हिमाचल हाईकोर्ट ने महाजन की डिस्मिसल एप्लिकेशन रद्द की:2 सप्ताह में जवाब के आदेश; सिंघवी ने मुकाबला बराबारी पर छूटने दे रखी चुनौती

हिमाचल हाईकोर्ट ने महाजन की डिस्मिसल एप्लिकेशन रद्द की:2 सप्ताह में जवाब के आदेश; सिंघवी ने मुकाबला बराबारी पर छूटने दे रखी चुनौती

हिमाचल हाईकोर्ट में सोमवार को राज्यसभा चुनाव को चुनौती देने वाली अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अभिषेक मनु सिंघवी ने 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव को चुनौती दी थी। महाजन के अधिवक्ता अरविंद ठाकुर ने बताया कि इस याचिका में कहीं भी कोई आरोप सांसद हर्ष महाजन पर नहीं है। इसलिए आज उन्होंने अदालत से सिंघवी की याचिका को खारिज करने का आग्रह किया था। मगर अदालत ने महाजन की एप्लिकेशन को खारिज करते हुए सिंघवी की याचिका का 2 सप्ताह में जवाब देने के आदेश दिए है। अरविंद ठाकुर ने बताया कि इस मामले में अब हर्ष महाजन से चर्चा के बाद निर्णय लिया जाएगा कि इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए या सिंघवी की याचिका का जवाब दिया जाए। सिंघवी ने दायर की थी याचिका बता दें कि, अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव को हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका डालकर चुनौती दी है। इसमें उन्होंने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची से विजय घोषित करने के नियम को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि यदि 2 प्रत्याशी को बराबर-बराबर वोट मिलते हैं, उस सूरत में लॉटरी निकालने का जो फार्मूला है, वह गलत है। हारा हुआ डिक्लेयर किया अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार, नियम की एक धारणा को उन्होंने याचिका में चुनौती दी है। जब मुकाबला बराबरी पर होता है, उसके बाद पर्ची निकाली जाती है। जिसकी पर्ची निकलती है, उसे विनर डिक्लेयर होना चाहिए। मगर, अभी जिसकी पर्ची निकलती है, उसे हारा हुआ डिक्लेयर किया गया है। यह धारणा कानूनी रूप से गलत है। राज्यसभा चुनाव में सिंघवी व महाजन को मिले थे बराबर वोट बकौल सिंघवी पर्ची में जिसका नाम निकलता है, उसकी जीत होनी चाहिए। नियम में जिसने भी यह धारणा दी है, वो गलत है। कहा कि एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन नियम में यह धारणा है। उसे चुनौती दी गई है। यदि यह धारणा गलत है तो जो चुनाव हुए हैं, उसमे जो परिणाम घोषित हुआ है, वो भी गलत है। सिंघवी ने इलैक्शन को लीगल ग्राउंड पर चैलेंज किया है। सिंघवी और महाजन को मिले थे 34-34 वोट दरअसल, प्रदेश में बीते 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी और भाजपा के हर्ष महाजन को 34-34 वोट मिले थे। मुकाबला बराबर होने के बाद लॉटरी से हर्ष महाजन चुनाव जीत गए थे, क्योंकि पर्ची अभिषेक मनु सिंघवी की निकली थी। इस केस में पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलें सुनने के बाद BJP सांसद एवं प्रतिवादी बनाए गए हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया था। तब कोर्ट ने 9 जुलाई की सुनवाई से पहले जवाब देने के निर्देश दिए थे। हिमाचल हाईकोर्ट में सोमवार को राज्यसभा चुनाव को चुनौती देने वाली अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अभिषेक मनु सिंघवी ने 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव को चुनौती दी थी। महाजन के अधिवक्ता अरविंद ठाकुर ने बताया कि इस याचिका में कहीं भी कोई आरोप सांसद हर्ष महाजन पर नहीं है। इसलिए आज उन्होंने अदालत से सिंघवी की याचिका को खारिज करने का आग्रह किया था। मगर अदालत ने महाजन की एप्लिकेशन को खारिज करते हुए सिंघवी की याचिका का 2 सप्ताह में जवाब देने के आदेश दिए है। अरविंद ठाकुर ने बताया कि इस मामले में अब हर्ष महाजन से चर्चा के बाद निर्णय लिया जाएगा कि इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए या सिंघवी की याचिका का जवाब दिया जाए। सिंघवी ने दायर की थी याचिका बता दें कि, अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव को हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका डालकर चुनौती दी है। इसमें उन्होंने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची से विजय घोषित करने के नियम को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि यदि 2 प्रत्याशी को बराबर-बराबर वोट मिलते हैं, उस सूरत में लॉटरी निकालने का जो फार्मूला है, वह गलत है। हारा हुआ डिक्लेयर किया अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार, नियम की एक धारणा को उन्होंने याचिका में चुनौती दी है। जब मुकाबला बराबरी पर होता है, उसके बाद पर्ची निकाली जाती है। जिसकी पर्ची निकलती है, उसे विनर डिक्लेयर होना चाहिए। मगर, अभी जिसकी पर्ची निकलती है, उसे हारा हुआ डिक्लेयर किया गया है। यह धारणा कानूनी रूप से गलत है। राज्यसभा चुनाव में सिंघवी व महाजन को मिले थे बराबर वोट बकौल सिंघवी पर्ची में जिसका नाम निकलता है, उसकी जीत होनी चाहिए। नियम में जिसने भी यह धारणा दी है, वो गलत है। कहा कि एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन नियम में यह धारणा है। उसे चुनौती दी गई है। यदि यह धारणा गलत है तो जो चुनाव हुए हैं, उसमे जो परिणाम घोषित हुआ है, वो भी गलत है। सिंघवी ने इलैक्शन को लीगल ग्राउंड पर चैलेंज किया है। सिंघवी और महाजन को मिले थे 34-34 वोट दरअसल, प्रदेश में बीते 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी और भाजपा के हर्ष महाजन को 34-34 वोट मिले थे। मुकाबला बराबर होने के बाद लॉटरी से हर्ष महाजन चुनाव जीत गए थे, क्योंकि पर्ची अभिषेक मनु सिंघवी की निकली थी। इस केस में पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलें सुनने के बाद BJP सांसद एवं प्रतिवादी बनाए गए हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया था। तब कोर्ट ने 9 जुलाई की सुनवाई से पहले जवाब देने के निर्देश दिए थे।   हिमाचल | दैनिक भास्कर