फाजिल्का में डेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट नजर आ रहा है l फाजिल्का के जिला सरकारी अस्पताल में अब डेंगू वार्ड स्थापित कर दिया गया है l जहां पर 10 बैड का डेंगू वार्ड बनाया गया है l हालांकि हालातों का जायजा लेने के लिए फाजिल्का के कार्यकारी सिविल सर्जन डॉक्टर एरिक ने मौके का दौरा किया l फाजिल्का के कार्यकारी सिविल सर्जन डॉक्टर एरिक ने बताया कि मौसम ने बदलाव होने के चलते डेंगू का सीजन शुरू हो गया है l और इन दिनों में डेंगू के केस आने की संभावना होती है l यही वजह है कि अब स्वास्थ्य विभाग पहले से ही अलर्ट हो गया है l जिसके चलते जहां उनके द्वारा इलाके के लोगों को डेंगू से बचने के लिए सावधानियां बरतने की अपील की जा रही है l वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी के तौर पर फाजिल्का के सरकारी जिला अस्पताल में 10 बेड का डेंगू वार्ड स्थापित कर दिया है l उन्होंने बताया कि उन्होंने जहां डेंगू वार्ड का दौरा किया वहीं स्थानीय लैब का दौरा भी किया गया है l जहां डेंगू को लेकर टेस्ट किया जा रहे हैं l उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह फ्रिज की ट्रे व अन्य जगह साफ पानी जमा न होने दे l और सावधानियां बरतें ताकि डेंगू से बचा जा सके l फाजिल्का में डेंगू को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट नजर आ रहा है l फाजिल्का के जिला सरकारी अस्पताल में अब डेंगू वार्ड स्थापित कर दिया गया है l जहां पर 10 बैड का डेंगू वार्ड बनाया गया है l हालांकि हालातों का जायजा लेने के लिए फाजिल्का के कार्यकारी सिविल सर्जन डॉक्टर एरिक ने मौके का दौरा किया l फाजिल्का के कार्यकारी सिविल सर्जन डॉक्टर एरिक ने बताया कि मौसम ने बदलाव होने के चलते डेंगू का सीजन शुरू हो गया है l और इन दिनों में डेंगू के केस आने की संभावना होती है l यही वजह है कि अब स्वास्थ्य विभाग पहले से ही अलर्ट हो गया है l जिसके चलते जहां उनके द्वारा इलाके के लोगों को डेंगू से बचने के लिए सावधानियां बरतने की अपील की जा रही है l वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी के तौर पर फाजिल्का के सरकारी जिला अस्पताल में 10 बेड का डेंगू वार्ड स्थापित कर दिया है l उन्होंने बताया कि उन्होंने जहां डेंगू वार्ड का दौरा किया वहीं स्थानीय लैब का दौरा भी किया गया है l जहां डेंगू को लेकर टेस्ट किया जा रहे हैं l उन्होंने लोगों से अपील की है कि वह फ्रिज की ट्रे व अन्य जगह साफ पानी जमा न होने दे l और सावधानियां बरतें ताकि डेंगू से बचा जा सके l पंजाब | दैनिक भास्कर
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राम रहीम डेरा मैनेजर की हत्या के केस में बरी:हाईकोर्ट ने CBI कोर्ट का फैसला रद्द किया; पत्रकार हत्याकांड और साध्वी रेप केस में जेल में रहेगा
राम रहीम डेरा मैनेजर की हत्या के केस में बरी:हाईकोर्ट ने CBI कोर्ट का फैसला रद्द किया; पत्रकार हत्याकांड और साध्वी रेप केस में जेल में रहेगा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा चीफ राम रहीम समेत 5 लोगों को डेरा मैनेजर रणजीत सिंह हत्याकांड में बरी कर दिया है। राम रहीम समेत 5 आरोपियों को CBI कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी थी। राम रहीम इस वक्त रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। उसे 3 मामलों में सजा हुई थी। इनमें रणजीत हत्याकांड के अलावा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और साध्वियों के यौन शोषण का केस भी शामिल है। पत्रकार की हत्या में उसे उम्रकैद और यौन शोषण के 2 केसों में 10-10 साल की कैद हुई थी। इस केस में बरी होने के बावजूद राम रहीम को अभी जेल में ही रहना होगा। हाईकोर्ट के फैसले पर डेरा सच्चा सौदा ने कहा कि हमें न्यायपालिका पर हमेशा पूर्ण विश्वास रहा है और माननीय न्यायालय से हमें न्याय मिला है। 22 साल पहले हत्या, 19 साल बाद हुई थी सजा, 3 साल बाद बरी
कुरुक्षेत्र के रहने वाले डेरे के मैनेजर रणजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसकी पुलिस जांच हुई, लेकिन डेरे को क्लीन चिट दे दी गई। पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर CBI जांच की मांग की थी। हालांकि, शुरुआत में इस मामले में राम रहीम का नाम नहीं था, लेकिन साल 2003 में जांच CBI को सौंपी गई। फिर 2006 में राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान पर डेरा प्रमुख को शामिल किया गया। इस मामले में 2007 में कोर्ट ने आरोपियों पर आरोप तय किए थे। 19 साल के बाद अक्टूबर 2021 में डेरा मुखी समेत 5 आरोपियों को दोषी करार दिया गया। जिसके बाद CBI ने इन्हें उम्रकैद की सजा दे दी। सजा मिलने के तीन साल बाद राम रहीम हाईकोर्ट से बरी हो गया। रणजीत का पूरा परिवार डेरे से जुड़ा था, चिट्ठी के बाद इस्तीफा दिया
साल 2002 में रणजीत सिंह डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर थे। रणजीत सिंह कुरुक्षेत्र के रहने वाले थे। उनका पूरा परिवार भी डेरे से जुड़ा हुआ था। सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक एक गुमनाम चिठ्ठी की वजह से डेरा सच्चा सौदा में हंगामा खड़ा हो गया था। उस गुमनाम खत में एक साध्वी का यौन शोषण किए जाने का खुलासा था। चिठ्ठी सामने आते ही डेरा सच्चा सौदा पर सवाल उठने लगे। डेरे में यौन शोषण के आरोप सामने आने के बाद रणजीत सिंह आहत हो गए। इसी बात को लेकर उन्होंने डेरे के मैनेजर पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके साथ परिवार के लोग भी डेरे से अलग हो गए। गुमनाम चिट्ठी के शक में मारी गई थी गोली
रणजीत सिंह की हत्या का मामला गुमनाम चिट्ठी से जुड़ा हुआ है, जिसमें डेरे में साध्वियों के यौन शोषण के आरोप लगाए गए थे। ये वह चिट्ठी थी, जो तत्कालीन PM अटल बिहारी वाजपेयी को भेजी गई थी। CBI ने दावा किया था कि डेरे को शक था कि रणजीत ने ही अपनी बहन से साध्वियों के यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी लिखवाई है। CBI ने जांच के बाद कोर्ट में कहा था कि राम रहीम को शक था कि गुमनाम चिट्ठी के पीछे रणजीत का हाथ है। इस चिट्ठी में रणजीत की बहन का भी जिक्र था। इस चिट्ठी के सामने आने के बाद रणजीत को डेरे में बुलाया गया। जहां उसे गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दी गई थी। हालांकि, रणजीत ने कहा कि इस चिट्ठी के पीछे उसकी कोई भूमिका नहीं है। जिसके बाद उसकी हत्या हो गई। यह चिट्ठी बाद में सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने अखबार में छापी थी। इसके बाद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति को 24 अक्टूबर को गोली मारी गई थी। इसके बाद उसे दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां 21 नवंबर को उनकी मौत हो गई थी। छत्रपति की हत्या के केस में भी राम रहीम उम्रकैद काट रहा है। ये खबरें भी पढ़ें… वह गुमनाम चिट्ठी, जिसके बाद रणजीत का मर्डर हुआ:इसी केस में राम रहीम बरी हरियाणा के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के चीफ राम रहीम के साम्राज्य को एक गुमनाम चिट्ठी ने तबाह किया था। यह चिट्ठी डेरे में साध्वियों के यौन शोषणा से जुड़ी हुई थी। यह चिट्ठी 13 मई 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को संबोधित कर लिखी गई थी।इस चिट्ठी के सामने आने के बाद पहले डेरे के मैनेजर रणजीत सिंह का मर्डर हुआ (पूरी खबर पढ़ें) गुरमीत के राम रहीम बनने की पूरी कहानी:17 की उम्र में शादी, 23 में संन्यासी बना; एक पोशाक से हिंसा फैली, रेप-मर्डर में सजा डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 22 साल पुराने रणजीत सिंह मर्डर केस में हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। राम रहीम अभी रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। वह जेल से बाहर नहीं आएगा। एक सामान्य इंसान से डेरा सच्चा का प्रमुख बनने तक राम रहीम की कहानी दिलचस्प है। राम रहीम का जन्म 15 अगस्त 1967 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की गुरुसर मोडिया गांव में जट सिख परिवार में हुआ। वह माता-पिता का इकलौता बेटा था। उसके पिता मघर सिंह गांव के जमींदार थे। माता का नाम नसीब कौर है। (पूरी खबर पढ़ें) रणजीत का परिवार जाएगा सुप्रीम कोर्ट:राम रहीम को बरी किए जाने से परिवार मायूस, बेटा और जीजा बोले-मरते दम तक लड़ेंगे लड़ाई हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा के मैनेजर रणजीत सिंह के मर्डर केस में हाईकोर्ट ने डेरा प्रमुख को बरी कर दिया है। इस फैसले से रणजीत सिंह का परिवार मायूस है। परिवार का कहना है कि वह कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। इसके लिए वकीलों से राय ली जा रही है। जल्द ही इसके लिए कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई शुरू करेंगे। (पूरी खबर पढ़ें)
पंजाब में AAP का 13-0 मिशन फेल:सभी लोकसभा सीटों पर लड़ी, 3 ही जीत पाई; 4 मंत्री हारे, फेल्योर की 6 वजहें
पंजाब में AAP का 13-0 मिशन फेल:सभी लोकसभा सीटों पर लड़ी, 3 ही जीत पाई; 4 मंत्री हारे, फेल्योर की 6 वजहें लोकसभा चुनाव में राज्य की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त मिली है। 13-0 का मिशन लेकर सभी सीटों पर 5 मंत्री और 3 विधायकों समेत उतरी पार्टी केवल 3 सीटें ही जीत सकी। जबकि, पार्टी के 4 मंत्रियों को करारी शिकस्त मिली है। जीतने वालों में मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर प्रमुख हैं। उन्होंने संगरूर लोकसभा से जीत दर्ज की है। वहीं, होशियारपुर से राज कुमार चब्बेवाल चुनाव जीतने में कामयाब रहे। वह चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर AAP में शामिल हुए थे। इसके साथ आनंदपुर साहिब लोकसभा से मालविंदर सिंह कंग चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। AAP के चुनाव में पिछड़ने की वजहें… मंत्रियों और विधायकों को नहीं मिला फ्री हैंड
2022 में जब राज्य के लोगों ने AAP को चुना, तो दावा किया गया था कि सरकार चंडीगढ़ से नहीं, बल्कि गांवों से चलेगी। इस वजह से लोगों ने AAP को चुना, लेकिन ढाई साल ऐसा नहीं हो पाया। किसी भी मंत्री और विधायक को फ्री हैंड नहीं दिया गया। लोगों के काम नहीं हो रहे थे। इस वजह से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा है। दलबदलुओं को लोगों ने नकारा
AAP के पास लोकसभा चुनाव में उतरने के लिए मजबूत चेहरे नहीं थे। ऐसे में पार्टी की तरफ से दलबदलुओं पर दांव खेला गया। विशेषकर फतेहगढ़ साहिब में कांग्रेस के पूर्व विधायक गुरप्रीत सिंह जीपी और जालंधर में पवन कुमार टीनू को चुनावी मैदान में उतारा गया, लेकिन दोनों को ही हार का मुंह देखना पड़ा। टीनू तो जालंधर में तीसरे नंबर पर रहे हैं। राज्य सभा में भेजे गैर पंजाबी
जब AAP की सरकार बनी तो इनके नेताओं ने पंजाब के हक की आवाज उठाई, लेकिन जब राज्य सभा मेंबर बनाने की बात आई तो उसमें पंजाब से बाहर के लोगों को चुना गया। विरोधी दलों ने इस मुद्दे को भी चुनाव में जोर-शोर से उठाया। उनकी दलील थी कि सरकार दिल्ली से चल रही है। यह पंजाब के पक्ष में नहीं है। इस मुद्दे को भी चुनाव में खूब उठाया गया। एक हजार की गारंटी का असर
सरकार की तरफ से चुनाव के समय गारंटी दी गई थी कि एक हजार रुपए हर महिला को हर महीने दिए जाएंगे, लेकिन अभी तक सरकार यह वादा पूरा नहीं पाई है। चुनाव में विरोधी दलों की सभी पार्टियां इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रही थी। आखिर में CM भगवंत मान को कहना पड़ा कि वह चुनाव के तुरंत बाद महिलाओं को एक हजार की जगह 11 सौ रुपए की गांरटी को पूरा करेंगे। इससे गांव से लेकर शहरों तक पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा। जबकि, पंजाब में 2.14 लाख वोटरों में से 1.4 लाख वोटर सीधे महिला थीं। अमृतपाल व बेअदबी मामला
अमृतपाल मामले में केस दर्ज करने से लोग थोड़ा नाराज हुए थे, लेकिन जब अमृतपाल सिंह को पंजाब से बाहर डिब्रूगढ़ की जेल भेजा गया तो लोग ज्यादा नाराज हो गए। इस वजह से पंथक लोग पार्टी से अलग हो गए। इसी तरह बेअदबी मामले में भी तक कुछ नहीं हुआ है। जबकि, सरकार बनने से पहले AAP ने कई बड़े वादे किए थे। कानून व्यवस्था व लोकल इश्यू भी हावी
पंजाब में बिगड़ती कानून व्यवस्था और स्थानीय मुद्दों का असर भी इस चुनाव में दिखा है। सीमावर्ती क्षेत्रों और जिलों में नशा व बड़े शहरों में लोगों को फिरौती, रंगदारी की कॉल्स आ रही थीं। मामला विधानसभा में भी उठा था। कई विधायकों से लोग काफी नाराज थे। इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा है।
अमृतसर में शुरू की गई पोलियो मुहिम:1.92 लाख बच्चों को ड्रॉप्स देने का टारगेट, स्वास्थ्य विभाग की बनाई गई 2896 टीम
अमृतसर में शुरू की गई पोलियो मुहिम:1.92 लाख बच्चों को ड्रॉप्स देने का टारगेट, स्वास्थ्य विभाग की बनाई गई 2896 टीम भारत में बहुत सालों से कोई पोलियो का केस नहीं आया है लेकिन फिर भी पड़ोसी देशों से खतरा बना रहता है इसीलिए हर साल स्वास्थ्य विभाग पोलियो मुहिम चलाता है। आज भी देश भर में अलग अलग स्थानों पर पोलियो मुहिम शुरू की गई। अमृतसर में 1.92 लाख बच्चों को ड्रॉप्स पिलाने का टारगेट है जिसे तीन दिन में पूरा किया जाएगा। इसके लिए 1496 बूथ लगाए गए हैं। आज स्वास्थ्य विभाग की ओर से अमृतसर के सिविल हॉस्पिटल में पोलियो ड्रॉप्स पिलाने की मुहिम शुरू की गई। सिविल सर्जन डॉक्टर किरनदीप कौर ने बताया कि हालांकि बहुत सालों से पोलियो का कोई केस नहीं आया है लेकिन पड़ोसी देश से खतरा बना रहता है इसीलिए हर साल यह मुहिम चलाई जाती है। जिसमें 0 से पांच साल तक के बच्चे को दो बूंदें पोलियो ड्रॉप्स की पिलाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि अमृतसर में 1.92 लाख बच्चे 0 से पांच साल के हैं। जिन्हें उनके 1496 बूथों पर ड्रॉप्स पिलाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जो बच्चे आज ड्रॉप्स पीने से रह जाएंगे उन्हें कल घर घर जाकर ड्रॉप्स पिलाई जाएंगी। सेहत विभाग की 2896 टीमें बनी हैं जो घर घर जाकर ड्रॉप्स पिलाएगी। उन्होंने कहा कि वो लोगों से अपील करते हैं कि उनका सहयोग किया जाए ताकि कोई भी बच्चा पोलियो ड्रॉप्स के बिना न रहे। पोलियो ड्रॉप्स पिलाने की टीमों के साथ साथ लोगों को जागरूक करने के लिए ई रिक्शा भी भेजे गए जो कि जगह जगह जाकर पोलियो के खिलाफ जागरूकता फैलाएंगे और सभी को बताएंगे कि पोलियो ड्रॉप्स कितने जरूरी हैं।