सेना में हुए थे ब्लड प्रेशर के शिकार, मिलेंगी पेंशन:HC ने सुनाया फैसला, केंद्र सरकार की अपील खारिज, 2019 में दी रिटायरमेंट

सेना में हुए थे ब्लड प्रेशर के शिकार, मिलेंगी पेंशन:HC ने सुनाया फैसला, केंद्र सरकार की अपील खारिज, 2019 में दी रिटायरमेंट

सेना में रहते हुए कोई हाई ब्लड प्रेशर स्टेज एक का शिकार हो जाता है। तो वह विकलांगता पेंशन का हकदार माना जाएगा। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस तरह के एक केस को सुनते हुए फैसला सुनाया है। अदालत ने आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्रूनल (AFT) के फैसले के खिलाफ भारत सरकार की अपील को खारिज कर दी है। 2002 में सेना हुए थे भर्ती धीरज कुमार की तरफ से इस संबंधी AFT में याचिका दाखिल की गई थी। उन्होंने अपनी याचिका में बताया था कि वह 2002 में सेना में शामिल हुए थे। नौकरी के दौरान वह वह स्टेज हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हो गए थे। इसके बाद सेना ने उन्हें 31 अक्तूबर 2019 को सेवा मुक्त कर दिया था। लेकिन पेंशन नहीं दी गई। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपनी जंग जारी रखी। मेडिकल बोर्ड ने उनकी विकलांगता 30 फीसदी मानी थी। सेना पेंशन देने का तैयार नहीं थी धीरज ने इसके बाद विकलांगता पेंशन के लिए आवेदन किया। लेकिन सरकार ने उसके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया कि उसे हुई विकलांगता न तो सैन्य सेवा के कारण थी और न ही उससे बढ़ी थी। सेना के खिलाफ उन्हाेंने इस मुद्दे पर AFT में जंग लड़ी। जहां पर फैसला उसके पक्ष में आया। लेकिन सरकार सरकार उस फैसले को मानने के लिए तैयार नहीं थी। इसके बाद AFT के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार हाईकोर्ट पहुंची। लेकिन फैसला उसके पक्ष में आया। अदालत में सुनवाई के दौरान सैनिक की तरफ से मेडिकल रिकॉर्ड पेश किया है। उसने बताया कि जब वह भर्ती हुआ तो पूरी तरह से तंदुरुस्त था। उसे यह बीमारी सेना सेवाकाल में हुई। सेना में रहते हुए कोई हाई ब्लड प्रेशर स्टेज एक का शिकार हो जाता है। तो वह विकलांगता पेंशन का हकदार माना जाएगा। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस तरह के एक केस को सुनते हुए फैसला सुनाया है। अदालत ने आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्रूनल (AFT) के फैसले के खिलाफ भारत सरकार की अपील को खारिज कर दी है। 2002 में सेना हुए थे भर्ती धीरज कुमार की तरफ से इस संबंधी AFT में याचिका दाखिल की गई थी। उन्होंने अपनी याचिका में बताया था कि वह 2002 में सेना में शामिल हुए थे। नौकरी के दौरान वह वह स्टेज हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हो गए थे। इसके बाद सेना ने उन्हें 31 अक्तूबर 2019 को सेवा मुक्त कर दिया था। लेकिन पेंशन नहीं दी गई। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपनी जंग जारी रखी। मेडिकल बोर्ड ने उनकी विकलांगता 30 फीसदी मानी थी। सेना पेंशन देने का तैयार नहीं थी धीरज ने इसके बाद विकलांगता पेंशन के लिए आवेदन किया। लेकिन सरकार ने उसके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया कि उसे हुई विकलांगता न तो सैन्य सेवा के कारण थी और न ही उससे बढ़ी थी। सेना के खिलाफ उन्हाेंने इस मुद्दे पर AFT में जंग लड़ी। जहां पर फैसला उसके पक्ष में आया। लेकिन सरकार सरकार उस फैसले को मानने के लिए तैयार नहीं थी। इसके बाद AFT के फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार हाईकोर्ट पहुंची। लेकिन फैसला उसके पक्ष में आया। अदालत में सुनवाई के दौरान सैनिक की तरफ से मेडिकल रिकॉर्ड पेश किया है। उसने बताया कि जब वह भर्ती हुआ तो पूरी तरह से तंदुरुस्त था। उसे यह बीमारी सेना सेवाकाल में हुई।   पंजाब | दैनिक भास्कर