यूपी में नदियां उफान पर हैं। गोंडा में 6 दिन से रुक-रुककर बारिश हो रही है। यहां फसलें, गांव और घर जलमग्न हो चुके हैं। गांवों में 3 से 5 फीट तक पानी भरा है। सड़कों पर नांव चल रही है। घाघरा नदी खतरे के निशान से 80 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। बाढ़ से तरबगंज और कर्नलगंज तहसील के 36 गांवों की करीब 60 हजार आबादी प्रभावित है। गांव तक जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। घरों में पानी भर जाने से लोग पलायन कर रहे हैं। लोग ऊंचे स्थान या मेन रोड पर तिरपाल डालकर रह रहे हैं। वहीं, बाढ़ ने कर्नलगंज में सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। बाढ़ से बिगड़े हालात के बीच प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है। लोगों की मदद के लिए 150 से अधिक नाव की व्यवस्था की गई है। खाने-पीने के लिए राहत किट बांटी जा रही हैं। कई गांवों का मुख्यमार्ग से संपर्क टूट चुका है है। किसी तरह की अनहोनी से बचने के लिए कई सड़कों को बंद कर दिया गया है। बाढ़ प्रभावित इलाकों के हालात जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम गोंडा पहुंची… देखिए बाढ़ की भयावह तस्वीरें… पलायन करने को मजबूर ग्रामीण
बाढ़ के हालात जानने के लिए हम तरबगंज तहसील के बहादुरपुर गांव पहुंचे। यहां सड़कों पर नाव चल रही है। लोग सड़क के किनारे तिरपाल तानकर रह रहे हैं। तिरपाल के नीचे खाना बनाती महिलाएं दिखीं। बच्चे सड़क किनारे खेल रहे थे। कुछ लोग जानवरों का दूध निकाल रहे थे। यहां दर्जनों परिवार बाढ़ से बच कर अपना गुजारा करते दिखे। प्रशासन ने लगाईं 150 नाव
प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेज कर दिए हैं। लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आवाजाही के लिए 150 नाव लगाई गई हैं। वहीं, पीड़ितों को राहत किट और लंच पैकेट भी बांटे जा रहे हैं। बहादुरपुर गांव में बाढ़ के कारण दर्जनों घर में पानी भर चुका है। ग्रामीण अपने घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर पलायन कर चुके हैं। कई लोग मकानों की निगरानी के लिए दिन भर घर पर रहते हैं और शाम को ऊंचे स्थानों पर लौट जाते हैं। स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में भी पानी भरा है, जिसके कारण इन्हें बंद कर दिया गया है। स्कूल में तीन फीट तक पानी भरा है। बच्चों की छुट्टी कर दी गई है। कर्नलगंज के नखरा और अन्य गांवों में भी हालात बाढ़ बद से बदतर हैं। घरों में 4-5 फीट तक पानी भर गया है। कई लोग छतों पर रहने को मजबूर हैं। घाघरा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। जिससे करीब 25 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। ड्रोन से हो रही तटबंधों की निगरानी
घाघरा नदी भिखारीपुर-सकरौर तटबंध से सटकर बह रही है। तटबंधों की निगरानी ड्रोन कैमरे से की जा रही है। बाढ़ पीड़ितों के मुताबिक, पानी भर जाने से वह घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं। राहत सामग्री की कमी और अधिकारियों की अनदेखी से जीवन यापन मुश्किल हो गया है। खाना बनाना, सोना और पशुओं के लिए चारा लाना तक मुश्किल हो गया है। बहादुरपुर निवासी बृजेश प्रताप सिंह, सरबजीत सिंह, राम इंदर यादव और चंद्रपता ने बताया कि उनके घरों में पानी भर गया है। उन्हें खाने-पीने और पशुओं के लिए चारा लाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। जिला प्रशासन से कभी-कभी राहत सामग्री उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन हमारी समस्याएं गंभीर बनी हुई हैं। बाढ़ में प्रशासन और समाज के अन्य संगठनों से तत्काल प्रभावी सहायता नहीं मिल पा रही है। ताकि हमारे जैसे बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत और पूरी सुरक्षा मिल सके। संदीप सिंह ने बताया कि बाढ़ में हमारा सब कुछ डूब चुका है। हम लोग घरों में रखा सामान भी नहीं निकाल पाए। खाने पीने के लिए भी काफी परेशानी हो रही है। कुछ लोगों को सरकार की तरफ से मदद के तौर पर पैसे मिले हैं। जिससे वह अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। बहादुरपुर के रहने वाले भागीरथ ने बताया कि किसी तरह गुजारा कर रहे हैं। पानी इतना ज्यादा है कि नल भी डूब गया है। पीने तक का पानी सही से नहीं मिल पा रहा है। यहां अभी तक सहायता नहीं पहुंची है। हम लोगों को बहुत परेशानी हो रही है। ये खबर भी पढ़ें… लखीमपुर के घरों में 6-6 फीट पानी, छत पर लोग:220 गांव प्रभावित 5 दिन की बारिश के बाद यूपी की नदियां उफान पर हैं। लखीमपुर के हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। यहां उत्तराखंड के बनबसा बैराज से शारदा नदी में 9 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। जिसकी वजह से 5 तहसीलों के 220 गांवों में बाढ़ आ गई। पलिया तहसील टापू बन गया। यहां करीब 1 लाख लोग फंस गए। पलिया, गोला और धौरहरा तहसील के 25 से ज्यादा गांवों में 5-6 फीट तक पानी भरा है। यहां गांव तक जाने का एकमात्र सहारा नाव है। लोग गांव के ऊंचे स्थानों या मेन सड़क पर परिवार समेत तिरपाल डालकर रह रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर… यूपी में नदियां उफान पर हैं। गोंडा में 6 दिन से रुक-रुककर बारिश हो रही है। यहां फसलें, गांव और घर जलमग्न हो चुके हैं। गांवों में 3 से 5 फीट तक पानी भरा है। सड़कों पर नांव चल रही है। घाघरा नदी खतरे के निशान से 80 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। बाढ़ से तरबगंज और कर्नलगंज तहसील के 36 गांवों की करीब 60 हजार आबादी प्रभावित है। गांव तक जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। घरों में पानी भर जाने से लोग पलायन कर रहे हैं। लोग ऊंचे स्थान या मेन रोड पर तिरपाल डालकर रह रहे हैं। वहीं, बाढ़ ने कर्नलगंज में सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। बाढ़ से बिगड़े हालात के बीच प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है। लोगों की मदद के लिए 150 से अधिक नाव की व्यवस्था की गई है। खाने-पीने के लिए राहत किट बांटी जा रही हैं। कई गांवों का मुख्यमार्ग से संपर्क टूट चुका है है। किसी तरह की अनहोनी से बचने के लिए कई सड़कों को बंद कर दिया गया है। बाढ़ प्रभावित इलाकों के हालात जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम गोंडा पहुंची… देखिए बाढ़ की भयावह तस्वीरें… पलायन करने को मजबूर ग्रामीण
बाढ़ के हालात जानने के लिए हम तरबगंज तहसील के बहादुरपुर गांव पहुंचे। यहां सड़कों पर नाव चल रही है। लोग सड़क के किनारे तिरपाल तानकर रह रहे हैं। तिरपाल के नीचे खाना बनाती महिलाएं दिखीं। बच्चे सड़क किनारे खेल रहे थे। कुछ लोग जानवरों का दूध निकाल रहे थे। यहां दर्जनों परिवार बाढ़ से बच कर अपना गुजारा करते दिखे। प्रशासन ने लगाईं 150 नाव
प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेज कर दिए हैं। लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक आवाजाही के लिए 150 नाव लगाई गई हैं। वहीं, पीड़ितों को राहत किट और लंच पैकेट भी बांटे जा रहे हैं। बहादुरपुर गांव में बाढ़ के कारण दर्जनों घर में पानी भर चुका है। ग्रामीण अपने घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर पलायन कर चुके हैं। कई लोग मकानों की निगरानी के लिए दिन भर घर पर रहते हैं और शाम को ऊंचे स्थानों पर लौट जाते हैं। स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में भी पानी भरा है, जिसके कारण इन्हें बंद कर दिया गया है। स्कूल में तीन फीट तक पानी भरा है। बच्चों की छुट्टी कर दी गई है। कर्नलगंज के नखरा और अन्य गांवों में भी हालात बाढ़ बद से बदतर हैं। घरों में 4-5 फीट तक पानी भर गया है। कई लोग छतों पर रहने को मजबूर हैं। घाघरा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। जिससे करीब 25 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। ड्रोन से हो रही तटबंधों की निगरानी
घाघरा नदी भिखारीपुर-सकरौर तटबंध से सटकर बह रही है। तटबंधों की निगरानी ड्रोन कैमरे से की जा रही है। बाढ़ पीड़ितों के मुताबिक, पानी भर जाने से वह घर छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं। राहत सामग्री की कमी और अधिकारियों की अनदेखी से जीवन यापन मुश्किल हो गया है। खाना बनाना, सोना और पशुओं के लिए चारा लाना तक मुश्किल हो गया है। बहादुरपुर निवासी बृजेश प्रताप सिंह, सरबजीत सिंह, राम इंदर यादव और चंद्रपता ने बताया कि उनके घरों में पानी भर गया है। उन्हें खाने-पीने और पशुओं के लिए चारा लाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। जिला प्रशासन से कभी-कभी राहत सामग्री उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन हमारी समस्याएं गंभीर बनी हुई हैं। बाढ़ में प्रशासन और समाज के अन्य संगठनों से तत्काल प्रभावी सहायता नहीं मिल पा रही है। ताकि हमारे जैसे बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत और पूरी सुरक्षा मिल सके। संदीप सिंह ने बताया कि बाढ़ में हमारा सब कुछ डूब चुका है। हम लोग घरों में रखा सामान भी नहीं निकाल पाए। खाने पीने के लिए भी काफी परेशानी हो रही है। कुछ लोगों को सरकार की तरफ से मदद के तौर पर पैसे मिले हैं। जिससे वह अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। बहादुरपुर के रहने वाले भागीरथ ने बताया कि किसी तरह गुजारा कर रहे हैं। पानी इतना ज्यादा है कि नल भी डूब गया है। पीने तक का पानी सही से नहीं मिल पा रहा है। यहां अभी तक सहायता नहीं पहुंची है। हम लोगों को बहुत परेशानी हो रही है। ये खबर भी पढ़ें… लखीमपुर के घरों में 6-6 फीट पानी, छत पर लोग:220 गांव प्रभावित 5 दिन की बारिश के बाद यूपी की नदियां उफान पर हैं। लखीमपुर के हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। यहां उत्तराखंड के बनबसा बैराज से शारदा नदी में 9 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। जिसकी वजह से 5 तहसीलों के 220 गांवों में बाढ़ आ गई। पलिया तहसील टापू बन गया। यहां करीब 1 लाख लोग फंस गए। पलिया, गोला और धौरहरा तहसील के 25 से ज्यादा गांवों में 5-6 फीट तक पानी भरा है। यहां गांव तक जाने का एकमात्र सहारा नाव है। लोग गांव के ऊंचे स्थानों या मेन सड़क पर परिवार समेत तिरपाल डालकर रह रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर