अबोहर में श्री दशहरा कमेटी द्वारा सरकारी स्कूल में दशहरा पर्व शनिवार की शाम को धूमधाम से मनाया गया। जहां 50 फुट उंचे रावण, कुंभकर्ण व मेघनाथ के पुतलें आग लगते हुए जल उठे।सबसे पहले सोने की लंका को आग लगाई गई, जो आग लगते ही चमकने लगी। इसके बाद मेघनाथ व कुंभकरण को अग्नि भेंट की गई। इसके बाद अहंकारी रावण के पुतले को जैसे ही अग्नि भेंट की गई तो रावण का सिर घुमने लगा व माला जगमगाने लगी। इससे पहले आतिशबाजी का नजारा आकर्षण का केंद्र रहा । निकाली गई भव्य शोभायात्रा दहशरा पर्व को लेकर श्री सनातन धर्म प्रचारक राम नाटक क्लब द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें भगवान श्रीराम, सीता, लक्षमण, हनुमान जी के अलावा रावण आदि की झांकियां निकाली गई। दशहरा ग्राउंड में पहुंचने पर अतिथियों द्वारा स्वागत किया गया व यहां रावण व श्रीराम के तीखे संवाद भी किए गए। अतिथियों का दशहरा कमेटी के पदाधिकारियों का भव्य स्वागत किया गया। यह मेहमान रहे उपस्थित विधानसभा क्षेत्र आम आदमी पार्टी के हलका इंचार्ज अरूण नारंग ने मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लिया, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता डीआईजी सीमा सुरक्षा बल सेक्टर विजय कुमार ने की। आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता इंद्रजीत बजाज, आढ़तिया एसोसिएशन के प्रधान पीयूष नागपाल, ऑल इंडिया अरोड़ा, खत्री पंजाबी कम्युनिटी विधानसभा क्षेत्र के प्रधान नरेश खुराना, मदनलाल गांधी, सोहनलाल छाबड़ा, विनीत चोपड़ा डा. प्रिंस गिल्होत्रा तथा युवा अरोड़वंश सभा के प्रधान भानूप्रताप मुंजाल विशेष अतिथि रहे। दशहरा कमेटी के चेयरमैन एडवोकेट वीरेंद्र ग्रोवर व प्रधान संजीव चावला व महासचिव अंकुर गर्ग ने अतिथियों का स्वागत किया व उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया । अबोहर में श्री दशहरा कमेटी द्वारा सरकारी स्कूल में दशहरा पर्व शनिवार की शाम को धूमधाम से मनाया गया। जहां 50 फुट उंचे रावण, कुंभकर्ण व मेघनाथ के पुतलें आग लगते हुए जल उठे।सबसे पहले सोने की लंका को आग लगाई गई, जो आग लगते ही चमकने लगी। इसके बाद मेघनाथ व कुंभकरण को अग्नि भेंट की गई। इसके बाद अहंकारी रावण के पुतले को जैसे ही अग्नि भेंट की गई तो रावण का सिर घुमने लगा व माला जगमगाने लगी। इससे पहले आतिशबाजी का नजारा आकर्षण का केंद्र रहा । निकाली गई भव्य शोभायात्रा दहशरा पर्व को लेकर श्री सनातन धर्म प्रचारक राम नाटक क्लब द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें भगवान श्रीराम, सीता, लक्षमण, हनुमान जी के अलावा रावण आदि की झांकियां निकाली गई। दशहरा ग्राउंड में पहुंचने पर अतिथियों द्वारा स्वागत किया गया व यहां रावण व श्रीराम के तीखे संवाद भी किए गए। अतिथियों का दशहरा कमेटी के पदाधिकारियों का भव्य स्वागत किया गया। यह मेहमान रहे उपस्थित विधानसभा क्षेत्र आम आदमी पार्टी के हलका इंचार्ज अरूण नारंग ने मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लिया, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता डीआईजी सीमा सुरक्षा बल सेक्टर विजय कुमार ने की। आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता इंद्रजीत बजाज, आढ़तिया एसोसिएशन के प्रधान पीयूष नागपाल, ऑल इंडिया अरोड़ा, खत्री पंजाबी कम्युनिटी विधानसभा क्षेत्र के प्रधान नरेश खुराना, मदनलाल गांधी, सोहनलाल छाबड़ा, विनीत चोपड़ा डा. प्रिंस गिल्होत्रा तथा युवा अरोड़वंश सभा के प्रधान भानूप्रताप मुंजाल विशेष अतिथि रहे। दशहरा कमेटी के चेयरमैन एडवोकेट वीरेंद्र ग्रोवर व प्रधान संजीव चावला व महासचिव अंकुर गर्ग ने अतिथियों का स्वागत किया व उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया । पंजाब | दैनिक भास्कर
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CJI जो पैतृक घर तलाश रहे, भास्कर ने ढूंढ निकाला:कटड़ा शेर सिंह में रहता था परिवार, वहां मार्केट बन गया; दादाजी स्वतंत्रता सेनानी थे
CJI जो पैतृक घर तलाश रहे, भास्कर ने ढूंढ निकाला:कटड़ा शेर सिंह में रहता था परिवार, वहां मार्केट बन गया; दादाजी स्वतंत्रता सेनानी थे जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार (11 नवंबर) को देश के 51वें चीफ जस्टिस (CJI) के रूप में शपथ ली। उनके चीफ जस्टिस बनते ही निजी जिंदगी से जुड़ा एक अहम पहलू सामने आया। जिसमें पता चला कि वह पंजाब के अमृतसर में अपने पैतृक घर को ढूंढ रहे हैं। यह घर उनके दादा जी ने बनवाया था। इसकी तलाश में जब भी वे अमृतसर आते हैं तो कटड़ा शेर सिंह इलाके में जरूर जाते हैं, जहां उनका यह घर था। हालांकि उन्हें कभी उस घर के बारे में पता नहीं चला। दैनिक भास्कर ने उनके पैतृक घर वाली जगह ढूंढ निकाली। हालांकि अब यहां घर नहीं बल्कि मार्केट बन चुका है। इसे चीफ जस्टिस के चाचा ने 1970 में बेच दिया था। इसे अमृतसर के 2 व्यापारी भाइयों ने खरीदा। इसकी पुष्टि कटड़ा शेर सिंह में आजादी से पहले (यानी 1947 से पहले) जन्मे जंगी महाजन ने भी की। उन्होंने यह भी बताया कि जब परिवार यहां से गया था तो चीफ जस्टिस तब महज 5 साल के थे। यही वजह है कि नए CJI को अमृतसर के कटड़ा शेर सिंह में घर की बात तो याद है, लेकिन वह जगह याद नहीं है, जहां वह घर बना हुआ था। 1947 के पहले से रह रहे जंगी महाजन ने बताई घर की पूरी कहानी…
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के पैतृक घर की तलाश के बारे में पता चलने पर दैनिक भास्कर कटड़ा शेर सिंह पहुंचा। चूंकि यह घर चीफ जस्टिस के दादा सरव दयाल खन्ना ने बनवाया था, इसलिए उन्हीं के बारे में वहां पड़ताल की। कटड़ा शेर सिंह पहुंचने पर हमें 80 साल के जंगी महाजन मिले। उन्होंने कहा कि वे 1947 से पहले यहां रह रहे हैं। सरव दयाल का नाम उन्होंने सुना है। उनकी फैमिली को वकीलों का परिवार कहा जाता था। उनके 2 बेटे जज बने थे। एक बेटा दिल्ली में (जस्टिस संजीव खन्ना के पिता देव राज खन्ना) और दूसरे बेटे (चीफ जस्टिस हंसराज खन्ना) सुप्रीम कोर्ट में जज बने। जंगी महाजन ने बताया कि चीफ जस्टिस खन्ना जिस घर की तलाश में हैं, वह अब वहां नहीं है। उस घर की जगह अब एक मार्केट बन चुका है, जो महाजन मार्केट के नाम से मशहूर है। दरअसल, 1970 के बाद इस बिल्डिंग को बेच दिया गया था। जिसे 2 भाइयों सतपाल महाजन और मोहन लाल महाजन ने खरीद लिया था। घर का सौदा दिल्ली में हंस राज खन्ना के यहां हुआ था। उस वक्त पूरी बिल्डिंग 1.10 लाख रुपए में बिकी थी। जिसे महाजन परिवार ने तोड़ा और मार्केट बना दिया। हालांकि मार्केट बनाने वाले भाई भी अब जीवित नहीं हैं। बंटवारे के दंगों में जल गई थी बिल्डिंग, CJI के दादा ने दोबारा बनवाई
मार्केट में दुकान चला रहे अशोक महाजन ने कहा कि हमें यह भी पता चला था कि जस्टिस खन्ना का ये पैतृक घर 1947 में बंटवारे के दंगों की भेंट चढ़ गया था। उसके बाद सरव दयाल खन्ना ने इसे दोबारा बनवाया था। इसी घर में जस्टिस संजीव खन्ना के पिता देव राज खन्ना और चाचा हंसराज खन्ना का भी जन्म हुआ था। मगर आजादी के कुछ समय बाद परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया था। अशोक महाजन ने बताया कि उस समय वे काफी छोटे थे। यहां जो परिवार के मेंबर रहते थे, वे दिल्ली चले गए थे और वे जज साहब बने थे। स्वतंत्रता सेनानी थे सरव दयाल खन्ना
जस्टिस संजीव खन्ना के दादा सरव दयाल खन्ना भी एक वकील थे। इतना ही नहीं, वे स्वतंत्रता सेनानी भी थे। पुराने लोग बताते हैं कि उन्हें अमृतसर का मेयर भी बनाया गया था। संजीव खन्ना के पिता और चाचा काफी छोटे थे, जब सरव दयाल खन्ना की पत्नी का देहांत हो गया था। पूरे परिवार को संजीव खन्ना की परदादी ने संभाला था। पिता दिल्ली हाईकोर्ट, चाचा सुप्रीम कोर्ट के जज थे
संजीव खन्ना की विरासत वकालत की रही है। उनके पिता देवराज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे हैं। वहीं चाचा हंसराज खन्ना सुप्रीम कोर्ट के मशहूर जज थे। उन्होंने इंदिरा सरकार के इमरजेंसी लगाने का विरोध किया था। साथ ही राजनीतिक विरोधियों को बिना सुनवाई जेल में डालने पर भी नाराजगी जताई थी। 1977 में वरिष्ठता के आधार पर उनका चीफ जस्टिस बनना तय माना जा रहा था, लेकिन जस्टिस एमएच बेग को CJI बनाया गया। इसके विरोध में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा दे दिया। इंदिरा की सरकार गिरने के बाद वह चौधरी चरण सिंह की सरकार में 3 दिन के लिए कानून मंत्री भी बने थे। चाचा से प्रभावित हुए जस्टिस संजीव, वकालत को करियर चुना
जस्टिस संजीव अपने चाचा से प्रभावित थे, इसलिए उन्होंने 1983 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से LLB की पढ़ाई की। दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट से वकालत शुरू की। फिर दिल्ली सरकार के इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और दीवानी मामलों के लिए स्टैंडिंग काउंसेल भी रहे। स्टैंडिंग काउंसेल का आम भाषा में अर्थ सरकारी वकील होता है। 2005 में जस्टिस खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज बने। जहां उन्होंने 13 साल तक पद संभाला। 2019 में जस्टिस खन्ना को प्रमोट करके सुप्रीम कोर्ट जज बनाया गया। हालांकि, उनका यह प्रमोशन भी विवादों में रहा था। दरअसल, 2019 में जब CJI रंजन गोगोई ने उनके नाम की सिफारिश की, तब सीनियॉरिटी में जस्टिस खन्ना 33वें नंबर पर थे। जस्टिस गोगोई ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के लिए ज्यादा काबिल बताते हुए प्रमोट किया। उनकी इस नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस कैलाश गंभीर ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी भी लिखी थी। जस्टिस कैलाश ने लिखा था- 32 जजों की अनदेखी करना ऐतिहासिक भूल होगी। इस विरोध के बावजूद राष्ट्रपति कोविंद ने जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस के बतौर अपॉइंट किया। 18 जनवरी 2019 को संजीव ने पद ग्रहण कर लिया। आर्टिकल-370, इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे जस्टिस खन्ना के बड़े फैसले
सुप्रीम कोर्ट में अपने 6 साल के करियर में जस्टिस खन्ना 450 बेंचों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने खुद 115 फैसले लिखे। इसी साल जुलाई में जस्टिस खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल को जमानत दी थी। 8 नवंबर को AMU से जुड़े फैसले में जस्टिस खन्ना ने यूनिवर्सिटी को माइनॉरिटी स्टेटस दिए जाने का समर्थन किया है। छोटे कार्यकाल में 5 बड़े मामलों की सुनवाई करेंगे जस्टिस खन्ना
पूर्व CJI चंद्रचूड़ का कार्यकाल करीब 2 साल का रहा है। इसकी तुलना में CJI संजीव खन्ना का कार्यकाल छोटा होगा। जस्टिस खन्ना बतौर चीफ जस्टिस सिर्फ 6 महीने पद पर रहेंगे। 13 मई 2025 को उन्हें रिटायर होना है। इस कार्यकाल में जस्टिस खन्ना को मैरिटल रेप केस, इलेक्शन कमीशन के सदस्यों की अपॉइंटमेंट की प्रोसेस, बिहार जातिगत जनसंख्या की वैधता, सबरीमाला केस के रिव्यू, राजद्रोह (sedition) की संवैधानिकता जैसे कई बड़े मामलों की सुनवाई करनी है। ************* CJI खन्ना से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें जस्टिस संजीव खन्ना देश के 51वें चीफ जस्टिस बने, छह महीने का कार्यकाल जस्टिस खन्ना का कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का होगा। 64 साल के जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर जस्टिस खन्ना ने 65 फैसले लिखे हैं (पूरी खबर पढ़ें)
लुधियाना में बिहार के युवक की हत्या:दिन में कहासुनी, शाम को घर में घुसकर 2 नकाबपोशों ने की वारदात, परिजनों ने किया सड़क जाम
लुधियाना में बिहार के युवक की हत्या:दिन में कहासुनी, शाम को घर में घुसकर 2 नकाबपोशों ने की वारदात, परिजनों ने किया सड़क जाम पंजाब के लुधियाना में बुधवार दोपहर बाद दिनदहाड़े 19 वर्षीय एक प्रवासी मजदूर के बेटे का घर में घुसकर कत्ल कर दिया गया। कत्ल के समय मृतक युवक का पिता और उसकी बहन घर में थी। बहन बीच-बचाव करने लगी तो उसे भी कातिलों ने धक्का मार घायल कर दिया। मृतक की पहचान श्रवन कुमार के रूप में हुई है। पुलिस द्वारा कातिलों पर कार्रवाई ना किए जाने के रोष में शाम को मजदूरों व उनके रिश्तेदारों ने थाना दुगरी का घेराव कर पुलिस खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। पुलिस ने कत्ल का केस दर्ज कर लिया है। दुगरी एरिया में हुई वारदात घटना लुधियाना के दुगरी में दोपहर बाद घटी। मृतक श्रवन कुमार के पिता प्रेम पासवान ने बताया कि वह मूल तौर पर बिहार के रहने वाले हैं। पंजाब के लुधियाना में वह पिछले कई सालों से रेहडी-फडी लगा अपना परिवार पाल रहे हैं। बेटा श्रवन भी मनियारी की रेहडी लगाता था। आज दोपहर 2 बजे के करीब दो नकाबपोश उनके घर पहुंचे और उसके बेटे से किसी बात को लेकर बहस करने लगे। इस पर उन्होंने बीच में पड़कर किसी तरह उसे घर से भेज दिया, लेकिन वही लोग आधे घंटे बाद दोबारा घर पहुंचे। वह दूसरे कमरे में थे कि इतने में उसके बेटे की जोर से चिल्लाने की आवाज आई। जब वह बेटे के कमरे में गए तो देखा की दो नकाबपोश वही लोग कमरे से बाहर निकलकर घर के बाहर की तरफ भाग रहे थे। गर्दन पर वार कर किया कत्ल प्रेम पासवान ने बताया कि नकाबपोश कातिलों ने दातर से उसके बेटे के गर्दन पे वार कर उसका कत्ल कर दिया। उनकी बेटे से क्या दुश्मनी थी और वह कौन लोग थे ये वह नहीं जानता। उनकी बेटी भी जब बीच बचाव करने लगी तो उसे भी कातिलों ने धक्का मारकर घायल कर दिया। पीड़ित के चार बेटिया व दो बेटे हैं प्रेम पासवान ने बताया कि उसकी चार बेटिया व दो बेटे हैं। दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है। घटना के समय उनकी एक बेटी रीतू भी घर में थी जिसे कातिलों ने धक्का मारकर घायल कर दिया। कातिलों ने दस मिनट में पुरी वारदात को अंजाम दिया। इसके बाद फरार हो गए। इधर, घटना को लेकर परिजनों ने रोष जताते हुए पुलिस थाने का घेराव किया। सड़क पर लगाया धरना बुधवार देर शाम को पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई ना करने पर मजदूरों व पीड़ित परिवार वालों ने थाना दुगरी का घेराव किया और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। धरने में प्रवासी महिलाएं भी थी जिन्होंने सड़क जाम कर दिया।
पंजाब CM एक विधानसभा सीट पर पत्नी समेत क्यों डटे:लोकसभा हारे, वोट शेयर गिरा; जीते तो सरकार पर भरोसा कायम, हारे तो नेतृत्व पर सवाल
पंजाब CM एक विधानसभा सीट पर पत्नी समेत क्यों डटे:लोकसभा हारे, वोट शेयर गिरा; जीते तो सरकार पर भरोसा कायम, हारे तो नेतृत्व पर सवाल जालंधर वेस्ट में हो रहे उप-चुनाव को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान परिवार समेत डटे हुए हैं। उन्होंने यहां किराए पर घर लिया। पत्नी-बेटी समेत शिफ्ट हो गए। रोजाना एक विधानसभा सीट की गलियों में प्रचार कर रहे हैं। यही नहीं, उनकी पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर तक प्रचार कर रही हैं। डॉ. गुरप्रीत कौर पहले किराए पर लिए घर में जनता दरबार लगाती हैं। फिर वहां से फ्री होने के बाद डोर टू डोर प्रचार करने पहुंच जाती हैं। स्थिति यह है कि यहां से AAP के कैंडिडेट मोहिंदर भगत से ज्यादा प्रचार CM फैमिली ही कर रही है। इस सीट पर 10 जुलाई को वोटिंग होनी है। एक विधानसभा मुख्यमंत्री पूरे परिवार समेत क्यों डटे हुए है? यह सवाल पूरे राज्य की ज़ुबान पर है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट इसकी बड़ी वजह लोकसभा चुनाव में हार को मानते हैं। उनका मानना है कि अगर यह सीट भी हार गए तो फिर यह कहा जाएगा कि राज्य सरकार से लोगों का मोह भंग हो गया है। CM भगवंत मान नहीं चाहते कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद यह सीट हारने से उनकी सरकार के कामकाज का आकलन हो। CM के प्रचार में डटने की वजहें 1. लोकसभा में 13-0 का नारा फेल हुआ
पंजाब में लोकसभा चुनाव को लेकर CM भगवंत मान ने 13-0 का नारा दिया था, यानी राज्य की सभी 13 लोकसभा सीटें जीतने का दावा। मगर, 4 जून को रिजल्ट आया तो AAP सिर्फ 3 ही सीटें जीत पाई। इनमें भी CM के गृह जिले संगरूर की सीट तो AAP उम्मीदवार गुरमीत मीत हेयर 1 लाख 72 हजार 560 वोटों से जीत गए। मगर, आनंदपुर साहिब में सिर्फ 10 हजार 846 और होशियारपुर में 44 हजार 111 वोटों से ही जीत मिली। बची 10 में से 7 सीटें कांग्रेस, 1 अकाली दल और 2 पर निर्दलीय उम्मीदवार जीत गए। 2. विधानसभा चुनाव में जीती 92 सीटें घटकर 33 रह गई
दूसरी बड़ी वजह लोकसभा चुनाव का विधानसभा वाइज रिजल्ट है। 2022 में जब AAP सरकार बनी तो 117 में से 92 सीटें जीती थीं। 2 साल बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में AAP सिर्फ 33 विधानसभा सीटों पर ही बढ़त बना पाई। विधानसभा के लिहाज से सिर्फ 2 साल में ही AAP को 59 सीटों का नुकसान हो गया। 3. वोट शेयर भी 16% गिरा
2022 के विधानसभा चुनाव में जब AAP को 92 सीटें मिलीं तो उनका वोट शेयर 42% था। लोकसभा चुनाव में यह गिरकर 26% रह गया। वोट शेयर में 16% की गिरावट ने पंजाब में सरकार के लिए खतरे के साथ पार्टी के लिए भी संकट खड़ा कर दिया। 4. जहां चुनाव, वहां AAP तीसरे नंबर पर रही
जिस जालंधर वेस्ट विधानसभा में उप-चुनाव हो रहा है, वहां लोकसभा चुनाव में AAP तीसरे नंबर पर रही थी। यहां सबसे ज्यादा 44,394 वोट कांग्रेस को मिले। दूसरे नंबर पर BJP रही, जिन्हें 42,827 वोट मिले। AAP को यहां से सिर्फ 15,629 ही वोट मिले। इस एक सीट पर वह कांग्रेस से 27 हजार 765 वोट से पीछे रही। जालंधर उप-चुनाव जीत और हार पर CM का फायदा-नुकसान क्या?
पहले बात जीत की करें तो अगर AAP यह सीट जीत जाती है तो लोकसभा में हार के बाद AAP सरकार-पार्टी से ज्यादा यह CM भगवंत मान के लिए संजीवनी होगी। वह खुलकर कह सकते हैं कि भले ही लोकसभा हारे, लेकिन इस जीत से साफ है कि उनकी सरकार पर लोगों का भरोसा कायम है। लोकसभा चुनाव को राष्ट्रीय मुद्दों के बहाने सरकार के काम पर मुहर से दरकिनार किया जा सकेगा। अगर वह सीट हार जाते हैं तो फिर सरकार के कामकाज को लेकर विरोधी फजीहत करेंगे। पंजाब में नशे, लॉ एंड ऑर्डर जैसे मुद्दों पर नाकामी बताई जाएगी। खुद CM भगवंत मान के सरकार चलाने और पार्टी प्रधान के नाते नेतृत्व पर सवाल खड़े होंगे। पंजाब में यह मैसेज जाएगा कि सरकार कामकाज में कमी को लेकर सवा 2 साल के समय में ही एक्सपोज हो चुकी है। जालंधर वेस्ट सीट पर उप-चुनाव क्यों हो रहा?
2022 के विधानसभा चुनाव में जालंधर वेस्ट सीट AAP के उम्मीदवार शीतल अंगुराल ने जीती थी, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले अंगुराल BJP में शामिल हो गए। उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, लोकसभा चुनाव की 1 जून की वोटिंग से पहले अंगुराल ने 29 मई को स्पीकर से इस्तीफा वापस लेने की बात कही, लेकिन तब तक इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। इस चुनाव में अंगुराल को BJP ने टिकट दी है। AAP ने अकाली-भाजपा सरकार में मंत्री रहे भगत चुन्नीलाल के बेटे मोहिंदर भगत को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने पूर्व डिप्टी मेयर सुरिंदर कौर को टिकट दी है। जालंधर उपचुनाव में 4 प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार…