मंडी शहर के जेल रोड में मस्जिद में कथित अवैध निर्माण मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने नगर निगम आयुक्त कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें मस्जिद में किए गए कथित अवैध निर्माण को 30 दिन के भीतर पुरानी स्थिति में लौटाने के निर्देश दिए गए थे। सोमवार को मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले की कॉपी हाईकोर्ट को सौंप दी है। नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने 13 सितंबर को फैसला सुनाया था, जिसमें मस्जिद में किए कथित अवैध निर्माण को 30 दिन के भीतर पुरानी स्थिति में लौटाने के निर्देश दिए थे। फैसले की कॉपी मुस्लिम समुदाय के लोगों को चार दिन बाद 17 सितंबर को मिली थी। इसके अनुसार मुस्लिम समुदाय के लोगों के पास 17 अक्टूबर तक का समय था। इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने आयुक्त कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अब हाईकोर्ट के फैसला उनके पक्ष में आया है। मंडी शहर के जेल रोड में मस्जिद में कथित अवैध निर्माण मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने नगर निगम आयुक्त कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें मस्जिद में किए गए कथित अवैध निर्माण को 30 दिन के भीतर पुरानी स्थिति में लौटाने के निर्देश दिए गए थे। सोमवार को मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले की कॉपी हाईकोर्ट को सौंप दी है। नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने 13 सितंबर को फैसला सुनाया था, जिसमें मस्जिद में किए कथित अवैध निर्माण को 30 दिन के भीतर पुरानी स्थिति में लौटाने के निर्देश दिए थे। फैसले की कॉपी मुस्लिम समुदाय के लोगों को चार दिन बाद 17 सितंबर को मिली थी। इसके अनुसार मुस्लिम समुदाय के लोगों के पास 17 अक्टूबर तक का समय था। इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने आयुक्त कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अब हाईकोर्ट के फैसला उनके पक्ष में आया है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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मंडी में कोटली स्टैंड से रात में बस चोरी:सुबह होने से पहले रख गए चोर; सीसीटीवी में कैद, डीजल की टंकी खाली
मंडी में कोटली स्टैंड से रात में बस चोरी:सुबह होने से पहले रख गए चोर; सीसीटीवी में कैद, डीजल की टंकी खाली मंडी जिला के कोटली बस स्टैंड के बाहर पार्क की गई एक निजी बस को कुछ शातिर बदमाश रात में चोरी कर ले गए। वहीं सुबह होने से पहले बस को बस स्टैड के बाहर ही खड़ा कर फरार हो गए। घटना का सीसीटीवी भी सामने आया है। मामला बुधवार रात का है। जब बस का मालिक मनोहर लाल बुधवार सुबह आता है तो बस को अलग स्थान पर खड़ा देखकर उसके होश उड़ जाते है। बस मालिक मनोहर लाल ने बताया कि मंगलवार रात को उनको लोगों द्वारा बस को मंडी की ओर ले जाने की भी सूचना देनी चाही पर व्यवस्था के चलते वह रात को फोन नहीं उठा पाए। बस की डीजल की टंकी खाली उन्होंने सुबह फोन पर बात कि तो तब उन्हें पता चला कि उनकी बस को कुछ शातिर रात को मंडी की तरफ ले गए है। उन्होंने कहा कि जहां मंगलवार को बस पार्क की थी बस उस स्थान के अलावा अन्य स्थान पर पार्क की गई थी और बस में रखे पट्टे व सेल्फ भी चोरी हो गया था। बस की तेल की टंकी भी पूरी तरह से खाली थी। बस को मंडी की ओर ले जाने का वीडियो सीसीटीवी कैमरें में भी कैद हो गया है। जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। मनोहर लाल ने कोटली पुलिस चौकी में मामला दर्ज कराया है। घटना में संलिप्त बदमाशों को पकड़ने की मांग की है। पुलिस के लिए पहेली बनी घटना पुलिस के लिए भी यह पहेली बनी है कि अगर बस को चोरी करने के इरादे से चोर आए थे, तो बस को वापस उसी स्थान पर पार्क क्यों किया गया। एसपी साक्षी वर्मा ने बताया कि कोटली पुलिस इस मामले की जांच कर रही है,आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को भी खंगाला जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट कॉलेजियम का फैसला किया रद्द:2 जिला जलों की प्रमोशन का मामला; शीर्ष अदालत ने पहली बार ऐसा फैसला दिया
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट कॉलेजियम का फैसला किया रद्द:2 जिला जलों की प्रमोशन का मामला; शीर्ष अदालत ने पहली बार ऐसा फैसला दिया सुप्रीम कोर्ट (SC) ने हिमाचल प्रदेश कॉलेजियम के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें पदोन्नति के लिए 2 वरिष्ठ जिला जजों की दावेदारी को नजरअंदाज किया था। SC ने 32 सीनियर जिला जजों की याचिका को स्वीकार करते हुए इस साल की शुरुआत में हुई कॉलेजियम की चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया। बता दें कि हिमाचल के बिलासपुर के डिस्ट्रिक्ट जज चिराग भानु सिंह और सोलन के जिला जज अरविंद मल्होत्रा बीते मई माह में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने कॉलेजियम के फैसले को चुनौती दी थी। इनकी याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस ऋषिकेष रॉय और प्रशांत कुमार मिश्रा की बैंच ने कहा, परामर्श के अभाव में कॉलेजियम का निर्णय इसलिए प्रभावित हुआ, क्योंकि हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने निजी तौर पर 2 जिला जजों के नामों पर पुनर्विचार नहीं करने का निर्णय लिया था। कोर्ट ने कहा, ऐसा लग रहा है यह अकेले मुख्य न्यायाधीश का निर्णय है। कॉलेजियम को सामूहिक रूप से विचार विमर्श करना होगा। बताया जा रहा है कि कॉलेजियम के फैसले में SC के हस्तक्षेप का पहला उदाहरण है। इस तरह के मामलों को आमतौर पर अदालत द्वारा प्रशासनिक रूप से निपटाया जाता है। जिला जजों के नाम पर पुनर्विचार करने को कहा कॉलेजियम के फैसलों के खिलाफ याचिकाओं पर विचार करते समय व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाता है। डबल बैंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को कॉलेजियममें अन्य जजों से सलाह लेनी चाहिए थी। कोर्ट ने निर्देश दिया कि हाईकोर्ट कॉलेजियम को अब निर्धारित मानदंडों के अनुसार 2 जिला जजों के नामों पर पुनर्विचार करना चाहिए। यह प्रक्रिया मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के तहत होनी चाहिए, जो संवैधानिक अदालतों में जजों की नियुक्ति का मार्गदर्शन करती है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे 2 जिला जज बता दें कि हिमाचल के बिलासपुर के डिस्ट्रिक्ट जज चिराग भानु सिंह और सोलन के जिला जज अरविंद मल्होत्रा बीते मई माह में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने कॉलेजियमके फैसले को चुनौती देते हुए कहा था, कि हिमाचल हाईकोर्ट कॉलेजियम ने उनकी मेरिट और सीनियारिटी दोनों को नजरअंदाज किया। हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की स्पेसिफिक रेकमेंडेशन को भी मानने से इनकार कर दिया। क्या बोले जिला जजों के एडवोकेट जिला जजों की तरफ से सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार ने तर्क दिया कि जूनियर न्यायिक अधिकारियों की सिफारिश इन-सर्विस कोटा के तहत हाईकोर्ट के जज के पद के लिए की गई। इस क्रम में याचिकाकर्ताओं की अनदेखी की गई, जो अधिक सीनियर थे। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सलाह और बाद में केंद्रीय कानून मंत्री द्वारा सिंह और मल्होत्रा के नामों पर पुनर्विचार करने के अनुरोध पर भी ध्यान नहीं दिया।
हिमाचल में बाहरी राज्यों के सेब खरीददार बुलाएगी सरकार:आढ़तियों में बढ़ेगा कॉम्पिटिशन मंडियों में लाइसेंस देगा APMC, बागवानों को मिलेंगे अच्छे दाम
हिमाचल में बाहरी राज्यों के सेब खरीददार बुलाएगी सरकार:आढ़तियों में बढ़ेगा कॉम्पिटिशन मंडियों में लाइसेंस देगा APMC, बागवानों को मिलेंगे अच्छे दाम हिमाचल सरकार सेब सीजन के लिए बाहरी राज्यों से बड़े बड़े आढ़तियों को बुलाने जा रही है। प्रदेश में यह प्रयोग पहली बार किया जा रहा है। इससे आढ़तियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और बागवानों को सेब के अच्छे रेट मिलेंगे। सरकार के इस फैसले का बागवान भी स्वागत कर रहे हैं। बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने बताया, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई के आढ़तियों को सेब सीजन के लिए हिमाचल बुलाया जाएगा। इसे लेकर एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड को निर्देश दे दिए गए है। उन्होंने बताया कि दो सप्ताह के भीतर बाहरी प्रदेशों के आढ़तियों के साथ मीटिंग की जाएगी। जगत नेगी ने कहा कि प्रदेश की प्रत्येक मंडी में चार से पांच बड़े आढ़ती बिठाए जाएंगे। इससे बागवानों को सेब के अच्छे रेट मिलेंगे और समय पर पेमेंट भी सुनिश्चित होगी। बाहरी राज्यों के आढ़तियों को प्रमाणीकरण के बाद ही मंडियों में बिठाया जाएगा, ताकि कोई भी आढ़ती बागवानों के साथ धोखाधड़ी करके भाग न सके। दो-दो साल की पेमेंट पर कुंडली मार बैठे कुछ आढ़ती बता दें कि प्रदेश के कई आढ़ती दो दो साल से बागवानों की पेमेंट का भुगतान नहीं कर रहे हैं। हालांकि कृषि उपज विपणन समिति (APMC) और पुलिस की SIT समय समय पर ऐसे बागवानों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। मगर बड़ी संख्या में बागवान ऐसे भी है जो APMC और SIT को पेमेंट डूबने से डर से शिकायत ही नहीं कर पाते है। फैसला सही, पर सरकार ले जिम्मेदारी: बागवान सेब उत्पादक संघ ठियोग के अध्यक्ष महेंद्र वर्मा ने बताया कि सरकार का यह फैसला बागवानों के हित में है। मगर सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी आढ़ती बागवान की पेमेंट का भुगतान किए बगैर भाग न सके। बागवानों के साथ किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी होने पर इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। बागवानों को घर-द्वार मिलेगी सेब बेचने की सुविधा बाहरी राज्यों के आढ़तियों के प्रदेश की मंडियों में आने के बाद बागवानों को बाहरी राज्यों की मंडियों का रुख भी नहीं करना पड़ेगा। उन्हें घर द्वार ही अच्छे रेट मिल सकेंगे। अभी बड़ी संख्या में बागवान पेमेंट समय पर मिलने की वजह से ही चंडीगढ़, दिल्ली, कोलकाता इत्यादि मंडियों में सेब बेचते है।