शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने बसपा सुप्रीमो से की मुलाकात:लखनऊ में मायावती से मिलकर मांगा समर्थन, बोले-बहनजी पर हमें पूरा भरोसा

शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों ने बसपा सुप्रीमो से की मुलाकात:लखनऊ में मायावती से मिलकर मांगा समर्थन, बोले-बहनजी पर हमें पूरा भरोसा

बुधवार को 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने बसपा सुप्रीमो मायावती से मुलाकात की। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद के हालात से उनको अवगत कराते हुए इस मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखने की गुहार लगाई। अभ्यर्थियों ने बताया कि बसपा प्रमुख ने आश्वासन देते हुए कहा कि ये लड़ाई हमारी लड़ाई हैं और हम इस पर बराबर नजर बनाए हुए हैं। किसी भी दशा में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा यह सरकार की नाकामी है कि मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सरकार चाहती तो सभी को न्याय अब तक मिल गया होता। लेकिन सरकार की नाकामी और लापरवाही की वजह से आज आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी परेशान हैं। सरकार के इंतजार में मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
डबल बेंच का फैसला आया था। सरकार इस पर आगे बढ़ सकती थी, लेकिन वह इंतजार कर रही और मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। उन्होंने कहा कि अब भी सरकार को ध्यान देना चाहिए कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। सरकार कोई ऐसी पॉलिसी तैयार करे जिससे यह मामला सुलझाया जा सके और सभी को न्याय मिल सके। मंगलवार को उपमुख्यमंत्री के आवास का किया था घेराव
इससे पहले मंगलवार को 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी लखनऊ में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव करने पहुंचे थे। इससे पहले हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सामान्य वर्ग के चयनित सुप्रीम कोर्ट गए थे, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया। मामले की सुनवाई 23 सितंबर को हैं। 16 अगस्त को हाईकोर्ट ने दिया आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 16 अगस्त को 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था- बेसिक शिक्षा विभाग को 3 महीने में नई चयन सूची जारी करनी होगी। कोर्ट ने यह भी कहा था, कि नई चयन सूची में 1981 के नियम के तहत आरक्षण अधिनियम 1994 के मुताबिक आरक्षण नीति का पालन किया जाए। अगर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी की मेरिट सामान्य श्रेणी के बराबर आए तो वह सामान्य श्रेणी में माना जाएगा। इन निर्देशों के तहत ऊपरी क्रम में आरक्षण दिया जाएगा। फैसले के बाद लखनऊ पहुंचे थे अभ्यर्थी
हाई कोर्ट के फैसले के बाद ओबीसी-एससी वर्ग के अभ्यर्थी लखनऊ पहुंचे थे। सरकार से नई सूची जारी करने की मांग को लेकर शिक्षा निदेशालय कैंपस में 20 अगस्त से 24 अगस्त तक प्रदर्शन किया था। इसी बीच सामान्य वर्ग के चयनितों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की। इधर सामान्य वर्ग के करीब 10 हजार चयनित भी एक दिन के लिए शिक्षा निदेशालय पहुंचे थे। उनका कहना था कि वे चार साल से नौकरी कर रहे हैं। नौकरी पर संकट नहीं आना चाहिए। ओबीसी-एससी अभ्यर्थियों को 25 अगस्त को शिक्षा निदेशालय से इको गार्डन में शिफ्ट किया गया था। 2 सितंबर को डिप्टी सीएम के आवास का घेराव किया ओबीसी-एससी अभ्यर्थियों ने 2 सितंबर को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव किया और मुलाकात की। डिप्टी सीएम ने उन्हें न्याय का भरोसा दिया। अगले दिन अभ्यर्थियों ने अपना दल (एस) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के आवास का घेराव किया। इसी तरह से भूपेंद्र चौधरी, ओम प्रकाश राजभर और संजय निषाद के भी आवास को घेरा। बुधवार को 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों ने बसपा सुप्रीमो मायावती से मुलाकात की। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद के हालात से उनको अवगत कराते हुए इस मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखने की गुहार लगाई। अभ्यर्थियों ने बताया कि बसपा प्रमुख ने आश्वासन देते हुए कहा कि ये लड़ाई हमारी लड़ाई हैं और हम इस पर बराबर नजर बनाए हुए हैं। किसी भी दशा में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा यह सरकार की नाकामी है कि मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सरकार चाहती तो सभी को न्याय अब तक मिल गया होता। लेकिन सरकार की नाकामी और लापरवाही की वजह से आज आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी परेशान हैं। सरकार के इंतजार में मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
डबल बेंच का फैसला आया था। सरकार इस पर आगे बढ़ सकती थी, लेकिन वह इंतजार कर रही और मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। उन्होंने कहा कि अब भी सरकार को ध्यान देना चाहिए कि किसी भी अभ्यर्थी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। सरकार कोई ऐसी पॉलिसी तैयार करे जिससे यह मामला सुलझाया जा सके और सभी को न्याय मिल सके। मंगलवार को उपमुख्यमंत्री के आवास का किया था घेराव
इससे पहले मंगलवार को 69000 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी लखनऊ में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव करने पहुंचे थे। इससे पहले हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सामान्य वर्ग के चयनित सुप्रीम कोर्ट गए थे, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया। मामले की सुनवाई 23 सितंबर को हैं। 16 अगस्त को हाईकोर्ट ने दिया आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 16 अगस्त को 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था- बेसिक शिक्षा विभाग को 3 महीने में नई चयन सूची जारी करनी होगी। कोर्ट ने यह भी कहा था, कि नई चयन सूची में 1981 के नियम के तहत आरक्षण अधिनियम 1994 के मुताबिक आरक्षण नीति का पालन किया जाए। अगर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी की मेरिट सामान्य श्रेणी के बराबर आए तो वह सामान्य श्रेणी में माना जाएगा। इन निर्देशों के तहत ऊपरी क्रम में आरक्षण दिया जाएगा। फैसले के बाद लखनऊ पहुंचे थे अभ्यर्थी
हाई कोर्ट के फैसले के बाद ओबीसी-एससी वर्ग के अभ्यर्थी लखनऊ पहुंचे थे। सरकार से नई सूची जारी करने की मांग को लेकर शिक्षा निदेशालय कैंपस में 20 अगस्त से 24 अगस्त तक प्रदर्शन किया था। इसी बीच सामान्य वर्ग के चयनितों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की। इधर सामान्य वर्ग के करीब 10 हजार चयनित भी एक दिन के लिए शिक्षा निदेशालय पहुंचे थे। उनका कहना था कि वे चार साल से नौकरी कर रहे हैं। नौकरी पर संकट नहीं आना चाहिए। ओबीसी-एससी अभ्यर्थियों को 25 अगस्त को शिक्षा निदेशालय से इको गार्डन में शिफ्ट किया गया था। 2 सितंबर को डिप्टी सीएम के आवास का घेराव किया ओबीसी-एससी अभ्यर्थियों ने 2 सितंबर को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के आवास का घेराव किया और मुलाकात की। डिप्टी सीएम ने उन्हें न्याय का भरोसा दिया। अगले दिन अभ्यर्थियों ने अपना दल (एस) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के आवास का घेराव किया। इसी तरह से भूपेंद्र चौधरी, ओम प्रकाश राजभर और संजय निषाद के भी आवास को घेरा।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर