हरियाणा के अंबाला में कांग्रेस नेत्री चित्रा सरवारा के आजाद नॉमिनेशन करने पर पिता निर्मल सिंह ने पल्ला झाड़ लिया है। चित्रा के पिता निर्मल सिंह को कांग्रेस ने अंबाला सिटी से टिकट दिया है, जबकि चित्रा भी टिकट के इंतजार में थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। जिसके बाद चित्रा सरवारा बगावती तेवर दिखाते हुए इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर मैदान में उतर गई, और अंबाला कैंट सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया। बता दें कि बीते जनवरी माह में दोनों ने आम आदमी पार्टी को अलविदा कहकर कांग्रेस में वापसी कर ली थी। वहीं चित्रा के आजाद प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करने पर पिता ने अपना पक्ष रखा और अपना बचाव करते हुए कहा कि उनकी बेटी शादीशुदा है और ये उसका खुद का फैसला है। ऐसे में जहां कांग्रेस ने बेटी के पिता को टिकट दिया, वहीं बेटी ने टिकट न मिलने पर तेवर तल्ख कर लिए। पिता-पुत्री की राजनीति ने अंबाला के गलियारों में हलचल मचा दी है और हर तरफ इसी की चर्चा है। 5 जनवरी को छोड़ दी थी AAP कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले निर्मल सिंह ने अपनी बेटी चित्रा के साथ कांग्रेस छोड़ने के बाद करीब 2 साल तक आम आदमी पार्टी में अपनी सेवाएं दी। लेकिन बीती 5 जनवरी को उन्होंने AAP को अलविदा कह दिया और भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदय भान के नेतृत्व में कांग्रेस जॉइन कर ली थी। AAP छोड़ने का दोनों ने निजी कारण बताया था। सूत्रों के हवाले से कारण सामने आए थे कि निर्मल सिंह ने AAP की सीनियर लीडरशिप से इसी साल होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में 2 सीटों की डिमांड की थी। वह खुद अंबाला सिटी से चुनाव लड़ना चाहते थे और बेटी चित्रा सरवारा के लिए अंबाला कैंट सीट से टिकट चाहते थे। पार्टी इसके हक में नहीं थी। AAP की सीनियर लीडरशिप चाहती थी कि निर्मल सिंह विधानसभा चुनाव की जगह लोकसभा चुनाव लड़ें। पार्टी ने उन्हें इसके लिए तैयारी करने को भी कह दिया था। नंगल की सीट से 4 बार के विधायक रहे चुके है निर्मल निर्मल सिंह कांग्रेस के टिकट पर अंबाला की नंगल सीट से 4 बार विधायक रह चुके हैं। निर्मल सिंह को अंबाला जिले में ‘प्रधानजी’ के नाम से बुलाया जाता है। निर्मल सिंह लंबे समय तक कांग्रेस में रहे हैं, इसलिए उनके दिल्ली में बैठे कांग्रेस के आला नेताओं के साथ-साथ हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी अच्छे संबंध हैं। इन्हीं संबंधों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली थी। 2019 में हारे पिता-पुत्री वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर निर्मल सिंह ने बेटी चित्रा सरवारा के साथ कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बना ली और निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही हार गए। वर्ष 2022 में नई दिल्ली में खुद अरविंद केजरीवाल ने दोनों को आम आदमी पार्टी जॉइन करवाई। चित्रा को AAP ने अपनी हरियाणा इकाई का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया। निर्मल सिंह की गिनती भी हरियाणा में AAP के सीनियर नेताओं में होती थी, लेकिन दोनों ने अचानक पार्टी छोड़कर सबको चौंका दिया था। इस बार कांग्रेस ने निर्मल सिंह को तो टिकट दे दिया। लेकिन चित्रा का टिकट काट दिया और चित्रा ने नाराज होकर आजाद उम्मीदवार के तौर पर ही अंबाला कैंट सीट से नामांकन भर दिया। हरियाणा के अंबाला में कांग्रेस नेत्री चित्रा सरवारा के आजाद नॉमिनेशन करने पर पिता निर्मल सिंह ने पल्ला झाड़ लिया है। चित्रा के पिता निर्मल सिंह को कांग्रेस ने अंबाला सिटी से टिकट दिया है, जबकि चित्रा भी टिकट के इंतजार में थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। जिसके बाद चित्रा सरवारा बगावती तेवर दिखाते हुए इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर मैदान में उतर गई, और अंबाला कैंट सीट से अपना नामांकन दाखिल कर दिया। बता दें कि बीते जनवरी माह में दोनों ने आम आदमी पार्टी को अलविदा कहकर कांग्रेस में वापसी कर ली थी। वहीं चित्रा के आजाद प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल करने पर पिता ने अपना पक्ष रखा और अपना बचाव करते हुए कहा कि उनकी बेटी शादीशुदा है और ये उसका खुद का फैसला है। ऐसे में जहां कांग्रेस ने बेटी के पिता को टिकट दिया, वहीं बेटी ने टिकट न मिलने पर तेवर तल्ख कर लिए। पिता-पुत्री की राजनीति ने अंबाला के गलियारों में हलचल मचा दी है और हर तरफ इसी की चर्चा है। 5 जनवरी को छोड़ दी थी AAP कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले निर्मल सिंह ने अपनी बेटी चित्रा के साथ कांग्रेस छोड़ने के बाद करीब 2 साल तक आम आदमी पार्टी में अपनी सेवाएं दी। लेकिन बीती 5 जनवरी को उन्होंने AAP को अलविदा कह दिया और भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदय भान के नेतृत्व में कांग्रेस जॉइन कर ली थी। AAP छोड़ने का दोनों ने निजी कारण बताया था। सूत्रों के हवाले से कारण सामने आए थे कि निर्मल सिंह ने AAP की सीनियर लीडरशिप से इसी साल होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में 2 सीटों की डिमांड की थी। वह खुद अंबाला सिटी से चुनाव लड़ना चाहते थे और बेटी चित्रा सरवारा के लिए अंबाला कैंट सीट से टिकट चाहते थे। पार्टी इसके हक में नहीं थी। AAP की सीनियर लीडरशिप चाहती थी कि निर्मल सिंह विधानसभा चुनाव की जगह लोकसभा चुनाव लड़ें। पार्टी ने उन्हें इसके लिए तैयारी करने को भी कह दिया था। नंगल की सीट से 4 बार के विधायक रहे चुके है निर्मल निर्मल सिंह कांग्रेस के टिकट पर अंबाला की नंगल सीट से 4 बार विधायक रह चुके हैं। निर्मल सिंह को अंबाला जिले में ‘प्रधानजी’ के नाम से बुलाया जाता है। निर्मल सिंह लंबे समय तक कांग्रेस में रहे हैं, इसलिए उनके दिल्ली में बैठे कांग्रेस के आला नेताओं के साथ-साथ हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी अच्छे संबंध हैं। इन्हीं संबंधों का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने कांग्रेस जॉइन कर ली थी। 2019 में हारे पिता-पुत्री वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर निर्मल सिंह ने बेटी चित्रा सरवारा के साथ कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बना ली और निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही हार गए। वर्ष 2022 में नई दिल्ली में खुद अरविंद केजरीवाल ने दोनों को आम आदमी पार्टी जॉइन करवाई। चित्रा को AAP ने अपनी हरियाणा इकाई का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया। निर्मल सिंह की गिनती भी हरियाणा में AAP के सीनियर नेताओं में होती थी, लेकिन दोनों ने अचानक पार्टी छोड़कर सबको चौंका दिया था। इस बार कांग्रेस ने निर्मल सिंह को तो टिकट दे दिया। लेकिन चित्रा का टिकट काट दिया और चित्रा ने नाराज होकर आजाद उम्मीदवार के तौर पर ही अंबाला कैंट सीट से नामांकन भर दिया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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