गोवत्स द्वादशी पर महिलाओं ने मंदिरों में की गौ पूजा, मान्यता: मिलता है देवताओं का आशीर्वाद

गोवत्स द्वादशी पर महिलाओं ने मंदिरों में की गौ पूजा, मान्यता: मिलता है देवताओं का आशीर्वाद

भास्कर न्यूज | अमृतसर गोवत्स द्वादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को गोवत्स के रूप में मनाया जाता है। वहीं गोवत्स द्वादशी को नंदिनी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। नंदिनी हिंदू धर्म में दिव्य गाय है। इस दिन गाय, बछड़े की पूजा करने का विधान है। जिसमें पूजा करने के बाद गाय बछड़े को गेहूं से बना भोजन खाने को देना चाहिए। इस दिन गाय के दूध और गेहूं से बने उत्पादों का प्रयोग और कटे फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। शहर की महिलाओं ने शुक्रवार को गाय बछड़े की पूजा अर्चना करके व्रत रखा। कई महिलाएं अपने घरों के आस-पास तो कई मंदिरों में गाय बछड़े की पूजा करने पहुंची। दुर्ग्याणा तीर्थ के पाव सरोवर के किनारे बैठकर महिलाओं ने बड़े बुजुर्गों से गाय बछड़े की कथा सुनी। इसी दौरान उन्होंने आटे का गाय बछड़ा बनाकर उनकी पूजा अर्चना की। पूजा के बाद गोवत्स की कथा सुनकर ब्राह्मणों को फल दिया गया। मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ करने से भगवान कृष्ण बेहद प्रसन्न होते हैं और संतान के हर संकट से रक्षा करते हैं। यही नहीं नि:संतान को संतान सुख का भी आशीर्वाद मिलता है। गाय में 84 लाख देवी-देवताओं का वास होता है और जो लोग गोवत्स द्वादशी पर गायों की पूजा करते हैं उन्हें सभी 84 लाख देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। भास्कर न्यूज | अमृतसर गोवत्स द्वादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को गोवत्स के रूप में मनाया जाता है। वहीं गोवत्स द्वादशी को नंदिनी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। नंदिनी हिंदू धर्म में दिव्य गाय है। इस दिन गाय, बछड़े की पूजा करने का विधान है। जिसमें पूजा करने के बाद गाय बछड़े को गेहूं से बना भोजन खाने को देना चाहिए। इस दिन गाय के दूध और गेहूं से बने उत्पादों का प्रयोग और कटे फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। शहर की महिलाओं ने शुक्रवार को गाय बछड़े की पूजा अर्चना करके व्रत रखा। कई महिलाएं अपने घरों के आस-पास तो कई मंदिरों में गाय बछड़े की पूजा करने पहुंची। दुर्ग्याणा तीर्थ के पाव सरोवर के किनारे बैठकर महिलाओं ने बड़े बुजुर्गों से गाय बछड़े की कथा सुनी। इसी दौरान उन्होंने आटे का गाय बछड़ा बनाकर उनकी पूजा अर्चना की। पूजा के बाद गोवत्स की कथा सुनकर ब्राह्मणों को फल दिया गया। मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ करने से भगवान कृष्ण बेहद प्रसन्न होते हैं और संतान के हर संकट से रक्षा करते हैं। यही नहीं नि:संतान को संतान सुख का भी आशीर्वाद मिलता है। गाय में 84 लाख देवी-देवताओं का वास होता है और जो लोग गोवत्स द्वादशी पर गायों की पूजा करते हैं उन्हें सभी 84 लाख देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।   पंजाब | दैनिक भास्कर