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इंसानियत की मिसाल इमाम हुसैन की याद में आरा में निकला मातमी जुलूस, जानें क्यों मनाते हैं मुहरर्म?
इंसानियत की मिसाल इमाम हुसैन की याद में आरा में निकला मातमी जुलूस, जानें क्यों मनाते हैं मुहरर्म? <p style=”text-align: justify;”><strong>Mourning Procession Taken Out In Arrah:</strong> पूरे बिहार में इन दिनों हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन की याद मानाए जाने वाले दस दिनों के मुहर्रम का दौर चल रहा है. इमामबाड़े में मजलिसों (प्रवचन) और चौक चौराहों पर मातमी जुलूस निकाले जा रहे हैं. इन दिनों मुसलमान शोक में डूबे होते हैं. इमाम की याद में बिहार के आरा में भी सातवीं मुहर्रम को मातमी जुलूस निकाला गया, जिसमें छोटे-छेटे बच्चे भी शामिल होकर इमाम का मातम करते नजर आए. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>200 सालों से आरा में निकल रहा मतमी जुलूस</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार के आरा में 200 वर्षो से कर्बला के शहीदों की याद में मातमी जुलुस निकला जा रहा है. इसमें कर्बला मे हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों की शहादत को याद करके नौहा पढ़ा जाता है और मातम किया जाता है. शिया समुदाय के लोग विशेषकर काला वस्त्र पहनकर इस शोकपूर्ण घटना की याद में नौहा (शोकगीत) पढ़ते हुए जुलूस निकालते हैं और मातम कते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>इस जुलूस में सभी समुदाय के लोग इस शोकपूर्ण घटना की याद में शामिल रहते हुए अपना भरपूर सहयोग करते हैं. शहीदों के नाम का मातमी जुलूस हर साल आरा के महादेवा महाजन टोली नंबर 1 के डिप्टी शेर अली के इमामबाड़ाे से निकाला जाता है, जो महादेवा रोड, धर्मन चौक, गोपाली चौक, शीश महल चौक, बिचली रोड होते हुए वापस धर्मन चौक, महादेवा रोड के डिप्टी शेर अली के इमामबाड़ा में जाकर समाप्त होता है. खास बात ये है कि ये पूरा जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से शोक में डूबा हुआ इंसानियत के पैगाम को सुनाता हुआ निकलता है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>जुलूस में शामिल आरा एलआईसी के डीओ सैयद रेयाज हुसैन ने बताया कि इमाम हुसैन की पूरी जिंदगी और कर्बला की जंग इंसानियत और मानवता को कायम रखने की एक बहुत बड़ी मिसाल पेश करती है. जिसका जिक्र महात्मा गांधी से लेकर सरोजनी नायडू, डा. राजेंद्र प्रसाद और नेल्सन मंडेला ने अपने कई बयानों में किया है.</p>
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<p style=”text-align: justify;”>वहीं शांति निकेतन विश्वविद्यालय से आए इतिहास विभाग के एचओडी सैयद एजाज हुसैन ने कहा कि इमाम हुसैन का संदेश और उनकी बताए रास्ते पर चल कर ही दुनिया में शांति और भाइचारा कायम हो सकता है. इमाम हुसैन को मानने वालों में सिर्फ मुसलान ही नहीं हैं, बल्कि उनके चाहने वाले हिंदू भाइयों से लेकर इसाई और यहूदी तक शामिल हैं. पूरी दुनिया में जहां जाइये वहां इमाम हुसैन की याद में शोक मनाते लोग नजर आ जाएंगे. कर्बला की जंग में इमाम हुसैन का साथ देने के लिए भारत से भी कुछ हिंदू भाई गए थे, जो आज भी इराक और इरान में बसे हुए हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम केवल इस्लाम धर्म के एक महीने का नाम नहीं है, बल्कि यह एक बड़ी एतिहासिक दुखद घटना का नाम है, जो इस्लामिक कैलेंडर अनुसार इस साल 7 जुलाई 2024 से शुरू हुआ, वहीं 17 जुलाई को दसवीं तारीख है, जिसे आशूरा कहते है. इस्लाम धर्म के लोग इसे त्योहार के रूप में नहीं बल्कि एक यादगार के रूप में मनाते हैं, जो शोक में डूबा हुआ होता है. हालांकि मुसलिमों के अलग-अलग समुदाय में इसे मनाने के तरीके अगल-अलग हैं, लेकिन इमाम हुसैन की सच्चाई, इंसानियत और इस्लाम के लिए उनके योगदान को सभी मुसलमान दिलो जान से मानते हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यजीद ने इमाम हुसैन को कत्ल क्यों किया?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>अरब के इतिहास में दर्ज ये एक ऐसी जंग है, जिसमें 80 साल के बुजुर्ग इमाम हुसैन से लेकर 6 महीने तक के उनके मासूम बेटे को भी तीर मारकर शहीद कर दिया गया था. इंसानियत और सत्य की लड़ाई में हजरत इमाम हुसैन ने अपने 71 साथियों के साथ कर्बला के मैदान में तीन रोज तक बिना पानी ओर खाने के भूखे रखकर जंग लड़ी थी. यहां तक की छोटे-छोटे बच्चों पर भी पानी बंद कर दिया गया था. उस समय के शाम (अरब का एक देश) के बादशाह यजीद ने अपने साम्राज्य को कायम रखने के लिए मनावता पर बर्बरीयत की सारी हदें पार कर दी थीं. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ेंः <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/bihar-rjd-mp-manoj-jha-on-assembly-by-election-results-2024-in-seven-state-attack-on-pm-modi-2737156″>Bihar News: ‘लोकसभा की तरह विधानसभा में भी जीत का अंतर बहुत कम, लेकिन पीएम मोदी…’, उपचुनाव में BJP को दो सीटें मिलने पर मनोज झा का तंज</a></strong></p>
Hathras Stampede: हाथरस आपदा में अवसर तलाश रही हैं मायावती? छेड़ दी नई बहस, बचते दिखे सभी दल
Hathras Stampede: हाथरस आपदा में अवसर तलाश रही हैं मायावती? छेड़ दी नई बहस, बचते दिखे सभी दल <p style=”text-align: justify;”><strong>Hathras Stampede:</strong> ऐसा लगता है कि अपनी सियासी जमीन खो चुकीं मायावती को हाथरस जैसी आपदा में बड़ा अवसर दिख रहा है. तभी तो जो बात मुख्यमंत्री <a title=”योगी आदित्यनाथ” href=”https://www.abplive.com/topic/yogi-adityanath” data-type=”interlinkingkeywords”>योगी आदित्यनाथ</a> नहीं बोल सके, जो बात सपा मुखिया अखिलेश यादव नहीं कह सके, हाथरस जाकर भी जिस बात को कहने से खुद राहुल गांधी बचते रहे, उस बात को खुलेआम मायावती ने अपने सोशल मीडिया के जरिए कह दिया है. इसने एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या मुख्य धारा की जो तमाम पार्टियां बाबा भोले को बचाने में लगीं हैं, उनसे इतर मायावती की नजर उस बाबा भोले के वोट बैंक पर है, जिसकी गिरफ्तारी से मायावती को सियासी फायदा हो सकता है. आखिर क्या हैं मायावती के बयान के मायने और आखिर क्यों मीडिया के सामने बयान दे रहा बाबा भोले पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ पा रहा है?</p>
<p style=”text-align: justify;”>कहने को तो यूपी पुलिस कह रही है कि उसे बाबा भोले की तलाश है. लेकिन शायद पुलिस की कथनी और करनी में अंतर है. तभी तो बाबा के वकील कह रहे हैं कि बाबा कहीं फरार नहीं हैं और बाबा वही कर रहे हैं जो यूपी की पुलिस कह रही है. वहीं बाबा भोले को मीडिया ने तलाश लिया है और उनका बयान भी ले लिया है. लेकिन बाबा पुलिस को नहीं मिल रहे हैं और यही वजह है कि मायावती ने इस पूरे हादसे को अपनी सियासत की जमीन मजबूत करने की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>बीएसपी मुखिया मायावती ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है, ”देश में गरीबों, दलितों और पीड़ितों आदि को अपनी गरीबी, अन्य सभी दुःखों को दूर करने के लिए हाथरस के भोले बाबा जैसे अनेकों और बाबाओं के अन्धविश्वास व पाखण्डवाद के बहकावे में आकर अपने दुःख व पीड़ा को और नहीं बढ़ाना चाहिए. बल्कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के बताए हुए रास्तों पर चलकर इन्हें सत्ता खुद अपने हाथों में लेकर अपनी तकदीर खुद बदलनी होगी अर्थात् इन्हें अपनी पार्टी बीएसपी से ही जुड़ना होगा, तभी ये लोग हाथरस जैसे काण्डों से बच सकते हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong><a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/up-by-election-2024-nda-vs-india-alliance-fight-on-10-assembly-seat-2732567″>UP By-election 2024: यूपी उपचुनाव में दिखेगी नई सियासी जंग! INDIA और NDA के बाहर ये हैं नए विकल्प?</a><br /></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>सबसे एक कदम आगे बढ़ती नजर आईं बीएसपी चीफ</strong><br />मायावती ने अपनी बात यहीं खत्म नहीं की है. बल्कि उन्होंने सीएम योगी, अखिलेश यादव और राहुल गांधी से एक कदम आगे बढ़कर बाबा भोले के खिलाफ ऐक्शन लेने की भी बात कही है. उन्होंने लिखा है- ”हाथरस काण्ड में बाबा भोले सहित अन्य जो भी दोषी हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. ऐसे अन्य और बाबाओं के विरुद्ध भी कार्रवाई होनी जरूरी है. इस मामले में सरकार को अपने राजनैतिक स्वार्थ में ढ़ीला नहीं पड़ना चाहिए ताकि आगे लोगों को अपनी जान ना गवांनी पडे़.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>एक के बाद एक तीन पोस्ट में मायावती का मैसेज साफ है कि बाबा भोले की गिरफ्तारी होनी चाहिए और सरकार को इस बाबा भोले के पास के वोट बैंक की चिंता नहीं करनी चाहिए. लेकिन ये गरीब, दलित, वंचित लोग जाएंगे कहां, उन्हें अपने दुखों को काटने के लिए कोई तो सहारा चाहिए ही होगा. मायावती ने खुद को उस सहारे के तौर पर पेश करने की कोशिश की है, जिसमें उन्होंने इन सभी लोगों को बाबा साहेब डाक्टर भीम राव अंबेडकर के नाम पर खुद से जोड़ने की बात कह दी है. बाकी मायावती भोले बाबा के खिलाफ खुलकर बैटिंग इसलिए कर पा रही हैं, क्योंकि उनके पास अब फिलहाल खोने के लिए कुछ नहीं है. उनके पास न वोट है और न ही वोट जुटाने की मशीन. लिहाजा बाबा के चमत्कार में फंसे कुछ लोग भी मायावती और उनकी पार्टी में अपना आसरा तलाश कर लें, तो ये मायावती के लिए विन-विन सिचुएशन ही होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>अब अपने वोट बैंक की चिंता कर रहीं मायावती</strong><br />बाकी तो मायावती का तमिलनाडु दौरा भी इस बात का संकेत है कि मायावती एक बार फिर से राजनीतिक तौर पर सक्रिय होती दिख रही हैं. तमिलनाडु में बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे के आर्मस्ट्रांग की हत्या और उसके बाद मायावती का उनके घर पहुंचना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि मायावती को अब भी अपने वोट बैंक की चिंता है और यूपी में जिस तरह से दलितों ने मायावती से मुंह मोड़ा है, उससे मायावती को धक्का तो लगा है. तमिलनाडु से लौटकर मायावती का बाबा भोले के खिलाफ मुखर होना उस वोट बैंक को अपने पाले में करने की कवायद ही है, जिसका झंडाबरदार वो बाबा बना हुआ है और जिसके वोट बैंक के डर से कोई भी सियासी दल मुंह खोलने को तैयार नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बाकी तो बाबा का खास आदमी पकड़ा भी गया है. वही देव प्रकाश मधुकर, जिसे यूपी की पुलिस हाथरस कांड का मुख्य गुनहगार मान रही है. लेकिन बाबा के वकील भी तो एपी सिंह हैं तो वो अपनी नई थ्योरी लेकर आ गए हैं. जहरीले स्प्रे वाली थ्योरी, ताकि बाबा बच जाए. उन्होंने कहा, ‘भीड़ के बीच कुछ लोगों के हाथ में बोतले थी जो पानी की बोतल जैसी दिख रही थी. लेकिन उसमें जहरीली गैस भरी थी, जिसकी वजह से ये हादसा हुआ.'</p>
<p style=”text-align: justify;”>बाबा के वकील ने दावा किया, ‘हमारे पर ऐसे गवाह है जिन्होंने ये बोतलें देखी थी. गवाह ने बताया कि उसके परिजन भी वहां मौजूद थी. उन्होंने समझा कि ये पानी की बोतल है लेकिन उससे कुछ निकल रहा था. तीन लोगों ने इस बारे में बताया है. इसका असर इतना जहरीला था कि महिलाओं ने एक बार सांस गई तो दूसरी सांस नहीं ले पाई और गिर गई.'</p>
<p style=”text-align: justify;”>लेकिन यूपी पुलिस का जो रवैया है, उसमें एपी सिंह को खुद से किसी नई थ्योरी की जरूरत शायद नहीं पड़ेगी, क्योंकि जब पुलिस ही बाबा को गिरफ्तार नहीं करना चाहती है तो फिर एपी सिंह को आखिर बचाने की जरूरत ही क्या है?</p>
तलाक के बाद भी बच्चों पर मां का अधिकार:पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश, कहा- लिव-इन रिलेशनशिप का कोई प्रभाव नहीं
तलाक के बाद भी बच्चों पर मां का अधिकार:पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश, कहा- लिव-इन रिलेशनशिप का कोई प्रभाव नहीं पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि तलाक के बाद किसी अन्य व्यक्ति के साथ रिश्ते में आने से मां का अपने नाबालिग बच्चों पर अधिकार समाप्त नहीं होता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मां और बच्चे के बीच का प्राकृतिक संबंध अटूट है, जिसे वैवाहिक संबंध टूटने के बावजूद खत्म नहीं किया जा सकता। इस फैसले के तहत एक महिला को तलाक के 8 साल बाद अपने बच्चों की कस्टडी सौंपने का आदेश दिया गया, भले ही वह लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही थी। क्या है पूरा मामला यह मामला 2009 में हुई एक शादी से जुड़ा है। जिसमें 2010 और 2013 में दंपती दो बच्चों के माता-पिता बने। लेकिन आपसी विवादों के चलते पति ने पत्नी पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया, जिसके बाद 2016 में दोनों ने तलाक ले लिया। तलाक के बाद बच्चों की कस्टडी को लेकर विवाद खड़ा हो गया और कुरुक्षेत्र (हरियाणा) की पारिवारिक अदालत ने बच्चों की कस्टडी पिता को सौंप दी, जबकि महिला को प्रति माह बच्चों से मिलने की अनुमति दी गई। महिला की याचिका और हाईकोर्ट का फैसला महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बच्चों की कस्टडी की मांग की, जिसमें उसने तर्क दिया कि भले ही वह लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है, लेकिन इससे उसके मातृत्व का अधिकार प्रभावित नहीं होता। उसने यह भी आरोप लगाया कि बच्चे अपने दादा-दादी के साथ रह रहे हैं, जहां उनके साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा है। दूसरी ओर, पति ने अदालत में दलील दी कि महिला के अन्य पुरुषों से संबंध होने के कारण उसे बच्चों की कस्टडी नहीं दी जानी चाहिए। इस दावे के समर्थन में कुछ वीडियो और साक्ष्य भी पेश किए गए थे। हाईकोर्ट का तर्क हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वैवाहिक संबंध टूटने के बाद भी मां का अपने बच्चों पर अधिकार बना रहता है। न्यायालय ने यह भी कहा कि बच्चों के लिए मां और पिता दोनों का प्यार और देखभाल आवश्यक है, ताकि वे अपने जीवन में बेहतर विकास कर सकें। कोर्ट ने यह भी कहा कि मां के लिव-इन में रहने से उसके मातृत्व अधिकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता और बच्चों की भलाई के लिए उसे उनकी कस्टडी सौंपना उचित है। इस प्रकार, हाईकोर्ट ने महिला को बच्चों की कस्टडी सौंपने का आदेश दिया, जिससे यह स्पष्ट संदेश गया कि तलाक और नए रिश्ते बच्चों पर मां के अधिकार को समाप्त नहीं कर सकते।