भास्कर न्यूज | अमृतसर गुरुओं के सिद्धांत सिखों के व्यक्तिगत जीवन के साथ पंथ नेतृत्व को आकार देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। पंथ विरोधी ताकतें सिखों की इस विरासत और सिद्धांतों को नुकसान पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। यह विचार एसजीपीसी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने गुरु रामदास की 450वें गुरुआई दिवस और श्री गुरु अमरदास की के 450वें ज्योति जोत दिवस शताब्दी समागम के मौके पर खालसा कॉलेज में आयोजित सेमिनार के दौरान व्यक्त किए। यह सेमिनार धर्म प्रचार कमेटी की तरफ से हुआ। प्रधान ने कहा कि गुरुओं ने विश्व के धार्मिक इतिहास में एक अनूठी विचारधारा दी। आज जब सिख समुदाय तीसरे और चौथे गुरु साहिब जी से संबंधित दो महत्वपूर्ण शताब्दी मना रहा है, तो यह कौमी कर्तव्य है कि गुरुओं द्वारा सिख धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए किए गए संस्थागत प्रयासों को अपनी दिशा में आगे बढ़ाया जाए। प्रधान ने धार्मिक और सांप्रदायिक सौहार्द की चर्चा करते हुए कहा कि आज मीरी-पीरी का सिख सिद्धांत विरोधियों को चुभ रहा है। उनका सारा जोर श्री अकाल तख्त साहिब और सिख संगठन शिरोमणि कमेटी को एक-दूसरे से दूर करने पर है। उन्होंने संगत से अपील की कि हमें जहां हमें पंथक पहरेदारी करनी है, वहीं समाज को बांटने वाली ताकतों से भी लड़ना है। समागम के मौके सचखंड श्री हरिमंदर साहिब के ग्रंथी सिंह साहिब ज्ञानी परविंदरपाल सिंह, प्रसिद्ध सिख विद्वान डॉ. हरभजन सिंह देहरादून, डॉ. परमवीर सिंह पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला और डॉ. इंद्रजीत सिंह गोगोआनी प्रिंसिपल खालसा कॉलेज सीनियर सेकेंडरी स्कूल ने श्री गुरु रामदास जी के जीवन और विचारधारा के बारे में महत्वपूर्ण और शोधपूर्ण विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने कहा कि गुरु के पवित्र वाणी से मानव जीवन के विकास की सर्वांगीण शिक्षा मिलती है। उन्होंने गुरबाणी के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ इतिहास में श्री अमृतसर शहर की विशिष्टता के बारे में उभरते विचारों को साझा किया। विद्वान वक्ताओं ने कहा कि दुनिया भर में रहने वाले सिखों के लिए श्री गुरु रामदास जी द्वारा बसाई नगरी श्री अमृतसर साहिब बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां स्थित सचखंड श्री हरमंदिर साहिब हर सिख के दिल में धड़कता है। इससे पहले खालसा कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. महल सिंह ने स्वागत भाषण देकर सेमिनार की शुरुआत की। सेमिनार के दौरान कमेटी के अध्यक्ष वकील धामी, महासचिव भाई राजिंदर सिंह मेहता और धर्म प्रचार कमेटी के सचिव बलविंदर सिंह काहलवां ने प्रमुख हस्तियों और वक्ताओं को सम्मानित किया। इसके अलावा, धर्म प्रचार समिति और सिख धर्म अध्ययन पत्राचार पाठ्यक्रम द्वारा आयोजित धार्मिक परीक्षा में अग्रणी स्थान हासिल करने वाले बच्चों को भी छात्रवृत्ति राशि से सम्मानित किया गया। सेमिनार में एसजीपीसी के महासचिव भाई राजिंदर सिंह मेहता, मेंबर भाई गुरचरण सिंह ग्रेवाल, एडवोकेट भगवंत सिंह स्यालका, सुरजीत सिंह भिट्टेवड्ड, गुरमीत सिंह बूह, सुरजीत सिंह तुगलवाल, सतपाल सिंह तलवंडी भाई दर्शन सिंह शेरखां, अमरीक सिंह शाहपुर, बीबी किरनजोत कौर, धर्म प्रचार कमेटी के में भाई अजय सिंह प्रकाशसी, सुखवर्ष सिंह पन्नू, ओएसडी सतबीर सिंह धामी, सचिव बलविंदर सिंह काहलवां, उप सचिव शाहबाज सिंह, हरभजन सिंह वक्ता आदि मौजूद थे। भास्कर न्यूज | अमृतसर गुरुओं के सिद्धांत सिखों के व्यक्तिगत जीवन के साथ पंथ नेतृत्व को आकार देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। पंथ विरोधी ताकतें सिखों की इस विरासत और सिद्धांतों को नुकसान पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। यह विचार एसजीपीसी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने गुरु रामदास की 450वें गुरुआई दिवस और श्री गुरु अमरदास की के 450वें ज्योति जोत दिवस शताब्दी समागम के मौके पर खालसा कॉलेज में आयोजित सेमिनार के दौरान व्यक्त किए। यह सेमिनार धर्म प्रचार कमेटी की तरफ से हुआ। प्रधान ने कहा कि गुरुओं ने विश्व के धार्मिक इतिहास में एक अनूठी विचारधारा दी। आज जब सिख समुदाय तीसरे और चौथे गुरु साहिब जी से संबंधित दो महत्वपूर्ण शताब्दी मना रहा है, तो यह कौमी कर्तव्य है कि गुरुओं द्वारा सिख धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए किए गए संस्थागत प्रयासों को अपनी दिशा में आगे बढ़ाया जाए। प्रधान ने धार्मिक और सांप्रदायिक सौहार्द की चर्चा करते हुए कहा कि आज मीरी-पीरी का सिख सिद्धांत विरोधियों को चुभ रहा है। उनका सारा जोर श्री अकाल तख्त साहिब और सिख संगठन शिरोमणि कमेटी को एक-दूसरे से दूर करने पर है। उन्होंने संगत से अपील की कि हमें जहां हमें पंथक पहरेदारी करनी है, वहीं समाज को बांटने वाली ताकतों से भी लड़ना है। समागम के मौके सचखंड श्री हरिमंदर साहिब के ग्रंथी सिंह साहिब ज्ञानी परविंदरपाल सिंह, प्रसिद्ध सिख विद्वान डॉ. हरभजन सिंह देहरादून, डॉ. परमवीर सिंह पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला और डॉ. इंद्रजीत सिंह गोगोआनी प्रिंसिपल खालसा कॉलेज सीनियर सेकेंडरी स्कूल ने श्री गुरु रामदास जी के जीवन और विचारधारा के बारे में महत्वपूर्ण और शोधपूर्ण विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने कहा कि गुरु के पवित्र वाणी से मानव जीवन के विकास की सर्वांगीण शिक्षा मिलती है। उन्होंने गुरबाणी के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ इतिहास में श्री अमृतसर शहर की विशिष्टता के बारे में उभरते विचारों को साझा किया। विद्वान वक्ताओं ने कहा कि दुनिया भर में रहने वाले सिखों के लिए श्री गुरु रामदास जी द्वारा बसाई नगरी श्री अमृतसर साहिब बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां स्थित सचखंड श्री हरमंदिर साहिब हर सिख के दिल में धड़कता है। इससे पहले खालसा कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. महल सिंह ने स्वागत भाषण देकर सेमिनार की शुरुआत की। सेमिनार के दौरान कमेटी के अध्यक्ष वकील धामी, महासचिव भाई राजिंदर सिंह मेहता और धर्म प्रचार कमेटी के सचिव बलविंदर सिंह काहलवां ने प्रमुख हस्तियों और वक्ताओं को सम्मानित किया। इसके अलावा, धर्म प्रचार समिति और सिख धर्म अध्ययन पत्राचार पाठ्यक्रम द्वारा आयोजित धार्मिक 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