यूपी में बारिश के थमते ही गर्मी और उमस का सितम भी बढ़ने लगा है। कई जिलों में पारा 39 डिग्री तक पहुंच गया। आगरा में मंगलवार को ताजमहल देखने आए कई विदेशी पर्यटक बेहोश होकर गिर गए। एक महिला के सिर में गंभीर चोट भी आई है। प्रदेश में 5 दिन बाद फिर से बारिश के आसार बन रहे। मौसम विभाग ने आज पूर्वांचल के 22 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इस दौरान तेज हवाएं भी चलेंगी। बिजली भी गिर सकती है। प्रदेश में अगले 4 दिन ऐसा ही मौसम बना रहेगा। मौसम विभाग ने 51 जिलों में ग्रीन अलर्ट जारी किया है। यानी यहां मौसम साफ रहेगा। मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में लोकल डिस्टरबेंस के चलते बूंदाबांदी हो सकती है। प्रदेश में पिछले दिनों की बारिश से गंगा, यमुना, घाघरा और शारदा समेत कई नदियां उफान पर हैं। 21 जिलों में बाढ़ जैसे हालात हैं। काशी में गंगा किनारे पानी घटा है, लेकिन घाटों पर अभी भी पानी है। 1 जून से अब तक 723 MM बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन 679.9 MM बारिश हुई है। 23 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, जबकि 52 जिलों में कोटे से कम बारिश हुई। 4 दिनों तक ऐसा रहेगा मौसम बारिश से धान को फायदा, दलहनी फसलों को नुकसान
मौसम विशेषज्ञ डॉ. SN सुनील पांडेय ने बताया कि सितंबर में अधिक बारिश से दलहनी फसलें प्रभावित हुई हैं, लेकिन धान को फायदा हुआ है। सब्जियों को नुकसान हुआ है, जिसका असर कुछ दिन बाद दिखेगा। आगे भी बारिश अभी जारी रहेगी। यूपी में बदलता मानसून का पैटर्न; 5 साल में 2022 में सबसे कम बारिश IMD के आंकड़े बताते हैं- 2001 से यूपी में सामान्य मानसून की बारिश नहीं हो रही। साल दर साल इसमें कमी आ रही। यूपी में सामान्य बारिश तब मानी जाती है, जब यह 823 से 860 मिलीमीटर के बीच हो। 5 साल के आंकड़ों को देखने पर साफ हो जाता है कि कैसे प्रदेश में मानसून की बारिश में कमी आई। इस कमी का सीधा असर यहां के ग्राउंड वाटर लेवल पर पड़ा। इन पांच सालों में सबसे कम बारिश साल 2022 में हुई। यह नॉर्मल से करीब 36% तक कम थी। IMD के मुताबिक, 2019 में जून से सितंबर के बीच सूबे के ज्यादातर जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई थी। 2019 में ऐसे 21 जिले थे। इसमें अलीगढ़, हापुड़, इटावा, बागपत, संभल, अमरोहा, बदांयू जैसे जिलों में कमी का स्तर 60 से 80 फीसदी तक था। साल 2021 की बात करें तो ऐसे 22 जिले थे, जहां मानसून में सामान्य से कम बारिश हुई। इनमें कानपुर नगर, मिर्जापुर, मेरठ, ललितपुर, मैनपुरी, अलीगढ़, मुरादाबाद, एटा और हापुड़ जिले शामिल थे। ये भी पढ़ें: पहले दिन नौकरी पर गया..घर लाश आई:कानपुर की जिस फैक्ट्री में 6 मरे, उसके मालिक ने 12-12 लाख दिए, मंत्री ने सरकारी बताया 9वीं में पढ़ने वाला 15 साल का अजीत घर की तंगी दूर करना चाहता था। इसके लिए फैक्ट्री में नौकरी करने पहुंच गया। फैक्ट्री में कहा गया- यहां तो लोग पूरे हैं। तुम दूसरी जगह जाकर काम करो। अजीत वहां गया। 11 हजार रुपए महीने की सैलरी पर बात पक्की हुई। उसने उसी दिन रात 8 बजे से ड्यूटी शुरू कर दी। सुबह 8 बजे तक ड्यूटी थी, लेकिन इसके पहले ही फैक्ट्री में आग लग गई…(पढ़ें पूरी खबर) यूपी में बारिश के थमते ही गर्मी और उमस का सितम भी बढ़ने लगा है। कई जिलों में पारा 39 डिग्री तक पहुंच गया। आगरा में मंगलवार को ताजमहल देखने आए कई विदेशी पर्यटक बेहोश होकर गिर गए। एक महिला के सिर में गंभीर चोट भी आई है। प्रदेश में 5 दिन बाद फिर से बारिश के आसार बन रहे। मौसम विभाग ने आज पूर्वांचल के 22 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। इस दौरान तेज हवाएं भी चलेंगी। बिजली भी गिर सकती है। प्रदेश में अगले 4 दिन ऐसा ही मौसम बना रहेगा। मौसम विभाग ने 51 जिलों में ग्रीन अलर्ट जारी किया है। यानी यहां मौसम साफ रहेगा। मध्य प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में लोकल डिस्टरबेंस के चलते बूंदाबांदी हो सकती है। प्रदेश में पिछले दिनों की बारिश से गंगा, यमुना, घाघरा और शारदा समेत कई नदियां उफान पर हैं। 21 जिलों में बाढ़ जैसे हालात हैं। काशी में गंगा किनारे पानी घटा है, लेकिन घाटों पर अभी भी पानी है। 1 जून से अब तक 723 MM बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन 679.9 MM बारिश हुई है। 23 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, जबकि 52 जिलों में कोटे से कम बारिश हुई। 4 दिनों तक ऐसा रहेगा मौसम बारिश से धान को फायदा, दलहनी फसलों को नुकसान
मौसम विशेषज्ञ डॉ. SN सुनील पांडेय ने बताया कि सितंबर में अधिक बारिश से दलहनी फसलें प्रभावित हुई हैं, लेकिन धान को फायदा हुआ है। सब्जियों को नुकसान हुआ है, जिसका असर कुछ दिन बाद दिखेगा। आगे भी बारिश अभी जारी रहेगी। यूपी में बदलता मानसून का पैटर्न; 5 साल में 2022 में सबसे कम बारिश IMD के आंकड़े बताते हैं- 2001 से यूपी में सामान्य मानसून की बारिश नहीं हो रही। साल दर साल इसमें कमी आ रही। यूपी में सामान्य बारिश तब मानी जाती है, जब यह 823 से 860 मिलीमीटर के बीच हो। 5 साल के आंकड़ों को देखने पर साफ हो जाता है कि कैसे प्रदेश में मानसून की बारिश में कमी आई। इस कमी का सीधा असर यहां के ग्राउंड वाटर लेवल पर पड़ा। इन पांच सालों में सबसे कम बारिश साल 2022 में हुई। यह नॉर्मल से करीब 36% तक कम थी। IMD के मुताबिक, 2019 में जून से सितंबर के बीच सूबे के ज्यादातर जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई थी। 2019 में ऐसे 21 जिले थे। इसमें अलीगढ़, हापुड़, इटावा, बागपत, संभल, अमरोहा, बदांयू जैसे जिलों में कमी का स्तर 60 से 80 फीसदी तक था। साल 2021 की बात करें तो ऐसे 22 जिले थे, जहां मानसून में सामान्य से कम बारिश हुई। इनमें कानपुर नगर, मिर्जापुर, मेरठ, ललितपुर, मैनपुरी, अलीगढ़, मुरादाबाद, एटा और हापुड़ जिले शामिल थे। ये भी पढ़ें: पहले दिन नौकरी पर गया..घर लाश आई:कानपुर की जिस फैक्ट्री में 6 मरे, उसके मालिक ने 12-12 लाख दिए, मंत्री ने सरकारी बताया 9वीं में पढ़ने वाला 15 साल का अजीत घर की तंगी दूर करना चाहता था। इसके लिए फैक्ट्री में नौकरी करने पहुंच गया। फैक्ट्री में कहा गया- यहां तो लोग पूरे हैं। तुम दूसरी जगह जाकर काम करो। अजीत वहां गया। 11 हजार रुपए महीने की सैलरी पर बात पक्की हुई। उसने उसी दिन रात 8 बजे से ड्यूटी शुरू कर दी। सुबह 8 बजे तक ड्यूटी थी, लेकिन इसके पहले ही फैक्ट्री में आग लग गई…(पढ़ें पूरी खबर) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर