सहारनपुर मेडिकल कॉलेज के ICU में फॉर्मेलिन का पोछा लगाया:दम घुटने और परेशानी होने पर तीमारदार अपने मरीजों को वार्ड से लेकर भागे, सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन बढ़ी

सहारनपुर मेडिकल कॉलेज के ICU में फॉर्मेलिन का पोछा लगाया:दम घुटने और परेशानी होने पर तीमारदार अपने मरीजों को वार्ड से लेकर भागे, सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन बढ़ी

सहारनपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज के ICU-4 वार्ड में एक कर्मचारी ने फिनाइल की जगह फॉर्मेलिन का पोछा लगा दिया। वार्ड में भर्ती मरीजों का दम घुटना शुरू हुआ। मरीज खुद ही उठकर बाहर लॉबी में बैठ गए। गंभीर मरीज की परेशानी देखते हुए मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया। कॉलेज प्रबंधन ने जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम बनाई है। मरीजों को सांस लेने में हुई दिक्कत
पिलखनी स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज में शनिवार की देर रात एक बड़ा हादसा होने से बचा है। ICU-4 वार्ड में करीब 10 मरीज भर्ती थे। तभी एक सफाई कर्मचारी ने सफाई करने के लिए पहुंचा। तीमारदार भी बाहर खड़े थे। तभी सफाई कर्मचारी ने फिनाइल की जगह फॉर्मेलिन का पोछा लगा दिया और चला गया। कुछ देर बाद भर्ती मरीजों की सांसें उखड़ने लगी और आंखों में जलन होना शुरू हो गई। सभी को एक साथ तड़पते देख उनके तीमारदार अंदर आए तो उनके भी यहीं स्थिति हुई। जिसके बाद गैस लीकेज की अफवाह के साथ तीमारदार अपने-अपने गंभीर मरीजों को उठाकर ICU से बाहर दौड़ पड़े। मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया
प्राचार्य और वरिष्ठ चिकित्सकों को इसकी जानकारी हुई। तभी आनन-फानन में सभी वार्ड की ओर दौड़ पड़े। मामले की जांच की तो पता चला कि किसी सफाई कर्मचारी फिनाइल की जगह फॉर्मेलिन का पोछा मार दिया। हालांकि मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया। रविवार तक मरीजों का इलाज दूसरे वार्ड में चलाया गया। क्यों हुई लापरवाही…
ICU वार्ड में करीब 10 मरीज भर्ती थे। जिनमें ज्यादातर सांस के पेशेंट थे। गंभीर मरीजों के भर्ती होने के बाद भी ऐसी लापरवाही हुई, इस पर बड़ा सवाल है। क्योंकि यदि तीमारदार खुद ही मरीजों को बाहर लेकर नहीं दौड़ते तो सांस के मरीजों की जान भी जा सकती है। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्राचार्य डॉ. सुधीर राठी ने तीन सदस्य की टीम बनाई है। जो मामले की जांच करेगी। हालांकि सवाल ये है कि जिन कर्मचारियों को गंभीर मरीजों के पास जाने तक की इजाजत है, क्या उन्हें फिनाइल और फॉर्मेलिन की पहचान नहीं है? राजकीय मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. सुधीर राठी का कहना है कि गैस लीकेज की अफवाह गलत है। फिनाइल की जगह फॉर्मेलिन का पोछा लगाया दिया। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि फिनाइल की बोतल में फॉर्मेलिन मिलाया गया। इसकी जांच करने के लिए तीन सदस्य की टीम बनाई गई है। टीम में चिकित्सा अधिकारी, मेट्रन और चिकित्सा शिक्षक को शामिल किया है। 48 घंटे के अंदर रिपोर्ट देगी। क्या होता है फॉर्मेलिन
फॉर्मेलिन एक प्रकार का फॉर्मेल्डिहाइड है जो मनुष्यों में कैंसर का कारण बनता है। यह एक कीटाणुनाशक है जिसका व्यापक रूप से शवों को संरक्षित करने के लिए शवगृहों में और मृत जानवरों के नमूनों को संरक्षित करने के लिए विज्ञान प्रयोगशालाओं में उपयोग किया जाता है। पैकेट वाले दूध को प्रीजव रखने के लिए भी इसका प्रयोग होता है। लंबे समय तक इसका प्रयोग करने से खांसी या दम घुटने की समस्या हो सकती है। गंभीर संपर्क से गले में सूजन या फेफड़ों में रासायनिक जलन से मौत हो सकती है। त्वचा, आंखों या जठरांत्र संबंधी मार्ग के साथ सीधे संपर्क से गंभीर जलन हो सकती है। फॉर्मेलिन की मात्र 30 मिली (लगभग 2 बड़े चम्मच) मात्रा पीने से भी मौत हो सकती है। सहारनपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज के ICU-4 वार्ड में एक कर्मचारी ने फिनाइल की जगह फॉर्मेलिन का पोछा लगा दिया। वार्ड में भर्ती मरीजों का दम घुटना शुरू हुआ। मरीज खुद ही उठकर बाहर लॉबी में बैठ गए। गंभीर मरीज की परेशानी देखते हुए मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया। कॉलेज प्रबंधन ने जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम बनाई है। मरीजों को सांस लेने में हुई दिक्कत
पिलखनी स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज में शनिवार की देर रात एक बड़ा हादसा होने से बचा है। ICU-4 वार्ड में करीब 10 मरीज भर्ती थे। तभी एक सफाई कर्मचारी ने सफाई करने के लिए पहुंचा। तीमारदार भी बाहर खड़े थे। तभी सफाई कर्मचारी ने फिनाइल की जगह फॉर्मेलिन का पोछा लगा दिया और चला गया। कुछ देर बाद भर्ती मरीजों की सांसें उखड़ने लगी और आंखों में जलन होना शुरू हो गई। सभी को एक साथ तड़पते देख उनके तीमारदार अंदर आए तो उनके भी यहीं स्थिति हुई। जिसके बाद गैस लीकेज की अफवाह के साथ तीमारदार अपने-अपने गंभीर मरीजों को उठाकर ICU से बाहर दौड़ पड़े। मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया
प्राचार्य और वरिष्ठ चिकित्सकों को इसकी जानकारी हुई। तभी आनन-फानन में सभी वार्ड की ओर दौड़ पड़े। मामले की जांच की तो पता चला कि किसी सफाई कर्मचारी फिनाइल की जगह फॉर्मेलिन का पोछा मार दिया। हालांकि मरीजों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया। रविवार तक मरीजों का इलाज दूसरे वार्ड में चलाया गया। क्यों हुई लापरवाही…
ICU वार्ड में करीब 10 मरीज भर्ती थे। जिनमें ज्यादातर सांस के पेशेंट थे। गंभीर मरीजों के भर्ती होने के बाद भी ऐसी लापरवाही हुई, इस पर बड़ा सवाल है। क्योंकि यदि तीमारदार खुद ही मरीजों को बाहर लेकर नहीं दौड़ते तो सांस के मरीजों की जान भी जा सकती है। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्राचार्य डॉ. सुधीर राठी ने तीन सदस्य की टीम बनाई है। जो मामले की जांच करेगी। हालांकि सवाल ये है कि जिन कर्मचारियों को गंभीर मरीजों के पास जाने तक की इजाजत है, क्या उन्हें फिनाइल और फॉर्मेलिन की पहचान नहीं है? राजकीय मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. सुधीर राठी का कहना है कि गैस लीकेज की अफवाह गलत है। फिनाइल की जगह फॉर्मेलिन का पोछा लगाया दिया। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि फिनाइल की बोतल में फॉर्मेलिन मिलाया गया। इसकी जांच करने के लिए तीन सदस्य की टीम बनाई गई है। टीम में चिकित्सा अधिकारी, मेट्रन और चिकित्सा शिक्षक को शामिल किया है। 48 घंटे के अंदर रिपोर्ट देगी। क्या होता है फॉर्मेलिन
फॉर्मेलिन एक प्रकार का फॉर्मेल्डिहाइड है जो मनुष्यों में कैंसर का कारण बनता है। यह एक कीटाणुनाशक है जिसका व्यापक रूप से शवों को संरक्षित करने के लिए शवगृहों में और मृत जानवरों के नमूनों को संरक्षित करने के लिए विज्ञान प्रयोगशालाओं में उपयोग किया जाता है। पैकेट वाले दूध को प्रीजव रखने के लिए भी इसका प्रयोग होता है। लंबे समय तक इसका प्रयोग करने से खांसी या दम घुटने की समस्या हो सकती है। गंभीर संपर्क से गले में सूजन या फेफड़ों में रासायनिक जलन से मौत हो सकती है। त्वचा, आंखों या जठरांत्र संबंधी मार्ग के साथ सीधे संपर्क से गंभीर जलन हो सकती है। फॉर्मेलिन की मात्र 30 मिली (लगभग 2 बड़े चम्मच) मात्रा पीने से भी मौत हो सकती है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर