हरियाणा के कुरूक्षेत्र जिले के शाहबाद में भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी द्वारा बीते दिनों बयान दिया था कि बीते वर्षों किसान आंदोलन भाजपा के खिलाफ चलाया था, लेकिन हुड्डा और कांग्रेस फायदा नही उठा पाई। जिसके बाद गुरनाम चढूनी की फजीहत हर जगह हो रही है। सत्ता पक्ष में आंदोलन, विपक्ष को फायदा अब किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने वीडियो जारी अपने बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके दिए हुए बयान को बीजेपी की इट तोड़ मरोड़ कर पेश कर रही है। मीडिया भी इस बयान को बार-बार चला रही है। सत्ता पक्ष में हुए किसी भी आंदोलन प्रदर्शन का फायदा विपक्षी पार्टी को होता है और किसान आंदोलन भी भाजपा की सरकार के दौरान हुआ था, तो सीधे तौर पर आंदोलन का फायदा कांग्रेस पार्टी को हो रहा था। भाजपा को नहीं करनी चाहिए घटिया हरकत उन्होंने कहा कि भाजपा की आईटी सेल वीडियो क्लिप कट कट कर दिख रही है, जो कि सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटिया हरकत बीजेपी को नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन बीजेपी के खिलाफ था, लेकिन इसमें कांग्रेस पार्टी का कोई रोल नहीं था। किसान आंदोलन में लाठियां हमने खाई जेल में हम गए और हम पर मुकदमे दर्ज हुए और फायदा कांग्रेस पार्टी को हुआ। फैलाई बातों पर यकीन ना करें चढूनी ने कहा कि पंजाब में किसान आंदोलन हुआ। उसमें कांग्रेस की सरकार पंजाब से चली गई और आम आदमी पार्टी की सरकार बनी। उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा मीडिया को भी भ्रमित किया जा रहा है। कोई भी भाजपा की फैलाई बातों पर यकीन न करें। हरियाणा के कुरूक्षेत्र जिले के शाहबाद में भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी द्वारा बीते दिनों बयान दिया था कि बीते वर्षों किसान आंदोलन भाजपा के खिलाफ चलाया था, लेकिन हुड्डा और कांग्रेस फायदा नही उठा पाई। जिसके बाद गुरनाम चढूनी की फजीहत हर जगह हो रही है। सत्ता पक्ष में आंदोलन, विपक्ष को फायदा अब किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने वीडियो जारी अपने बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके दिए हुए बयान को बीजेपी की इट तोड़ मरोड़ कर पेश कर रही है। मीडिया भी इस बयान को बार-बार चला रही है। सत्ता पक्ष में हुए किसी भी आंदोलन प्रदर्शन का फायदा विपक्षी पार्टी को होता है और किसान आंदोलन भी भाजपा की सरकार के दौरान हुआ था, तो सीधे तौर पर आंदोलन का फायदा कांग्रेस पार्टी को हो रहा था। भाजपा को नहीं करनी चाहिए घटिया हरकत उन्होंने कहा कि भाजपा की आईटी सेल वीडियो क्लिप कट कट कर दिख रही है, जो कि सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटिया हरकत बीजेपी को नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन बीजेपी के खिलाफ था, लेकिन इसमें कांग्रेस पार्टी का कोई रोल नहीं था। किसान आंदोलन में लाठियां हमने खाई जेल में हम गए और हम पर मुकदमे दर्ज हुए और फायदा कांग्रेस पार्टी को हुआ। फैलाई बातों पर यकीन ना करें चढूनी ने कहा कि पंजाब में किसान आंदोलन हुआ। उसमें कांग्रेस की सरकार पंजाब से चली गई और आम आदमी पार्टी की सरकार बनी। उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा मीडिया को भी भ्रमित किया जा रहा है। कोई भी भाजपा की फैलाई बातों पर यकीन न करें। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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करनाल में इंचार्ज व कंविनर की लिस्ट भड़के गोगी:बोले, कांग्रेस में है स्लीपर सैल, लिस्ट में गद्दारों को मिली जगह
करनाल में इंचार्ज व कंविनर की लिस्ट भड़के गोगी:बोले, कांग्रेस में है स्लीपर सैल, लिस्ट में गद्दारों को मिली जगह हरियाणा में नगर निकाय चुनावों को लेकर कांग्रेस ने कमर कस ली है। कांग्रेस ने निकाय चुनावों को लेकर इंचार्ज व कंविनर की नियुक्तियां कर दी है। करनाल का इंचार्ज थानेसर के विधायक अशोक अरोडा का बनाया गया है, जबकि प्रियंका हुड्डा पानीपत को को-इंचार्ज नियुक्त किया गया है, लेकिन हरियाणा के करनाल में असंध से कांग्रेस के पूर्व विधायक शमशेर सिंह गोगी ने निकाय चुनावों के इंचार्ज व कंविनर की लिस्ट पर सवाल खड़े कर दिए है। गद्दारों को मिला गद्दारी का फायदा उन्होंने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए है और कहा कि जिन नेताओं ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान गद्दारी की और सत्ता पक्ष का साथ दिया, उन नेताओं को भी इंचार्ज, को-इंचार्ज, कंविनर और को-कंविनर की लिस्ट में शामिल किया गया है। ऐसे में गद्दारों को गद्दारी करने का लाभ मिला है। लिस्ट में शामिल किया जाना ही एक तरह से गद्दारों के लिए इनाम है। गोगी ने कहा कि किसी को भी इंचार्ज या फिर अन्य पद दिया जा सकता है, लेकिन ऐसे लोगों को तो लिस्ट में शामिल न करे, जिन लोगों ने पार्टी का नुकसान किया और इलेक्शन के दौरान पार्टी का विरोध किया। गद्दारों को तरजीह देना पार्टी की सेहत के लिए ठीक नहीं गोगी ने कहा कि मैं इसका विरोध करता हूं और इसमें सुधार होना चाहिए था। ध्यान रखना चाहिए था। इस तरह की लिस्ट आने से वफादार नेता और कार्यकर्ताओं में मायूसी आती है। जिनको लिस्ट में शामिल किया गया है, कांग्रेस में इनसे भी बेहतर लोग है, जिनको जिम्मेदारी सौंपी जा सकती थी। हालांकि जो लिस्ट है, वे टेंपरेरी है, लेकिन फिर भी गद्दारों को तरजीह देना पार्टी की सेहत के लिए ठीक नहीं है। गोगी ने कांग्रेस पर ही छोड़े सवालों के तीर गोगी ने कहा कि इस लिस्ट को लेकर सचिव जितेंद्र बघेल से बातचीत की है और इस पूरे मामले को लेकर वेणु गोपाल जी को एक चिट्ठी भी लिखी जाएगी। उसमें सवाल किया जाएगा कि आखिर लिस्ट बनाते समय ध्यान क्यों नहीं रखा गया? क्या कांग्रेस आला कमान के पास गद्दारों के नाम नहीं है? अगर नाम थे तो लिस्ट कैसे क्लियर हो गई? मैं तो यहां तक कहता हूं कि इसकी जांच होनी चाहिए कि आखिर इन लोगों को लिस्ट में जगह कैसे मिल गई और किसकी रिक्मेंडेशन पर दी गई और किस वजह से मिली? यह एक बहुत बड़ा मुद्दा है, क्योंकि चार महीने पहले जिन लोगों ने चुनावों में खिलाफत की है, वे ही लोग उन लिस्टों में है। गोगी ने कहा कि लिस्ट बनाने वालों या फिर सलाह देने वालों में मैं नहीं हूं, अगर मैं सलाह देने वालों में भी हो जाता हूं तो गद्दारों के नाम नहीं मिलेगा। यमुना में जहर की बयानबाजी पर गोगी की टिप्पणी भाजपा और आप पार्टी के बीच यमुना के पानी में जहर की बयानबाजी को लेकर छिड़ी जंग के सवाल पर गोगी ने कहा कि यमुना के पानी में जहर नहीं है। सीएम नायब सैनी हो, या आप पार्टी का कोई नेता हो या फिर भाजपा-आरएसएस का कोई नेता हो, अगर पूरे देश में भी नजर डाली जाए तो उनकी वाणी में, विचारों में और विचारधारा में ही जहर है, तो उनका जहर तो बाहर निकलेगा ही। अगर आप पानी पीने लगोगे तो आपके अंदर ही जहर है, पानी का क्या दोष है। उन्होंने कहा कि पानी में जहर नहीं है, एक तरफ तो महाकुंभ के दौरान संगम में आस्था की डूबकी लगाई जा रही है और दूसरी तरफ ऐसी बयानबाजी की जा रही है, यह तो यमुना का भी अपमान है। गद्दारों की लिस्ट में हम नहीं होंगे गोगी ने कहा कि हम पार्टी के सच्चे सिपाही है। हमने पार्टी के सामने अपनी बात रख दी है। पार्टी के अंदर अगर हमारे विचारों की कोई वैल्यू होगी तो हमारी पूछ हो जाएगी, अन्यथा हमें तो पार्टी में ही रहना है और पार्टी के साथ ही रहना है। गद्दारों की लिस्ट में हम कभी नहीं होंगे। पार्टी में कुछ स्लीपर सैल है, वे पार्टी से जाएंगे तो हमारी पूछ हो जाएगी। अगर ये स्लीपर सैल नहीं गए तो अपना कुछ नहीं है, हमें तो तिरंगे में जाना है। हम राजनीति छोड़ सकते है लेकिन पार्टी नहीं छोड़ेंगे। निशान पर होना चाहिए चुनाव गोगी ने कहा कि कांग्रेस को हाथ के निशान पर ही निकाय चुनाव लड़ना चाहिए। सिर्फ मेयर या फिर वाइस चेयरमैन का ही नहीं बल्कि पार्षद का भी निशान पर लड़ा जाना चाहिए। अगर एमसी का चुनाव बिना निशान के करवाया गया तो मेयर का चुनाव जीतना मुश्किल हो जाता है। निशान पर चुनाव होगा तो पार्टी के वफादार अपने कैंडिडेट को ही वोट डालेंगे और जो वफादार नहीं है, वे उसी तरह से वोट डलवाएंगे, जैसे पहले डलवाते थे।
हरियाणा में 54 हजार सरकारी नौकरियों का रास्ता साफ:सरकार ने CET कराने को मंजूरी दी; 31 दिसंबर तक प्रक्रिया पूरी करने की सिफारिश
हरियाणा में 54 हजार सरकारी नौकरियों का रास्ता साफ:सरकार ने CET कराने को मंजूरी दी; 31 दिसंबर तक प्रक्रिया पूरी करने की सिफारिश हरियाणा सरकार की भर्तियों के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) कराने को लेकर प्रदेश सरकार ने हरी झंडी दे दी है। इसके लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा था। इसके बाद मानव संसाधन विभाग के प्रधान सचिव विजेंद्र कुमार की अध्यक्षता में मीटिंग हुई, जिसमें फैसला हुआ है कि आगामी 31 दिसंबर तक CET आयोजित करवा लिया जाए। मुख्य सचिव कार्यालय की तरफ से कर्मचारी चयन आयोग को अभी यह पत्र भेजा जाना है, लेकिन यह तय लग रहा है कि चाहे संशोधन के साथ हो या बिना संशोधन, CET आगामी 31 दिसंबर तक हो जाएगा। अभी तक ग्रुप-C और D का एक-एक बार हुआ CET
हरियाणा में अभी तक ग्रुप C और ग्रुप D का एक-एक बार CET हुआ है। इसके आधार पर TGT को छोड़कर ग्रुप C की लगभग 40 हजार और ग्रुप D की लगभग 14 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूरी होनी है। इनमें से ग्रुप C के लगभग 13 हजार और ग्रुप D के लगभग 4 हजार पदों के लिए रिजल्ट पहले ही जारी हो चुका है। युवा संशोधन की कर रहे मांग
हरियाणा के युवाओं की मांग है कि CET पॉलिसी में संशोधन किया जाए, लेकिन अभी तक सरकार ने इसमें कोई संशोधन नहीं किया है। अगर बिना संशोधन CET आयोजित कराया गया तो युवाओं में फिर नाराजगी फैल सकती है, क्योंकि CET पास उम्मीदवारों में से कैटेगरी में विज्ञापित पदों का 4 गुना (निश्चित फॉर्मूला) को मुख्य परीक्षा के लिए शॉर्टलिस्ट करने का प्रावधान है। मगर युवाओं की मांग है कि CET को क्वालीफाई किया जाना चाहिए। तब संभव हो पाएगा संशोधन
इसके अलावा तकनीकी पदों के लिए अलग से CET होना चाहिए। जब मुख्य सचिव कार्यालय की तरफ से आयोग को CET आयोजित कराने का पत्र चला जाएगा, उसके बाद संभव है कि आयोग CET में संशोधन करने के लिए सरकार को सुझाव भेजे। और सरकार उन पर गौर कर CET पॉलिसी में संशोधन कर ले। हरियाणा में नौकरी से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… हरियाणा में 20 हजार सरकारी भर्तियों का रिजल्ट जल्द:आचार संहिता हटते ही HSSC ने शुरू की तैयारी; कांग्रेस की शिकायत पर रोका था हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर 16 अगस्त को लगी आचार संहिता 56 दिनों के बाद हट गई है। आचार संहिता हटते ही सरकार भी एक्शन मोड में आ गई है। वादे के मुताबिक हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) अब 20 हजार सरकारी नौकरियों के रिजल्ट जारी करने वाला है। पूरी खबर पढ़ें…
चरखी दादरी के नीतेश को मिला अर्जुन अवॉर्ड:राष्ट्रपति ने किया सम्मानित, पैरा-ओलिंपिक में बैडमिंटन में जीता था गोल्ड मेडल
चरखी दादरी के नीतेश को मिला अर्जुन अवॉर्ड:राष्ट्रपति ने किया सम्मानित, पैरा-ओलिंपिक में बैडमिंटन में जीता था गोल्ड मेडल पेरिस पैरा ओलिंपिक बैडमिंटन एकल प्रतिस्पर्धा में गोल्ड मेडल लेकर भारत का नाम रोशन करने वाले हरियाणा के चरखी दादरी जिले के गांव नांधा निवासी नीतेश लुहाच को आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया। नीतेश फूटबॉल के अच्छे खिलाड़ी थे। लेकिन करीब 15 साल की आयु में विशाखापट्टनम में रेल की चपेट में आने से उन्होंने अपना बाया पैर गंवा दिया। जिसके कुछ समय बाद उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया जिसमें महारत हासिल कर पैरा ओलिंपिक में गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। उनकी इस उपलब्धि पर आज उन्हें खेल जगत के दूसरे बड़े सम्मान अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। 8 साल तक गांव में रहे
नीतेश के पिता इंडियन नेवी से रिटायर्ड है और जयपुर में रहते हैं। नीतेश प्रारंभिक आठ साल तक गांव में ही अपने ताऊ गुणपाल के पास रहे उसके बाद पिता की पोस्टिंग के अनुसार अलग-अलग शहरों में जाना पड़ा। रेल के नीचे कटा पैर
नीतेश के चाचा सत्येंद्र व ताऊ गुणपाल ने नीतेश के दिव्यांग होने की घटना का जिक्र करते हुए बताया कि नीतेश जब करीब 15 साल के थे, उस दौरान उनके पिता बिजेंद्र सिंह की विशाखापट्टनम में पोस्टिंग थी। वे फुटबॉल खेलते थे और एक रोज शाम को फुटबॉल खेलने के लिए गए हुए थे। उस दिन उनके एक दोस्त का जन्मदिन था, जिसके पिता रेलवे में नौकरी करते थे। नीतेश रेलवे यार्ड के पास उनके क्वार्टर पर गया था और वापिस आते समय रेलवे यार्ड में रेल खड़ी थी और वह रेल के नीचे से पटरी पार कर रहा था। उस दौरान रेल चल पड़ी जिससे वह चपेट में आ गया और उसका पैर जांघ के समीप से अलग हो गया। फुटबॉल छोड़ अपनाया बैडमिंटन
उसके बाद उसे रिकवर होने के लिए बेड रेस्ट लिया और बाद में पैर गंवाने के साथ ही फूटबॉल भी छुट गया। बाद में नीतेश ने टाइम पास करने के लिए बैडमिंटन खेलना शुरू किया था, लेकिन बाद में उसकी प्रतिभा को कॉलेज में कोच ने पहचाना और उसे निखारने का काम किया। जिसके बाद से वह आगे बढ़ता चला गया और पेरिस पैरा ओलिंपिक में करीब 30 वर्षीय इस खिलाड़ी ने गोल्ड जीतकर साबित कर दिया है कि बिना पैर के भी ये दुनिया नापी जा सकती है। बीजिंग पैरा ओलिंपिक में जीता था सिल्वर
नीतेश ने बीजिंग पैरा ओलिंपिक में भी कमाल का प्रदर्शन किया था और उन्होंने सिल्वर मेडल हासिल किया था। लेकिन उसकी तमन्ना देश के लिए गोल्ड जितने की थी। जिसके चलते उसने और अधिक कड़ी मेहनत की और जो सपना बीजिंग में अधूरा रह गया था उसे पेरिस में पूरा करके दिखाया । नीतेश को अर्जुन अवॉर्ड मिलने से गांव में खुशी का माहौल है। ग्रामीण गुणपाल, अजीत आदि का कहना है कि नीतेश ने युवाओं, खिलाड़ियों व दिव्यांगों के लिए एक मिसाल पेश की है और वे उनके लिए एक प्रेरणा का काम करेंगे।