ऊना जिले के अंब में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने रविवार को 17.16 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित बहुमंजिला न्यायिक परिसर का लोकार्पण किया। इस अत्याधुनिक परिसर में 6 कोर्ट रूम, 2 बार रूम, पुस्तकालय और महिलाओं व पुरुषों के लिए प्रसाधन सुविधाएं उपलब्ध हैं। परिसर में आने वाले नागरिकों की सुविधा के लिए भी विशेष प्रबंध हैं। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान, ऊना मंडल की प्रशासनिक न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ और अन्य न्यायाधीश भी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने साल 2019 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहते हुए इस न्यायिक परिसर की आधारशिला रखी थी। अपने संबोधन में न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने न्यायिक परिसर अंब के उद्घाटन पर प्रसन्नता व्यक्त की, और इसे हिमाचल प्रदेश में न्यायिक प्रणाली के विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने अधिक से अधिक न्यायिक परिसरों के निर्माण पर बल देते हुए कोर्ट में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। डिजिटल तकनीक पर दिया जा रहा जोर न्यायमूर्ति ने सभी कोर्ट की कार्यप्रणाली में डिजिटल तकनीक के अधिकतम उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय में ई-तकनीक के उपयोग से ऑनलाइन सुनवाई की सुविधा के माध्यम से भौगोलिक सीमाओं में अब कोई बाधा नहीं रही हैं। जिससे न्याय की पहुंच सभी के लिए सुगम हो गई है। इसके साथ ही, देश के विभिन्न जिला और उप मंडल बार के वकीलों को भी सुप्रीम कोर्ट के कार्यों का अनुभव प्राप्त हो रहा है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने अंब बार एसोसिएशन को भी ई-तकनीक का अधिक से अधिक सदुपयोग करने और एक ई-लाइब्रेरी विकसित करने की सलाह दी। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के न्यायिक समुदाय की कार्य संस्कृति की सराहना करते हुए इसे देश के सबसे समर्पित समुदायों में से एक बताया। इस दौरान अपने संबोधन में न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने न्यायिक परिसर अंब के निर्माण में समय-समय पर मिले सभी के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि न्यायिक परिसरों की महत्वपूर्ण भूमिका प्रशासनिक दक्षता को बेहतर बनाने और सभी लोगों तक न्याय की आसान पहुँच सुनिश्चित करने में होती है, जिससे न्याय प्रणाली को सुदृढ़ बनाया जा सकता है। ऊना जिले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की दी जानकारी हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की न्यायाधीश एवं ऊना मंडल की प्रशासनिक न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने मुख्य अतिथि सहित सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए ऊना जिले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। उन्होंने न्यायिक परिसर अंब के निर्माण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा करते हुए इसे न्याय प्रणाली के विस्तार और प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक अहम कदम बताया। उन्होंने मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान को सम्मानित किया। न्यायाधीशों सम्मानित को किया सम्मानित वहीं, जिला एवं सत्र न्यायाधीश नरेश कुमार ठाकुर ने सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए ऊना मंडल की प्रशासनिक न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ और कार्यक्रम में उपस्थित हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों को सम्मानित किया। इस मौके पर प्रदेश सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल अनूप रतन तथा जिला प्रशासन की ओर से उपायुक्त जतिन लाल ने मुख्य अतिथि और सभी मेहमानों को माता श्री चिन्तपूर्णी जी के मंदिर की प्रतिकृति और माता की चुनरी भेंट कर सम्मानित किया। ऊना जिले के अंब में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने रविवार को 17.16 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित बहुमंजिला न्यायिक परिसर का लोकार्पण किया। इस अत्याधुनिक परिसर में 6 कोर्ट रूम, 2 बार रूम, पुस्तकालय और महिलाओं व पुरुषों के लिए प्रसाधन सुविधाएं उपलब्ध हैं। परिसर में आने वाले नागरिकों की सुविधा के लिए भी विशेष प्रबंध हैं। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान, ऊना मंडल की प्रशासनिक न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ और अन्य न्यायाधीश भी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने साल 2019 में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहते हुए इस न्यायिक परिसर की आधारशिला रखी थी। अपने संबोधन में न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने न्यायिक परिसर अंब के उद्घाटन पर प्रसन्नता व्यक्त की, और इसे हिमाचल प्रदेश में न्यायिक प्रणाली के विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने अधिक से अधिक न्यायिक परिसरों के निर्माण पर बल देते हुए कोर्ट में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। डिजिटल तकनीक पर दिया जा रहा जोर न्यायमूर्ति ने सभी कोर्ट की कार्यप्रणाली में डिजिटल तकनीक के अधिकतम उपयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय में ई-तकनीक के उपयोग से ऑनलाइन सुनवाई की सुविधा के माध्यम से भौगोलिक सीमाओं में अब कोई बाधा नहीं रही हैं। जिससे न्याय की पहुंच सभी के लिए सुगम हो गई है। इसके साथ ही, देश के विभिन्न जिला और उप मंडल बार के वकीलों को भी सुप्रीम कोर्ट के कार्यों का अनुभव प्राप्त हो रहा है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने अंब बार एसोसिएशन को भी ई-तकनीक का अधिक से अधिक सदुपयोग करने और एक ई-लाइब्रेरी विकसित करने की सलाह दी। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के न्यायिक समुदाय की कार्य संस्कृति की सराहना करते हुए इसे देश के सबसे समर्पित समुदायों में से एक बताया। इस दौरान अपने संबोधन में न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान ने न्यायिक परिसर अंब के निर्माण में समय-समय पर मिले सभी के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि न्यायिक परिसरों की महत्वपूर्ण भूमिका प्रशासनिक दक्षता को बेहतर बनाने और सभी लोगों तक न्याय की आसान पहुँच सुनिश्चित करने में होती है, जिससे न्याय प्रणाली को सुदृढ़ बनाया जा सकता है। ऊना जिले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की दी जानकारी हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की न्यायाधीश एवं ऊना मंडल की प्रशासनिक न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने मुख्य अतिथि सहित सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए ऊना जिले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। उन्होंने न्यायिक परिसर अंब के निर्माण से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा करते हुए इसे न्याय प्रणाली के विस्तार और प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक अहम कदम बताया। उन्होंने मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान को सम्मानित किया। न्यायाधीशों सम्मानित को किया सम्मानित वहीं, जिला एवं सत्र न्यायाधीश नरेश कुमार ठाकुर ने सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए ऊना मंडल की प्रशासनिक न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ और कार्यक्रम में उपस्थित हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों को सम्मानित किया। इस मौके पर प्रदेश सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल अनूप रतन तथा जिला प्रशासन की ओर से उपायुक्त जतिन लाल ने मुख्य अतिथि और सभी मेहमानों को माता श्री चिन्तपूर्णी जी के मंदिर की प्रतिकृति और माता की चुनरी भेंट कर सम्मानित किया। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में सांसद कंगना के बयान पर घमासान:इंडस्ट्री मिनिस्टर बोले-भड़काऊ बयान देना पुरानी आदत, सनसनी फैलाने को पहले भी ऐसा बोलती रहीं
हिमाचल में सांसद कंगना के बयान पर घमासान:इंडस्ट्री मिनिस्टर बोले-भड़काऊ बयान देना पुरानी आदत, सनसनी फैलाने को पहले भी ऐसा बोलती रहीं हिमाचल प्रदेश में सांसद कंगना के 1800 करोड़ रुपए के बयान पर घमासान छिड़ गया है। कांग्रेस नेता और सुक्खू के मंत्री कंगना के इस बयान को लेकर कंगना पर तीखे हमले बोल रहे हैं। इंडस्ट्री मिनिस्टर हर्ष वर्धन चौहान ने कंगना के बयान को बचकाना बताया। हर्ष वर्धन चौहान ने कहा, कंगना अभी राजनीति में नई-नई है। भड़काऊ भाषण देना उनकी पुरानी आदत है। वह इस तरह के बयान सनसनी फैलाने के लिए पहले भी देती रही हैं। उन्होंने कहा, केंद्र से अब तक हिमाचल को केवल वही बजट मिला है, उसका हक था। चाहे आपदा आती भी नहीं तो भी वो बजट मिलना था। चौहान ने कहा, ये लोग (BJP) प्राधनमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी केंद्र की योजनाओं में मिल रहे पैसे को जोड़ देते हैं। वह हिमाचल का हक है। उन्होंने कहा, कंगना को अभी सिस्टम पता नहीं है। केंद्र के पैसे का पाई-पाई का हिसाब रखा जाता है। इसका ऑडिट होता है। अपनी मर्जी से पैसा खर्च नहीं होता। निर्मला सीतारमण और कंगना में से एक झूठ बोल रही: धर्माणी हाउसिंग और TCP मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा, कंगना अब सांसद बन गई। उनको दिल्ली सरकार के सामने हिमाचल के हितो की पैरवी करनी चाहिए। उन्होंने कहा, यदि केंद्र ने हिमाचल को आपदा के लिए बजट दिया होता तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने बजट भाषण में उसका जिक्र करती। उन्होंने भविष्य में बजट देने की बात कही है। उन्होंने कहा, इससे या तो निर्मला सीतारमण झूठी है या फिर कंगना। उन्होंने कहा, कंगना नई-नई सांसद बनी हैं। उन्हें अपने संपर्क का इस्तेमाल हिमाचल को पैकेज दिलाने में करना चाहिए। झूठ नहीं बोलना चाहिए। आपदा में भी राजनीतिक सुर्खियां बटोर रही कंगना: चौहान सीएम के मीडिया सलाहाकार एवं कांग्रेस उपाध्यक्ष नरेश चौहान ने कहा, कंगना बोल रही हैं कि 1800 करोड़ मिले हैं। अगर वो समझती हैं कि पैसा मिला तो वहीं से ही कोई हिसाब-किताब लाए और जनता को बताए। उन्होंने कहा, यह समय राजनीति का नहीं है। यह संकट का समय है। हर जगह नुकसान हुआ है। सबसे पहली प्राथमिकता लापता लोगों को ढूंढने की होनी चाहिए। कंगना लोगों के बीच राजनीति चर्चा कर रही है। राजनीतिक दृष्टि से सुर्खियां बटोरने को ऐसा नहीं होना चाहिए। कंगना बोली- पिछली बार 1800 करोड़ का पैकेज आया, कहां गया? आपको बता दें कि बीते मंगलवार को कंगना शिमला के रामपुर में आपदा प्रभावितों से मिलने पहुंची थी। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा- “राज्य सरकार की हालत सभी को पता है। पिछली बार के विस्थापितों से वादा किया था कि केंद्र से जो फंड आया उससे 7-7 लाख सभी को दिए जाएंगे। क्या वो 7 लाख मिला? … गांव के लोग खुद अपने हाथों से पुल बना रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी अवश्य पैकेज भेजेंगे, उन्होंने पिछली बार भी 1800 करोड़ का पैकेज भेजा था, अब भी भेजेंगे और वो जाएगा सुक्खू जी को। मैं कहूंगी कि वो पैसे विस्थापितों को मिलेगा या नहीं इस पर जांच शुरू जाए। यहां जो भी भ्रष्टाचार का नाच शुरू किया गया है उस पर लगाम लगाई जाए।” केंद्र का पैसा सुक्खू सरकार के खोदे गड्ढे में जाएगा कंगना ने कहा था कि बाढ़ से हुए नुकसान में केंद्र सरकार मदद करेगी। केंद्र ने पहले भी फंड दिए है। सेंटर का पैसा भी राज्य सरकार के थ्रू आएगा। मगर, केंद्र का पैसा सुक्खू सरकार द्वारा खोदे गए गड्ढे में जाएगा। उन्होंने कहा कि मलाणा जैसे गांव का जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया है।
कालका-शिमला टॉय ट्रेन में फस्टिवल भीड़:22 नवंबर तक नहीं कोई सीट खाली, लगातार बढ़ रही वेटिंग लिस्ट
कालका-शिमला टॉय ट्रेन में फस्टिवल भीड़:22 नवंबर तक नहीं कोई सीट खाली, लगातार बढ़ रही वेटिंग लिस्ट कालका-शिमला रेलमार्ग पर चलने वाली टॉय ट्रेनें इन दिनों यात्रियों की भारी भीड़ का सामना कर रही हैं। इस भीड़ का मुख्य कारण पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटकों की संख्या में इजाफा होना है, जिसके चलते अधिकांश ट्रेनों में 22 नवंबर तक की वेटिंग लिस्ट बन चुकी है। कालका स्टेशन अधीक्षक के अनुसार, कालका-शिमला शिवालिक डीलक्स एक्सप्रेस (52451/52452), कालका-शिमला एनजी एक्सप्रेस (52453/52454), कालका-शिमला हिमालयन क्वीन (52455) और अन्य विशेष ट्रेनों में अधिकतम प्रतीक्षा सूची 23 तक पहुंच चुकी है। ट्रेन के समय और सुविधाएं कालका-शिमला शिवालिक डीलक्स एक्सप्रेस (52451/52452) सुबह 5.45 बजे कालका से रवाना होकर 10.25 बजे शिमला पहुंचती है। वापसी में यह ट्रेन शाम 5.55 बजे शिमला से निकलकर रात 10.45 बजे कालका पहुंचती है। इस ट्रेन में सामान्य, आरक्षित स्लीपर और प्रथम श्रेणी की सीटें उपलब्ध हैं। सामान्य श्रेणी का किराया 70 रुपए प्रति यात्री है, जबकि प्रथम श्रेणी के लिए 510 रुपए प्रति यात्री निर्धारित है। अन्य ट्रेनें और उनका समय कालका-शिमला एनजी एक्सप्रेस (52453/52454) सुबह 6.20 बजे कालका से चल कर 11.50 बजे शिमला पहुंचती है और शाम 6.35 बजे शिमला से रवाना होकर रात 11.35 बजे कालका पहुंचती है। यह ट्रेन रास्ते में धरमपुर, कुमारहट्टी, सोलन, कंडाघाट, कैथलीघाट, शोघी और अन्य स्टेशनों पर रुकती है। कालका-शिमला हिमालयन क्वीन (52455) सुबह 11.55 बजे कालका से चल कर शाम 4.45 बजे शिमला पहुंचती है। वापसी की यात्रा में, यह शिमला से सुबह 10.40 बजे निकलती है और शाम 4.10 बजे कालका पहुंचती है। त्योहारी सीज़न के कारण इन ट्रेनों में सीटें जल्दी भर रही हैं, जिससे यात्रियों को अग्रिम बुकिंग कराने की सलाह दी जा रही है।
हिमाचल हाईकोर्ट ने महाजन की डिस्मिसल एप्लिकेशन रद्द की:2 सप्ताह में जवाब के आदेश; सिंघवी ने मुकाबला बराबारी पर छूटने दे रखी चुनौती
हिमाचल हाईकोर्ट ने महाजन की डिस्मिसल एप्लिकेशन रद्द की:2 सप्ताह में जवाब के आदेश; सिंघवी ने मुकाबला बराबारी पर छूटने दे रखी चुनौती हिमाचल हाईकोर्ट में सोमवार को राज्यसभा चुनाव को चुनौती देने वाली अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अभिषेक मनु सिंघवी ने 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव को चुनौती दी थी। महाजन के अधिवक्ता अरविंद ठाकुर ने बताया कि इस याचिका में कहीं भी कोई आरोप सांसद हर्ष महाजन पर नहीं है। इसलिए आज उन्होंने अदालत से सिंघवी की याचिका को खारिज करने का आग्रह किया था। मगर अदालत ने महाजन की एप्लिकेशन को खारिज करते हुए सिंघवी की याचिका का 2 सप्ताह में जवाब देने के आदेश दिए है। अरविंद ठाकुर ने बताया कि इस मामले में अब हर्ष महाजन से चर्चा के बाद निर्णय लिया जाएगा कि इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए या सिंघवी की याचिका का जवाब दिया जाए। सिंघवी ने दायर की थी याचिका बता दें कि, अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव को हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका डालकर चुनौती दी है। इसमें उन्होंने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची से विजय घोषित करने के नियम को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि यदि 2 प्रत्याशी को बराबर-बराबर वोट मिलते हैं, उस सूरत में लॉटरी निकालने का जो फार्मूला है, वह गलत है। हारा हुआ डिक्लेयर किया अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार, नियम की एक धारणा को उन्होंने याचिका में चुनौती दी है। जब मुकाबला बराबरी पर होता है, उसके बाद पर्ची निकाली जाती है। जिसकी पर्ची निकलती है, उसे विनर डिक्लेयर होना चाहिए। मगर, अभी जिसकी पर्ची निकलती है, उसे हारा हुआ डिक्लेयर किया गया है। यह धारणा कानूनी रूप से गलत है। राज्यसभा चुनाव में सिंघवी व महाजन को मिले थे बराबर वोट बकौल सिंघवी पर्ची में जिसका नाम निकलता है, उसकी जीत होनी चाहिए। नियम में जिसने भी यह धारणा दी है, वो गलत है। कहा कि एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन नियम में यह धारणा है। उसे चुनौती दी गई है। यदि यह धारणा गलत है तो जो चुनाव हुए हैं, उसमे जो परिणाम घोषित हुआ है, वो भी गलत है। सिंघवी ने इलैक्शन को लीगल ग्राउंड पर चैलेंज किया है। सिंघवी और महाजन को मिले थे 34-34 वोट दरअसल, प्रदेश में बीते 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी और भाजपा के हर्ष महाजन को 34-34 वोट मिले थे। मुकाबला बराबर होने के बाद लॉटरी से हर्ष महाजन चुनाव जीत गए थे, क्योंकि पर्ची अभिषेक मनु सिंघवी की निकली थी। इस केस में पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलें सुनने के बाद BJP सांसद एवं प्रतिवादी बनाए गए हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया था। तब कोर्ट ने 9 जुलाई की सुनवाई से पहले जवाब देने के निर्देश दिए थे।