हरियाणा के जींद मुख्यालय समेत उपमंडल स्तर के सभी नागरिक अस्पतालों में 16 अक्टूबर से ओपीडी का समय बदल जाएगा। बुधवार से अस्पतालों में सुबह 9 बजे से ओपीडी की शुरुआत होगी और 3 बजे तक डॉक्टर मरीजों को देखेंगे। अब तक अस्पताल सुबह आठ बजे से दो बजे तक खुले रहते थे। सर्दियों के मौसम को देखते हुए अब एक घंटा बाद में ओपीडी की शुरुआत की जाएगी व एक घंटा बाद छुट्टी होगी। ओपीडी के अलावा दवा लेने और टेस्ट कराने के समय में भी परिवर्तन हो गया है। वहीं दूसरी ओर सर्दी बढ़ते ही अस्पताल में मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। बदलते मौसम की वजह से बुखार, जुखाम, खांसी एवं अन्य बीमारियों से पीड़ित लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं। अस्पताल में मरीजों के चेकअप की खातिर ओपीडी पर्ची बनवाने का समय सुबह नौ बजे से तीन बजे तक होगा। इसी समय में दवा की खिड़की खुली रहेगी। अस्पताल में होने वाले विभिन्न तरह के टेस्ट के लिए लैब में सैंपल का समय सुबह नौ बजे से 12 बजे तक रहेगा। फिर दो बजे तक सैंपल रिपोर्ट दी जाती थी। आगामी 15 अप्रैल तक नागरिक अस्पताल की ओपीडी, टेस्ट एवं दवा लेने का समय यही रहेगा। नागरिक अस्पताल डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने बताया कि 16 अक्टूबर से अस्पताल के ओपीडी के समय में बदलाव होगा। जो 15 अप्रैल तक नौ बजे ही अस्पताल खुलेगा। इसके बाद ही समय में बदलाव किया जाएगा। हरियाणा के जींद मुख्यालय समेत उपमंडल स्तर के सभी नागरिक अस्पतालों में 16 अक्टूबर से ओपीडी का समय बदल जाएगा। बुधवार से अस्पतालों में सुबह 9 बजे से ओपीडी की शुरुआत होगी और 3 बजे तक डॉक्टर मरीजों को देखेंगे। अब तक अस्पताल सुबह आठ बजे से दो बजे तक खुले रहते थे। सर्दियों के मौसम को देखते हुए अब एक घंटा बाद में ओपीडी की शुरुआत की जाएगी व एक घंटा बाद छुट्टी होगी। ओपीडी के अलावा दवा लेने और टेस्ट कराने के समय में भी परिवर्तन हो गया है। वहीं दूसरी ओर सर्दी बढ़ते ही अस्पताल में मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। बदलते मौसम की वजह से बुखार, जुखाम, खांसी एवं अन्य बीमारियों से पीड़ित लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं। अस्पताल में मरीजों के चेकअप की खातिर ओपीडी पर्ची बनवाने का समय सुबह नौ बजे से तीन बजे तक होगा। इसी समय में दवा की खिड़की खुली रहेगी। अस्पताल में होने वाले विभिन्न तरह के टेस्ट के लिए लैब में सैंपल का समय सुबह नौ बजे से 12 बजे तक रहेगा। फिर दो बजे तक सैंपल रिपोर्ट दी जाती थी। आगामी 15 अप्रैल तक नागरिक अस्पताल की ओपीडी, टेस्ट एवं दवा लेने का समय यही रहेगा। नागरिक अस्पताल डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला ने बताया कि 16 अक्टूबर से अस्पताल के ओपीडी के समय में बदलाव होगा। जो 15 अप्रैल तक नौ बजे ही अस्पताल खुलेगा। इसके बाद ही समय में बदलाव किया जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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जींद में सड़क हादसे में साइकिल सवार की मौत:खेत में जाते समय कार ने मारी टक्कर; पीजीआई पहुंचने से पहले तोड़ा दम
जींद में सड़क हादसे में साइकिल सवार की मौत:खेत में जाते समय कार ने मारी टक्कर; पीजीआई पहुंचने से पहले तोड़ा दम हरियाणा के जींद के जुलाना क्षेत्र के गांव किलाजफरगढ़ में खेत में जा रहे साइकिल सवार व्यक्ति को कार ने टक्कर मार दी। इसमें साइकिल सवार गंभीर रूप से घायल हाे गया। पीजीआई रोहतक ले जाते समय रास्ते में उसकी मौत हो गई। जुलाना थाना पुलिस ने मृतक के भाई की शिकायत पर कार चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया है। किलाजफरगढ़ गांव निवासी कुलदीप ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उसका 42 वर्षीय भाई रणबीर रविवार को साइकिल पर सवार होकर खेत में जा रहा था। जैसे ही वह किलाजफरगढ़ फ्लाईओवर के पास पहुंचा तो किलाजफरगढ़ गांव निवासी कार चालक मंदीप ने उसकी साइकिल को टक्कर मार दी। इसमें रणबीर गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया। रणबीर को जुलाना सीएचसी ले जाया गया। रणबीर की गंभीर हालत देखते हुए उसे यहां से रोहतक पीजीआई रेफर किया गया। उसने बताया कि पीजीआई पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई। पुलिस ने शिकायत के आधार पर कार चालक मंदीप के खिलाफ दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। थाना प्रभारी विनोद कुमार ने बताया कि मृतक के भाई की शिकायत के आधार पर कार चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
दिवाली पर हरियाणवी लड़ियों से जगमगाएगा अयोध्या का राम मंदिर:करनाल की 250 महिलाओं के ग्रुप का कमाल, चाइनीज लड़ियों को दे रहीं टक्कर
दिवाली पर हरियाणवी लड़ियों से जगमगाएगा अयोध्या का राम मंदिर:करनाल की 250 महिलाओं के ग्रुप का कमाल, चाइनीज लड़ियों को दे रहीं टक्कर हरियाणा के करनाल में बनी स्वदेशी लड़ियों की दिवाली पर खूब डिमांड है। ये लड़ियां चीन में बनी लड़ियों को टक्कर दे रही हैं। सेवा भारती से जुड़ी महिलाएं लड़ियां बनाने में इतनी एक्सपर्ट हो चुकी हैं कि महज 4 महिलाएं ही 300 से ज्यादा लड़ियां एक दिन में बना देती हैं। एक लड़ी की कीमत 150 रुपए है। लोकल फॉर वोकल का लक्ष्य लेकर चली संस्था की महिलाओं द्वारा तैयार की गई लड़ियां अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन में भी शोभा बढ़ा चुकी हैं। इस दिवाली पर करीब 40 हजार लड़ियां राम मंदिर के लिए गई हैं। RSS की सेवा भारती विंग 1980 में अस्तित्व में आई थी। मौजूदा समय में यश देव त्यागी संस्था के अध्यक्ष हैं। महासचिव पंकज क्लेव हैं और कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी कृष्ण विज के पास है। बीते 5 साल से संस्था आत्मनिर्भर भारत, नारी सशक्तिकरण और स्वावलंबी भारत अभियान को बढ़ावा दे रही है। लड़ियों के अलावा यहां पर मल्टी ग्रेन आटा, पापड़, बड़ियां और टोकरी बनती हैं। संस्था के साथ लगभग 14 गांवों की 250 महिलाएं जुड़ी हुई हैं। महिलाएं गरीब परिवारों से हैं और ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है। अगर आमदनी की बात की जाए तो महिलाओं को कमीशन बेस पर मेहनताना मिलता है, जिससे उनके परिवार का गुजारा हो जाता है। ममता बोली- अच्छी आमदनी हो जाती है
महिला ममता ने बताया कि मैं 4 साल से संस्था के साथ जुड़कर काम कर रही हूं। मैं लड़ियों में सर्किट लगाने का काम करती हूं। मुझे यहां से अच्छी आमदनी हो जाती है। महिलाएं आगे बढ़ रही हैं और महिलाओं को भी चाहिए कि वे आत्मनिर्भर बने। यहां बहुत से गांव की महिलाएं काम करती हैं। यहां पर लड़ियों के अलावा दीये भी बनाए जाते हैं, इसके अलावा सिलाई सेंटर भी है। यहां महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने की ट्रेनिंग दी जाती है। इतना ही नहीं, लड़कियों के लिए कंप्यूटर क्लासेस भी लगती हैं। महिलाएं लड़ियां बनाने के काम में इतनी निपुण हो चुकी हैं कि यहां पर एक दिन में 300 लड़ियां भी बना लेती हैं। 45 सालों से काम कर रही है संस्था
संस्था के प्रांत उपाध्यक्ष रोशन लाल ने बताया कि सेवा भारती संस्था गरीब समाज के उत्थान के लिए पिछले 45 वर्षों से काम कर रही है। लड़ियों के प्रोजेक्ट से 13-14 गांवों से लगभग 250 परिवार जुड़े हुए हैं और उन्हें गर्व भी महसूस होता है कि हम स्वदेशी अभियान से जुड़े हुए हैं। यहां पर 15 साल से लेकर 70 साल तक की महिलाएं काम कर रही हैं। इसमें ज्यादा पढ़ी लिखी महिलाएं नहीं है। जिस काम को करने से हम डरते हैं, उस काम को महिलाएं अच्छी तरह से कर रही हैं। लड़ियां बनाने के लिए 2 या 3 घंटे की ट्रेनिंग दी जाती है, उसके बाद वे लड़ी बनाने में सक्षम हो जाती हैं।
अहमदाबाद, दिल्ली और गाजियाबाद से आता है कच्चा माल
रोशन लाल ने बताया कि संस्था 1980 से कार्य कर रही है। करनाल में आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किए हुए 5 साल हो चुके हैं। पहले साल जो लड़ियों का लोट गया था, उसके बाद आज तक किसी तरह की शिकायत नहीं आई। यहां पर हाथों से ही लड़ियों का काम किया जाता है। इसमें मशीनों का यूज नहीं होता। लड़ियों के लिए कच्चा माल अहमदाबाद, दिल्ली और गाजियाबाद से लिया जाता है। देश-विदेश में जा रहीं लड़ियां रोशन लाल ने बताया कि यहां से अयोध्या के राम मंदिर के लिए भी लड़ियां गई हैं। राम मंदिर कमेटी को पता है कि करनाल में लड़ियां बनती हैं। उन्होंने हमसे संपर्क किया था। 22 जनवरी को जब राम मंदिर का उद्घाटन हुआ था, तब राम मंदिर के लिए यहां से लड़ियां गई थीं। दरअसल, हमारे एक कार्यकर्ता ने राम मंदिर में लड़ियां देखी थीं। उनकी क्वालिटी ठीक नहीं थी। हमारे कार्यकर्ता ने राम मंदिर प्रबंधन कमेटी के कार्यकर्ता से बात की और स्वदेशी लड़ियों के बारे में बताया और सैंपल दिखाया। जिसके बाद राम मंदिर से हमें लड़ियों का ऑर्डर मिल गया। अब करनाल से भोपाल, जम्मू कश्मीर और अन्य राज्यों में भी लड़ियां गई हैं। यहां से लोग अपने रिश्तेदारों को कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूएसए में भी लड़ियां भेज रहे हैं। संस्था के प्रोग्राम में स्टॉल लगाकर करते हैं मार्केटिंग रोशन लाल ने बताया कि यह कोई व्यापार नहीं है। यह तो केवल स्वदेशी अपनाओ अभियान है, नारी सशक्तिकरण अभियान और मेरा स्वावलंबी भारत अभियान है। इन अभियान को एक ही प्रकल्प से बल मिलता है। मार्केटिंग की बात करें तो करनाल में सेवा भारती का हेड ऑफिस है और हरियाणा में अलग-अलग जगहों पर हमारी समितियां है। उन समितियों के कार्यकर्ता समाज में स्वदेशी के प्रति सजगता लाते है। इसके साथ ही संस्था के कार्यक्रमों के दौरान भी स्टॉल लगाकर मार्केटिंग की जाती है। लोगों में स्वदेशी के प्रति जागरूकता आई है और यही संस्था के लिए सबसे बड़ा सम्मान है।
हरियाणा में परिवार बोला- पवन खुदकुशी नहीं कर सकता:ये एक्सीडेंटल केस; CRPF हेड कॉन्स्टेबल को आज छुट्टी आना था लेकिन शव पहुंचा
हरियाणा में परिवार बोला- पवन खुदकुशी नहीं कर सकता:ये एक्सीडेंटल केस; CRPF हेड कॉन्स्टेबल को आज छुट्टी आना था लेकिन शव पहुंचा हरियाणा में रेवाड़ी मुख्यालय से तकरीबन 33 किलोमीटर दूर जैनाबाद गांव जिले के उन चुनिंदा गांवों में से एक है, जिसकी आबादी 8 हजार के करीब है। इस गांव के रहने वाले CRPF के हेड कॉन्स्टेबल पवन कुमार ने छत्तीसगढ़ में ऑन ड्यूटी सर्विस राइफल से खुद को गोली मार आत्महत्या कर ली। हालांकि, पवन कुमार के परिजन ये मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है कि उसने खुदकुशी की है। उनका कहना है कि इस घटना से कुछ घंटे पहले उसने पत्नी, भाई सुरेश के अलावा साले से भी बात की थी। इस पूरे केस को समझने के लिए दैनिक भास्कर जैनाबाद गांव पहुंचा। पूरे गांव में गमगीन माहौल दिखा। इसी वजह से गांव का कोई व्यक्ति ऑन कैमरा बात करने को तैयार नहीं हुआ। परिवार के लोगों ने भी ऑन कैमरा बात नहीं की, लेकिन ऑफ कैमरा पवन कुमार से जुड़ी काफी जानकारी दी। परिवार के मुताबिक, उस वक्त बिल्कुल भी नहीं लगा कि उसके साथ ऐसी भी घटना हो सकती हैं। ये सुसाइड नहीं, बल्कि एक्सीडेंटल केस है। अप्रैल 2004 में CRPF में भर्ती हुए थे पवन कुमार अप्रैल 2004 में CRPF में बतौर कॉन्स्टेबल भर्ती हुए थे। उनके पिता कंवर सिंह यादव भी आर्मी में सेवाएं दे चुके हैं। CRPF में भर्ती होने के बाद पवन कुमार ने देश के विभिन्न हिस्सों में नौकरी की। कुछ समय पहले उनका प्रमोशन हेड कॉन्स्टेबल के पद पर हुआ था। करीब डेढ़ साल पहले उनका तबादला छत्तीसगढ़ के बीजापुर के पातरपारा में CRPF 199 बटालियन कैंप में हुआ था। फिलहाल वह मोर्चा नंबर-2 में ड्यूटी पर तैनात थे। 24 अक्टूबर (गुरुवार) को सर्विस राइफल से गोली लगने से उनकी मौत हो गई। आज ही उसे छुट्टी पर घर आना था पवन कुमार के भाई सुरेश का कहना है कि उनका भाई हर साल दीपावली पर छुट्टी लेकर घर आता था। क्योंकि इस वक्त फसल की बुआई से लेकर कई तरह के काम होते हैं। इस बार भी उसे दीपावली के त्योहार से पहले 26 अक्टूबर को घर आना था, लेकिन इस दिन उसका शव पहुंचा। शनिवार सुबह CRPF की बटालियन पवन कुमार का पार्थिव शरीर लेकर गांव पहुंची, जहां उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। आखिरी बार फरवरी में घर आए थे बेटे नवीन कुमार ने बताया कि पापा आखिरी बार इसी साल फरवरी में घर आए थे। उस वक्त ताऊ के बेटे की शादी थी। अक्सर मेरी भी पापा से बात होती रहती थी। हमें कभी नहीं लगा कि वह परेशान थे। 2 दिन पहले ही मम्मी और ताऊ से बात की थी। मैंने भी कुछ देर बात की। हमें कुछ पता ही नहीं चला कि अचानक ये सब कैसे हुआ। परिवार में नवीन के अलावा उसकी एक बहन भी है। नवीन गुरुग्राम में सरकारी नौकरी की कोचिंग ले रहा है, जबकि उसकी बहन ने ग्रेजुएशन की हुई है।