नरवाना में इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी को गुरुवार को एक और झटका लगा। इनेलो पार्टी से नरवाना विधानसभा में दो बार विधायक रहे पिरथी सिंह नंबरदार आज पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। पूर्व विधायक पृथ्वी सिंह नंबरदार भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ गुरुवार को चंडीगढ़ में पहुंचे और यहां पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें पटका पहनकर पार्टी में शामिल किया। उन्हें इस बार इनेलो ने उन्हें न तो लोकसभा की टिकट दी और न ही अब विधानसभा की टिकट दी। जिसके चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी। गौरतलब है कि पिरथी सिंह 2009 और 2014 में इनैलो पार्टी से चुनाव लड़कर विधायक बने थे। जब जननायक जनता पार्टी इनेलो से अलग हुई थी तब भी पिरथी सिंह नंबरदार ने इनेलो छोड़कर जजपा जॉइन कर ली थी। थोड़े समय के बाद फिर से वह इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी में शामिल हो गए थे। वहीं नरवाना में आज इनेलो पार्टी को दो बड़े झटके लगे हैं। जिनमें पहला झटका इनेलो से 2024 के लोकसभा प्रत्याशी संदीप लौट ने कांग्रेस जॉइन करने का और दूसरा झटका पूर्व में दो बार विधायक रहे पिरथी सिंह नंबरदार का भाजपा जॉइन करने का रहा। नरवाना में इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी को गुरुवार को एक और झटका लगा। इनेलो पार्टी से नरवाना विधानसभा में दो बार विधायक रहे पिरथी सिंह नंबरदार आज पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। पूर्व विधायक पृथ्वी सिंह नंबरदार भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ गुरुवार को चंडीगढ़ में पहुंचे और यहां पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें पटका पहनकर पार्टी में शामिल किया। उन्हें इस बार इनेलो ने उन्हें न तो लोकसभा की टिकट दी और न ही अब विधानसभा की टिकट दी। जिसके चलते उन्होंने पार्टी छोड़ दी। गौरतलब है कि पिरथी सिंह 2009 और 2014 में इनैलो पार्टी से चुनाव लड़कर विधायक बने थे। जब जननायक जनता पार्टी इनेलो से अलग हुई थी तब भी पिरथी सिंह नंबरदार ने इनेलो छोड़कर जजपा जॉइन कर ली थी। थोड़े समय के बाद फिर से वह इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी में शामिल हो गए थे। वहीं नरवाना में आज इनेलो पार्टी को दो बड़े झटके लगे हैं। जिनमें पहला झटका इनेलो से 2024 के लोकसभा प्रत्याशी संदीप लौट ने कांग्रेस जॉइन करने का और दूसरा झटका पूर्व में दो बार विधायक रहे पिरथी सिंह नंबरदार का भाजपा जॉइन करने का रहा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा में हैट्रिक के लिए BJP की मेगा प्लानिंग:21% दलित वोटर टारगेट, खट्टर को सौंपी जिम्मेदारी, महासम्मेलन में पकड़ेंगे ‘संकल्प का लोटा’
हरियाणा में हैट्रिक के लिए BJP की मेगा प्लानिंग:21% दलित वोटर टारगेट, खट्टर को सौंपी जिम्मेदारी, महासम्मेलन में पकड़ेंगे ‘संकल्प का लोटा’ हरियाणा विधानसभा चुनाव में सरकार की हैट्रिक के लिए BJP ने दलित वोटरों को रिझाने की मेगा प्लानिंग की है। इसके लिए BJP इसी महीने कुरूक्षेत्र में दलित महासम्मेलन करने जा रही है। इसकी जिम्मेदारी पूर्व CM और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर को दी गई है। खट्टर इस महासम्मेलन में मुख्य मेहमान होंगे। लोकसभा चुनाव में 21% दलित वोटरों ने भाजपा को बड़ा झटका दिया था। जिस वजह से भाजपा राज्य की 10 में से 2 रिजर्व सीट सिरसा और अंबाला हार गई। कुछ सीटों पर दलित वोटरों के जाट वोटरों संग जुड़ने से भाजपा मामूली अंतर से लोकसभा चुनाव हार गई। भाजपा को डर है कि अगर यही स्थिति विधानसभा में भी रही तो फिर तीसरी बार सरकार बननी मुश्किल हो जाएगी। सबसे पहले 2 हिस्सों में BJP की प्लानिंग जानिए 1. 17 रिजर्व सीटों पर फोकस, जिला-विधानसभा स्तर के सम्मेलन हो चुके
भाजपा ने इसके लिए 17 रिजर्व सीटों से शुरुआत की। जहां जिला और विधानसभा स्तर पर सम्मेलन किए जा चुके हैं। जिसमें दलितों को केंद्र-राज्य की स्कीमें बता उनके सुझाव लेकर नई राज्य सरकार से लागू कराने का भरोसा दिया जा रहा है। चूंकि इसकी अगुआई खट्टर कर रहे हैं, इसलिए उनके करीबी चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर सुदेश कटारिया को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। कटारिया खुद भी दलित वर्ग से ही संबंधित हैं। उनकी अगुआई में खट्टर की टीम को दलितों के प्रभाव वाली सीटों पर काम करने का टास्क दिया गया है। 2. 15 हजार लोग बुला दलित सम्मेलन, खट्टर को संकल्प लोटा देंगी
भाजपा कुरुक्षेत्र के दलित महासम्मेलन को बड़े स्तर पर करने जा रही है। इसमें 15 हजार से ज्यादा दलित समुदाय के लोग बुलाए जाएंगे। जिनमें 10 हजार पुरुष और 5 हजार महिलाओं को लाने का टारगेट रखा गया है। दलित समुदाय से सीधे कनेक्ट के लिए इसमें महिलाएं लोटा लेकर आएंगी। यह संकल्प लोटा महिलाएं महासम्मेलन के चीफ गेस्ट मनोहर लाल खट्टर को देंगी। भाजपा ने इस मुहिम को ‘मनोहर लाल का परिवार’ नाम दिया है। जिसे चुनाव में भी भुनाया जाएगा। भाजपा को दलितों की याद क्यों आई, 3 पॉइंट में समझें 1. लोकसभा में दोनों रिजर्व सीट हारे
हरियाणा में लोकसभा की 10 सीटें हैं। इनमें 2 सीटें रिजर्व हैं। कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा दोनों सीटें हार गई। सिरसा में कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने भाजपा के अशोक तंवर को 2 लाख 68 हजार 497 वोटों से हरा दिया। अंबाला में भाजपा की बंतो कटारिया को कांग्रेस के MLA वरूण चौधरी से 49 हजार 36 वोटों हार मिली। 2. कांग्रेस 11 रिजर्व विधानसभा सीटें जीत गई, 2 पर AAP ने चौंकाया
राज्य की 10 लोकसभा सीटों के अधीन आती 90 विधानसभा सीटों में 17 SC वर्ग के लिए रिजर्व हैं। इसी साल के लोकसभा रिजल्ट को विधानसभा वाइज देखें तो इन 17 में भाजपा सिर्फ 4 ही जीत सकी। 11 पर कांग्रेस जीती तो 2 पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने भाजपा से बढ़त बनाकर चौंका दिया। 3. वोट शेयर में 5 साल में बड़ी गिरावट
मई में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को 46.06% वोट शेयर मिला। 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट शेयर 58% था। 5 साल में वोट परसेंट में यह 11.06% की गिरावट रही। वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 2019 में 28.42% के मुकाबले बढ़कर 43.73% हो गया। 5 साल में कांग्रेस का वोट शेयर 15.31% बढ़ा। दलित महासम्मेलन से भाजपा का मकसद क्या? दलित महासम्मेलन के जरिए भाजपा 3 बड़े मकसद को पाना चाहती है। पहला.. प्रदेश में 21% दलित वोटर है। राज्य में 17 सीटें दलित वर्ग के लिए रिजर्व हैं। ऐसे में भाजपा का सीधा निशाना यही सीटें हैं। इसके अलावा 35 सीटें ऐसी हैं, जहां दलित वोटरों का प्रभाव है। अगर वे किसी एक पार्टी के हक में हो जाएं तो फिर उनकी सीट जीतनी तय है। भाजपा इन्हें अपने पक्ष में या फिर एकजुटता को भी तोड़ना चाहती है। दूसरा.. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में आरक्षण छीनने और संविधान बदलने का प्रचार किया। जिसका हरियाणा के दलित वोटरों पर बड़ा असर पड़ा। यही वजह है कि वे भाजपा से दूर हो गए। सम्मेलन के जरिए भाजपा कोशिश करेगी कि कांग्रेस की बातों को झूठा साबित करे। तीसरा.. लोकसभा चुनाव में 10 में से 5 सीटें हारने के बाद भाजपा की समीक्षा बैठक में सामने आया कि जाट और दलित वोटर उनके खिलाफ एकजुट हो गए। जिस वजह से वह रोहतक और सिरसा जैसी सीटों ढ़ाई से साढ़े 3 लाख वोटों से एकतरफा हार मिली। सोनीपत सीट महज 22 हजार से हार गए। कुरूक्षेत्र, गुरुग्राम और भिवानी-महेंद्रगढ़ हारते-हारते बचे। भाजपा इस एकजुटता को तोड़ना चाहती है। हरियाणा में 10 साल से सत्ता में भाजपा
हरियाणा में भाजपा लगातार 2 टर्म से सरकार चला रही है। 2014 में भाजपा ने विधानसभा की 90 में से 47 सीटें जीतकर अकेले बहुमत की सरकार बनाई। 2019 में भाजपा 40 सीटों पर सिमट गई लेकिन JJP के 10 विधायकों का साथ लेकर फिर सरकार बना ली। इस बार भाजपा के पास हैट्रिक लगाने का मौका है। केंद्रीय मंत्री खट्टर को ही जिम्मेदारी क्यों?
दलितों को मनाने का जिम्मा खट्टर को ही क्यों, इसकी वजह ये है कि खट्टर साढ़े 9 साल हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। लगातार 2 टर्म में भाजपा की सरकार ने उनकी अगुआई में कामकाज किया। हालांकि मई महीने में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने उन्हें सीएम कुर्सी से हटाकर लोकसभा चुनाव लड़ाया। करनाल से पहली बार सांसद बनकर वह केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बना दिए गए। वहीं उनकी जगह ओबीसी वर्ग से नायब सैनी को सीएम बनाया गया लेकिन वह कार्यकाल के अंत में ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। यही वजह है कि चुनाव भले ही भाजपा सैनी की अगुआई में लड़ रही लेकिन सरकार की हैट्रिक में खट्टर को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
हरियाणा में मंत्री बनने के लिए 15 MLA शॉर्टलिस्ट:केंद्रीय नेतृत्व ने नाम को अंतिम रूप देने से पहले इन MLA की प्रोफाइल मंगवाई
हरियाणा में मंत्री बनने के लिए 15 MLA शॉर्टलिस्ट:केंद्रीय नेतृत्व ने नाम को अंतिम रूप देने से पहले इन MLA की प्रोफाइल मंगवाई हरियाणा में नई सरकार के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने कवायद तेज कर दी है। मंत्रिमंडल के लिए 15 विधायकों के नाम शॉर्टलिस्ट किए गए हैं। इन विधायकों में से 7 मंत्री और एक डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने नाम को अंतिम रूप देने से पहले इन MLA की प्रोफाइल मंगवाई है। हरियाणा में मिनिस्टर बनने के लिए जो चेहरे शॉर्टलिस्ट किए गए हैं, उनमें नायब सैनी, अनिल विज, राव नरबीर सिंह, विपुल गोयल, मूलचंद शर्मा, कृष्णा गहलावत, कृष्णलाल पंवार, हरविंदर कल्याण, रणबीर गंगवा, महिपाल ढांडा, बिमला चौधरी, लक्ष्मण यादव, घनश्याम सर्राफ, आरती राव और श्रुति चौधरी शामिल हैं। 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया था। भाजपा ने 48, कांग्रेस ने 37, इनेलो ने 2 और 3 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की। तीनों निर्दलीय विधायक भाजपा को समर्थन दे चुके हैं। जिसके बाद भाजपा के पास विधायकों की संख्या 51 हो गई है। कल पंचकूला में विधायक दल की मीटिंग होगी। मीटिंग में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ऑब्जर्वर के तौर पर मौजूद रहेंगे। सिलसिलेवार ढंग से जानिए, किसकी दावेदारी क्यों मजबूत…. 1. राव नरबीर सिंह : बादशाहपुर सीट से चुनाव जीते राव नरबीर सिंह अहीरवाल बेल्ट के बड़े नेता कहे जाने वाले राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी रहे हैं। पूरे इलाके में राव नरबीर ही इकलौते ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अपने दम पर न केवल हाईकमान से सीधे टिकट हासिल की, बल्कि इस इलाके में सबसे बड़ी जीत भी दर्ज की है। नरबीर सिंह 2014 में मनोहर लाल खट्टर की सरकार में पावरफुल कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उनके सीधे हाईकमान से अच्छे संबंध है। उनकी कैबिनेट मंत्री के पद पर दावेदारी काफी मजबूत है। इसकी दूसरी वजह उनका राव इंद्रजीत सिंह का विरोधी होना भी है। 10 विधायकों में राव इंद्रजीत सिंह के धुर विरोधी में इकलौते राव नरबीर ही है। भाजपा नरबीर को मंत्री बनाकर इलाके में राव इंद्रजीत सिंह के बराबर नेता खड़ा कर सकती है। 2. बिमला चौधरी : बिमला चौधरी ने पटौदी विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है। वह 2014 में भी इसी सीट से विधायक बनी थीं। 2019 में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था। वह राव इंद्रजीत सिंह की करीबी हैं। बिमला चौधरी की दावेदारी इसलिए भी मजबूत है, क्योंकि वह जातीय संतुलन के हिसाब से राव इंद्रजीत सिंह के कोटे में वह फिट बैठती हैं। इसके अलावा उन्हें विधायक रहते हुए प्रशासनिक अनुभव भी है। 3. लक्ष्मण यादव : वह रेवाड़ी सीट से चुनाव जीते है। वह 2019 में कोसली से विधायक चुने गए थे। राव इंद्रजीत सिंह और संगठन दोनों की पसंद की वजह से उन्हें टिकट मिला। अहीरवाल इलाके में यादवों की वोट एक तरह से एक तरफा भाजपा के पक्ष में पड़ा। 2019 में भले ही रेवाड़ी सीट पर भाजपा जीत दर्ज नहीं कर पाई, लेकिन 2014 में यहां पहली बार कमल खिला था।अहीरवाल बेल्ट की राजधानी कहे जाने वाले रेवाड़ी को पिछले 10 सालों में मंत्रीपद नहीं मिल पाया। ऐसे में लक्ष्मण सिंह यादव के नाम पर राव इंद्रजीत सिंह भी सहमति जता सकते हैं। 4. आरती राव : राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव ने अटेली से चुनाव जीता है। पिछले 3 चुनाव में अटेली में भाजपा उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। इलाके में खुद के प्रभाव के चलते ही राव इंद्रजीत सिंह ने बेटी को टिकट दिलाया। ऐसे में आरती राव को मंत्रिमंडल में शामिल कराकर राव इंद्रजीत सिंह महेंद्रगढ़ जिले को मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। 5. विपुल गोयल : यह वैश्य समुदाय से आते हैं। 2014 में चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। हालांकि फरीदाबाद सांसद कृष्ण पाल गुर्जर के मतभेदों के कारण टिकट काट दिया गया था। इस बार सीधी हाईकमान में पकड़ होने के कारण इनको टिकट मिला, इसके साथ ही नए मंत्रिमंडल में इसी कारण से कैबिनेट मंत्री के रूप में मजबूत दावेदार बने हुए हैं। 6 मूलचंद शर्मा: भाजपा में ब्राह्मणों के सबसे बड़े चेहरे के रूप में पंडित रामबिलास शर्मा का नाम आता था, लेकिन 2019 में उनके चुनाव हारने के बाद उनके ही रिश्तेदार बल्लभगढ़ से विधायक मूलचंद शर्मा को मनोहर लाल के दूसरे टर्म में परिवहन मंत्री बनाया गया। मूलचंद शर्मा लगातार तीसरी बार इस सीट से विधायक चुने गए हैं। 5 साल मंत्री रहने के दौरान उनकी परफॉर्मेंस ठीक रही, जिसकी वजह से वह इस बार भी कैबिनेट मंत्री पद के दावेदार हैं। उनकी दावेदारी की दूसरी बड़ी वजह इस बार के चुनाव में ब्राह्मण वोटर्स का एकतरफा झुकाव भाजपा की तरफ रहना भी है। 7. महिपाल ढांडा: पानीपत ग्रामीण से विधायक बने हैं। पार्टी का बड़ा जाट चेहरा बनकर उभरे हैं। नायब सैनी के सीएम बनाए जाने के बाद ढांडा को राज्यमंत्री बनाया गया था। अपने छोटे से कार्यकाल में काफी एक्टिव दिखाई दिए थे। जिसके बाद भाजपा ने इन्हें तीसरी बार फिर टिकट दिया। ढांडा की सबसे बड़ी बात यह भी है कि उनके ऊपर अभी तक कोई भी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं। 8. कृष्णा गहलावत: राई विधानसभा सीट पर कृष्णा गहलावत ने जीत दर्ज की है। ये सीट पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ मानी जाती है। जाट समुदाय से आने वाली कृष्णा गहलावत 1996 में बंसीलाल सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। भाजपा सोनीपत, रोहतक और झज्जर की जाट बेल्ट में अपना आधार बढ़ाने के लिए उन्हें कैबिनेट में जगह दे सकती है। 9. श्रुति चौधरी: तोशाम विधानसभा सीट पर भाजपा से श्रुति चौधरी ने जीत दर्ज की है। इस सीट पर उनका मुकाबला अपने चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी से था। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रही श्रुति चौधरी को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट नहीं मिला था। इसके बाद वे अपनी मां किरण चौधरी के साथ बीजेपी में शामिल हो गईं। तोशाम पर बंसीलाल परिवार का खासा प्रभाव रहा है। इससे पहले किरण चौधरी इस सीट से लगातार जीत हासिल करती रही हैं। उन्हें अब राज्यसभा भेज दिया गया है। ऐसे में श्रुति चौधरी कैबिनेट में मंत्रीपद के मजबूत दावेदारी मानी जा रही है। 10. हरविंदर कल्याण: ये रोड़ समाज से आते हैं। प्रदेश की घरौंडा सीट से इन्होंने जीत दर्ज की है। 2019 में भी चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था। मनोहर लाल खट्टर के बाद नायब सैनी के कार्यकाल में भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो पाए थे, इस बार इस समाज को बीजेपी नई सरकार में प्रतिनिधित्व देना चाहती है, इसलिए दावेदारी मजबूत है। ये पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी माने जाते हैं। 11. कृष्ण लाल पंवार: बतौर राज्यसभा सांसद रहते हुए इसराना से विधानसभा चुनाव लड़ा। अब तक 6 बार के विधायक रह चुके हैं। सीनियोरिटी के हिसाब से बीजेपी में दूसरे नंबर पर आते हैं। इनसे पहले अनिल विज सात बार के विधायक बन चुके हैं। दलित समाज से आते हैं। इस चुनाव में दलितों के समर्थन मिलने के बाद बीजेपी में पंवार की मजबूत दावेदारी है। इसके साथ ही पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के भी काफी करीबी हैं। 12. रणबीर गंगवा: संसदीय मामलों के अच्छे जानकार हैं। मनोहर लाल खट्टर और नायब सैनी की सरकार में डिप्टी स्पीकर रह चुके हैं। गंगवा इस बार बरवाला सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचेंगे। इस नई सरकार में उन्हें स्पीकर या डिप्टी स्पीकर की जिम्मेदारी दी जा सकती है। 13. घनश्याम सर्राफ: भिवानी से लगातार चार बार विधायक हैं। 2014 में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में राज्य मंत्री रह चुके हैं। वैश्य समाज से आते हैं। बीजेपी ने इस चुनाव में 36 बिरादरी को साथ लेकर चलने का वादा किया है, ऐसे में उनके अनुभव को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व उन्हें राज्य मंत्री पद की जिम्मेदारी दे सकता है। 14. अनिल विज: हरियाणा में इस बार विधानसभा में सबसे सीनियर अनिल विज होंगे। इसकी वजह यह है कि यह ऐसे पहले विधायक बने हैं, जिन्होंने सात बार लगातार विधानसभा चुनाव जीता है। मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में सेकेंड पोजीशन पर रहे। हालांकि नायब सैनी के कार्यकाल में उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन इस बार वह फिर से कैबिनेट में अहम विभागों की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। पार्टी यदि डिप्टी सीएम फॉर्मूला लाती है तो विज को डिप्टी सीएम भी बनाया जा सकता है। अनिल विज पंजाबी समुदाय से आते हैं। Add Cover Image Header Preview Image avatarNo file chosen Caption (Optional) Graphics Editor Carousel Template (Optional) Video / Audio Summary (Optional) Save Content Upload Video / Audio Summary Category URL haryana-bjp-cabinet-ministers-list-nayab-saini-anil-vij-133809601 Meta Title (English) Haryana BJP Cabinet Ministers List; Nayab Singh Saini Anil Vij | Arti Rao Meta Description Haryana CM Nayab Singh Saini Cabinet Ministers List Update; हरियाणा में नई सरकार के लिए बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने कवायद शुरू कर दी है। मंत्रिमंडल के लिए 16 विधायकों के नाम शॉर्टलिस्ट किए जा चुके हैं। SEO Keyword Haryana Cabinet, BJP MLA, Haryana New Government, BJP, Aarti Rao, Tosham MLA Shruti Chaudhary, Krishna Gehlawat News Type (Multi Selection) Related News (Optional) शाह मौजूद रहेंगे; बड़ौली बोले- 17 को शपथग्रहण में PM समेत 37 CM-डिप्टी CM, केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे × चीफ सेक्रेटरी प्रसाद की 31 को रिटायरमेंट; CM के प्रिंसिपल सेक्रेटरी उमाशंकर दिल्ली जाने के इच्छुक × कई दिन से मिल 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टीम इंडिया के वर्ल्ड चैंपियन बनने पर हरियाणा-पंजाब में जश्न:अंबाला में JCB पर चढ़कर डांस, लुधियाना में सड़क पर भांगड़ा, शिमला में आतिशबाजी
टीम इंडिया के वर्ल्ड चैंपियन बनने पर हरियाणा-पंजाब में जश्न:अंबाला में JCB पर चढ़कर डांस, लुधियाना में सड़क पर भांगड़ा, शिमला में आतिशबाजी भारत ने 17 साल बाद टी-20 वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम कर लिया। भारतीय टीम ने 7 रन से साउथ अफ्रीका की टीम को फाइनल में हरा दिया। एक समय ऐसा लग रहा था कि साउथ अफ्रीका की टीम 177 रन का टारगेट आसानी से चेज कर लेगी, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने साउथ अफ्रीका के हाथों से जीत छीन ली। टीम इंडिया की जीत के बाद हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल समेत देशभर में जश्न मनाया जा रहा है। लोग डांस कर रहे हैं तो कुछ दिवाली की तरह पटाखे जलाकर खुशी मना रहे हैं। सिलसिलेवार ढंग से पढ़िए अपडेट्स…