लखनऊ हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सपा के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को जमानत दे दी है। इस मामले में गायत्री प्रजापति साढ़े तीन साल से जेल में है, जबकि नियमों के तहत कुल सजा 7 साल की है। अधिकतम सजा की आधी अवधि जेल में बिताने के आधार पर कोर्ट ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को जमानत दी है। सुनवाई के समय न्यायालय ने पाया कि मनी लॉन्ड्रिंग के मुकदमे का आधार आय से अधिक प्रॉपर्टी है। जिसे वर्ष 2020 में दर्ज किया गया था। चार साल बीत जाने के बाद यूपी विजिलेंस इस्टैब्लिश्मेंट मामले में अपनी विवेचना पूरी नहीं कर सका। यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने गायत्री प्रसाद प्रजापति की याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया है। विजिलेंस के मुकदमे को ED ने बनाया आधार
वकील ने कोर्ट को बताया कि लोकायुक्त की सिफारिश पर 26 नवम्बर 2020 को विजिलेंस ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया था। इसी मुकदमे को आधार बनाते हुए 2021 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया। आधी अवधि से अधिक काट चुका है सजा
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 8 फरवरी 2021 को गायत्री प्रजापति को ज्युडिशियल रिमांड पर लिया गया था। कहा गया कि विजिलेंस आय से अधिक संपत्ति के मामले में अब तक अपनी जांच ही नहीं पूरी कर पाई और मनी लॉन्ड्रिंग के वर्तमान मुकदमे में भी अभियुक्त आधी से अधिक अवधि जेल में बिता चुका है। ईडी के वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने पाया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436 ए के तहत गायत्री प्रजापति को जमानत पाने का अधिकार है, क्योंकि वह अधिकतम सजा की आधी अवधि जेल में बिता चुका है। अभी भी जेल में रहना होगा प्रजापति को पहले के कई मामलों की वजह से अभी जेल में ही रहना होगा। चार दिन पहले ही नाबालिग के साथ बलात्कार के आरोप में जमानत याचिका हाईकोर्ट की डबल बेंच ने खारिज कर दी थी। 18 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति और 6 आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने गैंगरेप, जानमाल की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। अदालत ने दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा दी। कई बार प्रजापति ने जमानत के लिए अर्जी डाली, लेकिन हर बार याचिका खारिज कर दी गई। लखनऊ हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सपा के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को जमानत दे दी है। इस मामले में गायत्री प्रजापति साढ़े तीन साल से जेल में है, जबकि नियमों के तहत कुल सजा 7 साल की है। अधिकतम सजा की आधी अवधि जेल में बिताने के आधार पर कोर्ट ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को जमानत दी है। सुनवाई के समय न्यायालय ने पाया कि मनी लॉन्ड्रिंग के मुकदमे का आधार आय से अधिक प्रॉपर्टी है। जिसे वर्ष 2020 में दर्ज किया गया था। चार साल बीत जाने के बाद यूपी विजिलेंस इस्टैब्लिश्मेंट मामले में अपनी विवेचना पूरी नहीं कर सका। यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने गायत्री प्रसाद प्रजापति की याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया है। विजिलेंस के मुकदमे को ED ने बनाया आधार
वकील ने कोर्ट को बताया कि लोकायुक्त की सिफारिश पर 26 नवम्बर 2020 को विजिलेंस ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया था। इसी मुकदमे को आधार बनाते हुए 2021 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया। आधी अवधि से अधिक काट चुका है सजा
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 8 फरवरी 2021 को गायत्री प्रजापति को ज्युडिशियल रिमांड पर लिया गया था। कहा गया कि विजिलेंस आय से अधिक संपत्ति के मामले में अब तक अपनी जांच ही नहीं पूरी कर पाई और मनी लॉन्ड्रिंग के वर्तमान मुकदमे में भी अभियुक्त आधी से अधिक अवधि जेल में बिता चुका है। ईडी के वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया। कोर्ट ने पाया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436 ए के तहत गायत्री प्रजापति को जमानत पाने का अधिकार है, क्योंकि वह अधिकतम सजा की आधी अवधि जेल में बिता चुका है। अभी भी जेल में रहना होगा प्रजापति को पहले के कई मामलों की वजह से अभी जेल में ही रहना होगा। चार दिन पहले ही नाबालिग के साथ बलात्कार के आरोप में जमानत याचिका हाईकोर्ट की डबल बेंच ने खारिज कर दी थी। 18 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति और 6 आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने गैंगरेप, जानमाल की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। अदालत ने दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा दी। कई बार प्रजापति ने जमानत के लिए अर्जी डाली, लेकिन हर बार याचिका खारिज कर दी गई। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर