हरियाणा के निर्दलीय उम्मीदवार देवेंद्र कादियान ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि उन्हें ED-CBI की धमकियां मिल रही हैं। कादियान भारतीय जनता पार्टी (BJP) से टिकट कटने के बाद गन्नौर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि मोहन लाल बड़ौली हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं, लेकिन वह उन्हें टिकट तक नहीं दिला सके। देवेंद्र कादियान मन्नत ग्रुप होटल्स के चेयरमैन हैं। उन्होंने राजनीति की शरुआत युवा कांग्रेस में की। वे राहुल गांधी के करीबी रहे हैं। युवा कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं। 2018 में कांग्रेस छोड़ कर उन्होंने भाजपा जॉइन कर ली थी। 2019 में मनोहर लाल खट्टर ने रथ यात्रा निकली थी। तब कादियान ने गन्नौर में रथ यात्रा का भव्य स्वागत किया था, इस दौरान भी वे गन्नौर भाजपा में टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन भाजपा ने टिकट निर्मल चौधरी को दे दी। इसके बाद कादियान बागी हो गए। तब मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें मनाया था। विदेशों से मिल रही धमकियां, पुलिस में शिकायत दी देवेंद्र कादियान ने दूसरे प्रत्याशियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें चुनाव में बैठाने के लिए खुले मंच और विदेशों से धमकियां मिल रही है। साथ ही जो उनके समर्थक है, उन्हें भी विदेशों से फोन पर जान से मारने व चुनाव से दूर रहने की धमकियां मिल रही है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में दोनों प्रत्याशियों की जमानत जब्त होगी। इसी डर की वजह से उन्हें धमकियां मिल रही है। उन्होंने पुलिस को शिकायत देकर भी कार्रवाई की मांग की है। बड़ौली की तन, मन, धन से मदद की देवेंद्र कादियान ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली पर आरोप लगाया कि, जिनको टिकट मिली उन्हीं ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराया। लोकसभा चुनाव में बड़ौली ने ये आरोप लगाया था जिसको टिकट मिली उसने मुझे हराया। ये कमाल की बात है कि मैंने उनकी लोकसभा चुनाव में तन, मन और धन से मदद की, लेकिन वह एक टिकट नहीं दिला सके। दरअसल, आज कोई भी बड़ा नेता यह नहीं चाहता कि कोई नया युवा राजनीति में आए और आगे बढ़े। लाइव आकर बीजेपी छोड़ने का किया था ऐलान हरियाणा के सोनीपत जिले की गन्नौर विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए ये कादियान बड़ी चुनौती बने हुए हैं। करीब 10 साल से क्षेत्र में सक्रिय भाजपा नेता एवं युवा आयोग के चेयरमैन देवेंद्र कादियान ने लाइव आकर भाजपा छोड़ने का ऐलान किया था। इस दौरान उनकी आंखों से आंसू भी निकल आए। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कुछ लोग 100 करोड़ रुपए देकर टिकट लेकर आए हैं। करोड़ों में खरीदने की बात कर रहे देवेंद्र कादियान ने यह भी आरोप लगाया है, कि ‘वे सबसे अपील करते हैं कि कृपया सच्चाई के साथ चलिए, कृपया वफादारी के साथ चलिए, कृपया इंसानियत के साथ चलिए। दिखा दीजिए कि असली टिकट गन्नौर के अंदर है। यह 100 करोड़ में खुद की टिकट लेकर आए हैं। वे आपको करोड़ों में खरीदने की बात कर रहे हैं, लेकिन मैंने कभी इस हलके में कोई आदमी बिकाऊ नहीं दिखा। देखता हूं वह कैसे खरीदेगा। मेरी अपील है कि दो नंबर के पैसे लेने से मना मत करना, गठरी आएगी पैसों की रखवा लेना। मना मत करना। गौशालाएं हैं, मंदिर हैं। किसी भी अच्छी जगह ये पैसे लगा देना, लेकिन इनके 100 करोड़ निकालने हैं। 2015 में नारा दिया- नेता नहीं बेटा देवेंद्र कादियान अपने एक नारे को लेकर भी काफी चर्चा में रहे। 2015 में व्यापार से जब उन्होंने राजनीति की ओर रुख किया तो उन्होंने कहा कि वह नेता नहीं, गन्नौर के बेटा हैं। इस चुनाव में भी वह निर्दलीय के रूप में नेता नहीं बेटा को लेकर ही प्रचार कर रहे हैं। देवेंद्र क्षेत्र में समाजसेवी की छवि रखते हैं। फ्री में एंबुलेंस चला रहे हैं, गरीब युवाओं की शिक्षा में भी सहयोग कर रहे हैं। देवेंद्र कादियान इस बार अपनी टिकट को पक्का मान कर चल रहे थे, लेकिन अब भाजपा के जवाब देने के बाद उन्होंने भाजपा को अलविदा कह दिया। यहां पढ़िए गन्नौर का सियासी गणित गन्नौर में हर चुनाव में कड़ा मुकाबला, निर्दलीय भी जीते गन्नौर में वर्ष 1967 से अब तक विधानसभा के 13 चुनाव हो चुके हैं। गन्नौर विधानसभा सीट 2005 में अस्तित्व में आई है। इससे पहले इसे कैलाना हलके के नाम से जाना जाता था। इस सीट पर हर बार प्रत्याशियों में मुकाबला कड़ा व आमने सामने का रहा है। 6 चुनाव में तो प्रत्याशी की जीत का अंतर 2000 वोटों से नीचे रहा है। यहां पर 1972 व 1982 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं। 1987 में लोकदल के वेद सिंह ने निर्दलीय राजिंद्र सिंह को 17,614 वोटों से हराया और यह गन्नौर के इतिहास में आज तक की सबसे बड़ी जीत है। वर्ष 2009 व 2019 के चुनाव में जीत की अंतर 10 हजार से थोड़ा उपर रहा। 2000 के चुनाव में कांग्रेस के जितेंद्र मलिक इनेलो से मात्र 740 वोटों से जीते थे। हरियाणा के निर्दलीय उम्मीदवार देवेंद्र कादियान ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि उन्हें ED-CBI की धमकियां मिल रही हैं। कादियान भारतीय जनता पार्टी (BJP) से टिकट कटने के बाद गन्नौर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि मोहन लाल बड़ौली हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं, लेकिन वह उन्हें टिकट तक नहीं दिला सके। देवेंद्र कादियान मन्नत ग्रुप होटल्स के चेयरमैन हैं। उन्होंने राजनीति की शरुआत युवा कांग्रेस में की। वे राहुल गांधी के करीबी रहे हैं। युवा कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं। 2018 में कांग्रेस छोड़ कर उन्होंने भाजपा जॉइन कर ली थी। 2019 में मनोहर लाल खट्टर ने रथ यात्रा निकली थी। तब कादियान ने गन्नौर में रथ यात्रा का भव्य स्वागत किया था, इस दौरान भी वे गन्नौर भाजपा में टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन भाजपा ने टिकट निर्मल चौधरी को दे दी। इसके बाद कादियान बागी हो गए। तब मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें मनाया था। विदेशों से मिल रही धमकियां, पुलिस में शिकायत दी देवेंद्र कादियान ने दूसरे प्रत्याशियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें चुनाव में बैठाने के लिए खुले मंच और विदेशों से धमकियां मिल रही है। साथ ही जो उनके समर्थक है, उन्हें भी विदेशों से फोन पर जान से मारने व चुनाव से दूर रहने की धमकियां मिल रही है। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में दोनों प्रत्याशियों की जमानत जब्त होगी। इसी डर की वजह से उन्हें धमकियां मिल रही है। उन्होंने पुलिस को शिकायत देकर भी कार्रवाई की मांग की है। बड़ौली की तन, मन, धन से मदद की देवेंद्र कादियान ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली पर आरोप लगाया कि, जिनको टिकट मिली उन्हीं ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराया। लोकसभा चुनाव में बड़ौली ने ये आरोप लगाया था जिसको टिकट मिली उसने मुझे हराया। ये कमाल की बात है कि मैंने उनकी लोकसभा चुनाव में तन, मन और धन से मदद की, लेकिन वह एक टिकट नहीं दिला सके। दरअसल, आज कोई भी बड़ा नेता यह नहीं चाहता कि कोई नया युवा राजनीति में आए और आगे बढ़े। लाइव आकर बीजेपी छोड़ने का किया था ऐलान हरियाणा के सोनीपत जिले की गन्नौर विधानसभा सीट पर भाजपा के लिए ये कादियान बड़ी चुनौती बने हुए हैं। करीब 10 साल से क्षेत्र में सक्रिय भाजपा नेता एवं युवा आयोग के चेयरमैन देवेंद्र कादियान ने लाइव आकर भाजपा छोड़ने का ऐलान किया था। इस दौरान उनकी आंखों से आंसू भी निकल आए। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि कुछ लोग 100 करोड़ रुपए देकर टिकट लेकर आए हैं। करोड़ों में खरीदने की बात कर रहे देवेंद्र कादियान ने यह भी आरोप लगाया है, कि ‘वे सबसे अपील करते हैं कि कृपया सच्चाई के साथ चलिए, कृपया वफादारी के साथ चलिए, कृपया इंसानियत के साथ चलिए। दिखा दीजिए कि असली टिकट गन्नौर के अंदर है। यह 100 करोड़ में खुद की टिकट लेकर आए हैं। वे आपको करोड़ों में खरीदने की बात कर रहे हैं, लेकिन मैंने कभी इस हलके में कोई आदमी बिकाऊ नहीं दिखा। देखता हूं वह कैसे खरीदेगा। मेरी अपील है कि दो नंबर के पैसे लेने से मना मत करना, गठरी आएगी पैसों की रखवा लेना। मना मत करना। गौशालाएं हैं, मंदिर हैं। किसी भी अच्छी जगह ये पैसे लगा देना, लेकिन इनके 100 करोड़ निकालने हैं। 2015 में नारा दिया- नेता नहीं बेटा देवेंद्र कादियान अपने एक नारे को लेकर भी काफी चर्चा में रहे। 2015 में व्यापार से जब उन्होंने राजनीति की ओर रुख किया तो उन्होंने कहा कि वह नेता नहीं, गन्नौर के बेटा हैं। इस चुनाव में भी वह निर्दलीय के रूप में नेता नहीं बेटा को लेकर ही प्रचार कर रहे हैं। देवेंद्र क्षेत्र में समाजसेवी की छवि रखते हैं। फ्री में एंबुलेंस चला रहे हैं, गरीब युवाओं की शिक्षा में भी सहयोग कर रहे हैं। देवेंद्र कादियान इस बार अपनी टिकट को पक्का मान कर चल रहे थे, लेकिन अब भाजपा के जवाब देने के बाद उन्होंने भाजपा को अलविदा कह दिया। यहां पढ़िए गन्नौर का सियासी गणित गन्नौर में हर चुनाव में कड़ा मुकाबला, निर्दलीय भी जीते गन्नौर में वर्ष 1967 से अब तक विधानसभा के 13 चुनाव हो चुके हैं। गन्नौर विधानसभा सीट 2005 में अस्तित्व में आई है। इससे पहले इसे कैलाना हलके के नाम से जाना जाता था। इस सीट पर हर बार प्रत्याशियों में मुकाबला कड़ा व आमने सामने का रहा है। 6 चुनाव में तो प्रत्याशी की जीत का अंतर 2000 वोटों से नीचे रहा है। यहां पर 1972 व 1982 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं। 1987 में लोकदल के वेद सिंह ने निर्दलीय राजिंद्र सिंह को 17,614 वोटों से हराया और यह गन्नौर के इतिहास में आज तक की सबसे बड़ी जीत है। वर्ष 2009 व 2019 के चुनाव में जीत की अंतर 10 हजार से थोड़ा उपर रहा। 2000 के चुनाव में कांग्रेस के जितेंद्र मलिक इनेलो से मात्र 740 वोटों से जीते थे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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