आम आदमी पार्टी (AAP) के अमरगढ़ से विधायक जसवंत सिंह गज्जन माजरा को मोहाली की जिला अदालत से झटका लगा है। अदालत ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। अब उन्हें जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख करना पडे़गा। उन पर करीब 41 करोड़ का बैंक धोखाधड़ी का केस दर्ज है। उन्हें ईडी ने 6 दिसंबर 2023 को गिरफ्तार किया था। तब से वह जेल में हैं। इससे पहले उन्होंने बैंक धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली थी। जिसके बाद यह याचिका लगाई थी सीबीआई ने भी शुरू की थी जांच सीबीआई ने पिछले साल मई में इस मामले में अपनी जांच शुरू की थी। 40 करोड़ की धोखाधड़ी से जुड़े मामले में छापेमारी की गई थी। इसके बाद सितंबर में ईडी ने उनके खिलाफ लोन धोखाधड़ी से जुड़ा मामला दर्ज किया था। इस मामले में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। छापेमारी के दौरान उनके ठिकानों से 32 लाख रुपए नकद, कुछ मोबाइल और हार्ड ड्राइव जब्त किए गए थे। हालांकि, उन्होंने पहले एक रुपए सैलरी लेने का ऐलान किया था। नाभा जेल में बंद हैं विधायक माजरा आप विधायक गज्जन माजरा गिरफ्तारी के बाद से ही नाभा जेल में बंद हैं। हालांकि, इस बीच जेल में फिसलकर गिर पड़े। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इसके बाद वे दोबारा बीमार पड़े तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जबकि विपक्षी दलों ने सवाल उठाए थे कि सरकार उन्हें बीमारी के बहाने अस्पताल में भर्ती कराकर वीआईपी ट्रीटमेंट दे रही है। हालांकि, मामला गरमाने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था। आम आदमी पार्टी (AAP) के अमरगढ़ से विधायक जसवंत सिंह गज्जन माजरा को मोहाली की जिला अदालत से झटका लगा है। अदालत ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। अब उन्हें जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख करना पडे़गा। उन पर करीब 41 करोड़ का बैंक धोखाधड़ी का केस दर्ज है। उन्हें ईडी ने 6 दिसंबर 2023 को गिरफ्तार किया था। तब से वह जेल में हैं। इससे पहले उन्होंने बैंक धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली थी। जिसके बाद यह याचिका लगाई थी सीबीआई ने भी शुरू की थी जांच सीबीआई ने पिछले साल मई में इस मामले में अपनी जांच शुरू की थी। 40 करोड़ की धोखाधड़ी से जुड़े मामले में छापेमारी की गई थी। इसके बाद सितंबर में ईडी ने उनके खिलाफ लोन धोखाधड़ी से जुड़ा मामला दर्ज किया था। इस मामले में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। छापेमारी के दौरान उनके ठिकानों से 32 लाख रुपए नकद, कुछ मोबाइल और हार्ड ड्राइव जब्त किए गए थे। हालांकि, उन्होंने पहले एक रुपए सैलरी लेने का ऐलान किया था। नाभा जेल में बंद हैं विधायक माजरा आप विधायक गज्जन माजरा गिरफ्तारी के बाद से ही नाभा जेल में बंद हैं। हालांकि, इस बीच जेल में फिसलकर गिर पड़े। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इसके बाद वे दोबारा बीमार पड़े तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जबकि विपक्षी दलों ने सवाल उठाए थे कि सरकार उन्हें बीमारी के बहाने अस्पताल में भर्ती कराकर वीआईपी ट्रीटमेंट दे रही है। हालांकि, मामला गरमाने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब के राज्यपाल बने गुलाब चंद कटारिया:चंडीगढ़ प्रशासक भी नियुक्त; असम के थे राज्यपाल, राजस्थान सरकार में रह चुके गृह मंत्री राजस्थान सरकार के पूर्व गृह मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता गुलाबचंद कटारिया को पंजाब का राज्यपाल बनाया गया है। इसके साथ ही वह चंडीगढ़ के प्रशासक का पद भी संभालेंगे। इससे पहले उन्हें पिछले साल फरवरी 2023 में असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। राज्यपाल के तौर पर यह उनकी दूसरी नियुक्ति है। वहीं, पूर्व राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित का इस्तीफा राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। निजी स्कूल में शिक्षक बनकर अपना जीवन चलाने वाले कटारिया ने पहली बार 1977 में चुनाव लड़ा था। वह उदयपुर शहर सीट से विधायक चुने गए थे। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। बताया जाता है कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कुल 11 चुनाव लड़े, जिनमें से 9 में उन्हें जीत मिली। साल 1998 में वह सादड़ी से सांसद के तौर पर चुनाव जीते। आखिरी चुनाव 2018 में जीतकर वह 15वीं राजस्थान विधानसभा में पहुंचे। उदयपुर में राजनीतिक सफर गुलाब चंद कटारिया का राजनीतिक सफर उदयपुर से शुरू हुआ और यहीं खत्म हुआ। 2003 में उदयपुर शहर सीट से विधायक रहे गुलाब चंद कटारिया राजस्थान सरकार में गृह मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने 1977, 1980, 2003 से 2018 तक उदयपुर से भाजपा को जीत दिलाई। लगातार कार्यकाल के बाद उन्होंने उदयपुर को भाजपा का गढ़ बना दिया। जाते हुए भी सीएम मान पर लगा गए आरोप दो दिन पहले ही गवर्नर पुरोहित पंजाब बॉर्डर एरिया के दौरे से लौटे थे। चंडीगढ़ पहुंचते ही उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान पर आरोपों की बरसात कर दी थी। ये आरोप भी लगाया कि उन्होंने मुख्यमंत्री मान से परेशान होकर इस्तीफा दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें (भगवंत मान) मेरा चांसलर बनना पसंद नहीं आया। इसलिए मैंने इस्तीफा दिया था। मुझे किसी से वोट नहीं चाहिए, मैं निस्वार्थ भाव से यहां काम कर रहा हूं। मेरे अगर किसी से बात भी होती है तो सीधी बात प्रधानमंत्री या फिर होम मिनिस्टर से होती है। दिक्कतें लेकर AAP, BJP और कांग्रेस के लोग भी आते हैं। मैं सभी की बात सुनता हूं। पंजाब के जो काम नहीं हुए वो काम करवाना मेरी जिम्मेदारी है। मैं पंजाब की सभी यूनिवर्सिटियों का चांसलर हूं। ये सीएम साहिब को पसंद नहीं आया, क्योंकि मैं किसी की रिकमेंडेशन पर काम नहीं करता था। CM-राज्यपाल के विवाद
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पंजाब में AAP के दिग्गज धराशायी:4 मंत्री व 3 विधायक चुनाव हारे, CM और केजरीवाल की कैंपेन भी नहीं बचा पाई हार पंजाब के लोकसभा चुनाव में राज्य की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (AAP) को लोगों ने ढाई साल में ही आइना दिखा दिया है। चुनाव लड़ रहे पांच मंत्रियों से 4 चुनाव हार गए हैं, जबकि तीन विधायकों को भी हार का मुंह देखना पड़ा है। कई जगह तो पार्टी के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे हैं। जबकि चुनावी मुहिम को कामयाब बनाने में पार्टी के प्रधान व सीएम भगवंत मान करीब मार्च महीने से डटे हुए थे। पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने खुद रोड शो और जनसभाएं की। हालांकि जनवरी माह से ही सरकार चुनावी मोड में चल रही थी। कई बड़े फैसले भी लिए गए, लेकिन पार्टी चुनाव में इन्हें कैश नहीं कर पाई। साथ ही मन मुताबिक नतीजे नहीं मिले हैं। इन मंत्रियों और विधायकों को मिली हार चुनाव हारने वालों में पटियाला लोकसभा हलके से सेहत मंत्री बलबीर सिंह, खडूर साहिब से लालजीत सिंह भुल्लर, अमृतसर से कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल और बठिंडा लोकसभा में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. प्रकाश सिंह बादल को चुनाव जीतने वाले गुरमीत सिंह खुडि्डयां शामिल थे। इसके अलावा तीन विधायक अमनदीप सिंह शेयरी कलसी, अशोक पराशर व जगदीप सिंह काका बराड़ भी चुनाव हारे हैं। मंत्रियों और विधायकों की फौज के हारने की वजह जानते है। आप के विधायकों से लोग नाराज पटियाला लोकसभा सीट से सेहत मंत्री बलबीर सिंह चुनाव हारने की कई वजह हैं। इस एरिया के अधीन आने वाली विधानसभाओं के आप विधायकों के मंत्रियों से लोग खुश नहीं थे। इस वजह से पार्टी को नुकसान झेलना पड़ा है। महिलाओं को हजार रुपये न देने वाली गारंटी का असर भी दिखा है। इसके अलावा इलाके में उस हिसाब से विकास नहीं हुआ। वहीं, कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल व प्रियंका गांधी और प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों से भी आप का कुछ वोट खिसका है। मुआवजे में देरी पड़ी भारी बठिंडा लोकसभा सीट से उम्मीदवार गुरमीत सिंह खुडियां राज्य सरकार में कृषि मंत्री हैं। लेकिन चुनाव में उन्हें किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा था। क्योंकि किसानों की फसलों काे हुए नुकसान का उचित मुआवजा नहीं मिला था। इस वजह से किसान नाराज चल रहे थे। इस इलाके में भी उचित तरीके से विकास नहीं हुआ। वहीं, सरकार की गारंटियां पूरी न होने का असर भी दिखा। हालांकि ढाई साल में ही सत्ता विरोधी लहर दिखी। विधायकों से नाराज, नशा व बेरोजगारी अमृतसर लोकसभा हलके से पार्टी ने तेज तर्रार नेता व मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल को चुनावी मैदान में थे। उनकी चुनावी कैंपेन के लिए खुद पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल अमृतसर आए थे। साथ ही रोड शो से लेकर जनसभा तक की थी। लेकिन लोगों ने उन्हें नकार दिया। उसकी वजह यह है एक तो उनका वर्चस्व अपने हलके तक सीमित रहा। दूसरा इस लोकसभा हलके के आप के विधायकों की कारगुजारी भी बढ़िया नहीं थी। कई विधायक तो विधानसभा चुनाव के बाद हलकों में सक्रिय नहीं थे। आखिरी समय में पार्टी ने दूसरी पार्टियों के कई दिग्गज नेता जॉइन भी करवाए। लेकिन उसका कोई फायदा पार्टी को नहीं मिला है। नशा और बेरोजगारी से लोग काफी आहत थे। पंथक मुद्दे रहे भारी खडूर साहिब में लोकसभा हलके में आप के परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर चुनावी मैदान में थे। यहां पर पर पार्टी तीसरे नंबर पर रही। हलके में पार्टी की हार की वजह है कि पार्टी के उम्मीदवारों को विधायकों का साथ नहीं मिला। वहीं, पंथक मुद्दे भी भारी रहे हैं। ढाई साल में पार्टी इन मुद्दों पर कुछ नहीं कर पाई। जबकि लोगों ने बड़े विश्वास से इस पार्टी को मौका दिया था। इस वजह से भी पार्टी को नुकसान हुआ है। कांग्रेस और भाजपा ने बिगाड़ा गणित गुरदासपुर लोकसभा सीट से AAP ने बटाला के विधायक अमन शेर सिंह कलसी को आखिरी में जाकर उम्मीदवार बनाया था। यहां पर पार्टी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर थी। दूसरा कांग्रेस ने दिग्गज व पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और भाजपा ने दिनेश बब्बू को चुनावी मैदान में उतारा था। ऐसे में वह शुरू से ही गिर गए। इस लोकसभा हलके में कांग्रेस काफी मजबूत है। पांच विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। वहीं, आप के इस हलके से मंत्री भी विवादों में रहे हैं। पार्टी से नाराजगी का असर फिरोजपुर लोकसभा हलके से आप ने मुक्तसर के विधायक को जगदीप सिंह काका बराड़ को चुनाव मैदान में उतारा था। यहां पर राय सिख बिरादरी का फायदा कांग्रेस को मिला। पार्टी के खिलाफ नाराजगी का भी काका बराड़ को नुकसान हुआ है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी की सुरक्षा में हुई चूक व राम मंदिर का अंडर करंट भी लोगों में देखने को मिला। विधायकों का नहीं मिला साथ लुधियाना से आप ने विधायक अशोक पराशर पप्पी को चुनावी मैदान में उतारा था। उन्हें आखिरी समय में टिकट दी गई थी। लेकिन यहां पर पार्टी में बिखराव था। सभी विधायकों का समर्थन उस हिसाब से नहीं मिला है। विरोधियों ने पार्टी की नीतियों व कमजोरियों पर जबरदस्त हमला बोला। इसके अलावा कांग्रेस के राहुल गांधी और भाजपा नेता अमित शाह की रैली से काफी समीकरण बदले। यहां कुछ स्थानीय मुद्दे भी हावी रहे हैं।
पंजाब के IG उमरानंगल मामले में सरकार को नोटिस:HC ने पूछा सस्पेंशन के दौरान का बकाया क्यों नहीं दिया, 8 अगस्त को होगी सुनवाई
पंजाब के IG उमरानंगल मामले में सरकार को नोटिस:HC ने पूछा सस्पेंशन के दौरान का बकाया क्यों नहीं दिया, 8 अगस्त को होगी सुनवाई पंजाब पुलिस के IG परमराज सिंह उमरानंगल से जुड़े मामले में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही पूछा है कि उन्हें बहाल करने के बाद अभी तक उनकी बकाया सेलरी व अन्य लाभ क्यों जारी नहीं किए। अदालत ने सरकार को साफ आदेश दिए हैं कि 8 अगस्त तक सारे बकाया जारी करे, वरना अगली पेशी पर गृह सचिव को पेश होना पड़ेगा। इस मामले की सुनवाई गत दिवस हुई थी, जबकि आज इस संबंधी आदेश जारी हुए हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर हुए थे बहाल हाईकोर्ट के आदेश पर ही करीब पांच साल से निलंबित चल रहे IG परमराज उमरानंगल को पंजाब सरकार ने 5 दिन पहले बहाल किया था। हालांकि उन्हें अभी तक पोस्टिंग नहीं दी गई है। अभी तक वह डीजीपी को ही रिपोर्ट करेंगे। करीब पांच महीने पहले फरवरी महीने में हाईकोर्ट ने उन्हें बहाल करने के आदेश दिए थे, लेकिन इसके बाद भी उन्हें बहाल नहीं किया गया था। इसके बाद उमरानंगल ने दोबारा उच्च न्यायालय की शरण ली थी। कोर्ट ने केस की सुनवाई करते हुए सरकार व पुलिस को फटकार लगाई थी व उन्हें 15 दिन में आदेश के पालन करने के आदेश दिए थे। 2019 में हुए थे सस्पेंड बहिबल कलां और कोटकपूरा पुलिस फायरिंग मामले में गठित एसआईटी ने 2019 आईजी परमराज सिंह उमरानंगल को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उमरानंगल को सस्पेंड कर दिया गया है। पंजाब के गृह विभाग ने इस पुलिस अधिकारी की गिरफ्तारी और उसके बाद अदालत द्वारा उसे जेल भेजे जाने की अधिकृत सूचना के बाद उक्त कार्रवाई की थी।