<p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir Election Result 2024:</strong> 10 साल बाद जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में कम से कम 30 प्रत्याशी ऐसे थे, जो या तो इतिहास में आतंकी रह चुके हैं या फिर उनकी जुबान अलगाववाद की रही है. कभी हथियार के बल पर कश्मीर की आजादी का सपना देखने वाले ये सभी पूर्व आतंकी और अलगाववादी नेता इस बार लोकतांत्रिक तरीके पर यकीन करके चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे थे, जिनमें आतंकी अफजल गुरु के भाई से लेकर यूएपीए के तहत जेल में बंद और अभी जमानत पर रिहा इंजीनियर रशीद के भाई भी उम्मीदवार थे. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आतंकवाद से जुड़े प्रत्याशियों के नाम</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आतंकवाद से जुड़े प्रत्याशियों में सबसे बड़ा नाम है ऐजाज अहमद गुरु का, जो संसद भवन पर हमला करने वाले आतंकी अफजल गुरु के भाई हैं. ऐजाज अहमद का भाई तो आतंकी था, जिसे अदालत के फैसले के बाद फांसी दे दी गई, लेकिन ऐजाज अहमद गुरु ने लोकतंत्र का रास्ता चुना और चुनाव में उतरे. हालांकि अफजल गुरु का भाई होने की वजह से घाटी ने उन्हें पूरी तरह खारिज कर दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महज 129 वोट मिले</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>ऐजाज अहमद गुरु जिस सोपोर सीट से चुनाव लड़े थे, वहां उनसे ज्यादा वोट तो नोटा को मिले हैं. ऐजाज अहमद गुरु को सोपोर में महज 129 वोट मिले, जबकि नोटा को इस सीट से 341 वोट मिले हैं. सोपोर की सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता इरशाद रसूल कर ने जीत दर्ज की है. गठबंधन के बावजूद इस सीट पर कांग्रेस ने भी उम्मीदवार उतारे थे, जिन्हें महज 5167 वोट ही मिले.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इंजीनियर रशीद का हाल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बाकी इस पूरे चुनाव में बारामूला से सांसद इंजीनियर रशीद ने भी अपने 44 उम्मीदवार उतारे थे. इंजीनियर रशीद ने लोकसभा के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को मात दी थी, तो सबकी निगाहें विधानसभा चुनाव में भी इंजीनियर रशीद और उनके प्रत्याशियों पर थीं. लेकिन पूरे चुनाव में इंजीनियर रशीद के भाई खुर्शीद अहमद शेख के अलावा और कोई भी प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर पाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इंजीनियर रशीद के भाई खुर्शीद अहमद भी उसी लंगेट विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे, जहां से पहले इंजीनियर रशीद खुद विधायक हुआ करते थे. बाकी उम्मीदवारों में इंजीनियर रशीद की पार्टी के प्रवक्ता फिरदौस बाबा और रशीद इंजीनियर के करीबी कारोबारी शेख आशिक हुसैन भी थे, जो अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मोहम्मद फारुख खान को मिले 100 वोट</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>चुनाव में जमात-ए-इस्लामी ने भी अपने चार उम्मीदवार उतारे थे और चार दूसरे उम्मीदवारों को अपना समर्थन दिया था. लेकिन कुलगाम से उम्मीदवार शायर अहमद रेशी के अलावा और कोई भी जमात-ए-इस्लामी या उसका समर्थक उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अपने वक्त में कश्मीर के सबसे बड़े आतंकियों में शुमार हुआ करता था सैफुल्लाह. उसका असली नाम मोहम्मद फारुख खान है . वो जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का कमांडर हुआ करता था. लेकिन इस चुनाव में उसने समाजवादी पार्टी के टिकट पर हब्बाकदल से चुनाव लड़ा था. उसे महज 100 वोट ही मिल पाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उस्मान माजिद को भी मिली हार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस लिस्ट में एक और बड़ा नाम उस्मान माजिद का भी है. उस्मान माजिद भी जम्मू-कश्मीर में मिलिटेंसी से जुड़े थे. 90 के दशक में मिलिटेंसी छोड़ चुनाव में उतरे. बांदीपोरा से दो बार के विधायक भी बने. लेकिन इस बार बांदिपोरा से कांग्रेस के निजामुद्दीन भट ने जीत दर्ज की है. वहीं उस्मान माजिद दूसरे नंबर पर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महबूबा मुफ्ती की पीडीपी के नेता गुलजार अहमद डार भी 90 के दशक में पीओके गए थे. हथियार उठाए थे, लेकिन 1994 में सरेंडर करने के बाद सेना के साथ मिलकर काम करने लगे. इस बार चुनाव में दमहाल हांजी पोरा से पीडीपी के उम्मीदवार थे. लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा और इस सीट पर जीत हुई नेशनल कॉन्फ्रेंस की उम्मीदवार सकीना मसूद की.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यानी कि अगर इंजीनियर रशीद के भाई खुर्शीद अहमद को छोड़ दें, तो बाकी किसी भी पुराने आतंकवादी या अलगाववादी नेता को घाटी में समर्थन नहीं मिला है और सब के सब जनता की ओर से खारिज कर दिए गए हैं, जिसे लोकतंत्र के एक अच्छे संकेत के तौर पर देखा जा सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”कौन हैं जम्मू-कश्मीर में जीत दर्ज करने वाली शगुन परिहार? इन महिला उम्मीदवारों ने भी मारी बाजी” href=”https://www.abplive.com/states/jammu-and-kashmir/jammu-kashmir-assembly-election-result-2024-who-is-shagun-parihar-won-including-women-candidate-shamim-firdous-sakina-masood-2800179″ target=”_self”>कौन हैं जम्मू-कश्मीर में जीत दर्ज करने वाली शगुन परिहार? इन महिला उम्मीदवारों ने भी मारी बाजी</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jammu Kashmir Election Result 2024:</strong> 10 साल बाद जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में कम से कम 30 प्रत्याशी ऐसे थे, जो या तो इतिहास में आतंकी रह चुके हैं या फिर उनकी जुबान अलगाववाद की रही है. कभी हथियार के बल पर कश्मीर की आजादी का सपना देखने वाले ये सभी पूर्व आतंकी और अलगाववादी नेता इस बार लोकतांत्रिक तरीके पर यकीन करके चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे थे, जिनमें आतंकी अफजल गुरु के भाई से लेकर यूएपीए के तहत जेल में बंद और अभी जमानत पर रिहा इंजीनियर रशीद के भाई भी उम्मीदवार थे. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आतंकवाद से जुड़े प्रत्याशियों के नाम</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>आतंकवाद से जुड़े प्रत्याशियों में सबसे बड़ा नाम है ऐजाज अहमद गुरु का, जो संसद भवन पर हमला करने वाले आतंकी अफजल गुरु के भाई हैं. ऐजाज अहमद का भाई तो आतंकी था, जिसे अदालत के फैसले के बाद फांसी दे दी गई, लेकिन ऐजाज अहमद गुरु ने लोकतंत्र का रास्ता चुना और चुनाव में उतरे. हालांकि अफजल गुरु का भाई होने की वजह से घाटी ने उन्हें पूरी तरह खारिज कर दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>महज 129 वोट मिले</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>ऐजाज अहमद गुरु जिस सोपोर सीट से चुनाव लड़े थे, वहां उनसे ज्यादा वोट तो नोटा को मिले हैं. ऐजाज अहमद गुरु को सोपोर में महज 129 वोट मिले, जबकि नोटा को इस सीट से 341 वोट मिले हैं. सोपोर की सीट पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता इरशाद रसूल कर ने जीत दर्ज की है. गठबंधन के बावजूद इस सीट पर कांग्रेस ने भी उम्मीदवार उतारे थे, जिन्हें महज 5167 वोट ही मिले.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>इंजीनियर रशीद का हाल</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बाकी इस पूरे चुनाव में बारामूला से सांसद इंजीनियर रशीद ने भी अपने 44 उम्मीदवार उतारे थे. इंजीनियर रशीद ने लोकसभा के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को मात दी थी, तो सबकी निगाहें विधानसभा चुनाव में भी इंजीनियर रशीद और उनके प्रत्याशियों पर थीं. लेकिन पूरे चुनाव में इंजीनियर रशीद के भाई खुर्शीद अहमद शेख के अलावा और कोई भी प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर पाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इंजीनियर रशीद के भाई खुर्शीद अहमद भी उसी लंगेट विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे, जहां से पहले इंजीनियर रशीद खुद विधायक हुआ करते थे. बाकी उम्मीदवारों में इंजीनियर रशीद की पार्टी के प्रवक्ता फिरदौस बाबा और रशीद इंजीनियर के करीबी कारोबारी शेख आशिक हुसैन भी थे, जो अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>मोहम्मद फारुख खान को मिले 100 वोट</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>चुनाव में जमात-ए-इस्लामी ने भी अपने चार उम्मीदवार उतारे थे और चार दूसरे उम्मीदवारों को अपना समर्थन दिया था. लेकिन कुलगाम से उम्मीदवार शायर अहमद रेशी के अलावा और कोई भी जमात-ए-इस्लामी या उसका समर्थक उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाया.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अपने वक्त में कश्मीर के सबसे बड़े आतंकियों में शुमार हुआ करता था सैफुल्लाह. उसका असली नाम मोहम्मद फारुख खान है . वो जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का कमांडर हुआ करता था. लेकिन इस चुनाव में उसने समाजवादी पार्टी के टिकट पर हब्बाकदल से चुनाव लड़ा था. उसे महज 100 वोट ही मिल पाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उस्मान माजिद को भी मिली हार</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस लिस्ट में एक और बड़ा नाम उस्मान माजिद का भी है. उस्मान माजिद भी जम्मू-कश्मीर में मिलिटेंसी से जुड़े थे. 90 के दशक में मिलिटेंसी छोड़ चुनाव में उतरे. बांदीपोरा से दो बार के विधायक भी बने. लेकिन इस बार बांदिपोरा से कांग्रेस के निजामुद्दीन भट ने जीत दर्ज की है. वहीं उस्मान माजिद दूसरे नंबर पर रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>महबूबा मुफ्ती की पीडीपी के नेता गुलजार अहमद डार भी 90 के दशक में पीओके गए थे. हथियार उठाए थे, लेकिन 1994 में सरेंडर करने के बाद सेना के साथ मिलकर काम करने लगे. इस बार चुनाव में दमहाल हांजी पोरा से पीडीपी के उम्मीदवार थे. लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा और इस सीट पर जीत हुई नेशनल कॉन्फ्रेंस की उम्मीदवार सकीना मसूद की.</p>
<p style=”text-align: justify;”>यानी कि अगर इंजीनियर रशीद के भाई खुर्शीद अहमद को छोड़ दें, तो बाकी किसी भी पुराने आतंकवादी या अलगाववादी नेता को घाटी में समर्थन नहीं मिला है और सब के सब जनता की ओर से खारिज कर दिए गए हैं, जिसे लोकतंत्र के एक अच्छे संकेत के तौर पर देखा जा सकता है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a title=”कौन हैं जम्मू-कश्मीर में जीत दर्ज करने वाली शगुन परिहार? इन महिला उम्मीदवारों ने भी मारी बाजी” href=”https://www.abplive.com/states/jammu-and-kashmir/jammu-kashmir-assembly-election-result-2024-who-is-shagun-parihar-won-including-women-candidate-shamim-firdous-sakina-masood-2800179″ target=”_self”>कौन हैं जम्मू-कश्मीर में जीत दर्ज करने वाली शगुन परिहार? इन महिला उम्मीदवारों ने भी मारी बाजी</a></strong></p> राज्य UP ByPolls 2024: ‘अखिलेश यादव ने बताई कांग्रेस को हैसियत,’ सपा उम्मीदवारों की लिस्ट पर बीजेपी ने ली चुटकी