डेरामुखी गुरमीत सिंह राम रहीम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पंजाब सरकार ने बेअदबी से जुड़े तीन मामलों में उन पर केस चलाने को मंजूरी दे दी है। वहीं, अब फरीदकोट की अदालत में उन पर ट्रायल चलेगा। भविष्य में जरूरत पड़ी तो उससे पूछताछ भी की जा सकती है। सरकार ने यह फैसला उस समय लिया है, जब करीब चार दिन पहले पंजाब सरकार द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बेअदबी से जुड़े मामलों की सुनवाई से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा लगाई स्टे हटा दी थी। साथ ही इस मामले में डेरा प्रमुख को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब तलब किया था। नौ साल पुराना है मामला यह सारा मामला जून 2015 में फ़रीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में एक गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति की चोरी से शुरू हुई थी। इसके बाद, सितंबर में, फरीदकोट के जवाहर सिंह वाला और बरगाड़ी गांवों में पवित्र ग्रंथ के खिलाफ़ हाथ से लिए हुए अपवित्र पोस्टर लगाए गए। उसी वर्ष अक्टूबर में, बरगाड़ी में एक गुरुद्वारे के पास पवित्र ग्रंथ के कई फटे हुए अंग (पृष्ठ) बिखरे हुए मिले। बाद में स्थिति ये बन आई कि पंजाब में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। राज्य पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई, इस दौरान पंजाब में सामाजिक और राजनीतिक अशांति और बढ़ गई। गुरु ग्रंथ साहिब की प्रति की चोरी और अपवित्रता से संबंधित तीन परस्पर जुड़े मामलों में कुल 12 लोगों को नामजद किया गया था। शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की पिछली गठबंधन सरकार ने नवंबर में जांच सीबीआई को सौंप दी थी। डेरामुखी गुरमीत सिंह राम रहीम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पंजाब सरकार ने बेअदबी से जुड़े तीन मामलों में उन पर केस चलाने को मंजूरी दे दी है। वहीं, अब फरीदकोट की अदालत में उन पर ट्रायल चलेगा। भविष्य में जरूरत पड़ी तो उससे पूछताछ भी की जा सकती है। सरकार ने यह फैसला उस समय लिया है, जब करीब चार दिन पहले पंजाब सरकार द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बेअदबी से जुड़े मामलों की सुनवाई से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा लगाई स्टे हटा दी थी। साथ ही इस मामले में डेरा प्रमुख को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब तलब किया था। नौ साल पुराना है मामला यह सारा मामला जून 2015 में फ़रीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में एक गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब की एक प्रति की चोरी से शुरू हुई थी। इसके बाद, सितंबर में, फरीदकोट के जवाहर सिंह वाला और बरगाड़ी गांवों में पवित्र ग्रंथ के खिलाफ़ हाथ से लिए हुए अपवित्र पोस्टर लगाए गए। उसी वर्ष अक्टूबर में, बरगाड़ी में एक गुरुद्वारे के पास पवित्र ग्रंथ के कई फटे हुए अंग (पृष्ठ) बिखरे हुए मिले। बाद में स्थिति ये बन आई कि पंजाब में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। राज्य पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें दो आंदोलनकारियों की मौत हो गई, इस दौरान पंजाब में सामाजिक और राजनीतिक अशांति और बढ़ गई। गुरु ग्रंथ साहिब की प्रति की चोरी और अपवित्रता से संबंधित तीन परस्पर जुड़े मामलों में कुल 12 लोगों को नामजद किया गया था। शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी की पिछली गठबंधन सरकार ने नवंबर में जांच सीबीआई को सौंप दी थी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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