हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में आज आर्थिक संकट को लेकर तपिश देखने को मिल सकती है। कांग्रेस विधायक भवानी पठानिया, केवल सिंह पठानिया और चंद्रशेखर ने पहले ही आर्थिक स्थिति पर चर्चा के लिए पहले ही नोटिस दे रखा है। विपक्ष भी आज इस मसले पर सदन में चर्चा मांग सकता है। प्रदेश की आर्थिक स्थिति प्रतिदिन बिगड़ रही है। इससे कर्मचारियों व पेंशनर की सैलरी-पेंशन पर भी संकट आ गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, कैबिनेट मंत्री और सीपीएस 2 महीने देरी से सैलरी का ऐलान कर चुके हैं। पहली बार ऐसा हुआ है जब कर्मचारी-पेंशनर को पहली तारीख को सैलरी-पेंशन नहीं मिल पाई। इसकी गूंज आज सदन में सुनाई दे सकती है। इससे पहले सदन की कार्यवाही दोपहर बाद 2 बजे प्रश्नकाल से शुरू होगी। प्रश्नकाल में हिमाचल-पंजाब की सीमा पर जेजों खड्ड में 11 लोगों की मौत और पुल बनाने का मामला गूंज सकता है। यह सवाल ऊना से विधायक सत्तपाल सत्ती ने लगाया है। इसी तरह आज ज्यादातर प्रश्न PWD, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े हुए पूछे गए है। बिगड़ती कानून व्यवस्था पर BJP के 4 विधायक रखेंगे अपनी बात इसके बाद सदन में कुछ विधेयक पेश किए जाएंगे। आखिर में सदन में कानून व्यवस्था और आपदा को लेकर तपिश देखने को मिलेगी। विपक्ष ने इसे लेकर सदन में चर्चा मांग रखी है। बिगड़ती कानून व्यवस्था पर भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल, बलवीर वर्मा, सुखराम चौधरी और राकेश जम्वाल अपनी बात रखेंगे। वहीं आपदा पर बीते मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर द्वारा लाई गई चर्चा में आज दूसरे विधायक भी शामिल होंगे और मानसून के दौरान अपने- अपने क्षेत्रों में हुई तबाही को लेकर सदन में बात करेंगे। चर्चा खत्म पर मुख्यमंत्री सुक्खू इसका जवाब देंगे। हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र में आज आर्थिक संकट को लेकर तपिश देखने को मिल सकती है। कांग्रेस विधायक भवानी पठानिया, केवल सिंह पठानिया और चंद्रशेखर ने पहले ही आर्थिक स्थिति पर चर्चा के लिए पहले ही नोटिस दे रखा है। विपक्ष भी आज इस मसले पर सदन में चर्चा मांग सकता है। प्रदेश की आर्थिक स्थिति प्रतिदिन बिगड़ रही है। इससे कर्मचारियों व पेंशनर की सैलरी-पेंशन पर भी संकट आ गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, कैबिनेट मंत्री और सीपीएस 2 महीने देरी से सैलरी का ऐलान कर चुके हैं। पहली बार ऐसा हुआ है जब कर्मचारी-पेंशनर को पहली तारीख को सैलरी-पेंशन नहीं मिल पाई। इसकी गूंज आज सदन में सुनाई दे सकती है। इससे पहले सदन की कार्यवाही दोपहर बाद 2 बजे प्रश्नकाल से शुरू होगी। प्रश्नकाल में हिमाचल-पंजाब की सीमा पर जेजों खड्ड में 11 लोगों की मौत और पुल बनाने का मामला गूंज सकता है। यह सवाल ऊना से विधायक सत्तपाल सत्ती ने लगाया है। इसी तरह आज ज्यादातर प्रश्न PWD, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े हुए पूछे गए है। बिगड़ती कानून व्यवस्था पर BJP के 4 विधायक रखेंगे अपनी बात इसके बाद सदन में कुछ विधेयक पेश किए जाएंगे। आखिर में सदन में कानून व्यवस्था और आपदा को लेकर तपिश देखने को मिलेगी। विपक्ष ने इसे लेकर सदन में चर्चा मांग रखी है। बिगड़ती कानून व्यवस्था पर भाजपा विधायक त्रिलोक जम्वाल, बलवीर वर्मा, सुखराम चौधरी और राकेश जम्वाल अपनी बात रखेंगे। वहीं आपदा पर बीते मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर द्वारा लाई गई चर्चा में आज दूसरे विधायक भी शामिल होंगे और मानसून के दौरान अपने- अपने क्षेत्रों में हुई तबाही को लेकर सदन में बात करेंगे। चर्चा खत्म पर मुख्यमंत्री सुक्खू इसका जवाब देंगे। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की खैर नहीं:2345 लाइसेंस धारकों पर लटकी तलवार, शिमला के सबसे ज्यादा मामले
हिमाचल में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की खैर नहीं:2345 लाइसेंस धारकों पर लटकी तलवार, शिमला के सबसे ज्यादा मामले हिमाचल प्रदेश में पुलिस विभाग ने शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर शिकंजा कसने के लिए तैयारी कर ली है। इसके लिए पुलिस एक विशेष अभियान शुरू कर दिया है। पुलिस द्वारा शुरू किया गया अभियान 23 सितंबर से आगामी 29 सितंबर तक चलेगा। इसका उद्देश्य विशेष रूप से रात 9 से 11 साढ़े बजे के बीच होने वाली सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को कम करना है। एएसपी यातायात, पर्यटक एवं रेलवे नरवीर सिंह राठौर ने सोमवार को प्रेस को जानकारी देते हुए बताया कि शिमला इकाई सड़क दुर्घटना और यातायात प्रवर्तन डाटा का पूरा विश्लेषण कर रही है, जिसमें शराब पीकर गाड़ी चलाने से जुड़ीं घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि का पता चला है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने अभी तक प्रदेश में गंभीर उल्लंघन के वाले प्रदेश के 2345 ड्राइविंग लाइसेंसों को निलंबित या रद्द करने की सिफारिश की है, जिनमें से लगभग 1400 शराब पीकर गाड़ी चलाने से संबंधित हैं। राठौर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश पुलिस मोटर वाहन कानूनों को प्रभावी ढंग से विनियमित और लागू करने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। सड़क सुरक्षा प्रवर्तन योजना से निगरानी शिमला पुलिस मुख्यालय द्वारा भी सड़क सुरक्षा प्रवर्तन योजना की बारीकी से निगरानी की जा रही है और कर्मियों को यातायात प्रवर्तन के लिए डिजिटल उपकरणों का अधिकतम उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा दुर्घटनाओं की संख्या को कम करने और प्रदेश वासियों तथा पर्यटकों के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए लगातार हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं। वहीं, डीजीपी हिमाचल प्रदेश पुलिस डा. अतुल वर्मा के बताया कि चालू वर्ष में पुलिस ने अलग अलग जिलों से 2345 ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित या रद्द करने की सिफारिश की गई है, जिनमें से लगभग 1400 मामले शराब पीकर गाड़ी चलाने से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि शिमला ट्रैफिक टूरिस्ट और रेलवे यूनिट के विश्लेषण में ये जो आंकड़े सामने आए हैं, वे बेहद चिंताजनक हैं। ऐसे में विभाग विशेष अभियान चलाकर वाहन चालकों को जागरूक करने की दिशा में भी काम कर रहा है। शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों में शिमला में सबसे अव्वल पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में शिमला जिला में सर्वाधिक व लाहौल स्पीति में सबसे कम शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले सामने आए है। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार शिमला में शिमला में 288 , बद्दी में 107, बिलासपुर में 113, चंबा में 127, हमीरपुर में 30, कांगड़ा में 113, किन्नौर में 139, कुल्लू में 70, लाहौल स्पीति में 07, मंडी में 96, नूरपुर में 12, सिरमौर में 32, सोलन में 210, ऊना में 35 सहित हिमाचल प्रदेश में कुल 1379 हुए हैं।
हिमाचल में विक्रमादित्य सिंह की हार में भी जीत:सांसद बनने से चूके, वीरभद्र समर्थकों के बिखरते कुनबे इकट्ठा कर गए
हिमाचल में विक्रमादित्य सिंह की हार में भी जीत:सांसद बनने से चूके, वीरभद्र समर्थकों के बिखरते कुनबे इकट्ठा कर गए हिमाचल सरकार में PWD मंत्री एवं मंडी लोकसभा से कांग्रेस कैंडिडेट विक्रमादित्य सिंह चुनाव तो नहीं जीत पाए। मगर वीरभद्र सिंह समर्थकों के बिखरते कुनबे को वह संभाल गए हैं। प्रदेश कांग्रेस के ज्यादातर दिग्गज विक्रमादित्य के चुनाव प्रचार से गायब रहे। लेकिन वीरभद्र समर्थक प्रदेशभर से विक्रमादित्य के प्रचार के लिए मंडी संसदीय क्षेत्र में पहुंचे। इस चुनाव के बहाने विक्रमादित्य सिंह पुरानी वीरभद्र कांग्रेस इकट्ठा करने में कामयाब हुए हैं। इसलिए विक्रमादित्य की हार में भी जीत मानी जा रही है। हार के बावजूद बहुत कुछ खोया नहीं युवा नेता विक्रमादित्य के करियर पर चुनाव हारने का दाग जरूर लगा है। मगर उन्होंने हार के बावजूद बहुत कुछ खोया नहीं है, क्योंकि शिमला ग्रामीण से विधायक के साथ-साथ वह प्रदेश सरकार में लोक निर्माण और शहरी विकास मंत्री अभी भी हैं। मंत्री पद के लिहाज से विक्रमादित्य सिंह अभी भी पहले जैसे मजबूत हैं। यही नहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान भी अभी होली लॉज यानी वीरभद्र परिवार के पास है। इससे प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में होली लॉज की अभी भी दबदबा कायम है। हालांकि विक्रमादित्य सिंह मंडी से चुनाव जीत जाते तो उनका कद और ऊंचा हो जाता। मगर जनता ने उन्हें नकारा हैं। लिहाजा विक्रमादित्य अब स्टेट की पॉलिटिक्स में ही रहेंगे। प्रतिभा सिंह भी यहां से चुनाव हार चुकी मंडी लोकसभा सीट से विक्रमादित्य सिंह की माता प्रतिभा सिंह भी 2014 में लोकसभा चुनाव हार चुकी हैं। उस दौरान भी मोदी लहर में बीजेपी के राम स्वरूप शर्मा मंडी से पहली बार सांसद बने थे। साल 2019 में रामस्वरूप दोबारा सांसद चुने गए। तब उन्होंने स्व. पंडित सुखराम शर्मा के पोते आश्रय शर्मा को हराया। 2021 में राम स्वरूप शर्मा ने दिल्ली में आत्महत्या कर ली। इसके बाद उप चुनाव में फिर से प्रतिभा सिंह सांसद चुनी गई। 2021 का उप चुनाव पूरी तरह स्व. वीरभद्र सिंह के नाम पर लड़ा गया, क्योंकि उप चुनाव से कुछ महीने पहले ही वीरभद्र सिंह का निधन हुआ और वीरभद्र के नाम पर कांग्रेस बीजेपी से उस सीट को छीन लिया, जिसे 2019 में बीजेपी ने चार लाख से अधिक के मार्जन से जीता था। विक्रमादित्य सिंह की हार की वजह विक्रमादित्य सिंह की हार के कई कारण है। सबसे बड़ी वजह मोदी मैजिक है। इसी तरह मंडी जिला की 9 में से 9 विधानसभा से BJP विधायक होना दूसरी बड़ी वजह है। पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी समेत केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का मंडी संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार करना, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का इसी संसदीय क्षेत्र से होना व उनका एग्रेसिव कैंपेन करना, कंगना के रूप में प़ॉपुलर फेस प्रतिद्वंदी होना, बीजेपी का दो महीने से अधिक समय तक प्रचार करना हार की वजह है। यही नहीं विक्रमादित्य का मंत्री पद से इस्तीफा देना और प्रतिभा सिंह की MP फंड से चुनाव नहीं जीतने जैसी स्टेटमेंट भी हार की वजह बनी है। वहीं मंडी संसदीय हलके में प्रियंका गांधी ने जरूर बड़ी जनसभा की थी। मगर मुख्यमंत्री सुक्खू की टीम कम ही विक्रमादित्य के प्रचार में नजर नहीं आई। इससे विक्रमादित्य सिंह ज्यादातर वक्त अकेले ही होलीलॉज समर्थकों के साथ प्रचार में डटे रहे।
हिमाचल के बागवानी विकास प्रोजेक्ट को 4 महीने की एक्सटेंशन:बच गई 250 कर्मचारियों की नौकरी; पूरे होंगे मार्केट यार्ड और सीए स्टोर के काम
हिमाचल के बागवानी विकास प्रोजेक्ट को 4 महीने की एक्सटेंशन:बच गई 250 कर्मचारियों की नौकरी; पूरे होंगे मार्केट यार्ड और सीए स्टोर के काम हिमाचल प्रदेश में विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित 1134 करोड़ रुपये की बागवानी विकास परियोजना (एचडीपी) को चार महीने का विस्तार मिल गया है। इस परियोजना की अवधि कल ही समाप्त हो गई थी। अब इस परियोजना को अक्तूबर 2024 तक विस्तार मिल गया है। विस्तार के बाद परियोजना में तैनात 250 से अधिक कर्मचारियों की नौकरी भी कुछ समय के लिए बच गई है और 50 करोड़ रुपये की राशि जो बागवानी विभाग अब तक खर्च नहीं कर पाया था। उसे खर्च कर सकेगा। हालांकि कर्मचारियों की नौकरी का मामला हाईकोर्ट में भी लंबित है। राज्य सरकार ने अप्रैल माह में ही आर्थिक मामलों के मंत्रालय से परियोजना को विस्तार देने का अनुरोध किया था। अब केंद्र ने हिमाचल के अनुरोध पर इस परियोजना को विस्तार दे दिया है। राज्य सरकार को अब शेष चार माह में परियोजना का पूरा काम पूरा करना होगा। ऐसा न करने पर बजट लैप्स हो जाएगा। 50 करोड़ रुपए से मार्केट यार्ड और सीए स्टोर का होगा निर्माण इस परियोजना में शेष 50 करोड़ रुपए से मेहदली में मार्केट यार्ड, जरोल-टिक्कर में सीए (वातानुकूलित) स्टोर का निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना के तहत सेब बहुल क्षेत्रों में नई मंडियां बनाई जाएंगी, पुरानी मंडियों को अपग्रेड किया जाएगा, नए सीए स्टोर बनाए जाएंगे और बड़ी मात्रा में प्लाटिंग सामग्री अमेरिका और इटली से आयात की गई है। इस परियोजना का उद्देश्य सेब का उत्पादन बढ़ाना है। इसके लिए सेब के उच्च घनत्व वाले बगीचे (एचडीपी) लगाए गए हैं। पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 2017 में स्वीकृत इस परियोजना को पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 2017 में स्वीकृत किया गया था। इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम छह महीने तक चला था। 2018 में ऋण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद इस परियोजना को छह साल में पूरा किया जाना था। इसकी समय सीमा पिछले साल पूरी हो गई थी। लेकिन पिछले साल भी इस परियोजना को एक बार विस्तार मिला था।