यूपी की पहली बायोफायर मशीन SGPGI में लगी:15 दिन में मिलने वाली रिपोर्ट 2 घंटे में मिलेगी, फंगस इंफेक्शन से डॉक्टर भी हैरान

यूपी की पहली बायोफायर मशीन SGPGI में लगी:15 दिन में मिलने वाली रिपोर्ट 2 घंटे में मिलेगी, फंगस इंफेक्शन से डॉक्टर भी हैरान

यूपी का सबसे प्रीमियर चिकित्सा संस्थान, SGPGI के प्रदेश की पहली माइक्रोबायोलॉजी विभाग में 40 लाख की लागत की हाईटेक बायोफायर मशीन आ चुकी है। इसकी बदौलत अब जिन सैंपल की जांच में 10 से 15 दिन का समय लगता था, अब महज 2 घंटे के भीतर रिपोर्ट मिल जाएगी। साथ ही माइक्रोबायोलॉजी की लैब में एक ही बार में सैंपल की जांच से वायरस, फंगस और बैक्टीरिया जैसे अलग-अलग इंफेक्शन की जांच हो सकेगी। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 19वें एपिसोड में SGPGI की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. रुंगमेई एसके मारक से खास बातचीत… डॉ. मारक कहती हैं कि मरीजों के सैंपल में फंगस के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। आम तौर पर बुजुर्गों में फंगस इंफेक्शन की शिकायत ज्यादा मिलती थी पर अब बच्चों में भी इसके इंफेक्शन के मामले बढ़े हैं। इसके अलावा लिवर, किडनी जैसे ऑर्गन के ट्रांसप्लांट करा चुके मरीजों में भी इन इंफेक्शन होने की संभावना अधिक रहती है। यही कारण है कि ऐसे मरीजों को बेहद सतर्क रहना चाहिए। कई रिसर्च में ये साबित हुआ है कि फंगस के कारण जान गंवाने वालों की संख्या मलेरिया जैसे कई अन्य रोगों की तुलना में बेहद ज्यादा है। रोजाना 3 हजार सैंपल जांच की क्षमता विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अवधेश कुमार कहते हैं कि जैसे किसी मरीज के लंग्स में इंफेक्शन हैं, तो बायोफायर मशीन के जरिए एक सिंड्रोमिक अप्रोच से महज 2 घंटे के अंदर ये बता दिया जाएगा कि ये इंफेक्शन बैक्टीरिया से है या वायरस से या फिर किसी पैरासाइट है। इसके जरिए मरीजों के इलाज में बड़ी सहूलियत मिलेगी। मौजूदा समय में माइक्रोबायोलॉजी लैब में रोजाना एक हजार सैंपल की जांच होती है। जबकि रोजाना तीन हजार सैंपल जांच की क्षमता है। डायरेक्ट पोर्टल पर अपलोड होगी रिपोर्ट असिस्टेंट प्रोफेसर निधि तेजल कहती हैं कि आने वाले समय में मशीन के साथ HIS पोर्टल इंटीग्रेशन पर काम हो रहा है। इसके जरिए जांच रिपोर्ट तैयार होते ही ऑटोमैटिक पेशेंट पोर्टल पर रिपोर्ट अपलोड हो जाएगी। उन्होंने बताया कि SGPGI में इस पहल की शुरुआत हो चुकी है, आने वाले दिनों में इसे पूरी तरह से लागू किया जाएगा। यूपी का सबसे प्रीमियर चिकित्सा संस्थान, SGPGI के प्रदेश की पहली माइक्रोबायोलॉजी विभाग में 40 लाख की लागत की हाईटेक बायोफायर मशीन आ चुकी है। इसकी बदौलत अब जिन सैंपल की जांच में 10 से 15 दिन का समय लगता था, अब महज 2 घंटे के भीतर रिपोर्ट मिल जाएगी। साथ ही माइक्रोबायोलॉजी की लैब में एक ही बार में सैंपल की जांच से वायरस, फंगस और बैक्टीरिया जैसे अलग-अलग इंफेक्शन की जांच हो सकेगी। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 19वें एपिसोड में SGPGI की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. रुंगमेई एसके मारक से खास बातचीत… डॉ. मारक कहती हैं कि मरीजों के सैंपल में फंगस के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। आम तौर पर बुजुर्गों में फंगस इंफेक्शन की शिकायत ज्यादा मिलती थी पर अब बच्चों में भी इसके इंफेक्शन के मामले बढ़े हैं। इसके अलावा लिवर, किडनी जैसे ऑर्गन के ट्रांसप्लांट करा चुके मरीजों में भी इन इंफेक्शन होने की संभावना अधिक रहती है। यही कारण है कि ऐसे मरीजों को बेहद सतर्क रहना चाहिए। कई रिसर्च में ये साबित हुआ है कि फंगस के कारण जान गंवाने वालों की संख्या मलेरिया जैसे कई अन्य रोगों की तुलना में बेहद ज्यादा है। रोजाना 3 हजार सैंपल जांच की क्षमता विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अवधेश कुमार कहते हैं कि जैसे किसी मरीज के लंग्स में इंफेक्शन हैं, तो बायोफायर मशीन के जरिए एक सिंड्रोमिक अप्रोच से महज 2 घंटे के अंदर ये बता दिया जाएगा कि ये इंफेक्शन बैक्टीरिया से है या वायरस से या फिर किसी पैरासाइट है। इसके जरिए मरीजों के इलाज में बड़ी सहूलियत मिलेगी। मौजूदा समय में माइक्रोबायोलॉजी लैब में रोजाना एक हजार सैंपल की जांच होती है। जबकि रोजाना तीन हजार सैंपल जांच की क्षमता है। डायरेक्ट पोर्टल पर अपलोड होगी रिपोर्ट असिस्टेंट प्रोफेसर निधि तेजल कहती हैं कि आने वाले समय में मशीन के साथ HIS पोर्टल इंटीग्रेशन पर काम हो रहा है। इसके जरिए जांच रिपोर्ट तैयार होते ही ऑटोमैटिक पेशेंट पोर्टल पर रिपोर्ट अपलोड हो जाएगी। उन्होंने बताया कि SGPGI में इस पहल की शुरुआत हो चुकी है, आने वाले दिनों में इसे पूरी तरह से लागू किया जाएगा।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर