हरियाणा में हिसार जिले की बरवाला विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार रामनिवास घोड़ेला मुश्किलों में पड़ते नजर आ रहे हैं। गुटबाजी के कारण यहां कांग्रेस की लड़ाई खुद से हैं। इसी कारण दूसरे उम्मीदवार भाजपा के रणबीर गंगवा और इनेलो की संजना सातरोड़ में मुकाबला बनता दिख रहा है। शहरों व साथ लगते इलाकों में जहां गंगवा की टीमें एक्टिव हैं तो वहीं ग्रामीण इलाकों में संजना सातरोड़ लगातार प्रचार कर रही हैं। रामनिवास घोड़ेला पर 2 बार लगातार हार का टैग भी है, और सीएलयू कांड के आरोपों पर हलके में ही लोगों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। किसान नेताओं ने पिछले दिनों पंचायत कर रामनिवास घोड़ेला की उम्मीदवारी का विरोध जताया था। अब किसान नेताओं ने इसको लेकर 20 सितंबर को पंचायत बुलाई है। बता दें कि किसानों ने एआईसीसी दफ्तर दिल्ली में पिछले दिनों टिकट वितरण को लेकर भारी विरोध किया था। मगर कांग्रेस ने बरवाला में सीएलयू कांड के आरोपी को टिकट दे दिया। गंगवा को ओबीसी और संजना को जाट वर्ग दे रहा समर्थन रणबीर गंगवा पूर्व डिप्टी स्पीकर रहे हैं। वह करीब 10 साल से विधायक हैं और 2010 से 2014 तक राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। उनके राजनीतिक जीवन में उन पर किसी तरह का दाग नहीं है। यही कारण है कि घोड़ेला को छोड़ ओबीसी वर्ग गंगवा को समर्थन करने में लगा है। पहले कुम्हार सभा और अब उसके बाद जांगड़ा सभा ने भी रणबीर गंगवा का समर्थन किया है। इसके अलावा प्रमुख पार्टियों से ओबीसी फेस मैदान में है, तो इनेलो ने जाट फेस संजना सातरोड़ पर दांव खेला है। संजना हलके में लगातार सक्रिय है। इनेलो से टिकट मिलने पर उनकी स्थिति और मजबूत मानी जा रही है। मुकाबला गंगवा और संजना के बीच देखने को मिल रहा है। घोड़ेला को अपनों का ही साथ नहीं बता दें कि सीएलयू कांड में राम निवास घोड़ेला पर आरोप लगे हैं। उम्मीदवार का विरोध टिकट मिलने से पहले हो रहा था। ऐसे में कांग्रेस के स्थानीय नेता भी घोड़ेला का साथ नहीं दे रहे हैं। कांग्रेस नेता राजेंद्र सूरा, रणधीर धीरा, राजेश संदलाना, कृष्ण सातरोड़ और भूपेंद्र गंगवा कांग्रेस प्रत्याशी से दूरी बनाए हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए चुनाव में आगे और मुश्किलें बढ़ने वाली है। राम निवास घोड़ेला पर दर्ज हुआ था केस 2009 से 2014 के बीच तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे विनोद भ्याना, रामकिशन फौजी, विधायक जरनैल सिंह, स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह, विधायक नरेश सेलवाल ने सीएलयू करवाने के लिए, वक्फ बोर्ड की जमीन रिलीज करवाने के लिए और विधायक रामनिवास घोड़ेला ने सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत ईंट भट्टों पर बच्चों को पढ़ाने का काम एनजीओ को दिलवाने के लिए घूस की मांग की थी। इस मामले के बारे में एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया था। उस स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर इनेलो ने 2014 में इन सबके खिलाफ भ्रष्ट आचरण की शिकायत लोकायुक्त से की थी। तत्कालीन लोकायुक्त ने 16 दिसंबर, 2015 को उपरोक्त सभी को भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत एसआईटी गठित करके जांच के आदेश दिए थे। उन्होंने कहा कि 27 जुलाई, 2015 को तत्कालीन एडीजीपी एवं एसआईटी के इंचार्ज वी कामराजा ने इन सबको भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत दोषी माना और इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी। जिसके आधार पर इन सबके खिलाफ मुकदमे स्टेट विजिलेंस ब्यूरो द्वारा दर्ज किए गए थे। विनोद भ्याना का पीए जेल में भी रहा और उसके खिलाफ हिसार में मुकदमा चल रहा है। हरियाणा में हिसार जिले की बरवाला विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार रामनिवास घोड़ेला मुश्किलों में पड़ते नजर आ रहे हैं। गुटबाजी के कारण यहां कांग्रेस की लड़ाई खुद से हैं। इसी कारण दूसरे उम्मीदवार भाजपा के रणबीर गंगवा और इनेलो की संजना सातरोड़ में मुकाबला बनता दिख रहा है। शहरों व साथ लगते इलाकों में जहां गंगवा की टीमें एक्टिव हैं तो वहीं ग्रामीण इलाकों में संजना सातरोड़ लगातार प्रचार कर रही हैं। रामनिवास घोड़ेला पर 2 बार लगातार हार का टैग भी है, और सीएलयू कांड के आरोपों पर हलके में ही लोगों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। किसान नेताओं ने पिछले दिनों पंचायत कर रामनिवास घोड़ेला की उम्मीदवारी का विरोध जताया था। अब किसान नेताओं ने इसको लेकर 20 सितंबर को पंचायत बुलाई है। बता दें कि किसानों ने एआईसीसी दफ्तर दिल्ली में पिछले दिनों टिकट वितरण को लेकर भारी विरोध किया था। मगर कांग्रेस ने बरवाला में सीएलयू कांड के आरोपी को टिकट दे दिया। गंगवा को ओबीसी और संजना को जाट वर्ग दे रहा समर्थन रणबीर गंगवा पूर्व डिप्टी स्पीकर रहे हैं। वह करीब 10 साल से विधायक हैं और 2010 से 2014 तक राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। उनके राजनीतिक जीवन में उन पर किसी तरह का दाग नहीं है। यही कारण है कि घोड़ेला को छोड़ ओबीसी वर्ग गंगवा को समर्थन करने में लगा है। पहले कुम्हार सभा और अब उसके बाद जांगड़ा सभा ने भी रणबीर गंगवा का समर्थन किया है। इसके अलावा प्रमुख पार्टियों से ओबीसी फेस मैदान में है, तो इनेलो ने जाट फेस संजना सातरोड़ पर दांव खेला है। संजना हलके में लगातार सक्रिय है। इनेलो से टिकट मिलने पर उनकी स्थिति और मजबूत मानी जा रही है। मुकाबला गंगवा और संजना के बीच देखने को मिल रहा है। घोड़ेला को अपनों का ही साथ नहीं बता दें कि सीएलयू कांड में राम निवास घोड़ेला पर आरोप लगे हैं। उम्मीदवार का विरोध टिकट मिलने से पहले हो रहा था। ऐसे में कांग्रेस के स्थानीय नेता भी घोड़ेला का साथ नहीं दे रहे हैं। कांग्रेस नेता राजेंद्र सूरा, रणधीर धीरा, राजेश संदलाना, कृष्ण सातरोड़ और भूपेंद्र गंगवा कांग्रेस प्रत्याशी से दूरी बनाए हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए चुनाव में आगे और मुश्किलें बढ़ने वाली है। राम निवास घोड़ेला पर दर्ज हुआ था केस 2009 से 2014 के बीच तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे विनोद भ्याना, रामकिशन फौजी, विधायक जरनैल सिंह, स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह, विधायक नरेश सेलवाल ने सीएलयू करवाने के लिए, वक्फ बोर्ड की जमीन रिलीज करवाने के लिए और विधायक रामनिवास घोड़ेला ने सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत ईंट भट्टों पर बच्चों को पढ़ाने का काम एनजीओ को दिलवाने के लिए घूस की मांग की थी। इस मामले के बारे में एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया था। उस स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर इनेलो ने 2014 में इन सबके खिलाफ भ्रष्ट आचरण की शिकायत लोकायुक्त से की थी। तत्कालीन लोकायुक्त ने 16 दिसंबर, 2015 को उपरोक्त सभी को भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत एसआईटी गठित करके जांच के आदेश दिए थे। उन्होंने कहा कि 27 जुलाई, 2015 को तत्कालीन एडीजीपी एवं एसआईटी के इंचार्ज वी कामराजा ने इन सबको भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत दोषी माना और इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी। जिसके आधार पर इन सबके खिलाफ मुकदमे स्टेट विजिलेंस ब्यूरो द्वारा दर्ज किए गए थे। विनोद भ्याना का पीए जेल में भी रहा और उसके खिलाफ हिसार में मुकदमा चल रहा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हिसार में विवाहिता को ज़हर देकर मारा:भाई को फोन कर बोली- मुझे मार डालेंगे, परिजनों का आरोप- मारपीट करते थे
हिसार में विवाहिता को ज़हर देकर मारा:भाई को फोन कर बोली- मुझे मार डालेंगे, परिजनों का आरोप- मारपीट करते थे बरवाला में शनिवार को एक महिला की मौत हो गई, मायके पक्ष के लोगों का आरोप है कि ससुराल वालों ने उसे ज़हर देकर मारा है। हालांकि अभी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने नहीं आई है लेकिन परिजनों का कहना है कि उसके पति और ससुराल पक्ष के अन्य लोग आए दिन उसके साथ मारपीट करते थे। मृतका का नाम उषा (41) है, जो कि उकलाना वार्ड नंo 11 की रहने वाली थी, उषा की शादी बरवाला शहर में लेखराम नामक युवक से हुई थी। 2003 में हुई थी शादी मृतका उषा के भाई धर्मेंद्र ने बरवाला पुलिस में उसके ससुराल पक्ष के लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। धर्मेंद्र ने बताया कि उषा की शादी 2003 में लेखराम से हुई थी। वो अक्सर मेरी बहन के साथ मारपीट करते थे। मेरी बहन के तीन बच्चे हैं, दो लड़की मुस्कान व मनीषा और एक लड़का अंकुश है। मुस्कान की शादी हो चुकी है और मनीषा व अंकुश पढ़ाई कर रहे हैं। धर्मेंद्र ने बताया कि पिछले दिन मेरी बहन का कई बार फोन आया, उसने रोते हुए बताया कि ये लोग मेरे साथ मारपीट कर रहे हैं, मैं इनसे तंग आ चुकी हूं, मेरे ससुराल वाले मुझे ज़हर देकर मारने की कोशिश कर रहे हैं। इतने में उसका फोन कट गया। ससुराल वालों ने नहीं उठाया फोन मृतका के भाई ने बताया कि उषा का फोन आने के बाद तुरंत मेरे भाई विजय, मैं और मां अंबी देवी बरवाला के लिए निकल गए। तभी किसी का फोन आया कि उषा को अग्रोहा मेडिकल लेकर जा रहे हैं। हम जब अग्रोहा पहुंचे तो हमें उषा वहां नहीं मिली। इसके बाद उषा के भाई लेखराम के फोन पर संपर्क किया गया तो उसने बताया कि हिसार सर्वोदय या चूड़ामणि अस्पताल में उषा को ले जा रहे हैं। फिर हम सर्वोदय व चूड़ामणि में पहुंचे थे, वहां भी हमें कोई नहीं मिला और ना ही किसी ने फोन उठाया। परिजन पहुंचे तो ससुराल में कोई नहीं मिला मृतका के भाई ने बताया कि इसके बाद हम बरवाला आ गए तो घर पर भी कोई नहीं मिला। हम उनकी गली के सामने मेन रोड पर खड़े हो कर इंतजार करने लगे।
करीब रात 11:00 बजे हिसार की तरफ से एम्बुलेंस आई तो हमने रुकवा ली एंबुलेंस में उषा के दोनों बच्चे, उषा की नंनद लिलो, जेठानी शांति पत्नि महेंद्र थी। उन्होंने बताया कि उषा की मृत्यु हो चुकी है। फिर मैं व अन्य परिवार वाले उषा को CHC बरवाला ले गए। जहां पर डॉक्टरों ने उषा को मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने दर्ज किया मामला हिसार के नागरिक अस्पताल में मृतका का पोस्टमॉर्टम करवाया गया जिसके बाद डेथ बॉडी परिजनों को सौंप दी गई। धर्मेंद्र ने कहा कि मेरी बहन उषा के ससुराल में हमेशा घरेलू क्लेश और आपसी झगड़ा होता रहता था। हमें शक है कि मेरी बहन को इन लोगों ने ज़हर देकर मारा है। इस मामले में उन्होंने बरवाला थाने में शिकायत भी की, जिसके बाद पुलिस ने मृतका के ससुराल पक्ष के लोगों पर महिला के साथ क्रूरता करने और हत्या के मामले में क्रमशः धारा 85, 103(1), 3(5) BNS के तहत केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। ससुराल पक्ष के सभी आरोपी फरार बताए जा रहे हैं।
हरियाणा डेरे में गद्दी विवाद, श्रद्धालुओं को सत्संग से रोका:पुलिस बोली- लंगर खाओ और डेरा खाली करो; श्रद्धालु बोले- हमारे पास परमिशन थी
हरियाणा डेरे में गद्दी विवाद, श्रद्धालुओं को सत्संग से रोका:पुलिस बोली- लंगर खाओ और डेरा खाली करो; श्रद्धालु बोले- हमारे पास परमिशन थी हरियाणा में सिरसा के डेरा जगमाल वाली के गद्दीनशीन संत वकील साहब के निधन के बाद उठा विवाद थमा नहीं है। वकील साहब को श्रद्धांजलि देने के लिए फतेहाबाद के डेरे में सत्संग का आयोजन किया गया था। मगर, ऐन मौके पर पुलिस ने सत्संग रोकने को कह दिया। इससे संगत भड़क गई। उन्होंने आरोप लगाया कि परमिशन के बावजूद उन्हें यहां सत्संग नहीं करने दिया जा रहा। उनका कहना था कि यह सब मौजूदा गद्दीनशीन वीरेंद्र सिंह के इशारों पर हो रहा है। मामला शनिवार शाम का है, जब डेरे के अंदर लंगर चल रहा था। उसके बाद श्रद्धांजलि सभा होने ही वाली थी। तब तक बाहर पुलिस की टीमें तैनात हो चुकी थी। प्रशासनिक टीमें कागजात की छानबीन में जुट गईं। हालांकि पुलिस के रोकने के बाद रात को संगत द्वारा डेरे से साइड में जाकर सत्संग का कार्यक्रम किया गया। श्रद्धालुओं ने बताया कि वे अपने दिवंगत संत को श्रद्धांजलि देने के लिए सत्संग कर रहे थे। इसके लिए 18 सितंबर को संगत द्वारा जिला प्रशासन से परमिशन ली गई थी। डबवाली, सिरसा, ऐलनाबाद सहित दूर-दराज से लोग सभा के लिए फतेहाबाद के डेरा में पहुंच गए थे और लंगर भी बना लिया गया था। इतने में पुलिस मौके पर पहुंची और बताया गया कि यहां अब सत्संग नहीं किया जा सकता। चूंकि लंगर बन गया है तो लंगर ग्रहण करके डेरा खाली कर दो। इस पर श्रद्धालुओं रोष पनप गया। उन्होंने कहा कि डेरे पर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है। श्रद्धालु बोले- प्रॉपर्टी संगत की है
चंडीगढ़ से आए गुरदास सिंह ने बताया कि जगमालवाली डेरा की नींव रखने वाले पहले गुरू मैनेजर साहिब उनके परनाना थे। देश में 10 से 12 डेरे संगत ने जमीन दान देकर बनवाए। यह ट्रस्ट 1980 में दिल्ली में रजिस्टर हुआ और उनके दादा ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे हैं, इसलिए यह प्रॉपर्टी साध संगत की है। अज्ञात शक्ति के कहने पर सत्संग रोका गया
दिल्ली से आए संजय गुर्जर व प्रीतम सिंह आदि ने कहा कि वीरेंद्र सिंह के कहने पर यह सब कुछ हो रहा है और प्रशासन व सरकार उनसे दब रहा है। वीरेंद्र बड़े हैं या लाखों संगत। उन्होंने कहा कि आज यहां संगत सिर्फ सत्संग कर रही थी और प्रशासन द्वारा अज्ञात शक्ति के कहने पर यह रोक दिया गया। हर महीने सत्संग होता था तो आज क्यों नहीं
उन्होंने कहा कि यह शक्ति वीरेंद्र सिंह है। उन्होंने कहा कि डेरे की गद्दी व डेरे पर वीरेंद्र सिंह कब्जा करना चाह रहे हैं। वे कहते हैं कि डेरे उनके हैं तो संगत कहां जाए। उन्होंने कहा कि हर माह पहले 21 तारीख को यहां सत्संग होता रहा है तो आज ही क्यों रोका जा रहा है। 5 राज्यों से लोग आए, सब परेशान हुए
उन्होंने कहा कि वीरेंद्र सिंह व उनके साथियों का संगत द्वारा बहिष्कार किया हुआ है और उसी कारण अब सत्संग करने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब कोर्ट में भी अपील की गई है। आज की सत्संग में राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, यूपी, दिल्ली से लोग आए हैं, जो अब बुरी तरह परेशान हो चुके हैं। पुलिस बोली- ज्यादा कुछ नहीं बता सकते
उधर मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी पर प्रह्लाद सिंह ने बताया कि अभी तक कागजों की छानबीन जारी है और मामले की पड़ताल की जा रही है इससे ज्यादा में कुछ नहीं बता सकते। डेरे से जुडे कागजातों की जांच हो रही है। दूसरी तरफ श्रद्धालुओं में पुलिस के हस्तक्षेप से रोष है। डेरा जगमाल वाली का विवाद क्या है… 1. 1 अगस्त को हुआ डेरा मुखी का निधन, 2 पक्षों में गोलियां चलीं
सिरसा में डेरा जगमालवाली के प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील साहब की एक अगस्त को मौत हो गई थी। इसके बाद गद्दी को लेकर डेरे में 2 पक्ष आमने-सामने हो गए थे। यहां गोलियां भी चलीं। तनावपूर्ण माहौल के चलते डेरे में पुलिस फोर्स तैनात की गई। परिवार के लोगों ने 2 अगस्त (शुक्रवार) को मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम जगमालवाली में डेरा प्रमुख को समाधि दी गई। इस दौरान परिवार के लोग और डेरे से जुड़े लोग मौजूद रहे। 2. महात्मा ने खुद को डेरामुखी घोषित किया
समाधी वाले दिन ही सूफी गायक और महात्मा बीरेंद्र सिंह ने खुद को डेरा जगमालवाली का नया प्रमुख घोषित किया। सूफी गायकी में बीरेंद्र सिंह के साथी और डेरे के अनुयायी शमशेर लहरी ने दावा किया कि महाराज जी ने चोला छोड़ने से डेढ़ साल पहले ही अपनी वसीयत महात्मा बीरेंद्र सिंह के नाम बिना किसी दबाव में लिख दी थी। इसमें बीरेंद्र सिंह को संगत की सेवा करने का हुकुम दिया गया था। वसीयत लिखे जाने के बाद उसे महाराज जी की मौजूदगी में वकील की ओर से बाकायदा पढ़ा गया था और उसकी पूरी वीडियोग्राफी करवाई गई थी। 3. दूसरे पक्ष ने डेरामुखी मानने से इनकार किया
उधर महाराज बहादुर चंद वकील साहब के भतीजे अमर सिंह और कुछ लोगों ने बीरेंद्र सिंह को नया डेरा प्रमुख मानने से इनकार कर दिया है। अमर सिंह ने कहा कि बीरेंद्र सिंह, बलकौर सिंह, शमशेर लहरी और नंदलाल ग्रोवर ही 1 अगस्त को डेरे की गद्दी हथियाने के चक्कर में महाराज जी का जल्दबाजी में संस्कार करना चाहते थे। महाराज जी की मौत संदिग्ध है और इसकी CBI जांच होनी चाहिए। 4. साठ साल पहले बना था बलूचिस्तानी आश्रम
सिरसा के जगमालवाली स्थित मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम की शुरुआत 1964-65 में हुई। यहां बाबा सज्जन सिंह रूहल ने संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब को अपनी कई एकड़ जमीन दान में देकर डेरा बनाने का अनुरोध किया। इसके बाद संत गुरबख्श सिंह मैनेजर साहिब ने यहां मस्ताना शाह बलोचिस्तानी आश्रम की स्थापना की। पहले यह छोटा सा आश्रम था लेकिन उसके बाद तकरीबन 100-100 फीट का सचखंड बनाया गया। इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई स्तंभ नहीं बना हुआ।
पलवल में देवर ने किया रेप का प्रयास:विरोध करने पर ससुरालियों ने पीटा, पीड़िता के परिजनों से भी मारपीट
पलवल में देवर ने किया रेप का प्रयास:विरोध करने पर ससुरालियों ने पीटा, पीड़िता के परिजनों से भी मारपीट पलवल जिले में एक विवाहिता के साथ उसका देवर जबरन अवैध संबंध बनाना चाहता था। पीड़िता के विरोध करने पर उसके पति सहित ससुराल वालों ने उसके साथ मारपीट की। मारपीट के बाद उसके भाई, मां व बहन उसके पास आए तो ससुराल वालों ने उनके साथ भी मारपीट की। इतना ही नहीं आरोपी उसकी बहन को घसीटकर अंदर ले गए और छेड़छाड़ की। पुलिस ने विवाहिता की शिकायत पर उसके पति, देवर सहित पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। देवर ने किया रेप का प्रयास चांदहट थाना प्रभारी जगबीर सिंह के अनुसार, एक विवाहिता ने दी शिकायत में कहा है कि उसकी शादी 2015 में हुई थी। शादी के बाद उसके दो बेटों को भी जन्म दिया। लेकिन उसका पति, सास, देवर, ननद और भांजा उसके साथ आए दिन मारपीट करते रहते है। जिसको लेकर कई बार पंच-पंचायत हुई, परंतु वे अपनी आदतों से बाज नहीं आए। 15 अगस्त को उसके साथ सभी ने मारपीट की और उसके देवर ने छेड़छाड़ कर जबरन उसके साथ रेप करने का प्रयास किया। आरोप है कि देवर पहले भी कई बार वारदात कर चुका है। लेकिन वह शर्म के कार चुप रही। बहन के साथ भी की छेड़छाड़ झगड़े की बात सुनकर उसकी मां, भाई, बहन और भांजा उसकी ससुराल आए तो आरोपियों ने उनके साथ भी मारपीट की और उसकी बहन को उसका देवर व उसके साथी घसीटते हुए अंदर कमरे में ले गए और छेड़छाड़ की। झगड़े में उसे, उसकी बहन, भाई, और मां को चोट आई है। उन्होंने डायल 112 पर फोन किया तो पुलिस मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने उन्हें उपचार के लिए जिला नागरिक अस्पताल भिजवा दिया। पुलिस ने विवाहिता की शिकायत पर उसके पति, देवर, सास, ननद और भांजे के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि मामले की जांच कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।