हरियाणा में बीजेपी दिग्गजों के चुनाव लड़ने पर आज फैसला:CEC की मीटिंग से पहले केंद्रीय नेतृत्व लेगा राय; दिल्ली बुलाया, PM भी होंगे शामिल

हरियाणा में बीजेपी दिग्गजों के चुनाव लड़ने पर आज फैसला:CEC की मीटिंग से पहले केंद्रीय नेतृत्व लेगा राय; दिल्ली बुलाया, PM भी होंगे शामिल

हरियाणा में बीजेपी के दिग्गज विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इस पर आज फैसला होगा। विधानसभा टिकटों पर मंथन के लिए केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक से पहले पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उनकी राय लेगा। इसके लिए हरियाणा के सभी दिग्गज नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है। दिल्ली में होने वाली बैठक में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्‌टर, केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत और कृष्णपाल गुर्जर के साथ सूबे के राज्यसभा सांसद, पूर्व सांसद को दिल्ली बुलाया गया है। इस मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। उनके साथ लोकसभा चुनाव हार चुके डॉ. अरविंद शर्मा, मोहन लाल बड़ौली, डॉ. अशोक तंवर भी दिल्ली पहुंच गए हैं। लोकसभा टिकट कटने से अलग-थलग हुई सुनीता दुग्गल भी दिल्ली में ही हैं। वह भी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छुक हैं। 2019 में हारे दिग्गज भी टिकट की दौड़ में हरियाणा के 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कई दिग्गज नेता हार गए थे। इस बार पार्टी नेतृत्व इनको भी चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रहा है। इनमें पूर्व मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा, ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु, राव नरबीर, विपुल गोयल, कृष्ण बेदी, कविता जैन और मनीष ग्रोवर का नाम शामिल है। इन दिग्गजों को पार्टी नेतृत्व ने उनकी परंपरागत विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। CM सैनी 2 सीटों से लड़ सकते हैं चुनाव मुख्यमंत्री नायब सैनी सूबे की 2 विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं। वैसे केंद्रीय नेतृत्व ने उनके लिए 3 सीटें आरक्षित की हैं। सीएम सैनी नारायणगढ़ से विधायक रह चुके हैं, अभी वह करनाल से विधायक हैं। इन दोनों विधानसभा सीटों के अलावा मुख्यमंत्री सैनी के लिए लाडवा विधानसभा सीट भी सुरक्षित रखी गई है। इन तीनों सीटों की खास बात यह है कि यह सैनी बाहुल्य हैं। 21 सांसदों में से 12 ने चुनाव में हासिल की जीत बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को मैदान में उतारा था। पार्टी ने 21 सांसदों को टिकट दिया था। इनमें से 12 चुनाव जीत गए, जबकि 9 सांसदों को हार का सामना करना पड़ा। राजस्थान विधानसभा चुनाव में BJP ने अपने 7 भारी-भरकम सांसदों को मैदान में उतारा था, लेकिन 7 में से बीजेपी के 4 सांसद ही जीतें हैं, जबकि 3 हार गये। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अजमेर से सांसद भागीरथ चौधरी, अलवर से सांसद बाबा बालक नाथ, राजसमंद से सांसद दीया कुमारी, झुंझुनू से सांसद नरेंद्र कुमार, जालौर से सांसद देवजी पटेल और राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा को मैदान में उतारा था। वहीं मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सूबे की 7 ‘हॉट सीटों’ पर 7 सांसद-केंद्रीय मंत्री को बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें प्रहलाद सिंह पटेल, रीति पाठक, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय जैसे बड़े नाम शामिल थे। एमपी बीजेपी का यह प्रयोग सफल रहा था, और पार्टी के सभी दिग्गजों ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी दिग्गजों को क्यों लड़ाना चाहती है चुनाव… 10 सालों की एंटी इनकंबेंसी टूटेगी हरियाणा में बीजेपी 10 सालों से सत्ता में काबिज है। इस कारण से पार्टी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है। इसको तोड़ने के लिए बीजेपी हर संभव प्रयास कर रही है। यहां तक कि लोकसभा चुनाव से पहले सीएम चेहरे में भी पार्टी बदलाव कर चुकी है। इसलिए पार्टी ये प्लान कर रही है कि दिग्गजों के चेहरों पर दांव खेलना उसके लिए मुफीद रहेगा। बड़े चेहरों से बनेगा चुनावी माहौल हरियाणा बीजेपी में अभी बड़े चेहरों की कमी साफ दिखाई देती है। पार्टी के नेता भी इसको महसूस कर रहे हैं। मनोहर लाल खट्‌टर के दिल्ली चले जाने के बाद और अनिल विज के अंबाला कैंट तक में ही सीमित रहने से चुनाव में बड़े चेहरे नहीं दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में पार्टी इन दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारकर ये कमी दूर करना चाहती है।
दिग्गजों को टिकट देने के ये नुकसान… जिस सीट पर दावा करेंगे, वहां विरोध हो सकता है पार्टी भले ही दिग्गजों को चुनाव लड़ाने की सोच रही है, लेकिन इनका विरोध भी होगा। इसकी वजह यह है कि ये जहां से दावा ठोकेंगे उन सीटों पर 5 सालों से तैयारी कर रहे पार्टी के नेता नाराज हो सकते हैं। इस कारण से इन दिग्गजों का चुनाव में विरोध हो सकता है। भीतरघात की पूरी संभावना विरोध के साथ ही बीजेपी के दिग्गज नेताओं को भीतरघात भी झेलना पड़ सकता है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर पार्टी को भीतरघात के कारण हार का सामना करना पड़ा है। चुनाव के बाद हारे उम्मीदवारों ने सार्वजनिक रूप से भीतरघातियों को लेकर सवाल उठाए थे। बड़ौली और रणजीत चौटाला ने तो इसकी रिपोर्ट हाईकमान को सौंपी थी। जिसके बाद पार्टी स्तर पर ऐसे कुछ भीतर घातियों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई। बेटी के लिए हाईकमान का फैसला मान सकते हैं राव राव इंद्रजीत मौजूदा हालात में बेटी आरती राव को एडजेस्ट करने के लिए हाईकमान का कोई भी फैसला मान सकते हैं। राव इंद्रजीत सिंह ने बीजेपी से 6 सीटें मांगी थी। इसमें अटेली, नारनौल, कोसली, बावल, बादशाहपुर और पटौदी सीट शामिल हैं। राव इंद्रजीत की दावेदारी पर हाईकमान राव को अटेली, कोसली, बादशाहपुर और नारनौल सीट देने को तैयार है। जबकि पटौदी और बावल सीट पर पार्टी के ही किसी कार्यकर्ता जिस पर राव भी अपनी सहमति जता दे उसको लेकर बात कर रही है। राव इंद्रजीत सिंह ने लोकसभा चुनाव के वक्त कहा था मैं लोकसभा चुनाव ही लड़ूंगा, लेकिन भविष्य में अगर पार्टी जो भी जिम्मेदारी तय करेगी उसे निभाया जाएगा। हरियाणा में बीजेपी के दिग्गज विधानसभा चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इस पर आज फैसला होगा। विधानसभा टिकटों पर मंथन के लिए केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक से पहले पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उनकी राय लेगा। इसके लिए हरियाणा के सभी दिग्गज नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है। दिल्ली में होने वाली बैठक में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्‌टर, केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत और कृष्णपाल गुर्जर के साथ सूबे के राज्यसभा सांसद, पूर्व सांसद को दिल्ली बुलाया गया है। इस मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। उनके साथ लोकसभा चुनाव हार चुके डॉ. अरविंद शर्मा, मोहन लाल बड़ौली, डॉ. अशोक तंवर भी दिल्ली पहुंच गए हैं। लोकसभा टिकट कटने से अलग-थलग हुई सुनीता दुग्गल भी दिल्ली में ही हैं। वह भी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छुक हैं। 2019 में हारे दिग्गज भी टिकट की दौड़ में हरियाणा के 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कई दिग्गज नेता हार गए थे। इस बार पार्टी नेतृत्व इनको भी चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रहा है। इनमें पूर्व मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा, ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु, राव नरबीर, विपुल गोयल, कृष्ण बेदी, कविता जैन और मनीष ग्रोवर का नाम शामिल है। इन दिग्गजों को पार्टी नेतृत्व ने उनकी परंपरागत विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। CM सैनी 2 सीटों से लड़ सकते हैं चुनाव मुख्यमंत्री नायब सैनी सूबे की 2 विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं। वैसे केंद्रीय नेतृत्व ने उनके लिए 3 सीटें आरक्षित की हैं। सीएम सैनी नारायणगढ़ से विधायक रह चुके हैं, अभी वह करनाल से विधायक हैं। इन दोनों विधानसभा सीटों के अलावा मुख्यमंत्री सैनी के लिए लाडवा विधानसभा सीट भी सुरक्षित रखी गई है। इन तीनों सीटों की खास बात यह है कि यह सैनी बाहुल्य हैं। 21 सांसदों में से 12 ने चुनाव में हासिल की जीत बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को मैदान में उतारा था। पार्टी ने 21 सांसदों को टिकट दिया था। इनमें से 12 चुनाव जीत गए, जबकि 9 सांसदों को हार का सामना करना पड़ा। राजस्थान विधानसभा चुनाव में BJP ने अपने 7 भारी-भरकम सांसदों को मैदान में उतारा था, लेकिन 7 में से बीजेपी के 4 सांसद ही जीतें हैं, जबकि 3 हार गये। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में जयपुर ग्रामीण से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अजमेर से सांसद भागीरथ चौधरी, अलवर से सांसद बाबा बालक नाथ, राजसमंद से सांसद दीया कुमारी, झुंझुनू से सांसद नरेंद्र कुमार, जालौर से सांसद देवजी पटेल और राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा को मैदान में उतारा था। वहीं मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सूबे की 7 ‘हॉट सीटों’ पर 7 सांसद-केंद्रीय मंत्री को बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारा था। इनमें प्रहलाद सिंह पटेल, रीति पाठक, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय जैसे बड़े नाम शामिल थे। एमपी बीजेपी का यह प्रयोग सफल रहा था, और पार्टी के सभी दिग्गजों ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी दिग्गजों को क्यों लड़ाना चाहती है चुनाव… 10 सालों की एंटी इनकंबेंसी टूटेगी हरियाणा में बीजेपी 10 सालों से सत्ता में काबिज है। इस कारण से पार्टी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है। इसको तोड़ने के लिए बीजेपी हर संभव प्रयास कर रही है। यहां तक कि लोकसभा चुनाव से पहले सीएम चेहरे में भी पार्टी बदलाव कर चुकी है। इसलिए पार्टी ये प्लान कर रही है कि दिग्गजों के चेहरों पर दांव खेलना उसके लिए मुफीद रहेगा। बड़े चेहरों से बनेगा चुनावी माहौल हरियाणा बीजेपी में अभी बड़े चेहरों की कमी साफ दिखाई देती है। पार्टी के नेता भी इसको महसूस कर रहे हैं। मनोहर लाल खट्‌टर के दिल्ली चले जाने के बाद और अनिल विज के अंबाला कैंट तक में ही सीमित रहने से चुनाव में बड़े चेहरे नहीं दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में पार्टी इन दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारकर ये कमी दूर करना चाहती है।
दिग्गजों को टिकट देने के ये नुकसान… जिस सीट पर दावा करेंगे, वहां विरोध हो सकता है पार्टी भले ही दिग्गजों को चुनाव लड़ाने की सोच रही है, लेकिन इनका विरोध भी होगा। इसकी वजह यह है कि ये जहां से दावा ठोकेंगे उन सीटों पर 5 सालों से तैयारी कर रहे पार्टी के नेता नाराज हो सकते हैं। इस कारण से इन दिग्गजों का चुनाव में विरोध हो सकता है। भीतरघात की पूरी संभावना विरोध के साथ ही बीजेपी के दिग्गज नेताओं को भीतरघात भी झेलना पड़ सकता है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर पार्टी को भीतरघात के कारण हार का सामना करना पड़ा है। चुनाव के बाद हारे उम्मीदवारों ने सार्वजनिक रूप से भीतरघातियों को लेकर सवाल उठाए थे। बड़ौली और रणजीत चौटाला ने तो इसकी रिपोर्ट हाईकमान को सौंपी थी। जिसके बाद पार्टी स्तर पर ऐसे कुछ भीतर घातियों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई। बेटी के लिए हाईकमान का फैसला मान सकते हैं राव राव इंद्रजीत मौजूदा हालात में बेटी आरती राव को एडजेस्ट करने के लिए हाईकमान का कोई भी फैसला मान सकते हैं। राव इंद्रजीत सिंह ने बीजेपी से 6 सीटें मांगी थी। इसमें अटेली, नारनौल, कोसली, बावल, बादशाहपुर और पटौदी सीट शामिल हैं। राव इंद्रजीत की दावेदारी पर हाईकमान राव को अटेली, कोसली, बादशाहपुर और नारनौल सीट देने को तैयार है। जबकि पटौदी और बावल सीट पर पार्टी के ही किसी कार्यकर्ता जिस पर राव भी अपनी सहमति जता दे उसको लेकर बात कर रही है। राव इंद्रजीत सिंह ने लोकसभा चुनाव के वक्त कहा था मैं लोकसभा चुनाव ही लड़ूंगा, लेकिन भविष्य में अगर पार्टी जो भी जिम्मेदारी तय करेगी उसे निभाया जाएगा।   हरियाणा | दैनिक भास्कर