उत्तर प्रदेश से मानसून की विदाई हो चुकी है। दिन सूखे और शाम में सिहरन और रातें हल्की ठंडी होने लगी हैं। मौसम विभाग की माने तो यह बदलाव शरद ऋतु की ओर इशारा कर रहा है। तापमान में गिरावट के चलते अब धीरे-धीरे ठंड बढ़ेगी। खासकर दशहरा के बाद इस गुलाबी ठंड का असर बढ़ा है। दीपावली तक नदियों के किनारे के जिलों में सुबह की शुरुआत धुंध के साथ होने लगेगी। हल्की गुलाबी ठंड के साथ शुरू हुआ सीजन राज्य में कैसा रहेगा, कब से कड़ाके की सर्दी का आगाज होगा। इस रिपोर्ट में पढ़िए- सबसे पहले जानिए प्रदेश में मौसम का क्या हाल है- मौसम विभाग का अनुमान- उत्तर प्रदेश में सामान्य से अधिक ठंड पड़ेगी
इस बार ठंड के सीजन को लेकर मौसम विभाग का कहना है कि उत्तर भारत में सामान्य से अधिक ठंड पड़ेगी। इसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है। इसके पीछे ‘ला-नीना’ है। बनारस में BHU के मौसम वैज्ञानिक मनोज कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि अभी तक के पैरामीटर के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सामान्य से अधिक ठंड पड़ सकती है। वो कहते हैं कि अक्टूबर के आखिरी तक यह बात और भी पुख्ता हो जाएगी, जब लॉन्ग टर्म कोरिलेशन्स में ‘ला-नीना’ की स्थिति साफ हो जाती है। मौसम विभाग के मुताबिक इस बार ‘ला-नीना’ की वजह से ही मानसून सामान्य से थोड़ा लंबा खिंचा है। अब यही उत्तर भारत में सामान्य से अधिक ठंड पड़ने की वजह बनेगा। क्या होता है ला नीना प्रभाव, जिसकी वजह से ठंड ज्यादा पड़ेगी
ला नीना एक जलवायु पैटर्न है। इसका दुनिया भर के मौसम पर असर पड़ता है। इसमें समुद्र का पानी तेजी से ठंडा होता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इसमें पानी भाप बनकर ऊपर जाता है और आसमान में बादल छा जाते हैं और फिर बारिश होती है। भारत में कम और ज्यादा बारिश, ठंडी और गर्मी ला नीना पर ही निर्भर करती है। भारत में ‘ला नीना’ की वजह से ज्यादा ठंड और बारिश की संभावना होती है। मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक एसके पटेल के मुताबिक ला नीना का संबंध प्रशांत महासागर के समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है। इस बार अगस्त के आखिरी और सितंबर के पहले हफ्ते में प्रशांत महासागर में ला नीना एक्टिव होने लगा है। नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर का कहना है कि इस बार सर्दी के सीजन में 60 फीसदी चांस है कि ला नीना एक्टिव हो जाए और मार्च तक इसका असर रहे। दिसंबर और जनवरी में ठंड पीक पर होगी
मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अक्टूबर के आखिर से हल्की ठंड पड़नी शुरू हो जाएगी। नवंबर में तापमान धीरे-धीरे नीचे गिरता जाएगा। दिसंबर और जनवरी के महीने में पारा तेजी से नीचे गिरेगा। इससे ठंड तेजी से बढ़ेगी। वहीं, जनवरी के अंत और फरवरी की शुरुआत से ठंड का पीक पॉइंट आएगा। इस एक या दो हफ्ते में ठंड कड़ाके की पड़ेगी। अनुमान के मुताबिक यह पिछले सालों के ठंड के रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है। मौसम वैज्ञानिक मनोज कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि इस बार अक्टूबर आखिर में कम ठंड की वजह से दीवाली भी क्लीन होगी। यानी घनी ठंडी हवाएं वातावरण में नहीं रहेंगी, जो पटाखों और पराली के धुंए को वातावरण में नहीं घुलने देती हैं। दिन का तापमान कम होने तक ठंड नहीं बढ़ेगी
मौसम वैज्ञानिक मनोज कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि अक्टूबर में आने वाले हफ्ते में ठंड के बढ़ने के कोई आसार नहीं हैं। आने वाले हफ्ते में मौसम साफ रहेगा। बारिश नहीं होगी। ऐसे में, राज्य में दिन का तापमान 30 से ऊपर ही बना रहेगा। हालांकि, सुबह और शाम थोड़ी ठंडी होंगी, लेकिन यह उतना महसूस नहीं होगा। जब तक अधिकतम तापमान में कमी नहीं आएगी, प्रदेश में ठंड नहीं बढ़ेगी। जब दिन का तापमान 20-22 डिग्री सेल्सियस तक आता है, तब ठंड महसूस होना शुरू होती है। इसके साथ ठंडी हवाओं का भी होना जरूरी है। फिलहाल सामान्य रूप से लोग अल-सुबह और शाम होने के बाद रात में घरों में बंद जगहों पर रहते हैं। इसमें अगर तापमान नीचे जाता है तो पता नहीं चलता। 24 अक्टूबर को पश्चिमी विक्षोभ के आने से हल्की ठंड बढ़ेगी
भारत में ठंड की शुरुआत उत्तर-पश्चिमी हवाओं के माध्यम से होती है। स्काइमेट के मुताबिक यह पश्चिमी विक्षोभ भारत में 24 अक्टूबर को प्रवेश करेगा। इसका असर अगले तीन दिनों तक बरकरार रहेगा। इससे पहाड़ों में अच्छी बर्फबारी होगी। वहीं, इसकी वजह से उत्तर प्रदेश में ठंड में हल्का इजाफा होगा। हालांकि ठंड अधिक नहीं बढ़ेगी। स्काइमेट के अनुसार पिछले साल दिसंबर तक पश्चिमी विक्षोभ नहीं आया था। इसके चलते ठंड की शुरुआत काफी देर से हुई थी। आमतौर पर पश्चिमी विक्षोभ का समय अक्टूबर से मार्च तक होता है। ऐसे में, इस बार यह समय पर दस्तक दे रहा है। कब होती है सामान्य से अधिक ठंड?
मौसम विभाग के मुताबिक सामान्य से अधिक ठंड की स्थिति में कोल्ड वेव और सीवियर कोल्ड वेव की स्थिति बनती है। मैदानी इलाकों में कोल्ड वेव यानी शीतलहर तब मानी जाती है, जब तापमान 10 डिग्री सेल्सियस और उससे नीचे चला जाता है। और अगर यह स्थिति 10 दिन या उससे ज्यादा दिनों तक खिंच जाए तो उस जगह पर सामान्य से अधिक ठंड में गिना जाता है। सीवियर कोल्ड वेव की स्थिति अक्सर पहाड़ों में बनती है। जब तापमान माइनस 6.5 या उससे नीचे चला जाता है, तब सीवियर कोल्ड वेव होता है। सामान्य से अधिक ठंड में किस तरह के फायदे और नुकसान?
मौसम वैज्ञानिक मनोज कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि ठंड में 10 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान बना रहता है तो यह गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद है। वहीं, दूसरी तरफ न्यूनतम तापमान लगातार 10-15 डिग्री सेल्सियस से कम रहे तो यह सब्जियों को नुकसान पहुंचाता है। सब्जियों के उगने की क्षमता कम हो जाती है। इसके अलावा लगातार कम तापमान इंसानों के स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। लगातार ज्यादा ठंड पड़ने से इंसानी शरीर में प्रतिरोध क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में, डिहाइड्रेशन, बुखार, खांसी के मरीज बढ़ने लगते हैं। ……………………………………………………… यह भी पढ़ें:- यूपी के 18 डैम आधे खाली..कम पड़ेगा पीने का पानी:बडे़ डैम रिहंद, माता टीला और मेजा 94% तक भरे, बिजली के लिए भरपूर पानी यूपी में 51 छोटे-बड़े डैम हैं। इनमें औसत 60% तक पानी भरा है। वहीं, 18 डैम ऐसे हैं, जिनमें 50% तक कम पानी है। सबसे ज्यादा खाली मध्यम और छोटे साइज के डैम हैं। पांच सबसे बड़े डैम की स्थिति पिछले साल से अच्छी है। पांचों के गेट इस बार खोलने पड़े हैं। 7 स्लाइड में जानिए यूपी के बांधों में पानी की स्थिति पर और क्या असर पड़ेगा… उत्तर प्रदेश से मानसून की विदाई हो चुकी है। दिन सूखे और शाम में सिहरन और रातें हल्की ठंडी होने लगी हैं। मौसम विभाग की माने तो यह बदलाव शरद ऋतु की ओर इशारा कर रहा है। तापमान में गिरावट के चलते अब धीरे-धीरे ठंड बढ़ेगी। खासकर दशहरा के बाद इस गुलाबी ठंड का असर बढ़ा है। दीपावली तक नदियों के किनारे के जिलों में सुबह की शुरुआत धुंध के साथ होने लगेगी। हल्की गुलाबी ठंड के साथ शुरू हुआ सीजन राज्य में कैसा रहेगा, कब से कड़ाके की सर्दी का आगाज होगा। इस रिपोर्ट में पढ़िए- सबसे पहले जानिए प्रदेश में मौसम का क्या हाल है- मौसम विभाग का अनुमान- उत्तर प्रदेश में सामान्य से अधिक ठंड पड़ेगी
इस बार ठंड के सीजन को लेकर मौसम विभाग का कहना है कि उत्तर भारत में सामान्य से अधिक ठंड पड़ेगी। इसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल है। इसके पीछे ‘ला-नीना’ है। बनारस में BHU के मौसम वैज्ञानिक मनोज कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि अभी तक के पैरामीटर के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सामान्य से अधिक ठंड पड़ सकती है। वो कहते हैं कि अक्टूबर के आखिरी तक यह बात और भी पुख्ता हो जाएगी, जब लॉन्ग टर्म कोरिलेशन्स में ‘ला-नीना’ की स्थिति साफ हो जाती है। मौसम विभाग के मुताबिक इस बार ‘ला-नीना’ की वजह से ही मानसून सामान्य से थोड़ा लंबा खिंचा है। अब यही उत्तर भारत में सामान्य से अधिक ठंड पड़ने की वजह बनेगा। क्या होता है ला नीना प्रभाव, जिसकी वजह से ठंड ज्यादा पड़ेगी
ला नीना एक जलवायु पैटर्न है। इसका दुनिया भर के मौसम पर असर पड़ता है। इसमें समुद्र का पानी तेजी से ठंडा होता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इसमें पानी भाप बनकर ऊपर जाता है और आसमान में बादल छा जाते हैं और फिर बारिश होती है। भारत में कम और ज्यादा बारिश, ठंडी और गर्मी ला नीना पर ही निर्भर करती है। भारत में ‘ला नीना’ की वजह से ज्यादा ठंड और बारिश की संभावना होती है। मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक एसके पटेल के मुताबिक ला नीना का संबंध प्रशांत महासागर के समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है। इस बार अगस्त के आखिरी और सितंबर के पहले हफ्ते में प्रशांत महासागर में ला नीना एक्टिव होने लगा है। नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर का कहना है कि इस बार सर्दी के सीजन में 60 फीसदी चांस है कि ला नीना एक्टिव हो जाए और मार्च तक इसका असर रहे। दिसंबर और जनवरी में ठंड पीक पर होगी
मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अक्टूबर के आखिर से हल्की ठंड पड़नी शुरू हो जाएगी। नवंबर में तापमान धीरे-धीरे नीचे गिरता जाएगा। दिसंबर और जनवरी के महीने में पारा तेजी से नीचे गिरेगा। इससे ठंड तेजी से बढ़ेगी। वहीं, जनवरी के अंत और फरवरी की शुरुआत से ठंड का पीक पॉइंट आएगा। इस एक या दो हफ्ते में ठंड कड़ाके की पड़ेगी। अनुमान के मुताबिक यह पिछले सालों के ठंड के रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है। मौसम वैज्ञानिक मनोज कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि इस बार अक्टूबर आखिर में कम ठंड की वजह से दीवाली भी क्लीन होगी। यानी घनी ठंडी हवाएं वातावरण में नहीं रहेंगी, जो पटाखों और पराली के धुंए को वातावरण में नहीं घुलने देती हैं। दिन का तापमान कम होने तक ठंड नहीं बढ़ेगी
मौसम वैज्ञानिक मनोज कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि अक्टूबर में आने वाले हफ्ते में ठंड के बढ़ने के कोई आसार नहीं हैं। आने वाले हफ्ते में मौसम साफ रहेगा। बारिश नहीं होगी। ऐसे में, राज्य में दिन का तापमान 30 से ऊपर ही बना रहेगा। हालांकि, सुबह और शाम थोड़ी ठंडी होंगी, लेकिन यह उतना महसूस नहीं होगा। जब तक अधिकतम तापमान में कमी नहीं आएगी, प्रदेश में ठंड नहीं बढ़ेगी। जब दिन का तापमान 20-22 डिग्री सेल्सियस तक आता है, तब ठंड महसूस होना शुरू होती है। इसके साथ ठंडी हवाओं का भी होना जरूरी है। फिलहाल सामान्य रूप से लोग अल-सुबह और शाम होने के बाद रात में घरों में बंद जगहों पर रहते हैं। इसमें अगर तापमान नीचे जाता है तो पता नहीं चलता। 24 अक्टूबर को पश्चिमी विक्षोभ के आने से हल्की ठंड बढ़ेगी
भारत में ठंड की शुरुआत उत्तर-पश्चिमी हवाओं के माध्यम से होती है। स्काइमेट के मुताबिक यह पश्चिमी विक्षोभ भारत में 24 अक्टूबर को प्रवेश करेगा। इसका असर अगले तीन दिनों तक बरकरार रहेगा। इससे पहाड़ों में अच्छी बर्फबारी होगी। वहीं, इसकी वजह से उत्तर प्रदेश में ठंड में हल्का इजाफा होगा। हालांकि ठंड अधिक नहीं बढ़ेगी। स्काइमेट के अनुसार पिछले साल दिसंबर तक पश्चिमी विक्षोभ नहीं आया था। इसके चलते ठंड की शुरुआत काफी देर से हुई थी। आमतौर पर पश्चिमी विक्षोभ का समय अक्टूबर से मार्च तक होता है। ऐसे में, इस बार यह समय पर दस्तक दे रहा है। कब होती है सामान्य से अधिक ठंड?
मौसम विभाग के मुताबिक सामान्य से अधिक ठंड की स्थिति में कोल्ड वेव और सीवियर कोल्ड वेव की स्थिति बनती है। मैदानी इलाकों में कोल्ड वेव यानी शीतलहर तब मानी जाती है, जब तापमान 10 डिग्री सेल्सियस और उससे नीचे चला जाता है। और अगर यह स्थिति 10 दिन या उससे ज्यादा दिनों तक खिंच जाए तो उस जगह पर सामान्य से अधिक ठंड में गिना जाता है। सीवियर कोल्ड वेव की स्थिति अक्सर पहाड़ों में बनती है। जब तापमान माइनस 6.5 या उससे नीचे चला जाता है, तब सीवियर कोल्ड वेव होता है। सामान्य से अधिक ठंड में किस तरह के फायदे और नुकसान?
मौसम वैज्ञानिक मनोज कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि ठंड में 10 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान बना रहता है तो यह गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद है। वहीं, दूसरी तरफ न्यूनतम तापमान लगातार 10-15 डिग्री सेल्सियस से कम रहे तो यह सब्जियों को नुकसान पहुंचाता है। सब्जियों के उगने की क्षमता कम हो जाती है। इसके अलावा लगातार कम तापमान इंसानों के स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। लगातार ज्यादा ठंड पड़ने से इंसानी शरीर में प्रतिरोध क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में, डिहाइड्रेशन, बुखार, खांसी के मरीज बढ़ने लगते हैं। ……………………………………………………… यह भी पढ़ें:- यूपी के 18 डैम आधे खाली..कम पड़ेगा पीने का पानी:बडे़ डैम रिहंद, माता टीला और मेजा 94% तक भरे, बिजली के लिए भरपूर पानी यूपी में 51 छोटे-बड़े डैम हैं। इनमें औसत 60% तक पानी भरा है। वहीं, 18 डैम ऐसे हैं, जिनमें 50% तक कम पानी है। सबसे ज्यादा खाली मध्यम और छोटे साइज के डैम हैं। पांच सबसे बड़े डैम की स्थिति पिछले साल से अच्छी है। पांचों के गेट इस बार खोलने पड़े हैं। 7 स्लाइड में जानिए यूपी के बांधों में पानी की स्थिति पर और क्या असर पड़ेगा… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर