिल करने के लिए एक महीने की समयावधि प्रदान की। मामला अगली बार 27 सितंबर को सूचीबद्ध है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपने हालिया आदेश में पुराने कचरे के साथ-साथ अनुपचारित सीवेज डिस्चार्ज के प्रबंधन के लिए उचित कदम उठाने में विफल रहने के लिए पंजाब सरकार पर 1026 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। आदेशों में, एनजीटी ने मुख्य सचिव के माध्यम से पंजाब राज्य को एक महीने के भीतर सीपीसीबी के साथ पर्यावरण मुआवजे के लिए 1026 करोड़ रुपए जमा करने और एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। मामला लुधियाना नगर कौसिंल से भी जुड़ा है। 53.87 लाख टन कूड़े के निपटारे को लगेंगे 10 साल NGT ने बताया है कि राज्य में पुराना कचरा 53.87 लाख टन पड़ा हुआ है। दो वर्ष पहले यह आंकड़ा 66.66 लाख टन था। इन दो वर्षों के दौरान मात्र 10 लाख टन कचरे का निस्तारण हो सकता है। एनजीपी मुताबिक जिस गति से काम चल रहा है, उससे स्पष्ट होता है कि बचा 53.87 लाख टन कचरा निपटाने में लगभग 10 साल का समय लग जाएगा। वहीं 31406 लाख लीटर सीवरेज पानी साफ करना रहता है। इससे पहले सितंबर 2022 में, एनजीटी ने अनुपचारित सीवेज और ठोस अपशिष्ट के निर्वहन को रोकने में विफलता के लिए पंजाब सरकार पर कुल 2180 करोड़ रुपए का मुआवजा लगाया था और पंजाब सरकार ने अब तक केवल 100 करोड़ रुपए जमा किए हैं। आदेश का अनुपालन करने में रहे विफल एनजीटी ने अपने ताजा आदेश में आगे कहा कि चूंकि मुख्य सचिव 2080 करोड़ रुपए के रिंग-फेंस खाते के निर्माण के संबंध में 22 सितंबर, 2022 के ट्रिब्यूनल के आदेश का अनुपालन करने में भी विफल रहे हैं, इसलिए यह स्पष्ट है कि इस ट्रिब्यूनल का आदेश रद्द कर दिया गया है। अवहेलना और अवज्ञा की, जो एनजीटी अधिनियम 2010 की धारा 26 के तहत अपराध है। आदेश में आगे कहा गया है कि जल अधिनियम, 1974 की धारा 24 के लगातार उल्लंघन और गैर-अनुपालन और जनादेश का उल्लंघन भी उक्त अधिनियम की धारा 43 के तहत एक अपराध है और जब अपराध सरकारी विभाग द्वारा होता है, तो धारा 48 भी आकर्षित होती है, जो घोषित करती है कि विभागाध्यक्ष को अपराध का दोषी माना जाएगा और उसके विरुद्ध मुकदमा चलाया जाएगा और दंडित किया जाएगा। 1 महीने में देना है जवाब एनजीटी ने मुख्य सचिव, पंजाब राज्य और प्रधान सचिव/अतिरिक्त मुख्य सचिव, शहरी विकास को नोटिस जारी कर यह बताने को कहा है कि जल अधिनियम, 1974 की धारा 43 और 48 के साथ पढ़ी जाने वाली धारा 24 के तहत अपराध करने और गैर-अनुपालन के लिए मुकदमा क्यों चलाया जाए। एनजीटी अधिनियम, 2010 की धारा 26 के तहत ट्रिब्यूनल के आदेश को उचित फोरम में शुरू नहीं किया जाना चाहिए। एनजीटी ने जवाब दाखिल करने के लिए एक महीने की समयावधि प्रदान की। मामला अगली बार 27 सितंबर को सूचीबद्ध है। पंजाब | दैनिक भास्कर
Related Posts
पंजाब के DSP भेला ड्रग केस में प्रॉपर्टी होगी जब्त:17 लोगों को कोर्ट ने सुनाई थी सजा, 6 हजार करोड़ की तस्करी का मामला
पंजाब के DSP भेला ड्रग केस में प्रॉपर्टी होगी जब्त:17 लोगों को कोर्ट ने सुनाई थी सजा, 6 हजार करोड़ की तस्करी का मामला पंजाब में ईडी की विशेष अदालत ने 6 हजार करोड़ रुपये के ड्रग तस्करी मामले में 17 लोगों को कुछ दिन पहले सजा सुनाई थी। दोषियों में पंजाब पुलिस के बर्खास्त डीएसपी जगदीश भेला, उनकी पत्नी और ससुर भी शामिल हैं। वहीं, इस मामले में शामिल सभी दोषियों की 12.37 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने के आदेश दिए गए हैं। यह संपत्ति ईडी ने वर्ष 2014, 2015 और 2018 में जब्त की थी। इस मामले में कुल 95 करोड़ रुपये की अटैच की गई थी। इस मामले में सुनाई थी अदालत ने सजा इस दौरान जगदीश भोला, मनप्रीत, सुखराज, सुखजीत सुखा, मनिंदर, दविंदर सिंह हैप्पी, अवतार सिंह को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है। जबकि जगदीश भोला की पत्नी गुरप्रीत कौर, अवतार की पत्नी संदीप कौर, जगमिंदर कौर औलाख, गुरमीत कौर, आरामजीत सिंह और भोला के ससुर दिलीप मान को 3-3 साल की सजा सुनाई गई है। वहीं, गुरप्रीत सिंह, सुभाष बजाज और अंकुर बजाज को 5-5 साल की सजा सुनाई गई है। इस मामले में कुल 23 आरोपी थे। इनमें से चार की मौत हो चुकी है। भोला के पिता बलशिंदर भी इस मामले में आरोपी थे, हालांकि उनकी मौत हो चुकी है। जबकि 2 लोग इस मामले में पीओ हैं। 11 साल पहले सामने आया था मामला यह मामला साल 2013 में सामने आया था। जब पंजाब पुलिस ने इस मामले में अर्जुन अवॉर्डी पहलवान रुस्तम-ए-हिंद और पंजाब पुलिस के बर्खास्त डीएसपी जगदीश सिंह भोला को गिरफ्तार किया था। तब पता चला था कि यह रैकेट पंजाब से लेकर विदेशों तक फैला हुआ है। इस केस के सामने आने से पंजाब की राजनीति से लेकर खेल जगत में भूचाल आ गया था। वहीं, राज्य के कई नेताओं पर भी सवाल उठे थे। जांच में पता चला था कि यह ड्रग रैकेट 6 हजार करोड़ का है। साल 2019 में इस मामले में सीबीआई की अदालत ने 25 लोगों को एनडीपीएस एक्ट के तहत सजा सुनाई थी।
बरनाला में पुलिस टीम पर हमला:हमलावर को पकड़ने गई थी, सरकारी वाहन में तोड़फोड़, वर्दी भी फाड़ी
बरनाला में पुलिस टीम पर हमला:हमलावर को पकड़ने गई थी, सरकारी वाहन में तोड़फोड़, वर्दी भी फाड़ी पंजाब में बरनाला जिले के गांव में इरादा कत्ल के आरोपियों को गिरफ्तार करने गई पुलिस पार्टी पर आरोपियों और उनके समर्थकों ने हमला कर दिया। हमालवरों द्वारा पुलिस की गाड़ी को नुकसान पहुंचाने के अलावा एक पुलिस कर्मी की वर्दी भी फाड़ दी गई। पंचायत चुनाव से एक रात पहले पंची के प्रत्याशी गुरजंट सिंह पर कुछ लोगों ने हमला कर घायल कर दिया था। इस संबंध में थाना ठुल्लीवाल की पुलिस ने 12 लोगों सहित कई अज्ञात लोगों समेत के खिलाफ बीएनएस की धारा 109 के तहत मामला दर्ज किया है। इसी सिलसिले में कल चुनाव के बाद जब पुलिस पार्टी आरोपियों को गिरफ्तार करने गई तो आरोपियों और उनके समर्थकों ने पुलिस वाहन पर हमला कर दिया। जिससे जहां पुलिस की गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई। वहीं एक पुलिसकर्मी के साथ धक्का-मुक्की करते हुए उसकी वर्दी भी फाड़ दी गई। इस संबंध में पुलिस प्रमुख शरीफ खान ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि यह मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाया गया है। पुलिस सभी पहलुओं से मामले की जांच कर कानूनी कार्रवाई कर रही है।
जालंधर में कनाडाई सिटीजन पर धोखाधड़ी की FIR:फर्जी दस्तावेज लगा बनवाया इमिग्रेशन लाइसेंस, DC से शिकायत पर हुई कार्रवाई
जालंधर में कनाडाई सिटीजन पर धोखाधड़ी की FIR:फर्जी दस्तावेज लगा बनवाया इमिग्रेशन लाइसेंस, DC से शिकायत पर हुई कार्रवाई पंजाब के जालंधर में फर्जी दस्तावेज लगाकर सरकार से इमिग्रेशन लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में जालंधर कमिश्नरेट पुलिस द्वारा एक NRI के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपी एनआरआई कनाडा की सिटीजनशिप होल्डर है। जिसकी पहचान कनाडा के रहने वाले अनमोलदीप सिंह (पहले मकसूदा, विवेकानंद पार्क) के खिलाफ पंजाब ट्रैवल प्रोफेशनल रेगुलेशन एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। फिलहाल आरोपी की गिरफ्तारी बाकी है। थाना नवी बारादरी में ये केस दर्ज किया गया है। डीसी से हुई शिकायत पर शुरू की गई जांच मिली जानकारी के अनुसार जालंधर डीसी को एक शिकायत सौंपी की गई थी। जिसमें उक्त आरोपी के लाइसेंस की जांच करने और लाइसेंस कैंसिल करने की मांग की गई थी। मामले में जांच करवाई गई और रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उक्त व्यक्ति कनाडा का रहने वाला है। जिसने भारत में इमिग्रेशन लाइसेंस लिया हुआ है। जो सरासर गैरकानूनी है। जिसके चलते केस दर्ज किया गया। बता दें कि ये शिकायत पिछले साल अप्रैल माह में दी गई थी। लाइसेंस बनवाने के लिए पेश किए गए गलत तथ्य दर्ज की गई एफआईआर में बताया गया है कि उक्त आरोपी कनेडियन इमिग्रेशन कंसल्टेंट नाम से बीएमसी चौक और एजीआई बिजनेस सेंटर के दूसरे फ्लोर पर एक इमिग्रेशन कंपनी चलाता है। उक्त कंपनी का मालिक अनमोलदीप सिंह है, जो कनाडा का सिटीजनशिप होल्डर है। आरोपी द्वारा सरकार को गलत तथ्य पेश कर लाइसेंस की प्राप्त किया गया है। जिसके बाद मामले की जांच शुरू करवाई गई तो लगाए गए आरोप सही निकले। जिसके बाद मामले में डीए लीगल से सलाह लेकर आगे की कार्रवाई शुरू की गई। कुछ दिन पहले ही कार्रवाई के लिए रिपोर्ट बनाकर पुलिस को सौंपी गई थी और केस दर्ज करने के आदेश दिए गए थे। पुलिस ने मामले में जांच के बाद तुरंत प्रभाव से केस दर्ज कर लिया।