हरियाणा के हिसार में BJP मंत्री डॉ. कमल गुप्ता की ओर से आचार्य श्री तुलसी चौक पर बनवाए गए लाल किले के मॉडल से जैन समाज नाराज है। रविवार को उसी जैन समाज ने हिसार सीट से BJP मंत्री के सामने टिकट की दावेदार पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल को अपने कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बुलाकर सम्मानित किया। राजनीतिक जानकार इस घटना से कयास लगा रहा हैं कि इससे जैन समाज की नाराजगी झेल रहे डॉ. कमल गुप्ता का टिकट कट सकता है। इसी के दम पर भाजपा नेता सावित्री जिंदल हिसार सीट से अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर सकती हैं। हालांकि, ये दोनों ही नेता हिसार विधानसभा सीट से मजबूत कैंडिडेट हैं। सावित्री जिंदल को जैन समाज की ओर से मनाए जाने वाले ज्ञान शाला दिवस पर आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर सुबह 8 बजे ज्ञान शाला रैली निकाली और बच्चों ने नाटिका कर प्रस्तुति दी। हिसार के तेरापंथ भवन में आचार्य श्री महाश्रमण की शिष्या शासन श्री साध्वी प्रेमलता के सानिध्य में पूरा कार्यक्रम आयोजित हुआ। जैन समाज ने सावित्री जिंदल से की बात, मंत्री से 2 दिन बाद करेंगे वहीं, जैन समाज के चौक पर अभी तक आचार्य तुलसी का बोर्ड नहीं लगा है। इससे जैन समाज में नाराजगी है। उनका कहना है कि उन्हें 2 दिन का समय दिया गया है। अगर 2 दिन में समाधान नहीं हुआ तो वह मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से मिलेंगे। श्री श्री जैन तेरापंथी सभा के अध्यक्ष संजय जैन ने बताया कि हिसार बस स्टैंड पर श्री श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ के 9वें आचार्य तुलसी महाराज के चौक के बोर्ड को फिर से लगाने पर प्रशासन सहमत हो गया था। प्रशासन का कहना है कि 2 दिन के अंदर 2 बोर्ड यहां लग जाएंगे। अगर बोर्ड नहीं लगता है और यदि हमारी संतुष्टि के अनुसार काम नहीं हुआ तो समाज के लोग मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से भी मिलेंगे। इस विषय पर पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल से भी बात हो चुकी है। उनका कहना है कि प्रशासन अगर समाधान नहीं करता है तो दूसरे विकल्पों पर जाएंगे। BJP मंत्री ने चौक पर बनवा दिया था लाल किले का मॉडल
बता दें कि हिसार में जैन धर्म गुरु आचार्य तुलसी चौक पर लाल किले का मॉडल बनाए जाने से समाज के लोग BJP मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से नाराज हो गए थे। समाज के लोगों का कहना था कि यह चौक 20 साल पहले आचार्य तुलसी के नाम पर बनाया गया था, जिन्होंने समाज को नई राह दिखाई। अब उनकी स्मृतियों को मिटाने का प्रयास किया गया है। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता ने कहा कि चौक की हालत पहले खराब थी। इसे नया आकार दिया गया है। इसका नाम नहीं बदला गया है और न ही इस चौक पर किसी तरह की कोई प्रतिमा हटाई गई है। हमने चौक की देखरेख की है। आज भी चौक को आचार्य तुलसी के नाम से ही जाना जाता है। हिसार में 46 लाख रुपए से बनाए थे 3 मॉडल
हिसार में मंत्री डॉ. कमल गुप्ता की तरफ से 46 लाख रुपए के सौंदर्यीकरण के 3 कार्यों का 26 जुलाई को उद्घाटन किया गया था। डॉ. कमल गुप्ता ने तुलसी चौक पर लगभग 20 लाख रुपए की लागत से बने लाल किले के प्रतिरूप और लक्ष्मीबाई चौक के समीप 17 लाख रुपए की लागत से बने चंद्रयान के प्रतिरूप और सेक्टर 9-11 दिल्ली रोड से एंट्री पॉइंट पर लगभग 9 लाख रुपए की लागत से बने इंडिया गेट के प्रतिरूप का उद्घाटन किया था। कौन थे आचार्य तुलसी
आचार्य तुलसी जैन धर्म के श्वेतांबर तेरापंथ के 9वें आचार्य थे। वह अणुव्रत और जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय के प्रवर्तक हैं। वह 100 से भी अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। देश के पहले शिक्षा मंत्री डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपनी पुस्तक “लिविंग विद पर्पज” में उन्हें विश्व के 15 महान लोगों में शामिल किया था। उन्हें भारत के पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरि ने 1971 में एक कार्यक्रम में “युग-प्रधान” की उपाधि से विभूषित किया। उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ एवं साध्वी कनकप्रभा का विकास करने में महत्वपूर्ण कार्य किया था। हिसार में दोनों नेताओं की दावेदारी मजबूत क्यों? कमल गुप्ता लगातार 2 चुनाव जीते, सावित्री जिंदल को भी हराया
कमल गुप्ता 2 बार हिसार सीट से चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने 2014 के बाद 2019 में भी लगातार चुनाव जीता। खास बात यह है कि 2014 में तो कमल गुप्ता ने सावित्री जिंदल को ही हराया था। उस समय सावित्री ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। चूंकि, गुप्ता सरकार में मंत्री हैं और सावित्री जिंदल को भी हरा चुके हैं, इसलिए वह मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। सावित्री जिंदल हिसार से 2 बार चुनाव जीत चुकीं, मंत्री भी रहीं
हिसार सीट पर सावित्री जिंदल का भी रसूख अच्छा है। वह 2 बार हिसार से चुनाव जीतकर विधायक बन चुकी हैं। पहला चुनाव उन्होंने 2005 में जीता था। तब उप-चुनाव जीतकर वह भूपेंद्र हुड्डा की अगुआई वाली हरियाणा सरकार में शामिल हुई थीं। 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की। 2013 में भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया था। गुप्ता-जिंदल परिवार में तनातनी के 3 उदाहरण 1. तिरंगा यात्रा में मंत्री ने सावित्री जिंदल का इंतजार नहीं किया
हाल ही में भाजपा की ओर से प्रदेश में तिरंगा यात्रा निकाली गई। हिसार विधानसभा में डॉ. कमल गुप्ता ने यात्रा की अगुआई की। इस यात्रा में सावित्री जिंदल देरी से पहुंचीं। जिंदल के आने से पहले ही कमल गुप्ता यात्रा लेकर आगे निकल पड़े। पूर्व मंत्री ने तिरंगा हाथ में लिया। फिर वह कुछ देर रुक कर वहां से नाराजगी जाहिर करते हुए निकल गईं। 2. मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का विरोध किया
हिसार के बस स्टैंड के शिफ्टिंग को लेकर भी दोनों में मतभेद नजर आए। कमल गुप्ता बस स्टैंड को शहर से बाहर शिफ्ट करना चाहते थे। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। बस स्टैंड शिफ्टिंग का व्यापारियों ने विरोध किया। सावित्री जिंदल की घर पर व्यापारियों की मीटिंग भी हुई। इसके बाद कमल गुप्ता नाराज हो गए और उन्हें प्रोजेक्ट टालना पड़ा। 3. एक-दूसरे को निमंत्रण नहीं भेज रहे
दोनों नेताओं के समर्थक एक दूसरे के कार्यक्रमों में एक-दूसरे को निमंत्रण नहीं भेज रहे। ऐसे पार्षद और नेता जो सावित्री जिंदल के समर्थक थे और अब कमल गुप्ता के साथ हैं। वह गुप्ता से दूरी बनाए हुए हैं। कमल गुप्ता के समर्थक भी सावित्री जिंदल के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर चल रहे हैं। दोनों नेता भी एक-दूसरे को कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं कर रहे। हरियाणा के हिसार में BJP मंत्री डॉ. कमल गुप्ता की ओर से आचार्य श्री तुलसी चौक पर बनवाए गए लाल किले के मॉडल से जैन समाज नाराज है। रविवार को उसी जैन समाज ने हिसार सीट से BJP मंत्री के सामने टिकट की दावेदार पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल को अपने कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बुलाकर सम्मानित किया। राजनीतिक जानकार इस घटना से कयास लगा रहा हैं कि इससे जैन समाज की नाराजगी झेल रहे डॉ. कमल गुप्ता का टिकट कट सकता है। इसी के दम पर भाजपा नेता सावित्री जिंदल हिसार सीट से अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर सकती हैं। हालांकि, ये दोनों ही नेता हिसार विधानसभा सीट से मजबूत कैंडिडेट हैं। सावित्री जिंदल को जैन समाज की ओर से मनाए जाने वाले ज्ञान शाला दिवस पर आमंत्रित किया गया था। इस अवसर पर सुबह 8 बजे ज्ञान शाला रैली निकाली और बच्चों ने नाटिका कर प्रस्तुति दी। हिसार के तेरापंथ भवन में आचार्य श्री महाश्रमण की शिष्या शासन श्री साध्वी प्रेमलता के सानिध्य में पूरा कार्यक्रम आयोजित हुआ। जैन समाज ने सावित्री जिंदल से की बात, मंत्री से 2 दिन बाद करेंगे वहीं, जैन समाज के चौक पर अभी तक आचार्य तुलसी का बोर्ड नहीं लगा है। इससे जैन समाज में नाराजगी है। उनका कहना है कि उन्हें 2 दिन का समय दिया गया है। अगर 2 दिन में समाधान नहीं हुआ तो वह मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से मिलेंगे। श्री श्री जैन तेरापंथी सभा के अध्यक्ष संजय जैन ने बताया कि हिसार बस स्टैंड पर श्री श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ के 9वें आचार्य तुलसी महाराज के चौक के बोर्ड को फिर से लगाने पर प्रशासन सहमत हो गया था। प्रशासन का कहना है कि 2 दिन के अंदर 2 बोर्ड यहां लग जाएंगे। अगर बोर्ड नहीं लगता है और यदि हमारी संतुष्टि के अनुसार काम नहीं हुआ तो समाज के लोग मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से भी मिलेंगे। इस विषय पर पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल से भी बात हो चुकी है। उनका कहना है कि प्रशासन अगर समाधान नहीं करता है तो दूसरे विकल्पों पर जाएंगे। BJP मंत्री ने चौक पर बनवा दिया था लाल किले का मॉडल
बता दें कि हिसार में जैन धर्म गुरु आचार्य तुलसी चौक पर लाल किले का मॉडल बनाए जाने से समाज के लोग BJP मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से नाराज हो गए थे। समाज के लोगों का कहना था कि यह चौक 20 साल पहले आचार्य तुलसी के नाम पर बनाया गया था, जिन्होंने समाज को नई राह दिखाई। अब उनकी स्मृतियों को मिटाने का प्रयास किया गया है। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता ने कहा कि चौक की हालत पहले खराब थी। इसे नया आकार दिया गया है। इसका नाम नहीं बदला गया है और न ही इस चौक पर किसी तरह की कोई प्रतिमा हटाई गई है। हमने चौक की देखरेख की है। आज भी चौक को आचार्य तुलसी के नाम से ही जाना जाता है। हिसार में 46 लाख रुपए से बनाए थे 3 मॉडल
हिसार में मंत्री डॉ. कमल गुप्ता की तरफ से 46 लाख रुपए के सौंदर्यीकरण के 3 कार्यों का 26 जुलाई को उद्घाटन किया गया था। डॉ. कमल गुप्ता ने तुलसी चौक पर लगभग 20 लाख रुपए की लागत से बने लाल किले के प्रतिरूप और लक्ष्मीबाई चौक के समीप 17 लाख रुपए की लागत से बने चंद्रयान के प्रतिरूप और सेक्टर 9-11 दिल्ली रोड से एंट्री पॉइंट पर लगभग 9 लाख रुपए की लागत से बने इंडिया गेट के प्रतिरूप का उद्घाटन किया था। कौन थे आचार्य तुलसी
आचार्य तुलसी जैन धर्म के श्वेतांबर तेरापंथ के 9वें आचार्य थे। वह अणुव्रत और जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय के प्रवर्तक हैं। वह 100 से भी अधिक पुस्तकों के लेखक हैं। देश के पहले शिक्षा मंत्री डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपनी पुस्तक “लिविंग विद पर्पज” में उन्हें विश्व के 15 महान लोगों में शामिल किया था। उन्हें भारत के पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरि ने 1971 में एक कार्यक्रम में “युग-प्रधान” की उपाधि से विभूषित किया। उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ एवं साध्वी कनकप्रभा का विकास करने में महत्वपूर्ण कार्य किया था। हिसार में दोनों नेताओं की दावेदारी मजबूत क्यों? कमल गुप्ता लगातार 2 चुनाव जीते, सावित्री जिंदल को भी हराया
कमल गुप्ता 2 बार हिसार सीट से चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने 2014 के बाद 2019 में भी लगातार चुनाव जीता। खास बात यह है कि 2014 में तो कमल गुप्ता ने सावित्री जिंदल को ही हराया था। उस समय सावित्री ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। चूंकि, गुप्ता सरकार में मंत्री हैं और सावित्री जिंदल को भी हरा चुके हैं, इसलिए वह मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। सावित्री जिंदल हिसार से 2 बार चुनाव जीत चुकीं, मंत्री भी रहीं
हिसार सीट पर सावित्री जिंदल का भी रसूख अच्छा है। वह 2 बार हिसार से चुनाव जीतकर विधायक बन चुकी हैं। पहला चुनाव उन्होंने 2005 में जीता था। तब उप-चुनाव जीतकर वह भूपेंद्र हुड्डा की अगुआई वाली हरियाणा सरकार में शामिल हुई थीं। 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की। 2013 में भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया था। गुप्ता-जिंदल परिवार में तनातनी के 3 उदाहरण 1. तिरंगा यात्रा में मंत्री ने सावित्री जिंदल का इंतजार नहीं किया
हाल ही में भाजपा की ओर से प्रदेश में तिरंगा यात्रा निकाली गई। हिसार विधानसभा में डॉ. कमल गुप्ता ने यात्रा की अगुआई की। इस यात्रा में सावित्री जिंदल देरी से पहुंचीं। जिंदल के आने से पहले ही कमल गुप्ता यात्रा लेकर आगे निकल पड़े। पूर्व मंत्री ने तिरंगा हाथ में लिया। फिर वह कुछ देर रुक कर वहां से नाराजगी जाहिर करते हुए निकल गईं। 2. मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट का विरोध किया
हिसार के बस स्टैंड के शिफ्टिंग को लेकर भी दोनों में मतभेद नजर आए। कमल गुप्ता बस स्टैंड को शहर से बाहर शिफ्ट करना चाहते थे। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था। बस स्टैंड शिफ्टिंग का व्यापारियों ने विरोध किया। सावित्री जिंदल की घर पर व्यापारियों की मीटिंग भी हुई। इसके बाद कमल गुप्ता नाराज हो गए और उन्हें प्रोजेक्ट टालना पड़ा। 3. एक-दूसरे को निमंत्रण नहीं भेज रहे
दोनों नेताओं के समर्थक एक दूसरे के कार्यक्रमों में एक-दूसरे को निमंत्रण नहीं भेज रहे। ऐसे पार्षद और नेता जो सावित्री जिंदल के समर्थक थे और अब कमल गुप्ता के साथ हैं। वह गुप्ता से दूरी बनाए हुए हैं। कमल गुप्ता के समर्थक भी सावित्री जिंदल के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर चल रहे हैं। दोनों नेता भी एक-दूसरे को कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं कर रहे। हरियाणा | दैनिक भास्कर