अब 6 महीने में होगा बिगड़ी हुई टीबी का इलाज:पहले 2 साल तक चलती थी दवा, KGMU में हुई माइक्रोबियल रेजिस्टेन्स पर वर्कशॉप

अब 6 महीने में होगा बिगड़ी हुई टीबी का इलाज:पहले 2 साल तक चलती थी दवा, KGMU में हुई माइक्रोबियल रेजिस्टेन्स पर वर्कशॉप

MDR यानी मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी को 6 माह में हराने वाली दवाएं अब देश भर में उपलब्ध होंगी। अगले महीने बाजार में आने के बाद MDR टीबी से लड़ाई काफी आसान होगी। ये जानकारी भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की डीडीजी टीबी डॉ. उर्वशी सिंह ने दी। उन्होंने मंगलवार को KGMU के कलाम सेंटर में टीबी की जंग में एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेन्स विषय पर आयोजित कार्यशाला को ऑनलाइन बतौर मुख्य अतिथि संबोधित किया। KGMU देगा ट्रेनिंग डॉ. उर्वशी सिंह ने कहा कि अभी MDR और एक्सडीआर का इलाज 2 साल चलता है। लंबा इलाज होने से मरीज घबरा जाते हैं। बीच में ही दवाएं छोड़ देते हैं। इलाज का अंतराल कम होने से मरीज पूरा इलाज करा सकेंगे। KGMU की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि उत्तर प्रदेश के चिकित्सकों को MDR टीबी की नई दवाओं के उपयोग के लिए KGMU प्रशिक्षण देगा। वहीं, KGMU रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीसेज के सहयोग कार्यशाला में कहा कि टीबी के खात्मे में सबसे बड़ी चुनौती ड्रग रेजिस्टेंस टीबी (MDR और XDR) है। क्योंकि तमाम मरीज बीच में दवाएं छोड़ देते हैं। जिससे मरीज में दवा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। MDR व XDR की नई दवाओं से बीमारी को हराना आसान होगा। कार्यक्रम में जुटे 350 डॉक्टर स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ.शैलेन्द्र भट्नागर ने कहा कि प्रदेश को टीबी मुक्त करने के लिए 911 सीबीनॉट मशीन, 14 टीबी कल्चर लैब और 24 नोडल ड्रग रेजिस्टेन्ट केंद्र की स्थापना की जा चुकी हैं। इससे जल्द से जल्द टीबी की पहचान की जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद तुरंत इलाज शुरू करने में मदद मिल रही है। कार्यक्रम में लगभग 350 डॉक्टर मौजूद रहे। MDR यानी मल्टी ड्रग रजिस्टेंट टीबी को 6 माह में हराने वाली दवाएं अब देश भर में उपलब्ध होंगी। अगले महीने बाजार में आने के बाद MDR टीबी से लड़ाई काफी आसान होगी। ये जानकारी भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की डीडीजी टीबी डॉ. उर्वशी सिंह ने दी। उन्होंने मंगलवार को KGMU के कलाम सेंटर में टीबी की जंग में एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेन्स विषय पर आयोजित कार्यशाला को ऑनलाइन बतौर मुख्य अतिथि संबोधित किया। KGMU देगा ट्रेनिंग डॉ. उर्वशी सिंह ने कहा कि अभी MDR और एक्सडीआर का इलाज 2 साल चलता है। लंबा इलाज होने से मरीज घबरा जाते हैं। बीच में ही दवाएं छोड़ देते हैं। इलाज का अंतराल कम होने से मरीज पूरा इलाज करा सकेंगे। KGMU की कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि उत्तर प्रदेश के चिकित्सकों को MDR टीबी की नई दवाओं के उपयोग के लिए KGMU प्रशिक्षण देगा। वहीं, KGMU रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट टीबी एंड लंग डिजीसेज के सहयोग कार्यशाला में कहा कि टीबी के खात्मे में सबसे बड़ी चुनौती ड्रग रेजिस्टेंस टीबी (MDR और XDR) है। क्योंकि तमाम मरीज बीच में दवाएं छोड़ देते हैं। जिससे मरीज में दवा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। MDR व XDR की नई दवाओं से बीमारी को हराना आसान होगा। कार्यक्रम में जुटे 350 डॉक्टर स्टेट टीबी ऑफिसर डॉ.शैलेन्द्र भट्नागर ने कहा कि प्रदेश को टीबी मुक्त करने के लिए 911 सीबीनॉट मशीन, 14 टीबी कल्चर लैब और 24 नोडल ड्रग रेजिस्टेन्ट केंद्र की स्थापना की जा चुकी हैं। इससे जल्द से जल्द टीबी की पहचान की जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद तुरंत इलाज शुरू करने में मदद मिल रही है। कार्यक्रम में लगभग 350 डॉक्टर मौजूद रहे।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर