महाकुंभ में कई करोड़ जाली करेंसी खपाने की तैयारी थी:मदरसे के बच्चों से नकली नोटों से मंगाते थे सारे सामान, जिस मदरसे में धंधा, वहां कई राज्यों के छात्र

महाकुंभ में कई करोड़ जाली करेंसी खपाने की तैयारी थी:मदरसे के बच्चों से नकली नोटों से मंगाते थे सारे सामान, जिस मदरसे में धंधा, वहां कई राज्यों के छात्र

यूपी के प्रयागराज में फेंक करेंसी यानि नकली नोट छापने वाले गिरोह का भंडाफोड़ होने के बाद कई सनसनीखेज राज खुल रहे हैं। 100-100 की जाली करेंसी मदरसे के अंदर छापने वाले शातिर प्रयागराज में जनवरी 2025 में लगने वाले महाकुंभ को लेकर खास तैयारी में थे। शातिर अखबारों, टीवी चैनलों पर देखते रहे हैं कि इस बार महाकुंभ में 40 करोड़ लोग प्रयागराज आएंगे। ऐसे में करोड़ों की भीड़ के बीच प्रयागराज जाली करेंसी खपाना आसान होगा। डेढ़ महीने के मेले में ही वह कई करोड़ रुपये कमाने की फिराक में थे। ऐसे में अभी से नोट छापने वाले पेपर यानि शीट का इंतजाम बड़े पैमाने पर करने लगे थे। मदरसे के छात्रों से जाली करेंसी कैश कराया था
चूंकि इस काले धंधे में मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिदे आजम का प्रिंसिपल मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन खुद इस काले कारोबार शामिल था इसलिए वह मदरसे के बच्चों को भी बिना बताए धंधे में शामिल कर लेता था। पूछताछ में शातिरों ने पुलिस अधिकारियों को बतााय कि वह अपनी जरूरत के पैसों को बच्चों के जरिये ही कैश करा लेते थे। नकली नोट लेकर बाजार में भेजते घर का सामान, जरूरत का सामान फेंक करेंसी से मंगा लेते। छोटे बच्चे अंधेरा होने के बाद भीड़भाड़ वाली दुकानों पर जाकर नकली नोट से सामान खरीद लाते। हालांकि बच्चों को नहीं पता था कि वह जो नोट लेकर जा रहे हैं वह नकली है। चारों शातिर त्योहारों की भीड़ पर ज्यादा से ज्यादा जाली करेंसी खपाने की कोशिश में लग जाते थे। मौवली की पढ़ाई से प्रिंसिपल तक का सफर तय करने वाले मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन के पिता भी इसी मदरसे के प्रिंसिपल रहे हैं। उनकी मौत के बाद कुर्सी इसे मिल गई तो वह गलत धंधों में उतर आया। शहर के पॉश इलाके अतरसुइया में स्थित इस मदरसे की 7 साल पहले तक बहुत ही अच्छी थी। तब यह मदरसा मौलाना हबीबुर्रहमान की देखरेख में संचालित होता था। आठ साल पहले उन्होंने शासन को लिखकर दे दिया था कि वह इस मदरसे को नहीं देख सकते। मान्यता प्राप्त इस मदरसे को पहले सरकारी खर्च मिलता था। 7 साल से ग्रांट मिलनी बंद हो गई थी। मदरसे में करीब 70 बच्चे पढ़ाई करते हैं। यहां बच्चों की रिहायश और खाने पीने का भी इंतजाम है। बच्चों के रहने के लिए कमरे यानि हॉस्टल हैं। इस मदरसे में यूपी के अलावा बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल तक के बच्चे शिक्षा लेने आते हैं। जानिये मदरसे में नकली नोट छापने की क्या है कहानी यूपी में प्रयागराज के एक मदरसे में 100-100 रुपए के जाली नोट छापे जा रहे थे। पुलिस ने यहां से 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें एक ओडिशा का रहने वाला है। इनके पास से 1.30 लाख की फेक करेंसी बरामद की गई है। गिरफ्तार आरोपियों में मदरसे का मौलवी मोहम्मद तफसीरूल भी शामिल है। DCP सिटी दीपक भूकर ने बताया- मामला अतरसुइया इलाके के मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिदे आजम का है। मशीन में फंसे मिले जाली नोटDCP ने बताया- मुखबिर ने हमें सूचना दी थी कि मदरसे में संदिग्ध एक्टिविटी है। यहां बाहरी लोगों का आना-जाना है। इसके बाद हमने जांच तेज की। मदरसे से जुड़ा मामला था, इसलिए पूरी सावधानी बरती गई। जब हमें कन्फर्म हो गया कि मदरसे में कुछ गलत हो रहा है, तब यहां रेड की गई। इस दौरान हमें वहां प्रिंटिंग मशीन में नोट छापते हुए तीन लोग मिले। पूछताछ में उन्होंने मदरसे के प्रिंसिपल की संलिप्तता कबूल की। इसके बाद प्रिंसिपल को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। ओडिशा का जाहिर खान गिरोह का मास्टरमाइंड
आरोपियों में प्रयागराज के कौली थाना क्षेत्र के अंधीपुर रोड गौसनगर का रहने वाला मो. अफजल (18) पुत्र मोईद अहमद और मोहम्मद शाहिद (18) पुत्र अब्दुल गफ्फार गिरफ्तार किए गए हैं। इसके अलावा ओडिशा का जाहिर खान उर्फ अब्दुल जाहिर पुत्र साजिद खान (23) और अतरसुईया थाना का मोहम्मद तफसीरूल (25) आरीफीन पुत्र आशिकुल रहमान पकड़ा गया है। जेब से मिलीं नकली नोटों की गडि्डयां
छापेमारी के दौरान मोहम्मद अफजल के कुर्ते की बाईं जेब से 100-100 के नोट की दो गड्डियां बरामद की गई हैं। इसी तरह मोहम्मद शाहिद के पैंट की जेब से नोट बरामद हुए। इसके अलावा 234 पेज छपे हुआ बिना कटे नोट, एक लैपटॉप,एक कलर प्रिंटर व अन्य उपकरण व सामग्री बरामद हुए हैं। मदरसे की छुट्टी के बाद छापे जाते थे नोट
​​​​​​​पुलिस इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि ओडिशा का जाहिर खान नकली नोट बनाने में माहिर है। वही गैंग का मास्टरमाइंड है। मदरसे में उसे अलग से एक कमरा दिया गया था। बच्चों की छुट्टी के बाद वह प्रिंटिंग मशीन से नोट छापता था। इसके बाद नोटों की सफाई और कटिंग की जाती थी। इस काम में अफजल उसका साथ देता था। मदरसे में करीब 3 महीने से नकली नोट छापे जा रहे थे। इस काम में जाहिर ने ओडिशा के भद्रक में रहने वाले अपने भाई से मदद ली थी। उसका भाई पहले प्रयागराज में आधार कार्ड बनाने का काम करता था। उसने ही स्कैनर और प्रिंटिंग मशीन लाकर दी थी। इलाके के बाजार में नकली नोटों का ट्रायल करते थे आरोपी
प​​​​​कड़े गए आरोपियों ने बताया कि ये लोग नोट छापने के बाद प्रयागराज के मार्केट में इसका ट्रायल करते थे। इन्होंने आसपास के अतरमुईया, कीडगंज, खुल्दाबाद क्षेत्रों में ये नोट चलाए हैं। आरोपियों ने बताया कि 100 रुपए का नोट आसानी से चल जाता है। इसलिए यही छापते थे। लोगों को बेचते थे 100 रुपए में 3 नोट
​​​​​​​आरोपियों ने बताया कि मदरसे के मौलवी तफसीरूल की शह पर नकली नोट बनाने का धंधा चल रहा था। उसे इसके लिए हिस्सा मिलता था। लेकिन कितना शेयर था, इसकी जानकारी पुलिस ने नहीं दी है। पुलिस ने बताया- गिरोह के लोग युवा लड़कों को टारगेट बनाते थे। उन्हें 100 रुपए के असली नोट के एवज में 3 नकली नोट दिए जाते थे। इस तरह पूरा सिंडिकेट काम कर रहा था। DCP सिटी दीपक भूकर ने बताया- आरोपी छह माह से प्रयागराज में नोट छापने का काम कर रहे थे। 1.30 लाख की नकली नोट मिले हैं। शीट इतनी है है कि चार लाख की और जाली करेंसी छप जाती। शहर में अब तक कितनी जाली करेंसी खपा चुके हैं, इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है। इतना साफ है कि पांच लाख के नोट मार्केट में उतार दिए थे। हालांकि पूछताछ में बोल रहे हैं कि ज्यादा नहीं छापा था। एक से दो लाख रुपए बाजार में खपाने की बात कबूल कर रहे हैं। पूरे मामले में जांच की जा रही है। सिंडिकेट में और भी लोग शामिल हो सकते हैं। इन्होंने अब तक कहां-कहां नोटों की सप्लाई की है यह पता लगाया जा रहा है। उड़ीसा से आए युवक का बैकग्राउंड खंगाला जा रहा है। यूपी के प्रयागराज में फेंक करेंसी यानि नकली नोट छापने वाले गिरोह का भंडाफोड़ होने के बाद कई सनसनीखेज राज खुल रहे हैं। 100-100 की जाली करेंसी मदरसे के अंदर छापने वाले शातिर प्रयागराज में जनवरी 2025 में लगने वाले महाकुंभ को लेकर खास तैयारी में थे। शातिर अखबारों, टीवी चैनलों पर देखते रहे हैं कि इस बार महाकुंभ में 40 करोड़ लोग प्रयागराज आएंगे। ऐसे में करोड़ों की भीड़ के बीच प्रयागराज जाली करेंसी खपाना आसान होगा। डेढ़ महीने के मेले में ही वह कई करोड़ रुपये कमाने की फिराक में थे। ऐसे में अभी से नोट छापने वाले पेपर यानि शीट का इंतजाम बड़े पैमाने पर करने लगे थे। मदरसे के छात्रों से जाली करेंसी कैश कराया था
चूंकि इस काले धंधे में मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिदे आजम का प्रिंसिपल मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन खुद इस काले कारोबार शामिल था इसलिए वह मदरसे के बच्चों को भी बिना बताए धंधे में शामिल कर लेता था। पूछताछ में शातिरों ने पुलिस अधिकारियों को बतााय कि वह अपनी जरूरत के पैसों को बच्चों के जरिये ही कैश करा लेते थे। नकली नोट लेकर बाजार में भेजते घर का सामान, जरूरत का सामान फेंक करेंसी से मंगा लेते। छोटे बच्चे अंधेरा होने के बाद भीड़भाड़ वाली दुकानों पर जाकर नकली नोट से सामान खरीद लाते। हालांकि बच्चों को नहीं पता था कि वह जो नोट लेकर जा रहे हैं वह नकली है। चारों शातिर त्योहारों की भीड़ पर ज्यादा से ज्यादा जाली करेंसी खपाने की कोशिश में लग जाते थे। मौवली की पढ़ाई से प्रिंसिपल तक का सफर तय करने वाले मोहम्मद तफसीरुल आरीफीन के पिता भी इसी मदरसे के प्रिंसिपल रहे हैं। उनकी मौत के बाद कुर्सी इसे मिल गई तो वह गलत धंधों में उतर आया। शहर के पॉश इलाके अतरसुइया में स्थित इस मदरसे की 7 साल पहले तक बहुत ही अच्छी थी। तब यह मदरसा मौलाना हबीबुर्रहमान की देखरेख में संचालित होता था। आठ साल पहले उन्होंने शासन को लिखकर दे दिया था कि वह इस मदरसे को नहीं देख सकते। मान्यता प्राप्त इस मदरसे को पहले सरकारी खर्च मिलता था। 7 साल से ग्रांट मिलनी बंद हो गई थी। मदरसे में करीब 70 बच्चे पढ़ाई करते हैं। यहां बच्चों की रिहायश और खाने पीने का भी इंतजाम है। बच्चों के रहने के लिए कमरे यानि हॉस्टल हैं। इस मदरसे में यूपी के अलावा बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल तक के बच्चे शिक्षा लेने आते हैं। जानिये मदरसे में नकली नोट छापने की क्या है कहानी यूपी में प्रयागराज के एक मदरसे में 100-100 रुपए के जाली नोट छापे जा रहे थे। पुलिस ने यहां से 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें एक ओडिशा का रहने वाला है। इनके पास से 1.30 लाख की फेक करेंसी बरामद की गई है। गिरफ्तार आरोपियों में मदरसे का मौलवी मोहम्मद तफसीरूल भी शामिल है। DCP सिटी दीपक भूकर ने बताया- मामला अतरसुइया इलाके के मदरसा जामिया हबीबिया मस्जिदे आजम का है। मशीन में फंसे मिले जाली नोटDCP ने बताया- मुखबिर ने हमें सूचना दी थी कि मदरसे में संदिग्ध एक्टिविटी है। यहां बाहरी लोगों का आना-जाना है। इसके बाद हमने जांच तेज की। मदरसे से जुड़ा मामला था, इसलिए पूरी सावधानी बरती गई। जब हमें कन्फर्म हो गया कि मदरसे में कुछ गलत हो रहा है, तब यहां रेड की गई। इस दौरान हमें वहां प्रिंटिंग मशीन में नोट छापते हुए तीन लोग मिले। पूछताछ में उन्होंने मदरसे के प्रिंसिपल की संलिप्तता कबूल की। इसके बाद प्रिंसिपल को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। ओडिशा का जाहिर खान गिरोह का मास्टरमाइंड
आरोपियों में प्रयागराज के कौली थाना क्षेत्र के अंधीपुर रोड गौसनगर का रहने वाला मो. अफजल (18) पुत्र मोईद अहमद और मोहम्मद शाहिद (18) पुत्र अब्दुल गफ्फार गिरफ्तार किए गए हैं। इसके अलावा ओडिशा का जाहिर खान उर्फ अब्दुल जाहिर पुत्र साजिद खान (23) और अतरसुईया थाना का मोहम्मद तफसीरूल (25) आरीफीन पुत्र आशिकुल रहमान पकड़ा गया है। जेब से मिलीं नकली नोटों की गडि्डयां
छापेमारी के दौरान मोहम्मद अफजल के कुर्ते की बाईं जेब से 100-100 के नोट की दो गड्डियां बरामद की गई हैं। इसी तरह मोहम्मद शाहिद के पैंट की जेब से नोट बरामद हुए। इसके अलावा 234 पेज छपे हुआ बिना कटे नोट, एक लैपटॉप,एक कलर प्रिंटर व अन्य उपकरण व सामग्री बरामद हुए हैं। मदरसे की छुट्टी के बाद छापे जाते थे नोट
​​​​​​​पुलिस इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि ओडिशा का जाहिर खान नकली नोट बनाने में माहिर है। वही गैंग का मास्टरमाइंड है। मदरसे में उसे अलग से एक कमरा दिया गया था। बच्चों की छुट्टी के बाद वह प्रिंटिंग मशीन से नोट छापता था। इसके बाद नोटों की सफाई और कटिंग की जाती थी। इस काम में अफजल उसका साथ देता था। मदरसे में करीब 3 महीने से नकली नोट छापे जा रहे थे। इस काम में जाहिर ने ओडिशा के भद्रक में रहने वाले अपने भाई से मदद ली थी। उसका भाई पहले प्रयागराज में आधार कार्ड बनाने का काम करता था। उसने ही स्कैनर और प्रिंटिंग मशीन लाकर दी थी। इलाके के बाजार में नकली नोटों का ट्रायल करते थे आरोपी
प​​​​​कड़े गए आरोपियों ने बताया कि ये लोग नोट छापने के बाद प्रयागराज के मार्केट में इसका ट्रायल करते थे। इन्होंने आसपास के अतरमुईया, कीडगंज, खुल्दाबाद क्षेत्रों में ये नोट चलाए हैं। आरोपियों ने बताया कि 100 रुपए का नोट आसानी से चल जाता है। इसलिए यही छापते थे। लोगों को बेचते थे 100 रुपए में 3 नोट
​​​​​​​आरोपियों ने बताया कि मदरसे के मौलवी तफसीरूल की शह पर नकली नोट बनाने का धंधा चल रहा था। उसे इसके लिए हिस्सा मिलता था। लेकिन कितना शेयर था, इसकी जानकारी पुलिस ने नहीं दी है। पुलिस ने बताया- गिरोह के लोग युवा लड़कों को टारगेट बनाते थे। उन्हें 100 रुपए के असली नोट के एवज में 3 नकली नोट दिए जाते थे। इस तरह पूरा सिंडिकेट काम कर रहा था। DCP सिटी दीपक भूकर ने बताया- आरोपी छह माह से प्रयागराज में नोट छापने का काम कर रहे थे। 1.30 लाख की नकली नोट मिले हैं। शीट इतनी है है कि चार लाख की और जाली करेंसी छप जाती। शहर में अब तक कितनी जाली करेंसी खपा चुके हैं, इसका अंदाजा ही लगाया जा सकता है। इतना साफ है कि पांच लाख के नोट मार्केट में उतार दिए थे। हालांकि पूछताछ में बोल रहे हैं कि ज्यादा नहीं छापा था। एक से दो लाख रुपए बाजार में खपाने की बात कबूल कर रहे हैं। पूरे मामले में जांच की जा रही है। सिंडिकेट में और भी लोग शामिल हो सकते हैं। इन्होंने अब तक कहां-कहां नोटों की सप्लाई की है यह पता लगाया जा रहा है। उड़ीसा से आए युवक का बैकग्राउंड खंगाला जा रहा है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर