हरियाणा में हिसार जिले की बरवाला विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार रामनिवास घोड़ेला मुश्किलों में पड़ते नजर आ रहे हैं। गुटबाजी के कारण यहां कांग्रेस की लड़ाई खुद से हैं। इसी कारण दूसरे उम्मीदवार भाजपा के रणबीर गंगवा और इनेलो की संजना सातरोड़ में मुकाबला बनता दिख रहा है। शहरों व साथ लगते इलाकों में जहां गंगवा की टीमें एक्टिव हैं तो वहीं ग्रामीण इलाकों में संजना सातरोड़ लगातार प्रचार कर रही हैं। रामनिवास घोड़ेला पर 2 बार लगातार हार का टैग भी है, और सीएलयू कांड के आरोपों पर हलके में ही लोगों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। किसान नेताओं ने पिछले दिनों पंचायत कर रामनिवास घोड़ेला की उम्मीदवारी का विरोध जताया था। अब किसान नेताओं ने इसको लेकर 20 सितंबर को पंचायत बुलाई है। बता दें कि किसानों ने एआईसीसी दफ्तर दिल्ली में पिछले दिनों टिकट वितरण को लेकर भारी विरोध किया था। मगर कांग्रेस ने बरवाला में सीएलयू कांड के आरोपी को टिकट दे दिया। गंगवा को ओबीसी और संजना को जाट वर्ग दे रहा समर्थन रणबीर गंगवा पूर्व डिप्टी स्पीकर रहे हैं। वह करीब 10 साल से विधायक हैं और 2010 से 2014 तक राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। उनके राजनीतिक जीवन में उन पर किसी तरह का दाग नहीं है। यही कारण है कि घोड़ेला को छोड़ ओबीसी वर्ग गंगवा को समर्थन करने में लगा है। पहले कुम्हार सभा और अब उसके बाद जांगड़ा सभा ने भी रणबीर गंगवा का समर्थन किया है। इसके अलावा प्रमुख पार्टियों से ओबीसी फेस मैदान में है, तो इनेलो ने जाट फेस संजना सातरोड़ पर दांव खेला है। संजना हलके में लगातार सक्रिय है। इनेलो से टिकट मिलने पर उनकी स्थिति और मजबूत मानी जा रही है। मुकाबला गंगवा और संजना के बीच देखने को मिल रहा है। घोड़ेला को अपनों का ही साथ नहीं बता दें कि सीएलयू कांड में राम निवास घोड़ेला पर आरोप लगे हैं। उम्मीदवार का विरोध टिकट मिलने से पहले हो रहा था। ऐसे में कांग्रेस के स्थानीय नेता भी घोड़ेला का साथ नहीं दे रहे हैं। कांग्रेस नेता राजेंद्र सूरा, रणधीर धीरा, राजेश संदलाना, कृष्ण सातरोड़ और भूपेंद्र गंगवा कांग्रेस प्रत्याशी से दूरी बनाए हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए चुनाव में आगे और मुश्किलें बढ़ने वाली है। राम निवास घोड़ेला पर दर्ज हुआ था केस 2009 से 2014 के बीच तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे विनोद भ्याना, रामकिशन फौजी, विधायक जरनैल सिंह, स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह, विधायक नरेश सेलवाल ने सीएलयू करवाने के लिए, वक्फ बोर्ड की जमीन रिलीज करवाने के लिए और विधायक रामनिवास घोड़ेला ने सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत ईंट भट्टों पर बच्चों को पढ़ाने का काम एनजीओ को दिलवाने के लिए घूस की मांग की थी। इस मामले के बारे में एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया था। उस स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर इनेलो ने 2014 में इन सबके खिलाफ भ्रष्ट आचरण की शिकायत लोकायुक्त से की थी। तत्कालीन लोकायुक्त ने 16 दिसंबर, 2015 को उपरोक्त सभी को भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत एसआईटी गठित करके जांच के आदेश दिए थे। उन्होंने कहा कि 27 जुलाई, 2015 को तत्कालीन एडीजीपी एवं एसआईटी के इंचार्ज वी कामराजा ने इन सबको भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत दोषी माना और इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी। जिसके आधार पर इन सबके खिलाफ मुकदमे स्टेट विजिलेंस ब्यूरो द्वारा दर्ज किए गए थे। विनोद भ्याना का पीए जेल में भी रहा और उसके खिलाफ हिसार में मुकदमा चल रहा है। हरियाणा में हिसार जिले की बरवाला विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार रामनिवास घोड़ेला मुश्किलों में पड़ते नजर आ रहे हैं। गुटबाजी के कारण यहां कांग्रेस की लड़ाई खुद से हैं। इसी कारण दूसरे उम्मीदवार भाजपा के रणबीर गंगवा और इनेलो की संजना सातरोड़ में मुकाबला बनता दिख रहा है। शहरों व साथ लगते इलाकों में जहां गंगवा की टीमें एक्टिव हैं तो वहीं ग्रामीण इलाकों में संजना सातरोड़ लगातार प्रचार कर रही हैं। रामनिवास घोड़ेला पर 2 बार लगातार हार का टैग भी है, और सीएलयू कांड के आरोपों पर हलके में ही लोगों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। किसान नेताओं ने पिछले दिनों पंचायत कर रामनिवास घोड़ेला की उम्मीदवारी का विरोध जताया था। अब किसान नेताओं ने इसको लेकर 20 सितंबर को पंचायत बुलाई है। बता दें कि किसानों ने एआईसीसी दफ्तर दिल्ली में पिछले दिनों टिकट वितरण को लेकर भारी विरोध किया था। मगर कांग्रेस ने बरवाला में सीएलयू कांड के आरोपी को टिकट दे दिया। गंगवा को ओबीसी और संजना को जाट वर्ग दे रहा समर्थन रणबीर गंगवा पूर्व डिप्टी स्पीकर रहे हैं। वह करीब 10 साल से विधायक हैं और 2010 से 2014 तक राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। उनके राजनीतिक जीवन में उन पर किसी तरह का दाग नहीं है। यही कारण है कि घोड़ेला को छोड़ ओबीसी वर्ग गंगवा को समर्थन करने में लगा है। पहले कुम्हार सभा और अब उसके बाद जांगड़ा सभा ने भी रणबीर गंगवा का समर्थन किया है। इसके अलावा प्रमुख पार्टियों से ओबीसी फेस मैदान में है, तो इनेलो ने जाट फेस संजना सातरोड़ पर दांव खेला है। संजना हलके में लगातार सक्रिय है। इनेलो से टिकट मिलने पर उनकी स्थिति और मजबूत मानी जा रही है। मुकाबला गंगवा और संजना के बीच देखने को मिल रहा है। घोड़ेला को अपनों का ही साथ नहीं बता दें कि सीएलयू कांड में राम निवास घोड़ेला पर आरोप लगे हैं। उम्मीदवार का विरोध टिकट मिलने से पहले हो रहा था। ऐसे में कांग्रेस के स्थानीय नेता भी घोड़ेला का साथ नहीं दे रहे हैं। कांग्रेस नेता राजेंद्र सूरा, रणधीर धीरा, राजेश संदलाना, कृष्ण सातरोड़ और भूपेंद्र गंगवा कांग्रेस प्रत्याशी से दूरी बनाए हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी के लिए चुनाव में आगे और मुश्किलें बढ़ने वाली है। राम निवास घोड़ेला पर दर्ज हुआ था केस 2009 से 2014 के बीच तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहे विनोद भ्याना, रामकिशन फौजी, विधायक जरनैल सिंह, स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह, विधायक नरेश सेलवाल ने सीएलयू करवाने के लिए, वक्फ बोर्ड की जमीन रिलीज करवाने के लिए और विधायक रामनिवास घोड़ेला ने सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत ईंट भट्टों पर बच्चों को पढ़ाने का काम एनजीओ को दिलवाने के लिए घूस की मांग की थी। इस मामले के बारे में एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया था। उस स्टिंग ऑपरेशन के आधार पर इनेलो ने 2014 में इन सबके खिलाफ भ्रष्ट आचरण की शिकायत लोकायुक्त से की थी। तत्कालीन लोकायुक्त ने 16 दिसंबर, 2015 को उपरोक्त सभी को भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत एसआईटी गठित करके जांच के आदेश दिए थे। उन्होंने कहा कि 27 जुलाई, 2015 को तत्कालीन एडीजीपी एवं एसआईटी के इंचार्ज वी कामराजा ने इन सबको भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत दोषी माना और इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी। जिसके आधार पर इन सबके खिलाफ मुकदमे स्टेट विजिलेंस ब्यूरो द्वारा दर्ज किए गए थे। विनोद भ्याना का पीए जेल में भी रहा और उसके खिलाफ हिसार में मुकदमा चल रहा है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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बीजेपी MLA बनते ही कंवर सिंह का फूटा गुस्सा:रामबिलास शर्मा पर लगाए आरोप; बोले- उन्होंने बगावत की, पार्टी को ऐसे नेताओं से दूर रहना चाहिए हरियाणा के महेंद्रगढ़ का विधायक बनते ही कंवर सिंह यादव ने भाजपा के नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पंडित राम बिलास शर्मा पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि राम बिलास शर्मा ने पार्टी के साथ बगावत की है, चुनाव में उनका साथ भी नहीं दिया। उन्होंने यहां तक कह दिया कि पार्टी को ऐसे नेताओं से बचकर रहना चाहिए। चुनाव जीतने के बाद कंवर सिंह पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
पंडित राम बिलास शर्मा इस सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन उनकी टिकट काटकर उनकी जगह कंवर सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया था। राम बिलास शर्मा का पहली लिस्ट में नाम नहीं आने के बाद दूसरी लिस्ट से पहले ही निर्दलीय नामांकन कर दिया था। हालांकि बाद में पार्टी के नेताओं के समझाने के बाद उन्होंने अपना पर्चा वापस ले लिया था। समर्थन में नहीं की कोई जनसभा महेंद्रगढ़ विधानसभा में इस बार भाजपा ने कद्दावर नेता रामबिलास शर्मा की टिकट काटकर पार्टी के वरिष्ठ नेता कंवर सिंह यादव को टिकट दी। टिकट मिलने के बाद से ही रामबिलास शर्मा नाराज दिखाई दे रहे थे तथा उन्होंने कई बैठक कर नाराजगी भी जताई थी। कंवर सिंह ने आरोप लगाया है कि पार्टी ने उन्हें टिकट दी थी, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने मेरे समर्थन में कोई भी जनसभा नहीं की और न ही उनके साथ चुनाव प्रचार के लिए आगे आए। पहले से ही 36 का आंकड़ा रामबिलास शर्मा और कंवर सिंह यादव का पहले से ही 36 का आंकड़ा है। यही कारण रहा की पार्टी द्वारा कंवर सिंह को टिकट दिए जाने के बाद से रामविलास शर्मा ने कंवर सिंह यादव से किनारा कर लिया था। हालांकि एक बार वे उनको बधाई देने के लिए अवश्य गए थे। विधायक बनने के बाद कंवर सिंह यादव ने कहा कि रामबिलास शर्मा टिकट मिलने के बाद उनसे नाराज थे तथा आगे भी वे नाराज ही रहेंगे। कार्यकर्ताओं और लोगों का मिला समर्थन उन्होंने कहा कि उनकी नाराजगी के बाद भी कार्यकर्ताओं तथा लोगों ने उनका पूरा समर्थन दिया, जिसकी वजह से उन्होंने जीत हासिल की है। उन्होंने कहा कि वे पार्टी से झोली फैलाकर टिकट नहीं लेकर आए, बल्कि पार्टी ने उनको खुद टिकट दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी होती अगर रामबिलास शर्मा उनके मार्गदर्शन बनकर काम करते, लेकिन रामबिलास शर्मा ने ऐसा नहीं किया। कहने और करने के कुछ और उनको जितनी खुराफात करनी थी, जितना चुनाव डैमेज करना था उतना उन्होंने डैमेज करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कहने को तो वे कहते हैं कि उनकी मौत होगी, तब वे पार्टी के झंडे से लिपट कर जाएंगे, लेकिन वह कहने के कुछ और करने के कुछ और हैं। ऐसे में वह पार्टी कार्यकर्ताओं और पार्टी से कहता हूं कि हमें ऐसे लोगों से बचकर रहना होगा।
हरियाणा में दूसरी लिस्ट के बाद BJP में बगावत:पूर्व मंत्री बागी; नूंह में मुस्लिम नेता ने झंडे हटाए, जिलेराम और 2 नेताओं का इस्तीफा
हरियाणा में दूसरी लिस्ट के बाद BJP में बगावत:पूर्व मंत्री बागी; नूंह में मुस्लिम नेता ने झंडे हटाए, जिलेराम और 2 नेताओं का इस्तीफा हरियाणा में मंगलवार को भाजपा की दूसरी लिस्ट आने के साथ ही नेताओं की बगावत शुरू हो गई है। यहां पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा ने 2 लिस्टों में भी टिकट का ऐलान न होने के बाद सीधे नॉमिनेशन करने का ऐलान कर दिया है। वहीं, 2 नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन दो नेताओं में नारनौल से पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष और प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य शिव कुमार महता और बड़खल विधानसभा क्षेत्र से भाजपा नेता राजन मुथरेजा शामिल हैं। राजन ने भाजपा कोषाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है। वहीं, दूसरी लिस्ट में भाजपा की टिकट न मिलने पर 2019 में नूंह से उम्मीदवार रहे जाकिर हुसैन ने अपने घर से भाजपा के झंडे उतार दिए हैं। साथ ही उनके बेटे ताहिर हुसैन ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया। हालांकि, इस पर जाकिर हुसैन का कहना है कि यह उनके बेटे ताहिर हुसैन का निर्णय है। इसमें उनका कोई हाथ नहीं। इसके बाद ताहिर हुसैन ने इनेलो जॉइन कर ली है। तीनों नेताओं के रिजाइन की कॉपी… ये नेता भी छोड़कर गए
हरियाणा की असंध विधानसभा में भाजपा नेता जिलेराम शर्मा का भी टिकट कट गया है। पार्टी ने यहां से जिला अध्यक्ष योगेंद्र राणा को टिकट दिया है। इससे नाराज जिलेराम शर्मा ने बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाई है। साथ ही अपने कार्यालय से भाजपा के झंडे हटा दिए हैं। इसके अलावा नारनौल में भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व डिप्टी स्पीकर संतोष यादव ने भी पार्टी और पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इसका कारण पार्टी में पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा होना बताया है। वहीं, जुलाना से BJP नेता सुरेंद्र लाठर भी इनेलो में शामिल हो गए हैं। वह जुालाना से टिकट के दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने यहां से कैप्टन योगेश बैरागी को अपना उम्मीदवार बनाया है। लाठर एक्साइज एवं टैक्सेशन विभाग के पूर्व डिप्टी कमिश्नर हैं। VRS लेकर वह भाजपा में शामिल हुए थे। बीजेपी छोड़ जेजेपी में शामिल हुए नेता
हरियाणा सरकार में दो बार चेयरमैन रहे और भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रघुनाथ कश्यप, भाजपा ओबीसी पानीपत जिला प्रधान गंगाराम स्वामी, पांचाल समाज के जिला प्रधान और ओबीसी मोर्चा बापौली मंडल अध्यक्ष विपिन पांचाल, किसान मोर्चा सनौली मंडल अध्यक्ष राजेंद्र फोर, ओबीसी मोर्चा मंडल बापौली अध्यक्ष नारायण बैरागी, सनौली मंडल सचिव अभितोष शर्मा BJP छोड़कर जेजेपी में शामिल हो गए। सोनीपत में राजीव-कविता जैन का अल्टीमेटम का समय खत्म
वहीं, सोनीपत में कांग्रेस से आए निखिल मदान को भाजपा से टिकट देने के विरोध में राजीव जैन और कविता जैन ने पार्टी को अल्टीमेटम दिया था। उसका आज समय पूरा हो गया। राजीव जैन ने कहा है कि फैसले के लिए वह शाम तक भाजपा आलाकमान के मैसेज का इंतजार करेंगे। इसके बाद रात को कमेटी की मीटिंग होगी। मीटिंग में जो भी फैसला लिया जाएगा, उसकी जानकारी वर्करों को देकर निर्णय लेंगे। गन्नौर में माहौल गर्म
उधर, गन्नौर में भाजपा की टिकट न मिलने से युवा आयोग के चेयरमैन देवेंद्र कादियान के इस्तीफे के बाद हलके में माहौल गर्म है। देवेंद्र कौशिक को टिकट मिलने के बाद मंगलवार को गन्नौर के गांव बजाना कलां में 12 गांवों की पंचायत हुई। इसमें भाजपा उम्मीदवार की बजाय देवेंद्र कादियान का साथ देने का ऐलान किया गया। महेंद्रगढ़ सीट का टिकट अब भी होल्ड
हालांकि, भाजपा ने अब तक महेंद्रगढ़ सीट से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। इसी सीट से रामबिलास शर्मा पिछला विधानसभा चुनाव लड़े थे। इस सीट पर एक और दिलचस्प किस्सा यह है कि RSS से जुड़े रिटायर्ड सरकारी टीचर कैलाश चंद्र पाली 3 दिन पहले भाजपा कैंडिडेट के तौर पर नामांकन कर चुके हैं। पार्टी ने हरियाणा की 90 में से 87 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। अब सिर्फ सिरसा, फरीदाबाद NIT और महेंद्रगढ़ सीट ही बची हैं। वहीं, 12 सितंबर को हरियाणा में नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख है। रामबिलास को शुरू से ही टिकट कटने का अंदेशा था, इसलिए 6 सितंबर को उन्होंने कार्यकर्ता सम्मेलन बुलाकर हुंकार भरी थी। शीर्ष नेतृत्व की तारीफ की
शीर्ष नेतृत्व की तो रामबिलास शर्मा ने इस सम्मेलन में खूब तारीफ की, लेकिन इशारों ही इशारों में टिकट कटने पर बगावत का भी संदेश दे दिया था। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि दूसरी सूची में रामबिलास शर्मा का नाम फाइनल हो सकता हैं, लेकिन मंगलवार को आई लिस्ट ने फिर से सभी को चौंका दिया। रामबिलास के पुराने जमाने के साथी पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल विज को पार्टी पहली ही लिस्ट में अंबाला कैंट से चुनावी मैदान में उतार चुकी है। रामबिलास शर्मा से जुड़े कार्यकर्ता राजेश शर्मा के मुताबिक, पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा 11 सितंबर दोपहर 1:15 पर सिविल सचिवालय महेंद्रगढ़ में नामांकन दाखिल करेंगे। इससे पहले सुबह 10 बजे जय राम सदन महेंद्रगढ़ में सभी कार्यकर्ता इकट्ठे होंगे। यहां रामबिलास शर्मा कार्यकर्ता को संबोधित भी करेंगे। कैलाश चंद्र का दावा- RSS के कहने पर पर्चा भरा
महेंद्रगढ़ सीट से पर्चा भरने के बाद रिटायर्ड टीचर कैलाश चंद्र ने दावा किया था कि उन्हें RSS ने नामांकन भरने के लिए कहा। यहां से टिकट उन्हें ही मिलेगी। उनका परिवार कराची (पाकिस्तान) से ही भाजपा से जुड़ा हुआ है। हालांकि, नामांकन पत्र के साथ उन्होंने चुनाव आयोग को भाजपा की तरफ से कैंडिडेट होने का आधिकारिक पत्र जमा नहीं कराया है। इसके बाद रामबिलास शर्मा को एक तरह से झटका लगा था। हालांकि, टिकट कटने के शक में उन्होंने समर्थकों की भीड़ जुटाकर चुनौती देते हुए कहा था कि उन्हें कोई हरा नहीं सकता। 2019 का चुनाव हार गए थे शर्मा
2014 में रामबिलास शर्मा के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए उनकी अगुआई में ही BJP ने विधानसभा का चुनाव लड़ा था। हरियाणा के इतिहास में पहली बार भाजपा ने पूर्व बहुमत की सरकार बनाई थी। उस समय रामबिलास शर्मा CM पद के भी दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने उनकी जगह मनोहर लाल खट्टर को CM बनाया। इस दौरान शर्मा को शिक्षा मंत्री बनाया गया। 2019 के चुनाव में पार्टी ने फिर से टिकट दी, लेकिन इस बार वह कांग्रेस के राव दान सिंह से हार गए। इस बार भी रामबिलास महेंद्रगढ़ सीट पर सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे थे। BJP सूत्रों के अनुसार, इस बार पार्टी सर्वे और RSS की तरफ से मिलने वाले फीडबैक में रिपोर्ट ठीक नहीं मिली। फीडबैक ठीक न मिलने से खतरा मंडरा रहा
एक तरफ 10 साल की एंटी इनकंबैंसी, दूसरी तरफ फीडबैक और सर्वे रिपोर्ट पॉजिटिव न मिलने की वजह से उनकी टिकट पर खतरा मंडरा रहा है। रामबिलास शर्मा इसी सीट से 5 बार विधायक बन चुके हैं। वह 2 बार पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं। अनिल विज के बाद इस समय रामबिलास ही सबसे पुराने नेताओं में से एक हैं। बीजेपी ने पिछली बार चुनाव हारने वाले 2 मंत्रियों कैप्टन अभिमन्यु और ओमप्रकाश धनखड़ को दोबारा टिकट दी है।