नरवाना में इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी को गुरुवार को एक और झटका लगा। इनेलो पार्टी से नरवाना विधानसभा में दो बार विधायक रहे पिरथी सिंह नंबरदार आज पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। पूर्व विधायक पृथ्वी सिंह नंबरदार भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ गुरुवार को चंडीगढ़ में पहुंचे और यहां पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें पटका पहनकर पार्टी में शामिल किया। उन्हें इस बार इनेलो ने उन्हें न तो लोकसभा की टिकट दी और न ही अब विधानसभा की टिकट दी। जिसके चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी। गौरतलब है कि पिरथी सिंह 2009 और 2014 में इनैलो पार्टी से चुनाव लड़कर विधायक बने थे। जब जननायक जनता पार्टी इनेलो से अलग हुई थी तब भी पिरथी सिंह नंबरदार ने इनेलो छोड़कर जजपा जॉइन कर ली थी। थोड़े समय के बाद फिर से वह इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी में शामिल हो गए थे। वहीं नरवाना में आज इनेलो पार्टी को दो बड़े झटके लगे हैं। जिनमें पहला झटका इनेलो से 2024 के लोकसभा प्रत्याशी संदीप लौट ने कांग्रेस जॉइन करने का और दूसरा झटका पूर्व में दो बार विधायक रहे पिरथी सिंह नंबरदार का भाजपा जॉइन करने का रहा। नरवाना में इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी को गुरुवार को एक और झटका लगा। इनेलो पार्टी से नरवाना विधानसभा में दो बार विधायक रहे पिरथी सिंह नंबरदार आज पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। पूर्व विधायक पृथ्वी सिंह नंबरदार भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ गुरुवार को चंडीगढ़ में पहुंचे और यहां पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें पटका पहनकर पार्टी में शामिल किया। उन्हें इस बार इनेलो ने उन्हें न तो लोकसभा की टिकट दी और न ही अब विधानसभा की टिकट दी। जिसके चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी। गौरतलब है कि पिरथी सिंह 2009 और 2014 में इनैलो पार्टी से चुनाव लड़कर विधायक बने थे। जब जननायक जनता पार्टी इनेलो से अलग हुई थी तब भी पिरथी सिंह नंबरदार ने इनेलो छोड़कर जजपा जॉइन कर ली थी। थोड़े समय के बाद फिर से वह इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी में शामिल हो गए थे। वहीं नरवाना में आज इनेलो पार्टी को दो बड़े झटके लगे हैं। जिनमें पहला झटका इनेलो से 2024 के लोकसभा प्रत्याशी संदीप लौट ने कांग्रेस जॉइन करने का और दूसरा झटका पूर्व में दो बार विधायक रहे पिरथी सिंह नंबरदार का भाजपा जॉइन करने का रहा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में रणजीत चौटाला Vs गोपाल कांडा:बिजली मंत्री बोले- देवीलाल का बेटा, 90 सीटों पर जनाधार, हलोपा नेता का जबाव- आपका इन सब पर बंटाधार
हरियाणा में रणजीत चौटाला Vs गोपाल कांडा:बिजली मंत्री बोले- देवीलाल का बेटा, 90 सीटों पर जनाधार, हलोपा नेता का जबाव- आपका इन सब पर बंटाधार हरियाणा के रानियां विधानसभा को लेकर भाजपा नेता रणजीत चौटाला और उसकी सहयोगी पार्टी हलोपा के नेता गोपाल कांडा आमने-सामने आ गए हैं। रणजीत चौटाला ने इसकी शुरुआत तब की जब हलोपा ने रानिया सीट से प्रत्याशी घोषित किया। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए चौटाला ने कहा था कि हलोपा का कोई जनाधार नहीं है। रणजीत चौटाला ने कहा कि हलोपा के गोपाल कांडा तो सिरसा सीट पर भी मुश्किल से जीत रहे हैं और मैं देवीलाल का बेटा हूं प्रदेश की 90 सीटों पर हार जीत का दम रखता हूं। रणजीत चौटाला की तीखी बयानबाजी पर गोपाल कांडा ने वीडियो संदेश जारी कर पलटवार किया। गोपाल कांडा ने कहा कि रणजीत सिंह का 90 सीटों पर जनाधार नहीं बल्कि बंटाधार है। भाजपा ने इन पर विश्वास किया और उन्हें हिसार लोकसभा सीट से उतारा था लेकिन उन्होंने जीती हुई सीट हरा दी। इसके बाद में कह रहे हैं कुलदीप ने हरवा दिया, कैप्टन ने हरवा दिया। कांडा ने कहा कि रणजीत सिंह का कोई जनाधार नहीं है। अगर वे रानियां से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ते हैं तो उनकी जमानत भी जब्त हो जाएगी। कांडा ने कहा- 8 चुनाव हारने के बाद परिवार ने मदद की तब जीते विधायक गोपाल कांडा ने कहा कि 8 चुनाव हारने के बाद अजय सिंह, अभय सिंह और पूरे परिवार ने पिछले चुनाव में मेरी मदद की, जिसकी बदौलत रणजीत चौटाला जीते। सीएलयू संबंधित बयान पर गोपाल कांडा ने कहा कि मनोहर लाल के कार्यकाल में रणजीत सिंह मेरा एक भी CLU साबित कर दें, तो वो मैं वो CLU उन्हीं के नाम कर दूंगा। गोपाल कांडा ने कहा कि दूसरों के लिए भविष्यवाणी करने की बजाय रणजीत सिंह को अपने बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीट शेयरिंग को लेकर भाजपा से बातचीत चल रही है। फैसला होने के बाद उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी। सिरसा के लोगों के हमेशा साथ खड़ा रहा हूं
गोपाल कांडा ने कहा कि सिरसा की जनता सच्चाई जानती है कि उनका कौन है। गोपाल कांडा और कांडा परिवार हमेशा सिरसा की जनता के लिए तत्पर रहा है। कोरोना संकट के दौरान कहानियां बनाने वाले लोग अपने घरों में दरवाजे बंद करके बैठे थे, जबकि गोपाल कांडा और उनका परिवार इस संकट में सिरसा की जनता के साथ खड़ा है। कांडा और रणजीत के बीच विवाद क्यों बढ़ा?
दरअसल, रणजीत चौटाला ने रानिया से निर्दलीय विधायक का चुनाव जीता था। इसके बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने उन्हें हिसार से लोकसभा उम्मीदवार बनाया। लेकिन रणजीत चौटाला कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी से हार गए। रणजीत चौटाला ने लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा पद से इस्तीफा दे दिया था। हार के बाद रणजीत चौटाला फिर से रानिया की जनता के बीच गए। इसके बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई। गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा ने भाजपा नेता गोबिंद कांडा के बेटे धवल कांडा को रानिया से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। इससे रणजीत चौटाला भड़क गए और तब से वे कांडा परिवार पर निशाना साध रहे हैं। रणजीत के पाला बदलने की चर्चा, बोले- मैं भाजपा में रहूंगा
भाजपा की सहयोगी पार्टी हलोपा द्वारा रानिया सीट से प्रत्याशी उतारे जाने से रणजीत चौटाला बेचैन हैं और उन्होंने इसकी शिकायत दिल्ली दरबार तक कर दी है। इसके बाद कांडा भाजपा के प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान से मिलने दिल्ली भी गए थे। लेकिन कांडा ने धवल कांडा की उम्मीदवारी बरकरार रखी, जिससे रणजीत चौटाला और भड़क गए। वहीं भाजपा की ओर से जारी 3 कमेटियों की सूची में भी उनका नाम नहीं है। ऐसे में रणजीत चौटाला के खेमे से खबरें आ रही हैं कि रणजीत चौटाला पाला बदलकर कांग्रेस में जा सकते हैं। लेकिन वह खुद इस बात से इनकार कर रहे हैं और कह रहे हैं कि मैं भाजपा में हूं और 100 फीसदी रानिया से हूं। रणजीत चौटाला ने गोपाल कांडा को लेकर क्या कहा…
रणजीत चौटाला ने सोमवार को रानिया हलके में वर्कर मीटिंग के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि मैं 100 प्रतिशत रानियां से चुनाव लड़ूंगा। हलोपा से रानियां से उम्मीदवार उतारे जाने पर रणजीत सिंह ने कहा कि अकाली दल पुरानी पार्टी है बादल साहब 25 साल मुख्यमंत्री रहे और उसके बाद उसके बाद अकाली दल भी 2 विधानसभा सीटों पर चली गई। उतर प्रदेश में मायावती ने सिंगल पार्टी की सरकार बनाई थी। बिहार देख लो सब जगह ले लो क्षेत्रीय दल खत्म होते जा रहे हैं मैं नहीं मानता हलोपा की सिरसा सीट भी निकलेगी। आज के दिन वह कहीं फाइट में नहीं है। रीजनल पार्टियों का काम एक है कि अपना लाईसेंस ले लो, एमएलए बन जाओ और सीएलयू पास करवाओ। इनका(हलोपा) ना तो मेरे हलके रानियां में कोई रोल है और ना कहीं और इनकी तो सिरसा में भी हालात खराब हैं। चौटाला ने कहा कि मेरी शीर्ष नेतृत्व से बात हुई है हलोपा को सिर्फ एक सीट मिलेगी वो भी तब जब बीजेपी ज्वाईन करेगा तब। वो भी सिरसा सीट ही मिलेगी। मैं 100 प्रतिशत आश्वस्त हूं कि मुझे भाजपा से टिकट मिलेगा। इसलिए रानियां पर अड़े हैं रणजीत
रणजीत चौटाला अपने जीवन के अधिकांश चुनाव रानियां और पूर्व में रोड़ी विधानसभा से लड़े हैं। रानियां चौटाला परिवार की सीट मानी जाती रही है। रानियां से रणजीत चौटाला कई बार चुनाव हारे मगर उन्होंने कभी सीट नहीं छोड़ी 2019 में रणजीत चौटाला ने कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर दी और खुद निर्दलीय ही खड़े हो गए और चुनाव जीत गए। चुनाव जीतने के बाद मनोहर सरकार में बिजली मंत्री बन गए। इसके बाद लोकसभा चुनाव लड़े मगर हार गए। इस लिए रणजीत चौटाला रानियां नहीं छोड़ रहे। इसलिए वह रानियां सीट को लेकर लगातार भाजपा पर दवाब बना रहे हैं और बयानबाजी कर रहे हैं।
हरियाणा में लगातार तीसरी बार BJP सरकार:कांग्रेस ने कहा- नतीजे चौंकाने वाले; CM नायब सैनी बोले- कांग्रेस का झूठ नहीं चला
हरियाणा में लगातार तीसरी बार BJP सरकार:कांग्रेस ने कहा- नतीजे चौंकाने वाले; CM नायब सैनी बोले- कांग्रेस का झूठ नहीं चला हरियाणा में BJP लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। राज्य में ऐसा करने वाली भाजपा पहली पार्टी होगी। राज्य की कुल 90 सीटों में से पार्टी ने 48 सीटें जीतकर बहुमत हासिल कर लिया है। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार पार्टी को 8 सीटों का फायदा हुआ है। उधर, कांग्रेस ने 37 सीटें जीती हैं। इसे भी इस चुनाव में 6 सीटों का फायदा हुआ है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लाडवा और कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा गढ़ी सांपला-किलोई सीट से जीत गए हैं। कांग्रेस ने रिजल्ट को चौंकाने वाला बताया है। वहीं, CM सैनी ने कहा कि जनता ने कांग्रेस के झूठ को नकार दिया है। BJP की बढ़त के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने CM सैनी को फोन किया और जीत की बधाई दी। इसी बीच सूचना है कि नई सरकार का शपथ ग्रहण दशहरा यानी 12 अक्टूबर को हो सकता है। डेढ़ घंटे में रुझान कांग्रेस के हाथ से निकले
विधानसभा चुनाव की मतगणना मंगलवार सुबह 8 बजे शुरू हुई। रुझान आते ही कांग्रेस ने बढ़त बना ली थी, और कुछ देर तक पार्टी एकतरफा जीत की ओर थी। पार्टी ने 65 सीटों को छू लिया था। भाजपा 17 सीटों पर आ गई थी। हालांकि, 9:30 बजे भाजपा टक्कर में आई और दोनों पार्टियों में 2 सीटों का अंतर रह गया। सुबह 9:44 बजे एक समय ऐसा भी आया जब दोनों पार्टी 43-43 सीटों पर आ गईं। इसके बाद भाजपा 51 सीटों तक पहुंच गई। इसके बाद करीब 11 बजे से भाजपा की सीटें 47 से 51 के बीच बनी रहीं। अंत में भाजपा ने 48 सीटें जीतीं। हरियाणा में इस बार 67.90% वोटिंग हुई थी, जो पिछले चुनाव के वोट प्रतिशत 68.20 से 0.3% कम थी। हरियाणा की ये 18 हॉट सीटें रहीं: कहीं पोते ने दादा को हराया, कहीं बहन ने भाई को मात दी
हरियाणा कांग्रेस विधायक दल का नेता कौन, फैसला आज:हुड्डा को हटाने पर अड़ा सैलजा गुट; 3 ऑब्जर्वर मुहर लगाएंगे, 2 नाम आगे चल रहे
हरियाणा कांग्रेस विधायक दल का नेता कौन, फैसला आज:हुड्डा को हटाने पर अड़ा सैलजा गुट; 3 ऑब्जर्वर मुहर लगाएंगे, 2 नाम आगे चल रहे हरियाणा कांग्रेस को आज विधायक दल का नेता मिल जाएगा। पार्टी ने इसे लेकर चंडीगढ़ में मीटिंग बुलाई है। इस मीटिंग में हाईकमान की ओर से भेजे गए 3 ऑब्जर्वर और पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ पार्टी के सभी विधायक भी मौजूद रहेंगे। इसमें ही विधायक दल के नेता के नाम पर मुहर लगेगी। इससे पहले हुड्डा ने दिल्ली में बुधवार को अपने समर्थक विधायकों की मीटिंग बुलाई थी। इस मीटिंग में करीब 31 नेता पहुंचे थे। सियासी गलियारों में इस मीटिंग को नेता विपक्ष के चुनाव से पहले पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शक्ति प्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, मीटिंग के बाद भूपेंद्र हुड्डा ने सफाई दी थी कि विधायक एक-दूसरे से मिलना चाहते थे। यह अनौपचारिक मुलाकात थी। इसमें अच्छी चर्चा हुई। सभी ने कहा कि हम हरियाणा और पार्टी के लिए लड़ेंगे। मीटिंग में आएंगे ये 3 ऑब्जर्वर
कांग्रेस हाईकमान की ओर से बुलाई गई मीटिंग में ऑब्जर्वर के तौर पर 3 वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे। इनमें राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन और पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा शामिल हैं। ये ऑब्जर्वर मीटिंग में विधायकों से वन टू वन राय शुमारी कर नेता प्रतिपक्ष के नाम का ऐलान करेंगे। ऑब्जर्वर्स को भेजने की वजह कांग्रेस की गुटबाजी को बताया जा रहा है। इस मीटिंग में हुड्डा और सैलजा दोनों के समर्थक विधायक शामिल होंगे। उनकी आपस में नाराजगी को दूर करने का भी कोई समाधान ऑब्जर्वर्स कर सकते हैं। नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए चर्चा में 2 नाम… नेता प्रतिपक्ष के लिए हुड्डा और सैलजा गुट से एक-एक नाम की चर्चा है। चूंकि, सैलजा गुट की कोशिश है कि भूपेंद्र हुड्डा से नेता प्रतिपक्ष का पद लिया जाए, इसलिए इन्हीं दोनों में से किसी एक को यह पद मिल सकता है। इनमें अशोक अरोड़ा और चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम शामिल है। 1- अशोक अरोड़ा
अशोक अरोड़ा ने इस बार थानेसर विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है। उन्होंने सैनी सरकार में स्थानीय निकाय मंत्री रहे सुभाष सुधा को 3243 वोट से हराया। अशोक अरोड़ा हरियाणा में कैबिनेट मंत्री के अलावा विधानसभा स्पीकर भी रह चुके हैं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस इस बार गैर-जाट कार्ड खेलते हुए अशोक अरोड़ा पर दांव लगा सकती है। पंजाबी समुदाय से आने वाले अशोक अरोड़ा लंबे समय तक इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) में रहे। वह 14 साल तक INLD के प्रदेशाध्यक्ष रहे और 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे। अरोड़ा की पंजाबी बिरादरी में अच्छी पकड़ है। 2- चंद्रमोहन बिश्नोई
चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम आगे करने से कांग्रेस को सबसे बड़ा फायदा गैर जाट तबके में मिल सकता है। वह हरियाणा के डिप्टी CM रह चुके हैं। उनके पिता चौधरी भजनलाल प्रदेश के CM रह चुके हैं। भजनलाल की OBC और पंजाबी वोटरों पर अच्छी पकड़ थी, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। चंद्रमोहन का नाम आगे बढ़ाकर पार्टी गैर-जाट वोटर्स को भी अपने पाले में करने की कोशिश कर सकती है। इस बार कांग्रेस को गैर-जाट वोट कम मिले, जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिला। इसके अलावा चंद्रमोहन की गिनती सैलजा के करीबी नेताओं में होती है। चंद्रमोहन को लेकर फिलहाल सैलजा कुछ नहीं बोल रहीं, लेकिन पार्टी की हार के बाद हाईकमान उनकी पसंद को तवज्जो दे सकती है। हार से कांग्रेस में घमासान, हुड्डा-उदयभान पर इस्तीफे का दबाव
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार से पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। हुड्डा और सैलजा समर्थक लगातार एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया राहुल गांधी से इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। इससे उदयभान पर प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने और भूपेंद्र हुड्डा पर नेता प्रतिपक्ष के पद पर दावा न जताने का दबाव बढ़ गया है। हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भी सैलजा और हुड्डा गुट से 2 नामों की चर्चा है। उदयभान के पद छोड़ने के बाद कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। वह पहले भी यह पदभार संभाल चुकी हैं। वहीं, प्रदेशाध्यक्ष के लिए हुड्डा गुट से झज्जर की विधायक गीता भुक्कल के नाम की भी चर्चा है। हुड्डा और सैलजा खेमे के क्या आरोप… हुड्डा खेमे की चुनाव आयोग से EVM में गड़बड़ी की शिकायत
भूपेंद्र हुड्डा समर्थक हरियाणा में हुई हार का ठीकरा EVM पर फोड़ रहे हैं। उनका दावा है कि प्रदेश में 20 सीटों की वोटिंग और मतगणना में गड़बड़ी हुई है। प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने तो EVM हैक करने के भी आरोप लगाए। कांग्रेस ने चुनाव आयोग को 7 सीटों की लिखित शिकायत सौंपी थी। इसमें कांग्रेस ने कहा था कि जिन EVM में ज्यादा वोट पड़े, वह फिर भी 90% चार्ज थी। इससे BJP को बढ़त मिली। हालांकि, जो EVM 40-50% चार्ज थी, उसमें वोट भी कम थे। उनमें कांग्रेस को लीड मिली। उन्होंने इसमें गड़बड़ी का शक जताया। कांग्रेस ने इन EVM को सील कर VVPAT की पर्ची से मिलान करने की मांग रखी थी। हालांकि, कांग्रेस के आरोपों का भारतीय चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त जवाब दे चुके हैं। उन्होंने कहा है कि EVM की वोटिंग और नतीजे पूरी तरह सही हैं। उनमें गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है। सैलजा समर्थक बोले- हमें हराया गया
उधर, करनाल के असंध से शमशेर गोगी, कुरुक्षेत्र के जिला अध्यक्ष मधुसूदन बवेजा और अंबाला कैंट से कांग्रेस उम्मीदवार रहे परविंदर परी ने हुड्डा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। नेताओं का कहना है कि वे हारे नहीं हैं, उन्हें हराया गया है। गोगी ने कहा कि सैलजा के अपमान के कारण दलितों ने हमें वोट भी नहीं दिया। एक बिरादरी की सरकार नहीं बनती। सबको साथ लेकर चलना पड़ता है। सैलजा ने कहा- संगठन नहीं बनाने से हारे
सिरसा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने कहा था कि चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी और उम्मीदवारों को संगठन की कमी खली है। संगठन से ही कार्यकर्ताओं को मान-सम्मान मिलता है और संगठन होना चाहिए था। उन्हें खुद भी संगठन न होने का मलाल है। राहुल गांधी ने हरियाणा के नेताओं पर ठीकरा फोड़ा
इससे पहले 10 अक्टूबर को दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर समीक्षा मीटिंग हुई। उसमें राहुल गांधी ने हार को लेकर कहा कि हमारी पार्टी के नेताओं के इंटरेस्ट पार्टी से ऊपर हो गए। इसी वजह से हार हुई। कैप्टन अजय यादव ने पार्टी छोड़ी
इधर, पार्टी के अंदर चल रहे घमासान के बीच पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ने भी पार्टी छोड़ दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर कहा कि सोनिया गांधी के पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद से उनके साथ हाईकमान ने अच्छा व्यवहार नहीं किया। इसलिए, उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया। कैप्टन यादव लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज थ। हालांकि, पार्टी ने उनके बेटे चिरंजीव को रेवाड़ी से टिकट दिया था, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। बता दें कि कैप्टन अजय यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के समधी हैं।