पानीपत के गांव उझा में अपने भाई और पड़ोसी के बीच मध्यस्थता करना एक युवक को महंगा पड़ गया। आरोपी पड़ोसी ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर देर रात घर में घुसकर उसके साथ मारपीट कर उसका अपहरण कर लिया। उसे जबरन कार में डालकर फरार हो गए। इसकी शिकायत उसकी पत्नी ने पुलिस को दी है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी है। चांदनी बाग थाना पुलिस को दी शिकायत में प्रियंका ने बताया कि वह गांव उझा की रहने वाली है। 16 अक्टूबर की शाम करीब 5 से 6 बजे उसके देवर आकाश का सुखबीर से झगड़ा और मारपीट हो गई थी। उसके पति मनोज ने बीच-बचाव किया था। 17 अक्टूबर को उसका पति मनोज तीनों बच्चों के साथ घर के अंदर सो रहा था। घर का दरवाजा बंद था। रात करीब 12 बजे घर की दीवार फांद कर विकास, देवर शैंटी, महेंद्र, कृष्ण, कालिया, अनिल व अन्य कई व्यक्ति घर में घुस गए। सभी के हाथ में गंडासी, रॉड व अन्य हथियार थे। उन्होंने कमरे के दरवाजे को लात मारकर खोला। कमरे के भीतर घुसते ही उन्होंने पति मनोज के साथ मारपीट की। इसके बाद वे जबरदस्ती उसे कार में उठाकर अपहरण कर ले गए। महिला ने अपने पति के साथ किसी भी प्रकार की अनहोनी करने का शक जताया है। पानीपत के गांव उझा में अपने भाई और पड़ोसी के बीच मध्यस्थता करना एक युवक को महंगा पड़ गया। आरोपी पड़ोसी ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर देर रात घर में घुसकर उसके साथ मारपीट कर उसका अपहरण कर लिया। उसे जबरन कार में डालकर फरार हो गए। इसकी शिकायत उसकी पत्नी ने पुलिस को दी है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी है। चांदनी बाग थाना पुलिस को दी शिकायत में प्रियंका ने बताया कि वह गांव उझा की रहने वाली है। 16 अक्टूबर की शाम करीब 5 से 6 बजे उसके देवर आकाश का सुखबीर से झगड़ा और मारपीट हो गई थी। उसके पति मनोज ने बीच-बचाव किया था। 17 अक्टूबर को उसका पति मनोज तीनों बच्चों के साथ घर के अंदर सो रहा था। घर का दरवाजा बंद था। रात करीब 12 बजे घर की दीवार फांद कर विकास, देवर शैंटी, महेंद्र, कृष्ण, कालिया, अनिल व अन्य कई व्यक्ति घर में घुस गए। सभी के हाथ में गंडासी, रॉड व अन्य हथियार थे। उन्होंने कमरे के दरवाजे को लात मारकर खोला। कमरे के भीतर घुसते ही उन्होंने पति मनोज के साथ मारपीट की। इसके बाद वे जबरदस्ती उसे कार में उठाकर अपहरण कर ले गए। महिला ने अपने पति के साथ किसी भी प्रकार की अनहोनी करने का शक जताया है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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सोनीपत में राई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन प्रधान की मौत:रबड़ फैक्ट्री में लगी आग में झुलसे थे; अनेक समाजसेवी संस्थाओं से जुडे थे
सोनीपत में राई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन प्रधान की मौत:रबड़ फैक्ट्री में लगी आग में झुलसे थे; अनेक समाजसेवी संस्थाओं से जुडे थे हरियाणा के सोनीपत में बड़ी दुखदाई घटना सामने आयी है। पांच दिन पहले राई की रबड़ फैक्ट्री में लगी आग में बुरी तरह से झुलसे राई इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश देवगन की रात को मौत हो गई। वे रोटरी क्लब ऑफ सोनीपत मिडटाउन जैसी अनेक समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े हुए थे। उनकी एकाएक हुई मौत से शहरवासी हैरान हैं। इसके साथ ही रबड़ फैक्टरी में हुए हादसे में मरने वालों की संख्या 3 हो गई है। मृतकों में फैक्टरी के मालिक भी शामिल हैं। जानकारी के अनुसार सोनीपत के राई इंडस्ट्रियल क्षेत्र में 28 मई को सांवरिया एक्सपोर्ट कंपनी में आग लग गई थी इसमें तारों पर रबड़ चढ़ाने का काम किया जाता था। आग लगने की सूचना के बाद राई इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश देवगन भी राहत बचाव कार्य के लिए मौके पर पहुंचे थे। इसी दौरान वहां पर केमिकल में ब्लास्ट हुआ। राकेश देवगन भी आग की लपटों में आकर झुलस गए थे। फैक्ट्री में आग के बाद हाहाकार मच गया था। रबड़ प्लांट के अंदर बॉयलर फट गया था। 40 के करीब श्रमिक आग से झुलस गए थे। इनमें फैक्ट्री के मालिक समेत दो की मौत हो गई थी। प्रधान राकेश देवगन को भी इलाज के लिए अस्पताल में दाखिल कराया गया था। बीती रात को देवगन की मौत हो गई। शनिवार सुबह जैसे ही राकेश देवगन की मौत की सूचना शहरवासियों को लगी तो वे स्तब्ध रह गए।
हरियाणा कांग्रेस विधायक दल का नेता कौन, फैसला आज:हुड्डा को हटाने पर अड़ा सैलजा गुट; 3 ऑब्जर्वर मुहर लगाएंगे, 2 नाम आगे चल रहे
हरियाणा कांग्रेस विधायक दल का नेता कौन, फैसला आज:हुड्डा को हटाने पर अड़ा सैलजा गुट; 3 ऑब्जर्वर मुहर लगाएंगे, 2 नाम आगे चल रहे हरियाणा कांग्रेस को आज विधायक दल का नेता मिल जाएगा। पार्टी ने इसे लेकर चंडीगढ़ में मीटिंग बुलाई है। इस मीटिंग में हाईकमान की ओर से भेजे गए 3 ऑब्जर्वर और पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ पार्टी के सभी विधायक भी मौजूद रहेंगे। इसमें ही विधायक दल के नेता के नाम पर मुहर लगेगी। इससे पहले हुड्डा ने दिल्ली में बुधवार को अपने समर्थक विधायकों की मीटिंग बुलाई थी। इस मीटिंग में करीब 31 नेता पहुंचे थे। सियासी गलियारों में इस मीटिंग को नेता विपक्ष के चुनाव से पहले पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शक्ति प्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, मीटिंग के बाद भूपेंद्र हुड्डा ने सफाई दी थी कि विधायक एक-दूसरे से मिलना चाहते थे। यह अनौपचारिक मुलाकात थी। इसमें अच्छी चर्चा हुई। सभी ने कहा कि हम हरियाणा और पार्टी के लिए लड़ेंगे। मीटिंग में आएंगे ये 3 ऑब्जर्वर
कांग्रेस हाईकमान की ओर से बुलाई गई मीटिंग में ऑब्जर्वर के तौर पर 3 वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे। इनमें राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन और पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा शामिल हैं। ये ऑब्जर्वर मीटिंग में विधायकों से वन टू वन राय शुमारी कर नेता प्रतिपक्ष के नाम का ऐलान करेंगे। ऑब्जर्वर्स को भेजने की वजह कांग्रेस की गुटबाजी को बताया जा रहा है। इस मीटिंग में हुड्डा और सैलजा दोनों के समर्थक विधायक शामिल होंगे। उनकी आपस में नाराजगी को दूर करने का भी कोई समाधान ऑब्जर्वर्स कर सकते हैं। नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए चर्चा में 2 नाम… नेता प्रतिपक्ष के लिए हुड्डा और सैलजा गुट से एक-एक नाम की चर्चा है। चूंकि, सैलजा गुट की कोशिश है कि भूपेंद्र हुड्डा से नेता प्रतिपक्ष का पद लिया जाए, इसलिए इन्हीं दोनों में से किसी एक को यह पद मिल सकता है। इनमें अशोक अरोड़ा और चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम शामिल है। 1- अशोक अरोड़ा
अशोक अरोड़ा ने इस बार थानेसर विधानसभा सीट से जीत दर्ज की है। उन्होंने सैनी सरकार में स्थानीय निकाय मंत्री रहे सुभाष सुधा को 3243 वोट से हराया। अशोक अरोड़ा हरियाणा में कैबिनेट मंत्री के अलावा विधानसभा स्पीकर भी रह चुके हैं। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस इस बार गैर-जाट कार्ड खेलते हुए अशोक अरोड़ा पर दांव लगा सकती है। पंजाबी समुदाय से आने वाले अशोक अरोड़ा लंबे समय तक इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) में रहे। वह 14 साल तक INLD के प्रदेशाध्यक्ष रहे और 2019 के चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे। अरोड़ा की पंजाबी बिरादरी में अच्छी पकड़ है। 2- चंद्रमोहन बिश्नोई
चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम आगे करने से कांग्रेस को सबसे बड़ा फायदा गैर जाट तबके में मिल सकता है। वह हरियाणा के डिप्टी CM रह चुके हैं। उनके पिता चौधरी भजनलाल प्रदेश के CM रह चुके हैं। भजनलाल की OBC और पंजाबी वोटरों पर अच्छी पकड़ थी, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। चंद्रमोहन का नाम आगे बढ़ाकर पार्टी गैर-जाट वोटर्स को भी अपने पाले में करने की कोशिश कर सकती है। इस बार कांग्रेस को गैर-जाट वोट कम मिले, जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिला। इसके अलावा चंद्रमोहन की गिनती सैलजा के करीबी नेताओं में होती है। चंद्रमोहन को लेकर फिलहाल सैलजा कुछ नहीं बोल रहीं, लेकिन पार्टी की हार के बाद हाईकमान उनकी पसंद को तवज्जो दे सकती है। हार से कांग्रेस में घमासान, हुड्डा-उदयभान पर इस्तीफे का दबाव
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार से पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। हुड्डा और सैलजा समर्थक लगातार एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया राहुल गांधी से इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं। इससे उदयभान पर प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने और भूपेंद्र हुड्डा पर नेता प्रतिपक्ष के पद पर दावा न जताने का दबाव बढ़ गया है। हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भी सैलजा और हुड्डा गुट से 2 नामों की चर्चा है। उदयभान के पद छोड़ने के बाद कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है। वह पहले भी यह पदभार संभाल चुकी हैं। वहीं, प्रदेशाध्यक्ष के लिए हुड्डा गुट से झज्जर की विधायक गीता भुक्कल के नाम की भी चर्चा है। हुड्डा और सैलजा खेमे के क्या आरोप… हुड्डा खेमे की चुनाव आयोग से EVM में गड़बड़ी की शिकायत
भूपेंद्र हुड्डा समर्थक हरियाणा में हुई हार का ठीकरा EVM पर फोड़ रहे हैं। उनका दावा है कि प्रदेश में 20 सीटों की वोटिंग और मतगणना में गड़बड़ी हुई है। प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान ने तो EVM हैक करने के भी आरोप लगाए। कांग्रेस ने चुनाव आयोग को 7 सीटों की लिखित शिकायत सौंपी थी। इसमें कांग्रेस ने कहा था कि जिन EVM में ज्यादा वोट पड़े, वह फिर भी 90% चार्ज थी। इससे BJP को बढ़त मिली। हालांकि, जो EVM 40-50% चार्ज थी, उसमें वोट भी कम थे। उनमें कांग्रेस को लीड मिली। उन्होंने इसमें गड़बड़ी का शक जताया। कांग्रेस ने इन EVM को सील कर VVPAT की पर्ची से मिलान करने की मांग रखी थी। हालांकि, कांग्रेस के आरोपों का भारतीय चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त जवाब दे चुके हैं। उन्होंने कहा है कि EVM की वोटिंग और नतीजे पूरी तरह सही हैं। उनमें गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है। सैलजा समर्थक बोले- हमें हराया गया
उधर, करनाल के असंध से शमशेर गोगी, कुरुक्षेत्र के जिला अध्यक्ष मधुसूदन बवेजा और अंबाला कैंट से कांग्रेस उम्मीदवार रहे परविंदर परी ने हुड्डा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। नेताओं का कहना है कि वे हारे नहीं हैं, उन्हें हराया गया है। गोगी ने कहा कि सैलजा के अपमान के कारण दलितों ने हमें वोट भी नहीं दिया। एक बिरादरी की सरकार नहीं बनती। सबको साथ लेकर चलना पड़ता है। सैलजा ने कहा- संगठन नहीं बनाने से हारे
सिरसा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने कहा था कि चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी और उम्मीदवारों को संगठन की कमी खली है। संगठन से ही कार्यकर्ताओं को मान-सम्मान मिलता है और संगठन होना चाहिए था। उन्हें खुद भी संगठन न होने का मलाल है। राहुल गांधी ने हरियाणा के नेताओं पर ठीकरा फोड़ा
इससे पहले 10 अक्टूबर को दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर समीक्षा मीटिंग हुई। उसमें राहुल गांधी ने हार को लेकर कहा कि हमारी पार्टी के नेताओं के इंटरेस्ट पार्टी से ऊपर हो गए। इसी वजह से हार हुई। कैप्टन अजय यादव ने पार्टी छोड़ी
इधर, पार्टी के अंदर चल रहे घमासान के बीच पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव ने भी पार्टी छोड़ दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर कहा कि सोनिया गांधी के पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद से उनके साथ हाईकमान ने अच्छा व्यवहार नहीं किया। इसलिए, उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया। कैप्टन यादव लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज थ। हालांकि, पार्टी ने उनके बेटे चिरंजीव को रेवाड़ी से टिकट दिया था, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। बता दें कि कैप्टन अजय यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के समधी हैं।
हरियाणा के पूर्व CM हुड्डा को बागियों से आस:2019 में टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस का साथ छोड़ गए थे, अब फिर सक्रिय
हरियाणा के पूर्व CM हुड्डा को बागियों से आस:2019 में टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस का साथ छोड़ गए थे, अब फिर सक्रिय हरियाणा कांग्रेस के पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए बागियों से आस हैं। कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने के कारण पार्टी उम्मीदवार के सामने ही चुनाव लड़ने वाले और दूसरी पार्टियों में शामिल नेता एक बार फिर कांग्रेस में एंट्री कर सक्रिय हो गए हैं। यह नेता इन दिनों कांग्रेस के पूर्व CM हुड्डा के साथ नजर आ रहे हैं। हुड्डा भी इनको पूरा भाव दे रहे हैं और मंच से लेकर प्रेस कान्फ्रेंस तक यह नेता भूपेंद्र हुड्डा के साथ नजर आ रहे हैं।
हिसार में रविवार को नलवा हलके में हुए प्रदेश स्तरीय गुरु दक्ष प्रजापति सम्मेलन में हुड्डा को ऐसे ही नेता घेरे रहे। इसमें नलवा से पूर्व विधायक प्रो. संपत सिंह, बरवाला के पूर्व विधायक राम निवास घोड़ेला, नारनौंद से पूर्व विधायक प्रो. रामभगत शर्मा, सांसद जयप्रकाश जेपी और पूर्व विधायक कुलबीर बैनीवाल शामिल हैं। यह नेता एक बार फिर अपने-अपने विधानसभा से टिकट पाने की जुगत में हैं। ऐसे में पार्टी के लिए ग्राउंड स्तर पर मेहनत कर रहे वर्करों को निराशा हाथ लग रही है। 2019 में कांग्रेस में मची थी भगदड़
बता दें कि विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने से कई नेता पार्टी का साथ छोड़ गए थे। हरियाणा में कांग्रेस 90 विधानसभा सीटों में से महज 30 सीटें ही जीत पाई थी। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने के कारण नेता बागी हो गए थे और निर्दलीय की कांग्रेस उम्मीदवार के सामने खड़े हो गए थे। इसके अलावा कुछ नेता भाजपा में शामिल हो गए मगर वहां भी टिकट नहीं मिल पाया। मगर 2024 का चुनाव आते-आते यह नेता एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। इसमें अंबाला के निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा शामिल हैं। गुटबाजी कांग्रेस को ले डूबी थी
कांग्रेस को इसी गुटबाजी की वजह से 2019 के चुनावों में हार मिली थी। ये बात खुद भूपेंद्र वहुड्डा ने स्वीकार की थी। हुड्डा ने कहा था 2019 में ही कांग्रेस की सरकार बनना तय था लेकिन हमारे स्तर पर ही गलती हुई, जिसका नुकसान उठाना पड़ा। 2019 में 90 विधानसभा में से 40 टिकट हुड्डा विरोधी खेमों को मिली थी। वहीं 50 टिकट हुड्डा खेमे को दी गई थी। नतीजा यह हुआ है कि कांग्रेस 30 सीटों पर ही सिमट गई। इसके बाद हुड्डा ने कहा था कि अगर टिकट वितरण सही होता तो कांग्रेस की सरकार राज्य में बनी होती। इन नेताओं को फिर से टिकट की आस
1. पूर्व वित्त मंत्री प्रो. संपत सिंह : 6 बार विधायक रहे संपत सिंह नलवा से टिकट नहीं मिलने के कारण बागी होकर भाजपा में शामिल हो गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना पुराना दोस्त बताया था। नतीजा यह हुआ कांग्रेस को नलवा सीट से हाथ धोना पड़ा।
2. पूर्व विधायक राम निवास घोड़ेला : बरवाला से कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे। 2019 में टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय की बरवाला से चुनाव लड़ा और कांग्रेस उम्मीदवार से ज्यादा वोट हासिल किए।
3. पूर्व विधायक रामभगत शर्मा : नारनौल से पूर्व विधायक रहे रामभगत शर्मा नारनौंद से चुनाव लड़ना चाहते थे। भाजपा में शामिल हो गए थे मगर टिकट कैप्टन अभिमन्यु को मिला। नारनौंद से कैप्टन के हारने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए।
4.पूर्व विधायक कुलबीर बेनीवाल : कांग्रेस की टिकट पर पहली बार निर्वाचन क्षेत्र भट्टू से विधायक बने थे मगर बाद में बाद कांग्रेस से बगावत कर इनेलो में शामिल हो गए। अब 2022 में कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए।
5. सांसद जयप्रकाश जेपी : हिसार से मौजूदा सांसद जयप्रकाश जेपी कांग्रेस से बगावत कर चुके हैं। 2019 में कलायत से टिकट कटा तो निर्दलीय ही मैदान में आ गए। कांग्रेस कलायत सीट हार गई और भाजपा जीत गई। इसके बाद दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए और सांसद बन गए।
6. पूर्व विधायक निर्मल सिंह : अंबाला से कांग्रेस के नेता निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ चुके हैं। इनकी बेटी अंबाला कैंट से कांग्रेस प्रत्याशी के सामने निर्दलीय चुनाव लड़ चुकी हैं। कांग्रेस से ज्यादा वोट लिए और कांग्रेस अंबाला कैंट सीट हार गई।