फरीदकोट में हुए गुरप्रीत सिंह हत्याकांड मामले को पुलिस ने सुलझाने का दावा किया है। इस मामले में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस जांच में खडूर साहिब के खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल सिंह की भूमिका सामने आई है। यह खुलासा पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव ने आज शुक्रवार को चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया। उन्होंने बताया कि इस मामले का मास्टरमाइंड आतंकी अर्शदीप सिंह डल्ला है। डीजीपी ने कहा कि सारी जांच तथ्यों के आधार पर की जा रही है। अमृतपाल सिंह इस समय डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। डीजीपी ने बताया कि इस हत्या के लिए कई ग्रुप बनाए गए थे। सभी ग्रुप को अलग-अलग काम सौंपे गए थे। डीजीपी ने बताया कि मृतक गुरप्रीत भी वारिस पंजाब संस्था से जुड़ा हुआ था। वह संस्था के फाउंडर मेंबरों से एक था। जब दीप सिद्धू इस संस्था को चला रहे थे तो वह कैशियर की भूमिका निभा रहा था। हालांकि जब अमृतपाल को संस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई थी तो दोनों में मतभेद सामने आए थे। वहीं गुरप्रीत की हत्या में अमृतपाल की भूमिका सामने आई है। उन्होंने बताया कि सारी जांच तथ्यों के आधार की जा रही है। जरूरत पड़ी तो अमृपाल से पूछताछ की जा सकती है। क्योंकि हमारे पास कई अहम तथ्य सामने आए हैं। 9 अक्टूबर को हुई थी हत्या गुरप्रीत की हत्या 9 अक्टूबर को हुई थी। उस समय गुरप्रीत सिंह अपने समर्थक सरपंच पद के प्रत्याशी के हक में प्रचार कर घर वापस लौट रहा था, तभी सामने बाइक सवार आए हत्यारों ने गोलियां चलाकर गुरप्रीत सिंह को गंभीर रूप से घायल कर दिया। इस गोलीबारी में चार गोलियां गुरप्रीत सिंह को लगी, गोली मारने के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए। गंभीर रूप से घायल अवस्था में गुरप्रीत सिंह को उपचार के लिए स्थानीय गुरु गोविंद सिंह मेडिकल कॉलेज में लाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस मामले में एक एसआईटी बनाई गई थी। आरोपियों ने रेकी कर दिया वारदात को अंजाम गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान बिलाल अहमद उर्फ फौजी, गुरदीप सिंह उर्फ पोंटू और अर्शदीप सिंह उर्फ झंडू के रूप में हुई है। गिरफ्तार किए गए तीनों व्यक्ति रेकी करने वाले ग्रुप में शामिल थे, जिसका संचालन कनाडा आधारित कर्मवीर सिंह उर्फ गोरा द्वारा किया जा रहा था। रेकी करने वाले ग्रुप ने अपने संचालकों और विभिन्न ग्रुप के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी शूटर वाले ग्रुप को दी। डीजीपी ने कहा कि शूटर ग्रुप के सदस्यों की पहचान कर ली गई है और पुलिस टीमें उन्हें पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही हैं। 125 किलोमीटर की सीसीटीवी फुटेज से मिला लिंक डीजीपी के मुताबिक जांच के दौरान कई तथ्य अमृतपाल सिंह की भूमिका को दर्शाते हैं। जांच के दौरान दर्ज किए गए कुछ बयानों के अनुसार यह हत्या अमृतपाल सिंह के इशारे पर की गई थी। वारदात वाली जगह पर लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई और हमलावरों के आने-जाने के रास्ते का पता लगाने के लिए सीसीटीवी देखी गई। फरीदकोट जिला पुलिस ने बारीकी से जांच करते हुए 125 किलोमीटर के घेरे में सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया, जिससे पुलिस को संदिग्ध व्यक्तियों की गतिविधियों का पता लगाने और लीड विकसित करने में मदद मिली। मोबाइल टावर के माध्यम से रिकॉर्ड प्राप्त किया गया और इसकी व्यापक डेटा विश्लेषण साधनों के माध्यम से जांच की गई। विदेशों में रहने वाले व्यक्तियों के साथ संपर्क स्थापित किया गया। फरीदकोट में हुए गुरप्रीत सिंह हत्याकांड मामले को पुलिस ने सुलझाने का दावा किया है। इस मामले में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस जांच में खडूर साहिब के खालिस्तान समर्थक सांसद अमृतपाल सिंह की भूमिका सामने आई है। यह खुलासा पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव ने आज शुक्रवार को चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया। उन्होंने बताया कि इस मामले का मास्टरमाइंड आतंकी अर्शदीप सिंह डल्ला है। डीजीपी ने कहा कि सारी जांच तथ्यों के आधार पर की जा रही है। अमृतपाल सिंह इस समय डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। डीजीपी ने बताया कि इस हत्या के लिए कई ग्रुप बनाए गए थे। सभी ग्रुप को अलग-अलग काम सौंपे गए थे। डीजीपी ने बताया कि मृतक गुरप्रीत भी वारिस पंजाब संस्था से जुड़ा हुआ था। वह संस्था के फाउंडर मेंबरों से एक था। जब दीप सिद्धू इस संस्था को चला रहे थे तो वह कैशियर की भूमिका निभा रहा था। हालांकि जब अमृतपाल को संस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई थी तो दोनों में मतभेद सामने आए थे। वहीं गुरप्रीत की हत्या में अमृतपाल की भूमिका सामने आई है। उन्होंने बताया कि सारी जांच तथ्यों के आधार की जा रही है। जरूरत पड़ी तो अमृपाल से पूछताछ की जा सकती है। क्योंकि हमारे पास कई अहम तथ्य सामने आए हैं। 9 अक्टूबर को हुई थी हत्या गुरप्रीत की हत्या 9 अक्टूबर को हुई थी। उस समय गुरप्रीत सिंह अपने समर्थक सरपंच पद के प्रत्याशी के हक में प्रचार कर घर वापस लौट रहा था, तभी सामने बाइक सवार आए हत्यारों ने गोलियां चलाकर गुरप्रीत सिंह को गंभीर रूप से घायल कर दिया। इस गोलीबारी में चार गोलियां गुरप्रीत सिंह को लगी, गोली मारने के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए। गंभीर रूप से घायल अवस्था में गुरप्रीत सिंह को उपचार के लिए स्थानीय गुरु गोविंद सिंह मेडिकल कॉलेज में लाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस मामले में एक एसआईटी बनाई गई थी। आरोपियों ने रेकी कर दिया वारदात को अंजाम गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान बिलाल अहमद उर्फ फौजी, गुरदीप सिंह उर्फ पोंटू और अर्शदीप सिंह उर्फ झंडू के रूप में हुई है। गिरफ्तार किए गए तीनों व्यक्ति रेकी करने वाले ग्रुप में शामिल थे, जिसका संचालन कनाडा आधारित कर्मवीर सिंह उर्फ गोरा द्वारा किया जा रहा था। रेकी करने वाले ग्रुप ने अपने संचालकों और विभिन्न ग्रुप के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी शूटर वाले ग्रुप को दी। डीजीपी ने कहा कि शूटर ग्रुप के सदस्यों की पहचान कर ली गई है और पुलिस टीमें उन्हें पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही हैं। 125 किलोमीटर की सीसीटीवी फुटेज से मिला लिंक डीजीपी के मुताबिक जांच के दौरान कई तथ्य अमृतपाल सिंह की भूमिका को दर्शाते हैं। जांच के दौरान दर्ज किए गए कुछ बयानों के अनुसार यह हत्या अमृतपाल सिंह के इशारे पर की गई थी। वारदात वाली जगह पर लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई और हमलावरों के आने-जाने के रास्ते का पता लगाने के लिए सीसीटीवी देखी गई। फरीदकोट जिला पुलिस ने बारीकी से जांच करते हुए 125 किलोमीटर के घेरे में सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया, जिससे पुलिस को संदिग्ध व्यक्तियों की गतिविधियों का पता लगाने और लीड विकसित करने में मदद मिली। मोबाइल टावर के माध्यम से रिकॉर्ड प्राप्त किया गया और इसकी व्यापक डेटा विश्लेषण साधनों के माध्यम से जांच की गई। विदेशों में रहने वाले व्यक्तियों के साथ संपर्क स्थापित किया गया। पंजाब | दैनिक भास्कर
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