पंजाब के लुधियाना में सदर्न बाइपास ब्रिज की हालत खस्ता हाल हो गई है। किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। पुल की री-कारपेटिंग पर भी सवाल उठ रहे है। घटनाक्रम से वाकिफ अधिकारियों ने बताया कि नए सिरे से बनाए गए 28 किलोमीटर लंबे सदर्न बाइपास पर एक बड़ा गड्ढा दिखाई देने के बाद डिप्टी कमिश्नर ने जांच शुरू कर दी है। इस सेक्शन पर री-कारपेटिंग का काम एक महीने से भी कम समय पहले पूरा हुआ था। गड्ढा पड़ने के बाद पुल के नीचे जो स्टील लगाया गया है वह भी अब दिखने लगा हबै। निर्माण की गुणवत्ता पर शक के घेरे में आ गई है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि यह लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा घटिया सामग्री और सुरक्षा चूक की ओर इशारा करता है। यह सड़क परियोजना की शुरुआत 2014 में हुई थी। री-कारपेटिंग का 53 करोड़ से हुआ था काम हाल ही में री-कारपेटिंग का काम ₹53 करोड़ की लागत से किया गया था और संबंधित अधिकारियों ने कहा कि इसी स्थान पर पहले भी एक गड्ढा हो गया था। उक्त पुल पर एक अध्ययन का आदेश दिया गया है और इसे गुरु नानक देव इंजीनियर कॉलेज (जीएनडीईसी) के विशेषज्ञों चैक किया जाएगा। डीसी साक्षी साहनी ने जांच के आदेश दिए और ट्रैफिक पुलिस ने आगे की घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्र की बैरिकेडिंग करने को कहा है। इसी तरह पहले का मामला जुलाई में लक्कड़ ब्रिज और बस स्टैंड ओवरपास में भी देखने को मिला था। डीसी साहनी ने नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को लुधियाना में सभी पुलों का गहन सुरक्षा ऑडिट करने का निर्देश दिया। पीडब्ल्यूडी ने नहीं जमा करवा सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दक्षिणी बाईपास को विशेष रूप से पूर्ण सुरक्षा समीक्षा की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी ने अभी तक बाईपास के लिए सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं की है। इसके अतिरिक्त, एनएचएआई अधिकारियों को जिले में राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे समान फ्लाईओवर और संरचनाओं के लिए सुरक्षा प्रमाणपत्र प्रदान करने का निर्देश दिया गया। पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने कहा कि वे जल्द ही क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत करने जा रहे हैं और उचित अध्ययन किया जाएगा ताकि भविष्य में ऐसी कोई समस्या पैदा न हो सके। पंजाब के लुधियाना में सदर्न बाइपास ब्रिज की हालत खस्ता हाल हो गई है। किसी भी समय बड़ा हादसा हो सकता है। पुल की री-कारपेटिंग पर भी सवाल उठ रहे है। घटनाक्रम से वाकिफ अधिकारियों ने बताया कि नए सिरे से बनाए गए 28 किलोमीटर लंबे सदर्न बाइपास पर एक बड़ा गड्ढा दिखाई देने के बाद डिप्टी कमिश्नर ने जांच शुरू कर दी है। इस सेक्शन पर री-कारपेटिंग का काम एक महीने से भी कम समय पहले पूरा हुआ था। गड्ढा पड़ने के बाद पुल के नीचे जो स्टील लगाया गया है वह भी अब दिखने लगा हबै। निर्माण की गुणवत्ता पर शक के घेरे में आ गई है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि यह लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा घटिया सामग्री और सुरक्षा चूक की ओर इशारा करता है। यह सड़क परियोजना की शुरुआत 2014 में हुई थी। री-कारपेटिंग का 53 करोड़ से हुआ था काम हाल ही में री-कारपेटिंग का काम ₹53 करोड़ की लागत से किया गया था और संबंधित अधिकारियों ने कहा कि इसी स्थान पर पहले भी एक गड्ढा हो गया था। उक्त पुल पर एक अध्ययन का आदेश दिया गया है और इसे गुरु नानक देव इंजीनियर कॉलेज (जीएनडीईसी) के विशेषज्ञों चैक किया जाएगा। डीसी साक्षी साहनी ने जांच के आदेश दिए और ट्रैफिक पुलिस ने आगे की घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्र की बैरिकेडिंग करने को कहा है। इसी तरह पहले का मामला जुलाई में लक्कड़ ब्रिज और बस स्टैंड ओवरपास में भी देखने को मिला था। डीसी साहनी ने नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को लुधियाना में सभी पुलों का गहन सुरक्षा ऑडिट करने का निर्देश दिया। पीडब्ल्यूडी ने नहीं जमा करवा सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दक्षिणी बाईपास को विशेष रूप से पूर्ण सुरक्षा समीक्षा की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि पीडब्ल्यूडी ने अभी तक बाईपास के लिए सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट जमा नहीं की है। इसके अतिरिक्त, एनएचएआई अधिकारियों को जिले में राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे समान फ्लाईओवर और संरचनाओं के लिए सुरक्षा प्रमाणपत्र प्रदान करने का निर्देश दिया गया। पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने कहा कि वे जल्द ही क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत करने जा रहे हैं और उचित अध्ययन किया जाएगा ताकि भविष्य में ऐसी कोई समस्या पैदा न हो सके। पंजाब | दैनिक भास्कर
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