पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने सोमवार को शिमला में हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मुलाकात की। मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ओक ओवर में दोनों नेताओं में करीब पौने एक घंटा तक बातचीत हुई। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार यह एक शिष्टाचार भेंट थी। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच हिमाचल और पंजाब के मौजूदा राजनीति हालात को लेकर भी चर्चा हुई। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने सोमवार को शिमला में हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मुलाकात की। मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ओक ओवर में दोनों नेताओं में करीब पौने एक घंटा तक बातचीत हुई। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार यह एक शिष्टाचार भेंट थी। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच हिमाचल और पंजाब के मौजूदा राजनीति हालात को लेकर भी चर्चा हुई। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब में 12 करोड़ की हेरोइन जब्त:सीमा पार से आई नशे की खेप, बीएसएफ ने 5 हथियारों के साथ ड्रोन भी पकड़े
पंजाब में 12 करोड़ की हेरोइन जब्त:सीमा पार से आई नशे की खेप, बीएसएफ ने 5 हथियारों के साथ ड्रोन भी पकड़े पंजाब में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को बड़ी सफलता मिली है। अमृतसर और तरनतारन जिलों में सीमा पार से संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रख रही बीएसएफ की टीमों ने बुधवार को पांच ड्रोन, एक पिस्तौल और हेरोइन की खेप बरामद की। एक ही दिन में हुई इन बरामदगी ने सीमा सुरक्षा को लेकर बीएसएफ की कड़ी चौकसी और सक्रियता को दर्शाया है। बीएसएफ को इस कार्रवाई में उस समय सफलता मिली जब उन्हें एक विशेष सूचना मिली कि सीमा पार से नशीले पदार्थों और हथियारों की खेप पंजाब में भेजने की कोशिश की जा रही है। सूचना मिलने पर बीएसएफ ने अमृतसर और तरनतारन जिलों में कई जगहों पर गश्त बढ़ा दी। आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षण की मदद से बीएसएफ ने संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी और समय रहते इन कोशिशों को नाकाम कर दिया। चीनी निर्मित ड्रोन और हथियारों की जब्ती जांच के दौरान बीएसएफ को पांच ड्रोन मिले, जिनमें से सभी ड्रोन चीनी निर्मित हैं और इन्हें डीजेआई माविक क्लासिक और डीजेआई एयर 3 मॉडल के रूप में पहचाना गया। ड्रोन की तकनीकी जांच से यह पुष्टि होती है कि सीमा पार तस्करों द्वारा अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर भारतीय क्षेत्र में नशा और हथियार पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, बीएसएफ ने एक पिस्तौल भी बरामद की, जिसका संभावित रूप से तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों में उपयोग किया जाना था। हेरोइन के 3 पैकेट बरामद बीएसएफ ने इस कार्रवाई में 1.8 किलोग्राम हेरोइन भी बरामद की है। यह नशीला पदार्थ तीन पैकेट में विभाजित था और इसे ड्रोन के माध्यम से भारतीय सीमा में पहुंचाया जा रहा था। तस्करों की यह कोशिश बीएसएफ की सतर्कता के चलते नाकाम रही। पकड़ी गई खेप की इंटरनेशनल कीमत तकरीबन 12 करोड़ रुपए है। बीएसएफ की सतर्कता और राष्ट्रीय सुरक्षा की दिशा में एक अहम कदम बीएसएफ अधिकारियों ने बताया कि बीएसएफ पंजाब सीमा पर तस्करी और अवैध गतिविधियों पर कड़ी नजर बनाए हुए है। बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, हमारी टीमें हर समय सतर्क हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को किसी भी स्थिति में भंग नहीं होने देंगी। ड्रोन, नशीले पदार्थ और हथियारों की बरामदगी बीएसएफ की उस दृढ़ संकल्प का प्रमाण है जो हम सीमा की रक्षा के प्रति रखते हैं।
खेलों से स्वस्थ रहते हैं बच्चे : दलजीत
खेलों से स्वस्थ रहते हैं बच्चे : दलजीत नवांशहर | जेएसएफएच सीनियर सेकेंडरी स्कूल में चल रहीं 68वीं पंजाब स्टेट इंटर डिस्ट्रिक्ट स्कूल गेम्स के फुटबॉल टूर्नामेंट में स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बारे में जागरूक किया। यह आयोजन सिविल सर्जन डॉ. जसप्रीत कौर और सिविल सर्जन कार्यालय मास मीडिया विंग के उप समूह शिक्षा एवं सूचना अधिकारी तरसेम लाल के सहयोग से आयोजित किया। जानकारी देते हुए तरसेम लाल ने बताया कि 17 वर्षीय लड़कों के फुटबॉल टूर्नामेंट की शुरुआत हुई, जिसमें दलजीत सिंह बोला ने खिलाड़ियों को स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बारे में जागरूक किया। उन्होंने कहा कि खेल खेलने से जहां बच्चे स्वस्थ रहते हैं वहीं बच्चों का सर्वांगीण विकास भी होता है। इसलिए माता-पिता को स्कूल में समय से ही किसी ना किसी खेल में जरूर नाम लिखवाना चाहिए। तरसेम लाल ने कहा कि अगर हम स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी हिदायतों का पालन करें तो हम कई बीमारियों से बच सकते हैं। उन्होंने नशामुक्त भारत अभियान के तहत युवा पीढ़ी को नशे से दूर रहकर खेलों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर जिला गुरदासपुर के फुटबॉल कोच सोम लाल, रमन दीप फुटबॉल कोच, प्रदीप कुमार, रोशन दीप, सैमसी, जश्नप्रीत सिंह, विक्की, सरबजीत सिंह, पीटीआई/रेफरी अमरजीत व अन्य मौजूद रहे।
पंजाब में 32 साल पुराने मामले में SHO दोषी करार:स्वतंत्रता सेनानी ससुर-दामाद को गायब करने का मामला, नहर में फेंक दिए थे शव
पंजाब में 32 साल पुराने मामले में SHO दोषी करार:स्वतंत्रता सेनानी ससुर-दामाद को गायब करने का मामला, नहर में फेंक दिए थे शव करीब 32 साल पुराने अपहरण, अवैध हिरासत और गायब करने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने तरन तारन के सरहाली थाने के तत्कालीन एसएचओ सुरेंद्र पाल सिंह को दोषी करार दिया है। उन्हें धारा 120बी, 342, 364, 365 के दोषी पाया गया है। अदालत की तरफ से 23 दिसंबर को सजा सुनाई जाएगी। सुरिंदर पाल सिंह इस समय में एक अन्य मामले में सजा काट रहे हैं। वह जेल में बंद हैं। वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश हुए। पूछताछ के बहाने घर से बुलाकर ले गई थी पुलिस यह मामला 31 अक्तूबर 1992 का है। उस दिन शाम को सुखदेव सिंह वाइस प्रिंसिपल और उनके 80 वर्षीय ससुर सुलखन सिंह (भकना निवासी स्वतंत्रता सेनानी) को एएसआई अवतार सिंह की अगुआई वाली पुलिस टीम ने हिरासत में लिया था। अवतार सिंह ने परिवार वालों को बताया था कि सुखदेव सिंह और सुलखन सिंह को थाना प्रभारी सुरेंद्र पाल सिंह ने पूछताछ के लिए बुलाया है। फिर दोनों 3 दिनों तक थाने में रहे। सरहाली को तरन तारन में अवैध रूप से रखा गया था, जहां परिवार और अध्यापक यूनियन के सदस्यों ने उनसे मुलाकात की और उन्हें भोजन, कपड़े आदि प्रदान किए, लेकिन उसके बाद उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। पुलिस ने पहले झूठे केस में फंसाया इस मामले में सुखदेव सिंह की पत्नी सुखवंत कौर ने पुलिस के उच्च अधिकारियों से शिकायत की कि सुखदेव सिंह और सुलखन सिंह को आपराधिक मामलों में फंसाया गया है। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उस समय सुखदेव सिंह सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल लोपोके जिला अमृतसर में लेक्चरर उप प्रिंसिपल के रूप में कार्यरत थे और उनके ससुर सुलखन सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। वह स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बाबा सोहन सिंह भकना के करीबी सहयोगियों में से एक थे। पुलिस ने ऐसे बनाई मृत होने की कहानी इस मामले में पूर्व विधायक सतपाल डंग और विमला डंग ने भी पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को अलग-अलग पत्र लिखे थे और मुख्यमंत्री ने भी जवाब दिया था कि वे पुलिस हिरासत में नहीं हैं। साल 2003 में कुछ पुलिस कर्मियों ने सुखवंत कौर यानी सुखदेव सिंह की पत्नी से संपर्क किया और उनसे कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करवा लिए और कुछ दिनों के बाद उन्हें सुखदेव सिंह का मृत्यु प्रमाण पत्र सौंप दिया गया, जिसमें लिखा था कि उनकी मृत्यु 8 जुलाई 1993 को हुई थी। ऐसे चली थी यह लड़ाई परिवार को सूचित किया गया कि सुखदेव सिंह की यातना के दौरान मृत्यु हो गई और उनके शव को सुलखन सिंह के साथ हरिके नहर में फेंक दिया गया। सुखवंत कौर ने अपने पति और पिता के अपहरण, अवैध हिरासत और लापता होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट और पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। लेकिन नवंबर 1995 में एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़े पैमाने पर मृतकों के दाह-संस्कार के मामले की जांच करने के निर्देश सीबीआई को दिए। मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालड़ा ने खुलासा किया कि पंजाब पुलिस ने शवों को लावारिस मानकर अंतिम संस्कार कर दिया था। इसके बाद, प्रारंभिक जांच के दौरान, सीबीआई ने 20 नवंबर 1996 को सुखवंत कौर का बयान दर्ज किया और उसके बयान के आधार पर, 6 मार्च 1997 को एएसआई अवतार सिंह और एसआई सुरेंद्र पाल सिंह फिर एसएचओ सरहाली और अन्य के खिलाफ वर्ष 2000 में धारा 364/34 के तहत मामला दर्ज किया गया था। 1996 में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी। जिसे पटियाला कोर्ट ने 2002 में खारिज कर दिया और आगे की जांच का आदेश दिया। आखिरकार साल 2009 में सीबीआई ने सुरिंदर पाल और अवतार सिंह के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दायर किया। इसके बाद 2016 में अदालत में चार्जशीट दाखिल की। दोषी एसएचओ जेल में भुगत रहा है सजा दोषी सुरेंदरपाल सिंह तत्कालीन SHO जसवंत सिंह खालड़ा हत्याकांड में पहले से ही उम्र कैद की सजा काट रहा है। तरन तारन के जियो बाला गांव के परिवार के 4 सदस्यों के अपहरण और लापता होने के एक अन्य मामले में भी उन्हें 10 साल कैद की सजा सुनाई गई है।